Friday, June 6, 2014

हिंदू धर्म कोई धर्म नहीं,राजनीति है,बाबासाहेब का कहा अब कारपोरेट समय का सबसे निर्मम यथार्थ है भारतीयबहुसंख्य जनगण की अंध आस्था के एटीएमसमक्षे।लेकिन प्रतिरोध की सुगबुगाहटभी शुरु हो गयी है। बाबा नागार्जुन के शब्दों मेंः खड़ी हो गयी चांपकर कंकालों की हूक नभ में विपुल विराट-सी शासन की बंदूक उस हिटलरी गुमान पर सभी रहे हैं थूक जिसमें कानी हो गयी शासन की बंदूक बढ़ी बधिरता दस गुनी, बने विनोबा मूक धन्य-धन्य वह, धन्य वह, शासन की बंदूक सत्य स्वयं घायल हुआ, गयी अहिंसा चूक जहां-तहां दगने लगी शासन की बंदूक जली ठूंठ पर बैठकर गयी कोकिला कूक बाल न बांका कर सकी शासन की बंदूक अस्मिताओं के आर पार बिना मसीहा,बिना झंडा,बिना इंद्रधनुषी राजनीति आहिस्ते आहिस्ते एक बहुजन समाज धीरे धीरे आकार लेना शुरु कर चुका है,हो सकें तो हाथ बढ़ाइये,उसे मजबूत करें।

हिंदू धर्म कोई धर्म नहीं,राजनीति है,बाबासाहेब का कहा अब कारपोरेट समय का सबसे निर्मम यथार्थ है भारतीयबहुसंख्य जनगण की अंध आस्था के एटीएमसमक्षे।लेकिन प्रतिरोध की सुगबुगाहटभी शुरु हो गयी है।


बाबा नागार्जुन के शब्दों मेंः

खड़ी हो गयी चांपकर कंकालों की हूक

नभ में विपुल विराट-सी शासन की बंदूक

उस हिटलरी गुमान पर सभी रहे हैं थूक

जिसमें कानी हो गयी शासन की बंदूक

बढ़ी बधिरता दस गुनी, बने विनोबा मूक

धन्य-धन्य वह, धन्य वह, शासन की बंदूक

सत्य स्वयं घायल हुआ, गयी अहिंसा चूक

जहां-तहां दगने लगी शासन की बंदूक

जली ठूंठ पर बैठकर गयी कोकिला कूक

बाल न बांका कर सकी शासन की बंदूक

अस्मिताओं  के आर पार बिना मसीहा,बिना झंडा,बिना इंद्रधनुषी राजनीति आहिस्ते आहिस्ते एक बहुजन समाज धीरे धीरे आकार लेना शुरु कर चुका है,हो सकें तो हाथ बढ़ाइये,उसे मजबूत करें।

पलाश विश्वास


खड़ी हो गयी चांपकर कंकालों की हूक

नभ में विपुल विराट-सी शासन की बंदूक

उस हिटलरी गुमान पर सभी रहे हैं थूक

जिसमें कानी हो गयी शासन की बंदूक

बढ़ी बधिरता दस गुनी, बने विनोबा मूक

धन्य-धन्य वह, धन्य वह, शासन की बंदूक

सत्य स्वयं घायल हुआ, गयी अहिंसा चूक

जहां-तहां दगने लगी शासन की बंदूक

जली ठूंठ पर बैठकर गयी कोकिला कूक

बाल न बांका कर सकी शासन की बंदूक





Woman stripped and beaten in #Mumbai  #India    Read More: http://wp.me/p49ePj-gMp

