मुकुल भी शक के दायरे में,अब दीदी क्या करेंगी?
बंगाल सरकार राजी हो या नहीं , दूसरे राज्यों में होने वाली सीबीआई जांच का असर बंगाल में अवश्य होना है।
एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
अब जो रहस्य खुला है, उससे दीदी की समस्याएं कोई कम होने वाली नहीं है। सुदीप्त ने पूछताछ के दरम्यान अब यह मान लिया के तृणमूल के दूसरे नंबर के नेता और पूर्व रेलमंत्री मुकुल राय और पहले से अभियुक्त सांसद कुणाल घोष की सुदीप्त से मुलाकात हुई थी। गायब होने से पहले। इस मुलाकात के दौरान दूसरे नेताओं की मौजूदगी का सच भी कबूल किया सुदीप्त ने। इससे तो माकपाई आरोप को बल मिला कि एक केंद्रीय तृणमूल नेता ने ही सीबीआई क लिखी चिट्ठी का मसविदा तैयार करवाया। अब सुदीप्त की चिट्ठी और ईमेल का तात्पर्य तेजी से बदलने लगा है।
इस मुलाकात का खुलासा करते हुए टूटते हुए सुदीप्त ने यह भी कहा बताते हैं कि जिन लोगों पर भरोसा किया, जो लगातार समूह से पैसा दुहते रहे, उन्होंने ही धोखा किया। सामने हावड़ी संसदीय उपचुनाव की अग्निपरीक्षा है। वहा उन्नीस बीस हो गया तो अब तकजनाधार खिसकने के डर से दागी नेताओं के बचाव की दीदीकी जिद से जो लोग नाराज है, वे क्या करते है, दीदी को यह भी देखना पड़ेगा।इसी बीच इस नये संकट की दस्तक सुनायी पड़ने लगी है। सार्वजनिक तौर पर सीबीआई जांच करने की मांग करने वाले वरिष्ठ तृणमूल सांसद अब टीवी के परदे पर आम जनता को यह बताने लगे हैं कि उन्होंने तो २०११ में ही प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर चिटफंड फर्जीवाड़े के खिलाफ कदम उठाने की मांग कर दी थी।डायमंड हारबार के तृणमूल सांसद ने कई राज्यों का मामला होने का कारण बताते हुए एक टीवी चैनल को भंट के दौरान फिर सीबीआई की जांच की मांग दोहरायी है। भतीजे अभिषेक के संदिग्ध व्यवसाय संबंधी आरोपों के बीच उनके भाई कार्तिक ने तो मंत्री से लेकर संतरी तक किसी को नहीं बख्शा। अब यह हाल है तो सीबीआई कार्रवाई शुरु होने पर दीदी अपने कासलोगों का बचाव कैसे करेंगी, इस पर भी नजर रहेगी।पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य, गौतम देव और दूसरे माकपा नेताओं को दीदी घेरने की कोशिश में हैं। पर अब माकपा के अलावा कंग्रेस और तृणमूल के अंदर से भी सीबीआई जांच की मांग तेज होने लगी है। बुद्धदेव बाबू तो कह रहे हैं कि सीबीआई जांच का कोई विकल्प ही नहीं है।दीदी ने जो पोइला बैशाख से पहले जानकारी न होने की बात करके अपने को निष्पाप बताने का प्रयास कर रही हैं, सीबीआई जांच पर जनहित याचिका के सुनवाई के दौरान राज्य सरकार द्वारा दो साल की कार्रवाइयों का सिलसिलेवार ब्यौरा पेश करने सेउसका भी खंडन हो गया है।इसी बीच माकपा का सामाजिक बहिस्कार करने का ऐलान करनेके लिए विख्यात खाद्यमंत्री ज्योतिप्रिय मल्लिक का नाम भी शारदा समूह से जुड़ गया है। समूह के जिस सोमनाथ दत्त से नजदीकी की वजह से मुसीबत में हैं सांसद शताब्दी राय, उनकी तारीफों के पुल बांध दिये मल्लिक बाबू ने हाबरा की एक जनसभा में सोमनाथ की मौजूदगी में, सितंबर २०११ में।
