संसद राजनीति की बंधक बनी हुई है। सौदेबाजी जोरों पर है। और पूरे आसार है कि हमेशा कि तरह यह घोटाला भी रफा दफा हो जायेगा।
एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
संसद राजनीति की बंधक बनी हुई है। सौदेबाजी जोरों पर है। और पूरे आसार है कि हमेशा कि तरह यह घोटाला भी रफा दफा हो जायेगा।जैसे गार को बाजार, इंडिया इनकारपोरेशन और विदेशी निवेशकों के दबाव में कत्म कर दिया गाय और राजनीति ने चूं तक नहीं की, वैसे ही कोयला घोयाले में भी अंततः निवेशकों के हित संसदीय राजनीति पर भारी पड़ने वाले हैं।राजनीति की बात करें तो तीसरे मोर्चा के आकार लेने से पहले भाजपा ौर कांग्रेस में गुपचुप समझौता हो जाने के आसार भी प्रबल हैं।सोनिया का देश छोड़ने का मतलब तो यही निकलता है कि सरकार पर कोई खतरा है ही नहीं। भाजपा ने आज अपने रुख में थोड़ी नरमी लाते हुए कहा कि यदि सरकार कोल ब्लॉकों के लाइसेंस रद्द करके आवंटनों की एक स्वतंत्र जांच का आदेश दे तो वह कोयला घोटाले पर संसद में चर्चा कराने के लिए तैयार हो सकती है। लेकिन पार्टी ने यह स्पष्ट किया कि वह इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के त्यागपत्र की मांग नहीं छोड़ेगी।कोयला ब्लॉक आवंटन के मुद्दे पर संसद में दो सप्ताह तक कामकाज ठप रहने के बाद मॉनसून सत्र के कल से शुरू हो रहे आखिरी सप्ताह में भी गतिरोध समाप्त होने की कोई संभावना नजर नहीं आ रही। कोयला ब्लॉक आवंटन पर कैग की रिपोर्ट के मद्देनजर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के इस्तीफे की मांग कर रही भाजपा अपने रुख से पीछे हटती नहीं दिखाई दे रही।भाजपा का कहना है कि वह संसद के भीतर और बाहर प्रधानमंत्री के इस्तीफे की मांग पर कायम रहेगी। विपक्षी राजग को सरकार के खिलाफ इस मुद्दे पर सपा, तेदेपा और वाम दलों के रुझान से भी थोड़ा बल मिलता दिखाई दे रहा है। दूसरी ओर केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) 2006 से 2009 के बीच निजी कंपनियों को कोयला खदानों के आवंटन में कथित गड़बड़ी को लेकर की जा रही सीबीआई जांच की समीक्षा करेगा।सीबीआई के निदेशक ए.पी. सिंह की केंद्रीय सतर्कता आयुक्त प्रदीप कुमार के साथ जल्दी ही बैठक हो सकती है जिसमें सिंह एजेंसी की अब तक हुई जांच के बारे में विस्तृत जानकारी देंगे।बहरहाल, बैठक की तिथि अबतक तय नहीं हुई है। सीबीआई ने मामले में दो शुरूआती जांच दर्ज की है। भाजपा नेता प्रकाश जावड़ेकर तथा हंसराज अहीर की शिकायत पर सीवीसी ने मामला जांच एजेंसी के पास भेजा है। विपक्षी दलों के दबाव के बीच कोयले पर अंतर-मंत्रालयी समूह ऐसे 58 कोयला खदानों के भविष्य के बारे में सोमवार को विचार करेगा जिनके विकास के लिए संबंधित कंपनियों ने समयानुसार कदम नहीं उठाए हैं।समूह की सिफारिश पर खदानों का आवंटन रद्द हो सकता है।