The Kooza

Woman stripped and beaten in ‪#‎Mumbai‬

‪#‎India‬

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करपोरेट रामराज्य में जाहिर है कि मनुस्मृति अनुशासन की बहाली सर्वोच्च प्राथमिकता है,शूद्रों का वध और स्त्री दमन राजकाज का पर्याय है।हरिकथा अनंत है।देशज तड़के के साथ भोग के तौर तरीके अलग अलग है । ओबीसी सत्ता केंद्रे हरियाणा, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में दमन तंत्र कुछ ज्यादा ही मुखर है तो वैज्ञानिक नस्ली जातिवर्चस्व के आधार क्षेत्र बंगाल में इस भोग का रुप रस गंध कुछ कामदुनि गंधी है तो कुछ वीरभूम जैसा।

गुवाहाटी से लेकर शेयर बाजार पच्चीस हजार पार बजटपूर्वे  के चामत्कारिक ओबामा नमो हानीमूनमुहूर्ते मुंबई में भी गुवाहाटी का नजारा दिख रहा है तो भगाणा के प्रतिरोध में मणिपुर और केरल में माताओं का प्रतिरोध समान है।


फिरभी हिंदू राष्ट्र सेना का तांडव जारी है,जैसा कि पुणे ने देख लिया है ॉ।मुकम्मल गुजरात माडल।बाकी देश को आजमाना है।


हमने सोचा था कि आर्थिक मुद्दों पर बजट के बाद ही लिखेंगे।लेकिन बजट तो सालाना रस्म अदायगी है,कांग्रेसी राजकाज ने इसे पहले ही साबित कर रखा है।संसद तो नुमाइश है।नीति निर्धारण कारपोरेट है। लाख करोड़ की जनादेश डकैती के बावजूद बाजार की ताकतें खामोश कैसे बैठ सकती हैं,समझने वाली बात है।


नाम के वास्ते रामराज है।


काम के वास्ते अंबानी राज।


याद करें,चुनावपूर्व सत्ता संघर्ष धर्मोन्माद बनाम धर्मनिरपेशक्षता कुरुक्षेत्रअवसरे हमने कहा था कि जनपक्षधर ताकतें नमोमय भरत रोकने और कारपोरेट जनादेश निर्माण रोकने में किसी तरह का हस्तक्षेप करने की हालत में नहीं है।रंगबरंगे झंडेवरदारों के मातहत बहुसंख्य भारतीयों के धर्मोन्मादी पैदल सेनाएं बन जाने की वजह से हम चक्रव्यूह में फंसे हुए निहत्थे मृत्यअभिशप्त लोग हैं।


याद करें कि हमने लिखा था कि भाजपा को तिलांजलि देकर कारपोरेट सहयोगे जो हिंदूराष्ट्र की नींव तामीर की जा रही है लाल नील सहकारिता सौजन्ये,वह हिंदू राष्ट्र नहीं होगा,मुकम्मल अंबानी राज होगा।


हूबहू वही हो रहा है।अंबानी केखिलाफ बड़बोले अरविंद केजरीवाल की तोपें खामोश हैं। पहले ही कई दो दर्जन मीडिया हाउस अंबानी के कब्जे में थे और अब चैनल एइट भी।पहली अप्रैल के बजायगैस की कीमतें बिना बजट के पहली जुलाई से दोगुमी हो रही है।बिना बजट या बिना संसदीय अनुमोदन के भारत अमेरिका परमाणु संधि के सर्वोच्च अमेरिकी हित साधकर अमेरिका आमंत्रित हैं गुजकरात नरसंहार के लिए एकदा अमेरिकामध्ये निषिद्ध नरेंद्र मोदी।अमेरिकी युद्धक जायनवादी अर्थ व्यवस्था के लिए मंदी के बाद सबसे बड़ी राहत की बात है कि भारतीय प्रतिरक्षा बाजार में रूसी वर्चस्व का अंत सुनिश्चित है और स्वयंभू अतिदेशभक्त हिंदुत्व सरकार ने शत पर्तिशत प्रत्यक्ष निवेश बजरिये भारत की सुरक्षा अमेरिका हवाले कर दी है।अब खुदरा बाजार पर अमेरिकी दांव है,जो पूरे होकर रहेंगे।इसी के जश्न में सांढ़ों का आईपीएल है मुंबई का शेयर बाजार तो वहां किसी स्त्री को नंगा किया जाना जाहिर है कि जश्न का हिस्सा ही है।स्त्री के कपड़े उतारे बिना ,स्त्री को नीलाम किये बिना,स्त्री से बलात्कार किये बिना कोई अश्वमेध पूरा हो सकता नहीं है।