गौरतलब है कि माकपा लगातार आरोप लगाती रही है कि ६ अप्रैल को सीबीआई को पत्र लिखने के बाद शारदा समूह के कर्णधार सुदीप्त सेन के फरार होने और उनकी ओर से शारदा समूह के ही तारा न्यूज की और से दायर एफआईआर के पीछे सत्तादल और मुख्यमंत्री की सुनियोजित साजिश है। विपक्ष के हमलों का जवाब देने के लिए बनर्जी ने स्वयं ही मोर्चा संभाल लिया और पूर्व की वाममोर्चा सरकार पर घोटाले का आरोप यह कहते हुए थोप दिया कि उसी ने पोंजी फर्म को राज्य में पांव पसारने की अनुमति दी।उन्होंने राज्य सरकार को बदनाम करने के लिए कांग्रेस और वामपंथियों के बीच सांठगांठ का आरोप लगाया।इस बीच चिट फंड कंपनियों में निवेश करने वालों का राज्य भर में पदर्शन जारी है। निवेशक अपने पैसे वापस मांग रहे हैं।गुरुवार से कम से कम पांच ऐसी फर्मो के कार्यालय बंद कराए जा चुके हैं। पुलिस को धोखाधड़ी, जालसाजी और आपराधिक सांठगांठ की शिकायत मिलने के बाद यह कार्रवाई की गई है।कंपनी मामलों के मंत्रालय के मुताबिक राज्य में चल रहे 73 फर्मो के खिलाफ शिकायतें मिली हैं।
माकपाई आरोप के मुताबिक तृणमूल के एक सांसद और सर्व भारतीय नेता से मुलाकात के बाद ही यह रणनीति बनी, जो सुदीप्त और शारदा समूह को बचाने की कवायद है। सेबी की सलाह के बावजूद राज्य सरकार ने कोई एफआईआर दायर नहीं किया और न कोई कार्रवाई हुई। अब सुदीप्त के २३० खातों के ब्यौरे के मुताबिक बैंकों में दो करोड़ से कम रकम रह जाने के बाद यह तय है कि सुनियोजित योजना के तहत ही सुदीप्त ने कदम उठाये।
यह भी पता चला है कि सुदीप्त महीनों से खुद को दिवालिया घोषित कराने की रणनीति पर काम करते रहे हैं। अब उनके बैंक खातों का जो हाल है, सघन पूछताछ और तलाशी के बावजूद रिकवरी की संभावना जो शून्य नजर आ रही है,जैसे उन्होंने अपने पैसे खपाये, उससे उनके दिवालिया बन जाने में शायद ही कोई अड़चन हो। गयब होने से पहले उनकी खासमखास देवयानी ने दफ्तर आना बंद कर दिया था। कारोबार समेटने का सिलसिला शुरु हो गया था। पुलिस अभीतक सुदीप्त की दोनों पत्नियों और उनके बेटे का सुराग नहीं लगा पायी जबकि सघन पूछताछ से नये नये रहस्योद्घाटन हो रहे हैं।
गौरतलब है कि इस खुलासे से पहले दीदी ने विपक्ष के खिलाफ हमलावर तेवर अपनाकर अपने दागी मंत्रियों , सांसदों और पार्टी नेताओं का बचाव ही नहीं किया, बल्कि सबकी फाइलें खोलकर सबको जेल भेजन और ज्यादा बोलने पर पोस्टर बनाने की भी धमकी दे दी है।
उन्होंने सीबीआई जांच के लिए अदालत में विचाराधीन जनहित याचिका और अपनी सरकार के अंतर्विरोधी हलफनामे के बावजूद पानीहाटी में केंद्र को चेताया कि वह उन्हें सीबीआई जांच का डर न दिखाये। जबकि असम और त्रिपुरा सरकारों ने पहले ही सीबीआई जांच की मांग कर दी है।
इससे पहले सुदीप्त मान चुके हैं कि शारदा समूह की र से राजनीतिक दलों को फंडिंग होती रही है। सीबीआई पूर्वोत्तर क चुनावों में फंडिंग की भी जांच कर रही है। अब ऐसे में हालात जो बन रहे हैं, देशभर में हुए इस फर्जीवाड़े की सीबीआई जांच जरुर होगी। दीदी की चुनौती के बाद केंद्रीय एजंसियों के और सक्रिय होनेके आसार है। बंगाल सरकार राजी हो या नहीं , दूसरे राज्यों में होने वाली जांच का असर बंगाल में अवश्य होना है।अब दीदी क्या करेंगी?