गौरतलब है कि सामान्य कर परिवर्जन रोधी नियमों (गार) लागू करने की योजना तीन साल टालने और इसके कुछ महत्वपूर्ण प्रावधानों में संशोधन के की विशेषज्ञ समिति की सिफारिश से सोमवार को शेयर बाजारों में तेजी देखने को मिल सकती है।इसे अगर अर्थ व्यवस्था के मातहत चल रही राजनीति का दिशा निर्देशक मान लिया जाये और वामदलों और सहयोगी दलों के पैंतरों को लाक्षणिक, तो संसद के इसतरह बंधक हो जाने से बारतीय गणतंत्र को हासिल कुछ नहीं होने वाला और न कालाधन के खिलाफ मुहिम का कोई नतीजा निकलने वाला है। क्योंकि आखिरकार कालाधन ही राजनीति की दिशा और दशा पर हावी है। देश पर शनि का साढ़े साती का असर है,लोक मुहावरा तो यही कहता है।बाजार विश्लेषकों ने कहा कि निवेशक संसद में जारी गतिरोध को लेकर चिंतित हैं क्योंकि इस गतिरोध ने मानसून सत्र के शेष हिस्से के चलने की संभावना पर प्रश्नचिन्ह लगा दिया है। मानसून सत्र सात सितंबर को समाप्त होने वाला है।संसद में गतिरोध से अर्थिक नीतियों में सुधार की पहल की संभावनाएं भी धूमिल हो गई हैं।देश की आर्थिक वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष 2012-13 में 6 प्रतिशत से कम रहने का अनुमान है। एक सर्वेक्षण में कहा गया है कि उद्योग जगत का भरोसा घटने की वजह से चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर 6 प्रतिशत से कम रहेगी।उद्योग मंडल सीआईआई के सर्वेक्षण के अनुसार, ज्यादातर मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) चालू साल के लिए अर्थव्यवस्था के परिदृश्य को लेकर आशावादी नहीं हैं। उनका मानना है कि इस साल अर्थव्यवस्था में बेहद मामूली सुधार ही देखने को मिलेगा।सर्वेक्षण में संकेत दिया गया है कि 2012-13 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 6 फीसद से कम रहेगी। सीआईआई के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने एक बयान में कहा, यह उद्योग के भरोसे के निचले स्तर को दर्शाता है। पहली तिमाही के जीडीपी आंकड़ों से पता चलता है कि अर्थव्यवस्था में सुस्ती कायम है।
बावजूद इसके सस्ताह के दौरान बाजार में उतार-चढ़ाव का सिलसिला बने रहने के आसार हैं। घरेलू मोर्चे पर राजनीतिक खींचतान के बीच अमेरिकी फेडरल रिजर्व के चैयरमेन बेन बर्नांके का व्याख्यान भी बाजार की दशा व दिशा को प्रभावित करेगा।बर्नांके ने 31 अगस्त को जेक्सन होल व्याख्यान में अमेरिका के समझ आर्थिक चुनौतियों को रेखांकित किया।
गौरतलब है कि कोयला ब्लॉक आवंटन के मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने रविवार को साफ किया कि वह अभी भी प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के इस्तीफे पर अडिग है लेकिन यदि सरकार सभी कोयला ब्लॉक आवंटनों को रद्द कर उनकी स्वतंत्र जांच कराए तो वह संसद की कार्यवाही बाधित नहीं करेगी। सुषमा स्वराज के बाद अब आडवाणी ने भी कोल आवंटन रद्द करने की मांग की है। उन्होंने अपने ब्लॉग में पीएम के इस्तीफे का जिक्र नहीं किया है। लगातार आठ दिन तक संसद को ठप रखने वाली बीजेपी अब मनमोहन के इस्तीफे की मांग से पीछे हटती नजर आ रही है। शनिवार शाम को लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने सोशल नेटवर्किंग साइट ट्विटर पर इस ओर इशारा किया। सुषमा ने ट्विटर पर लिखा है कि सोनिया गांधी ने फोन कर संसद में गतिरोध खत्म करने के लिए उनसे कहा है। सुषमा ने भी शर्तों के साथ विचार का भरोसा दिया है। आडवाणी की पहली मांग कोयला आवंटन रद्द करने की है जबकि उनकी दूसरी मांग मामले की न्यायिक जांच कराने की है। आडवाणी के ब्लॉग में भी पीएम के इस्तीफे को लेकर कोई चर्चा नहीं है। पार्टी के दो वरिष्ठ नेताओं के द्वारा दिए जा रहे संकेत यही बताते हैं कि पार्टी पीएम के इस्तीफे पर नरम हो रही है। आडवाणी कोयला ब्लॉक आवंटन पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के बयान से आश्वस्त नहीं हैं। आडवाणी ने कहा कि प्रधानमंत्री ने कोयला आवंटन पर प्रधानमंत्री का बयान आवश्वस्त करने वाला नहीं है।भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के महासचिव व राष्ट्रीय प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद ने रविवार को सफाई दी कि भाजपा शासित राज्यों के किसी भी मुख्यमंत्री ने कोयला ब्लॉक नीलामी का विरोध नहीं किया था। भोपाल दौरे पर आए प्रसाद ने संवाददाताओं से पार्टी कार्यालय में चर्चा करते हुए कहा कि कांग्रेस भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों को बदनाम करने में लगी है। भाजपा पर जनता को गुमराह करने का आरोप मढ़ने के साथ ही लोकतंत्र की मान्य परंपराओं की दुहाई देते हुए कांग्रेस ने कहा कि देश के प्रमुख विपक्षी दल को प्रधानमंत्री के इस्तीफे की जिद छोड़कर संसद के जारी मानसून सत्र में चर्चा करानी चाहिए। कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने कहा कि अगर विपक्ष के हल्ला मचाने भर से प्रधानमंत्री या किसी मुख्यमंत्री को बदल दिया जाए, तो क्या इस देश में लोकतंत्र चल सकता है।
कोयला ब्लॉक आवंटन के मुद्दे पर संसद में जारी गतिरोध के मुद्दे पर अब चुप्पी साधे रखने वाले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने कांग्रेस पर कडा प्रहार करते हुए कहा है कि देश उसकी जागीर नहीं है जो वह मनमाने तरीके से सरकारी खजाने की लूट करे और देश की जनता आंखें मूंद सब कुछ देखती रहे। दरअसल, यह बात कही है संघ के मुखपत्र पांचजण्य ने। संघ ने अब तक इस मसले पर चल रहे गतिरोध पर चुप्पी साध रखी थी। पहली बार अपने मुखपत्र के माध्यम से उसने इस मुद्दे पर कांग्रेस पर निशाना साधा है और अपनी बात रखी है।
गौरतलब है कि टाटा, बिड़ला, आर्सेलर मित्तल जैसी कंपनियों को दिए गए लगभग चार दर्जन कोयला ब्लॉकों का आवंटन रद हो सकता है।भारतीय उद्योग परिसंघ [सीआइआइ] ने कोयला ब्लॉक आवंटन को सिरे से रद्द किए जाने के खिलाफ सरकार को आगाह किया है। सीआईआई ने कहा है कि इस तरह के कदम से व्यापारिक भावना को ठेस पहुंचेगी। सीआइआइ के अध्यक्ष आदि गोदरेज ने एक बयान में कहा है कि कानून को अपना काम करना चाहिए और जल्दबाजी में कोई कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए।कोल ब्लॉक आवंटन को लेकर लगातार हो रहे खुलासों के बीच अब यह नई जानकारी आई है कि जब केंद्र सरकार प्राइवेट कंपनियों को दिल खोलकर ब्लॉक बांट रही थी, उस वक्त सरकारी कंपनियों को कोल ब्लॉक न देने के लिए बहाना बनाया जा रहा था। बीजेपी सांसद हंसराज अहीर का कहना है कि कोल ब्लॉक न मिलने की वजह से ही भारतीय कोल लिमिटेड कोयला खनन का अपना लक्ष्य भी पूरा नहीं कर पा रही है जबकि उसके पास इस कार्य की विशेषज्ञता है। । कोयला ब्लॉक आवंटन पर कैग की रिपोर्ट पर पैदा हुए बवंडर के बीच प्रधानमंत्री कार्यालय [पीएमओ] खनन शुरू नहीं कर पाने वाली कंपनियों को आवंटित ब्लॉक रद नहीं करने पर कोयला मंत्रालय से खफा है। पीएमओ ने 6 सितंबर तक इस मामले को निपटाने का निर्देश दिया है। सोमवार को हुई अंतर-मंत्रालयी बैठक के बाद पीएमओ ने कोयला मंत्रालय को यह संदेश दिया है।