पूर्वोत्तर भारत ने ऐसा बार बार देखा है और उस सशस्त्र सैन्य विशेषाधिकार कानून के खिलाफ लगातार चौदह साल तक आमरण अनशन कर रही इरोम शर्मिला को हिंदू राष्ट्र में न्याय यह मिल रहा है कि उन्हें अपराधी साबित करने का चाकचौबंद इंतजाम हो गया है।


वरनम वन भी तानाशाह के खिलाफ रणभूमि में योद्धा बन जाता है तो अब पूरे भारत के वरनम बन बन जाने के आसार है।मणिपुर और केरलके माताओं के चेहरे एकाकार हो जाने का शास्त्रीय तात्पर्ययही है कि तानाशाह के विरुद्ध निकल पड़ा है वरनम वन।


गौरतलब है कि देश के सभी सार्वजनिक उपक्रमों, बिजली, संचार और बैंकिंग सेक्टर के अधिकारियों के राष्ट्रीय संगठनों के शीर्ष पदाधिकारियों की 07 जून को दिल्ली में अहम बैठक हो रही है जिसमें सार्वजनिक क्षेत्र और बैंकिंग सेक्टर को बचाने हेतु राष्ट्रव्यापी अभियान और संघर्ष की रणनीति तय की जाएगी।दि केंद्र सरकार यू पी ए की नीतियों पर चल कर या और आगे बढ़कर निजीकरण के कार्यक्रम चलाएगी तो इसके विरोध में सार्वजनिक क्षेत्र व बैंकिंग सेक्टर को लामबन्द कर राष्ट्रव्यापी अभियान चलाने और व्यापक संघर्ष की रणनीति दिल्ली की बैठक में तय की जाएगी।


हमने विनेवेश कथा बार बार लिखी है। लगातार लिख रहे हैं। विनिवेश कौंसिल ने  अटल जमाने में अरुण शौरी तत्वावधाने विनिवेश की जो सूची तय की थी, यूपीए में भी उसी सूची के मुताबिक विनिवेश होता रहा है।उसी अटल सरकार के रोडमैप पर दस साल तक जनसंहारी सुधार कार्यक्रम लागू करते रहे हैं मनमोहिनी कारपोरेट असंवैधानिक तत्व।उसी कार्यकाल में संसद हाशिये पर फेंक दी गयी।लेकिन तब भी कैबिनेट की मंजूरी जरुरी थी।अब संसद के साथ साथ कैबिनेट मंत्रालय सब फालतू रस्म अदायगी है।बड़े बड़े हवा महल बांटकर जागूरदारों को खुश रखना है।जो कुछ करेगा पीएमओ में बैठकर देश के पीएमसीईओ करेंगे।पीएम की जनता के प्रति सीईओ   हैसियत से बजरिये किसी जवाबदेही की उम्मीद न करें।हम सीईओ कृपा के भुक्तभोगी हैं,जो एक बड़े ब्रांड का बारह बजाकर बिना कुछ भुगते और कहीं तबाही मचाने चल दिये।कंपनी राज में काम करने वाले लोग जानते हैं कि सीईओ क्या चीज है।हिंदू राष्ट्र का सीईओ कितना भयानक हो सकता है यह तो क्रमशः प्रकाश्य है,बताने से लोग समझेंगे नहीं।


