Tuesday, September 10, 2013

जब अमेरिका ने बांग्लादेश में पाक सेना के खूनखराबे का किया था समर्थन

जब अमेरिका ने बांग्लादेश में पाक सेना के खूनखराबे का किया था समर्थन
Tuesday, 10 September 2013 14:19

वाशिंगटन। चार दशक से भी अधिक समय पहले निक्सन प्रशासन ने जानबूझकर अमेरिकी कानून को तोड़ते हुए बांग्लादेश के खिलाफ पाकिस्तानी सेना का समर्थन किया था और तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा अपनाए गए सख्त रवैये के विरोध में चीन को भारतीय सीमा पर बड़ी संख्या में सैनिकों को भेजने के लिए प्रोत्साहित किया था।


प्रिंस्टन के इतिहासकार गैरी बास ने अपनी नयी किताब ''दी ब्लड टेलीग्राम : निक्सन, किसिंजर एंड ए फोरगोटन जिनोसाइड '' में बताया है कि किस प्रकार तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन और उनके विदेश मंत्री हेनरी किसिंजर ने ऐतिहासिक स्वतंत्र चुनाव परिणामों को नृशंस तरीके से रद्द करने वाले पाकिस्तानी सेना के तानाशाहीपूर्ण रवैये का समर्थन किया था। 
पाकिस्तानी सेना ने पूर्वी पाकिस्तान पर दमनात्मक कार्रवाई की थी जिसमें हजारों लोग मारे गए थे और लाखों शरणार्थी भारत चले गए थे । इसे 20वीं सदी का सबसे बुरा मानवीय संकट माना जाता है । 
24 सितंबर को बाजार में आने वाली इस किताब में लिखा गया है कि निक्सन , किसिंजर किस कदर भारत और इंदिरा गांधी से नफरत करते थे और किस हद तक जाकर उन्होंने भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री द्वारा लिए गए मजबूत नैतिक रूख का विरोध किया था। 
बास ने किताब में लिखा है कि निक्सन और किसिंजर शीतयुद्ध के दौर में सोचते थे लेकिन साथ ही वे भारत और उसकी नेता इंदिरा गांधी के लिए निजी दुश्मनी भी पाले हुए थे । उन्होंने लिखा है कि इन दोनों ने गोपनीय तरीके से चीन को भारतीय सीमा पर अपने सैनिकों को भेजने को प्रोत्साहित किया और गैर कानूनी तरीके से पाकिस्तानी सेना को हथियारों की आपूर्ति की ।  व्हाइट हाउस के अब तक गोपनीय रहे टेपों के आधार पर किताब में इंदिरा गांधी के खिलाफ निक्सन-किसिंजर की नफरत का ताजा ब्यौरा दिया गया है और बताया गया है कि किस प्रकार तत्कालीन अमेरिकी नेतृत्व ने इस्लामाबाद के खिलाफ वोट देने वाले मासूम लोगों को मौत के घाट उतारे जाने का समर्थन किया। 

इंदिरा गांधी के मजबूत नेतृत्व में भारत ने पाकिस्तानी सेना के नृशंसता से पूर्वी पाकिस्तान के लोगों की जिंदगी को बचाने का फैसला किया । बास ने अपनी 500 पन्नों की किताब में लिखा है कि किसिंजर ने भारत के खिलाफ तीन ''खतरनाक'' कदमों का प्रस्ताव किया था । 
बास लिखते हैं , '' अमेरिका गैर कानूनी रूप से ईरान और जार्डन को अमेरिकी विमानों का बेड़ा पाकिस्तान भेजने की अनुमति देगा, गोपनीय तरीके से चीन को अपने सैनिकों को भारतीय सीमा पर भेजने को कहेगा और भारत को धमकाने के लिए बंगाल की खाड़ी में एक अमेरिकी विमानवाहक पोत को तैनात करेगा। उन्होंने निक्सन से अपील की कि इन तीनों कार्रवाई को एक साथ अंजाम देकर भारत को चौंका दें ।''
किताब में लिखा गया है कि चीन ने अपने सैनिकों को भारतीय सीमा पर भेजे जाने पर कुछ अड़ियल रूख दिखाया तो निक्सन ने तर्क दिया , '' हम चीन की मदद के बिना ऐसा नहीं कर सकते । मैं जिस हिसाब से चीजों को देखता हूं , चीन को सीमा पर जाना ही होगा। भारतीयों को थोड़ा सा डराना पड़ेगा।''

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