इसी के मध्य कलकत्ता हाईकोर्ट ने शारदा चिटफंड घोटाले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से कराने की मांग संबंधी जनहित याचिकाओं की सुनवाई बुधवार तक के लिए शुक्रवार को स्थगित कर दी।
मुख्य न्यायाधीश अरण मिश्रा और न्यायमूर्ति जयमाल्यो बागची की खंडपीठ ने जनहित याचिकाओं पर सुनवाई आगामी बुधवार तक के लिए स्थगित कर दी। अदालत ने इन बातों पर गौर किया कि सीबीआई जांच कराने के लिए चार याचिकाएं दायर की गई हैं और अदालत के पूर्व निर्देशानुसार पश्चिम बंगाल सरकार ने पहली याचिका के संबंध में अपना शपथपत्र पेश कर दिया है।
अदालत ने राज्य सरकार से इस बीच मामले की सीबीआई जांच कराए जाने की मांग करने वाली अन्य तीन याचिकाओं में उठाई गई बातों पर एक पूरक शपथपत्र पेश करने का निर्देश दिया है। राज्य सरकार के वकील अशोक बनर्जी ने कहा कि हालांकि सभी याचिकाओं के लिए राज्य का एक ही रख रहेगा लेकिन वह सभी याचिकाओं का अध्ययन करेगी और जरूरत पड़ने पर एक पूरक शपथ पत्र जमा करेगी। राज्य से अदालत में पेश किए गए शपथ पत्र की प्रतियां सभी याचिकाकर्ताओं को भी मुहैया कराने को कहा गया है। अदालत ने पिछले शुक्रवार को राज्य सरकार से चिटफंड घोटाले की जांच सीबीआई से कराने संबंधी याचिका पर हलफनामा देने को कहा था।
गौरतलब है कि कलकत्ता उच्च न्यायालय में हलफनामा में पश्चिम बंगाल सरकार ने चिटफंड घोटाले की सीबीआई जांच की मांग का विरोध किया और दावा किया कि इस चरण में पुलिस की जांच की विश्वसनीयता पर संदेह नहीं किया जा सकता।मुख्य न्यायाधीश अरूण मिश्रा और न्यायमूर्ति जयमाल्य बागची की खंडपीठ के समक्ष राज्य सरकार द्वारा दायर हलफनामे में दावा किया गया है, इस चरण में जांच सीबीआई को सौंपने का कोई भी निर्देश जल्दबाजी होगा।हलफनामे में कहा गया है कि पुलिस प्रशासन ने स्थिति की नजाकत को देखते हुए बड़ी मुस्तैदी से कार्रवाई की। जांच के सिलसिले में राज्य प्रतिवादी की ओर से कोई ढील नहीं बरती गई। मुख्य आरोपी गिरफ्तार किया जा चुका है। इस चरण में जांच की विश्वसनीयता पर संदेह नहीं किया जा सकता।सीबीआई जांच की मांग करने वाली याचिका का विरोध करते हुए सरकार ने से राजनीति से प्रेरित बताया और कहा कि यह विचार योग्य नहीं है।
घोटाले की सीबीआई जांच की मांग करने वाली कांग्रेस ने राज्य में सत्ताधारी तृणमूल पर दोषियों को छिपाने का आरोप लगाया है और इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से इस्तीफे की मांग की है।ममता ने कांग्रेस द्वारा सीबीआई से जांच कराने की मांग पर कहा कि कांग्रेस के नेताओं को इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट की राय देख लेनी चाहिए। चिट फंड का व्यवसाय पर रिजर्व बैंक और सेबी का नियंत्रण होता है।
कांग्रेस सांसद दीपा दासमुंशी ने यहां कहा, "क्या यह विश्वास करने वाली बात है कि बनर्जी को घोटाले की भनक नहीं लगी थी? यदि वास्तव में वह अनजान थीं तो उन्हें सत्ता में बने रहने का कोई अधिकार नहीं है।
"
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप भट्टाचार्य ने कहा, "वे (बनर्जी) सीबीआई जांच से बचती फिर रही हैं क्योंकि उन्हें पता है कि इससे तृणमूल का शारदा के साथ अपवित्र संबंध का भेद खुल जाएगा।
"
शारदा घोटाले का पर्दाफाश होने के समय से ही बनर्जी यह कहती आई हैं कि उन्हें 15 अप्रैल तक शारदा के चिटफंड कारोबार और वित्तीय अनियमितता के बारे में कोई जानकारी नहीं थी।
गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल में हुए चिट फंड घोटाले पर लटक रही सीबीआई जांच की तलवार के बीच प्रदेश की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शनिवार को अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं की हिम्मत बढाते हुए कहा कि सीबीआई "धमकी" से उनकी सरकार डरने वाली नहीं है क्योंकि अगले साल होने वाले आम चुनावों में यूपीए तीसरी बार सत्ता में नहीं लौटेगी। उत्तर 24 परगना के पाणीहाती में आम सभा को संबोधित करते हुए ममता ने कहा कि सीबीआई जांच की धमकी से हम डरने वाले नहीं, क्योंकि यूपीए तीसरी बार सत्ता में नहीं लौटेगी। हम यूपीए-1 और यूपीए-2 देख चुके हैं। उन्होने सीबीआई जांच की मांग को "राजनैतिक षडयंत्र" बताते हुए कहा कि कांग्रेस और सीपीएम जांच के नाम पर उनकी सरकार को बदनाम करना चाहती हैं।
No comments:
Post a Comment