Tuesday, February 8, 2011

Fwd: [Right to Education] दाखिलों में नेबरहुड पर सिबलिंग-एल्युम्नॉय भारी...



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From: Sumit Vohra <notification+kr4marbae4mn@facebookmail.com>
Date: 2011/2/7
Subject: [Right to Education] दाखिलों में नेबरहुड पर सिबलिंग-एल्युम्नॉय भारी...
To: Palash Biswas <palashbiswaskl@gmail.com>


दाखिलों में नेबरहुड पर सिबलिंग-एल्युम्नॉय भारी  भास्कर न्यूज & नई दिल्ली आज से करीब एक माह पहले तक अपने नेबरहुड फैक्टर को लेकर फूली नहीं समा रही संचिता ने कभी सोचा भी नहीं था कि घर से स्कूल की दूरी महज 100 मीटर होने पर भी उनके बेटे का दाखिला करीबी स्कूल में नहीं हो पाएगा, लेकिन नामचीन स्कूलों में शुमार स्प्रिंगडेल्स, पूसा रोड में यह हुआ है। स्कूल में दाखिले की सूची को पहली नजर में देखने में साफ हो गया कि किस तरह से नेबरहुड पर सिबलिंग, एल्युम्नॉय फैक्टर हावी रहा।  सिर्फ इसी स्कूल में ही नहीं, मदर्स इंटरनेशनल, श्री अरविंदो मार्ग और डीपीएस द्वारका में दाखिले के लिए जारी सूचियों में भी यही रुझान नजर आया। सीधे शब्दों में कहें तो घर से दूरी के फैक्टर पर विरासत हावी रही और नामचीन स्कूलों में पढऩे का मौका ज्यादातर उन्हीं बच्चों को मिला जिनके अभिभावक या भाई-बहन पहले से इन स्कूलों में पढ़ रहे थे। प्वाइंट सिस्टम के खेल में स्कूलों का अडिय़ल रवैया भी अभिभावकों के लिए परेशानी की वजह बना। डीपीएस रोहिणी में अपने बच्चे का दाखिला न हो पाने से निराश शिखा जैन ने जब दाखिला सूची पर नजर डाली तो उन्हें अंदाजा हो गया कि स्कूल किस तरह मनमानी पर उतारू है। यहां ऐसे बच्चों को दाखिला सूची में टॉप पर रखा गया जिन्हें फस्र्ट चाइल्ड के भी प्वाइंट दिए गए और सिबलिंग के भी। बात जब विरोध तक पहुंची तो सूची में गड़बड़ी की बात कर एक श्रेणी के प्वाइंट वापस ले लिए गए। डीपीएस रोहिणी में ऐसी ही एक और चूक हुई जिसमें एक छात्र को कोटे की सूची में भी जगह दी गई और सामान्य सूची में भी। साफ है कि सरकार की लाख कोशिशों के बाद भी स्कूलों ने चंद अभिभावकों के साथ सांठगांठ कर अपनी मनमर्जी से दाखिले अंजाम दिए हैं। एजुकेशन फॉर ऑल के संस्थापक सुमित वोहरा कहते हंै कि तीन सालों से वह नर्सरी की दाखिला प्रक्रिया में अभिभावकों के बीच काम कर रहे हंै, लेकिन इस साल नियमों की जिस तरह से धज्जियां उड़ी हैं वह हैरान करने वाली है। तभी तो नेबरहुड का सबसे अहम क्राइटेरिया आज सिबलिंग, एल्युम्नॉय के आगे पानी भरता नजर आ रहा है।
Sumit Vohra 8:22am Feb 7
दाखिलों में नेबरहुड पर सिबलिंग-एल्युम्नॉय भारी

भास्कर न्यूज & नई दिल्ली
आज से करीब एक माह पहले तक अपने नेबरहुड फैक्टर को लेकर फूली नहीं समा रही संचिता ने कभी सोचा भी नहीं था कि घर से स्कूल की दूरी महज 100 मीटर होने पर भी उनके बेटे का दाखिला करीबी स्कूल में नहीं हो पाएगा, लेकिन नामचीन स्कूलों में शुमार स्प्रिंगडेल्स, पूसा रोड में यह हुआ है। स्कूल में दाखिले की सूची को पहली नजर में देखने में साफ हो गया कि किस तरह से नेबरहुड पर सिबलिंग, एल्युम्नॉय फैक्टर हावी रहा।

सिर्फ इसी स्कूल में ही नहीं, मदर्स इंटरनेशनल, श्री अरविंदो मार्ग और डीपीएस द्वारका में दाखिले के लिए जारी सूचियों में भी यही रुझान नजर आया। सीधे शब्दों में कहें तो घर से दूरी के फैक्टर पर विरासत हावी रही और नामचीन स्कूलों में पढऩे का मौका ज्यादातर उन्हीं बच्चों को मिला जिनके अभिभावक या भाई-बहन पहले से इन स्कूलों में पढ़ रहे थे। प्वाइंट सिस्टम के खेल में स्कूलों का अडिय़ल रवैया भी अभिभावकों के लिए परेशानी की वजह बना। डीपीएस रोहिणी में अपने बच्चे का दाखिला न हो पाने से निराश शिखा जैन ने जब दाखिला सूची पर नजर डाली तो उन्हें अंदाजा हो गया कि स्कूल किस तरह मनमानी पर उतारू है। यहां ऐसे बच्चों को दाखिला सूची में टॉप पर रखा गया जिन्हें फस्र्ट चाइल्ड के भी प्वाइंट दिए गए और सिबलिंग के भी। बात जब विरोध तक पहुंची तो सूची में गड़बड़ी की बात कर एक श्रेणी के प्वाइंट वापस ले लिए गए। डीपीएस रोहिणी में ऐसी ही एक और चूक हुई जिसमें एक छात्र को कोटे की सूची में भी जगह दी गई और सामान्य सूची में भी। साफ है कि सरकार की लाख कोशिशों के बाद भी स्कूलों ने चंद अभिभावकों के साथ सांठगांठ कर अपनी मनमर्जी से दाखिले अंजाम दिए हैं। एजुकेशन फॉर ऑल के संस्थापक सुमित वोहरा कहते हंै कि तीन सालों से वह नर्सरी की दाखिला प्रक्रिया में अभिभावकों के बीच काम कर रहे हंै, लेकिन इस साल नियमों की जिस तरह से धज्जियां उड़ी हैं वह हैरान करने वाली है। तभी तो नेबरहुड का सबसे अहम क्राइटेरिया आज सिबलिंग, एल्युम्नॉय के आगे पानी भरता नजर आ रहा है।

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Palash Biswas
Pl Read:
http://nandigramunited-banga.blogspot.com/

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