एसोचैम ने कहा कि सरकार को कोयला ब्लाक आवंटन से जुड़े मुद्दों की जांच किसी मौजूदा या सेवानिवृत्त न्यायाधीश की निगरानी में हो। एसोचैम ने एक बयान में कहा है, 'अगर बिना नीलामी कोयला आवंटन बड़ी घटना बन गया है और अनियमितताओं के आरोप हैं तो किसी मौजूदा या सेवानिवृत्त न्यायाधीश की निगरानी में जांच कराई जाये।'
पहली तिमाही में अर्थव्यवस्था की तस्वीर बिगाडऩे में मैन्यूफैक्चरिंग और खनन क्षेत्र का खासा योगदान रहा है। महंगे कर्ज ने मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र की रफ्तार को बेहद धीमा कर दिया है। वहीं कोयला खदानों के उत्पादन में कमी ने खनन क्षेत्र का प्रदर्शन बिगाड़ा है। पहली तिमाही में दोनों क्षेत्रों की विकास दर एक प्रतिशत से भी कम रही है।
अप्रैल-जून तिमाही में औद्योगिक उत्पादन का प्रदर्शन लगातार खराब रहा है। इन तीन महीने में कभी भी उद्योगों की रफ्तार ढाई प्रतिशत से अधिक नहीं रही। इस दौरान मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र की वृद्धि दर बेहद कम रही। जून में तो मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र के उत्पादन में 3.2 प्रतिशत की गिरावट ही रही। खनन क्षेत्र का हाल भी लगभग ऐसा ही रहा है। चालू वित्ता वर्ष की पहली तिमाही के पहले दो महीने में तो खनन क्षेत्र के उत्पादन में गिरावट ही बनी रही।
जून में इस क्षेत्र के उत्पादन में पहली बार 0.6 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की गई। खनन क्षेत्र के इस प्रदर्शन के लिए मुख्य रूप से कोयला क्षेत्र को दोषी माना जा रहा है। इसके उत्पादन की रफ्तार बहुत धीमी रही। महंगाई की ऊंची दर की वजह से उपभोक्ता मांग लगातार कम हो रही है। इसका असर मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र पर पड़ा है। महंगाई के चलते रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति में भी बहुत ज्यादा बदलाव नहीं आया है। उद्योग जगत लगातार ब्याज दरों में कमी की मांग कर रहा है। महंगे कर्ज से उद्योगों के लिए विस्तार के संसाधन सीमित हो गए हैं। इससे निवेश की दर भी घट रही है। पहली तिमाही में यह 33.2 प्रतिशत से घटकर 32.8 प्रतिशत रह गई है। उद्योग जगत का मानना है कि आर्थिक सुधारों में तेजी लाए बिना औद्योगिक उत्पादन के हालात सुधारना मुश्किल होगा।
केंद्रीय कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल ने कहा कि अंतर-मंत्रालयी समूह (आईएमजी) का गठन सभी पहलुओं की जांच के लिए किया गया है और उसकी रिपोर्ट के आधार पर खदानों का आवंटन रद्द किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि आईएमजी 15 सितंबर तक अपनी रिपोर्ट देगा।
जायसवाल ने कानपुर में संवाददाताओं से कहा, फिलहाल कोई भी कोयला ब्लॉक आवंटन रद्द नहीं किया जा रहा है और 15 सितंबर को मंत्री समूह की रिपोर्ट आने के बाद ही कोई कार्रवाई की जाएगी।
कोयला मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, सार्वजनिक एवं निजी कंपनियों को आवंटित उन 58 कोयला खदानों के भविष्य के बारे में विचार के लिए कोयला मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव जोहरा चटर्जी की अध्यक्षता में गठित अंतर-मंत्रालयी समूह (आईएमजी) की सोमवार को बैठक होगी जिनका विकास समय से नहीं किया गया है।
उन्होंने कहा कि सरकार पहले ही 33 सरकारी तथा 25 निजी कंपनियों को लाइसेंस आवंटन रद्द करने का नोटिस जारी कर चुकी है।
इसी के मध्य भाजपा ने अपने पुराने रुख में थोड़ी नरमी दिखाई है। इससे पहले पार्टी ने प्रधानमंत्री के त्यागपत्र की मांग को लेकर अड़े रहकर मानसून सत्र के अधिकतर समय संसद की कार्यवाही नहीं चलने दी। लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने मुम्बई में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, 'मैंने सोनिया जी से कहा कि कोयला ब्लाकों के आवंटन रद्द होने चाहिए और एक स्वतंत्र एवं निष्पक्ष जांच के आदेश दिये जाने चाहिए। यदि आप इन दोनों मांगों पर सहमत हैं तो हम चर्चा शुरू कर सकते हैं और संसद चल सकती है।'
सुषमा की यह टिप्पणी वाम मोर्चा, समाजवादी पार्टी, तेदेपा और कुछ अन्य पार्टियों की ओर से इस बात पर जोर दिये जाने के मद्देनजर भाजपा के अलग थलग पड़ने के बीच आई है कि संसद को चलने दिया जाए और मुद्दे पर चर्चा हो। राजग के प्रमुख सहयोगी दल जदयू की भी यह इच्छा है कि संसद चले ताकि कोयला घोटाले पर सरकार का 'परदाफाश' हो सके। सुषमा ने उन अटकलों को खारिज किया कि पार्टी प्रधानमंत्री के त्यागपत्र की अपनी मांग से पीछे हट गई है। उन्होंने कहा, 'हम प्रधानमंत्री के त्यागपत्र की मांग पर पीछे नहीं हटे हैं। हम अपनी मांग पर कायम हैं कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को कोल ब्लॉक आवंटन घोटाले की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए त्यागपत्र दे देना चाहिए।'
भाजपा नेता ने कल ट्विटर पर लिखा था कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने संसद में जारी गतिरोध समाप्त करने के बारे में उनसे बात की थी। उन्होंने आज कहा कि उन्हें पार्टी की मांगों को लेकर सोनिया की ओर से अभी भी कोई संकेत नहीं मिला है। सुषमा ने ट्विटर पर अपनी मांगों की सूची दी थी लेकिन प्रधानमंत्री के त्यागपत्र का उसमें कोई उल्लेख नहीं किया था। सुषमा ने कहा, 'मीडिया के एक वर्ग द्वारा (भाजपा के रुख नरम करने के बारे में) निकाला गया निष्कर्ष पूरी तरह से गलत है। भाजपा प्रधानमंत्री के त्यागपत्र की मांग को लेकर दृढ़ है। इस पर पीछे हटने का कोई प्रश्न ही नहीं उठता।'
उन्होंने कहा कि भाजपा कोयला आवंटनों के लिए प्रधानमंत्री को 'सीधे तौर पर जिम्मेदार' ठहराती है क्योंकि उस समय कोयला मंत्रालय का प्रभार उन्हीं के पास था। सुषमा ने कहा कि इस मुद्दे पर देशव्यापी आंदोलन शुरू किया जाएगा। उन्होंने कहा, 'हम संसद का सत्र 7 सितम्बर को समाप्त होने के बाद सड़कों पर उतरेंगे।'
भाजपा प्रवक्ता प्रकाश जावड़ेकर ने कहा, जहां प्रधानमंत्री के इस्तीफे की और उच्चस्तरीय जांच की मांग बनी रही वहीं अब सबकी मांग यह है कि कम से कम कोयला ब्लॉकों का आवंटन रद्द किया जाए और सपा, वाम दल तथा अन्य सभी इसकी मांग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि संसद में अधिकतर लोग कोयला ब्लॉकों के आवंटन रद्द करने की मांग कर रहे हैं जो बड़ी बात है। जावड़ेकर ने कहा कि संसद में विरोध प्रदर्शन जनता का और देश का विरोध बन गया है।
काला धन एवं भ्रष्टाचार के विरोध में आंदोलन चला रहे योगगुरू बाबा रामदेव ने कोयला ब्लॉकों के आवंटन में हुई गड़बडिय़ों के मद्देनजर प्रधानमंत्री मनमोहन ङ्क्षसह के इस्तीफ की मांग करते हुये सवाल किया कि अगर डा. सिंह ईमानदार हैं तो फिर बेईमान कौन है।
बाबा रामदेव ने आज यहां संवाददताओं को संबोधित करते हुये कहा कि कांग्रेस ने भ्रष्टाचार का कीर्तिमाण बना डाला है। उन्होंने कहा कि लाल किला मैदान पर आंदोलन के बाद उन्होंने अपना अभियान बंद नहीं किया बल्कि आगामी लोकसभा चुनाव तक सत्ता एवं व्यवस्था परिवर्तन तक यह जारी रहेगा।उन्होंने कोयला ब्लाक आवंटन घोटाले के लिए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहाराते हुए आज कहा कि इतने बड़े घोटाले के बाद भी वह इस्तीफा नहीं देने पर अड़े हुए है और जबकि सरकार उनके ट्रस्ट को बदनाम करने की साजिश कर रही है।
रामलीला मैदान में अगस्त में अनशन के बाद पहली बार दिल्ली आये बाबा रामदेव ने कांग्रेस पर कोयला घोटाले में २० लाख करोड़ की दलाली खाने का का आरोप लगाते हुए कहा कि लाखों-करोड़ों के घोटाले करके विश्व कीॢतमान बनाने वाली कांग्रेस पार्टी का मुंह कोयले की दलाली में काला हो चुका है। उन्होंने कहा कि उन कंपनियों को कोयला ब्लॉक दिये गये जिनका संबंध या तो कांग्रेस पार्टी से था या जिन्होंने दलाली दी। सरकारी ठेकों में दस प्रतिशत की दलाली तो ईमानदारी से ली जाती है। ऐसे में २०० लाख करोड़ रूपये के कोयला घोटाले में सरकार ने २० लाख करोड़ रूपये की दलाली कम से कम ली है।
बाबा रामदेव ने प्रधानमंत्री मनमोहन ङ्क्षसह की ईमानदारी पर सवाल उठाते हुए कहा कि कोयला घोटाले के बाद प्रधानमंत्री ईमानदार कैसे हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि इतने बड़े घोटाले के बाद भी प्रधानमंत्री कहते हैं कि वह इस्तीफा नहीं देंगे।अगर उन्हें शर्म होगी तभी तो इस्तीफा देंगे। रामदेव ने आरोप लगाते हुए कहा कि जो भी कांग्रेस पार्टी के घोटालों और दलाली के खिलाफ आवाज उठाता है ये उसी को बेईमान कहते हैं। उन्होंने कहा कि कि सरकारी जांच एजेंसियां उनके ट्रस्ट के खिलाफ साजिश रच रही हैं। उन्होंने कहा, आश्रम परिसर में विस्फोटक सामान रखने और दवाओं में जहरीले सामान मिलाने के लिए उनके कर्मचारियों को लालच दिया गया। उन्होंने आरोप लगाते हुये कहा, पहले मेरा और अब आचार्य बालकृष्ण के ड्राइवर का काम करने वाले को १० लाख रूपये का लालच देकर कहा गया कि वह और लोगों को अपने साथ मिला कर इस साजिश को अंजाम दे। रामदेव ने कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह का नाम लिए बिना कहा, कांग्रेस को ऐसे महासचिवों की लगाम कसनी चाहिए जो सांड की तरह खुले छोड़ दिए गए हैं। ये महासचिव शालीनता और मर्यादा का खयाल किए बिना कुछ भी बोलते रहते हैं। उन्होंने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि अगर हमारे कार्यकर्ता भी उसी अंदाज में ''आदरणीय सोनिया गांधी और राहुल गांधी को जवाब देने लगें तो फिर शब्दों की मर्यादा कहां तक जाएगी, यह सोच लेना चाहिए।
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