बहरहाल स्टेट बैंक,एअऱ इंडिया,रेलवे,जीवन बीमा पर हमारे पुराने आलेख देख लें।हूबहू वही हो रहा है,जो तय था। बैंकों का निजीकरण लाजिमी है वरना बैंक कोलकर निजी कंपनियों का फायदा क्या होना है।निजी कंपनियों और औद्योगिक घरानों के बैंकिंग लाइसेंस देने का असली मकसद बैंकों का निजीकरण ही है।सरल शब्दों में कहा जाये तो भारतीय स्टेट बैंक अंबानी के हवाले किया जाना है।एलआईसी और एअर इंडिया का कबाड़ा जैसे ङुआ वैसे ही एसबीआई का कबाड़ा किये बिना छिनाल विदेशी पूंजी का कार्निवाल आईपीएल फर्जीवाड़ा मुकम्मल हो नहीं सकता।संसद में बजट होने से पहले सरकारी बैंकों के मृत्यु परवाने पर दस्तखत कर दिये गये हैं।


धारा 370 के खत्मे का एजंडाका देशप्रेम से कोई लेना देना नहीं है।इसका असली मकसद कश्मीर को बी उत्तराखंड,सिक्किम और खनिज बहुल मध्य भारत की तरह कारपोरेट हवाले कर देना है। इसी तरह रियल्टी सेक्टर को इनफ्रास्ट्रक्चर बना देने की करतब का मतलब बाहुबलि बिल्जरों,प्रोमोटरों और माफिया गिरोहों को राष्ट्र निर्माता का दर्जा दिया जाना है।


यह कारपोरेट विध्वंस का खेल पवित्र हिंदूराष्ट्र के नाम है।


हम पिछले एक दशक से देशभर में सार्वजनिक सभाओं में और अपने लेखन में चीख चीखकर कह रहे हैं कि मनुस्मृति कोई धर्मग्रंथ नहीं है,भारतीयसंद्भ में विशुद्ध एडम स्मिथ का अर्थ शास्त्र है।हिंदू राष्ट्र भी विशुद्ध धनतंत्र है।कमल पंखुड़ियां तो अभी खुल ही रही हैं।पूरी पद्म पुराण बाकी है।इंतजार करें।


आप को ओवर दर ओवर आंखों देखा हाल अवश्य बताते रहेंगे।

आज आर्थिक मुद्दे पर जरुरी सूचनावास्ते इतना ही।



शुक्र की बात है कि जैसे कि आनंद तेलतुंबड़े ने लिखा है कि बहुत अछ्छा हुआ कि अस्मिता वाहक धारक झंजावरदार सारे क्षत्रप गिरोह इस चुनाव में ढेर हो गये।

अस्मिताओं  के आर पार बिना मसीहा,बिना झंडा,बिना इंद्रधनुषी राजनीति आहिस्ते आहिस्ते एक बहुजन समाज धीरे धीरे आकार लेना शुरु कर चुका है,हो सकें तो हाथ बढाइये,उसे मजबूत करें।


मसलन हरित स्वराज की तरफ से उतराखंड में दो दिन देश के विभिन्न हिस्सों से आए सामाजिक कार्यकर्त्ता, शिक्षाविद और पत्रकार रामगढ़ में बैठे और लोकसभा चुनाव के साथ आगे की योजना पर चर्चा हुई। अंत में 'नदी संवाद' मंच का गठन करने का फैसला किया गया जो पहाड़ और मैदान की नदियों पर मंडरा रहे संकट को लेकर ठोस पहल करेगा। नदी संवाद की अगली बैठक अगस्त के अंतिम हफ्ते में लखनऊ में रखी गई है।पहले दिन की चर्चा लोकसभा चुनाव और सामाजिक कार्यकर्ताओं के सामने आने वाली नई चुनौतियों पर हुई। बैठक में यह भी राय आई कि मौजूदा हालात में सामाजिक राजनैतिक कार्यकर्ताओं के लिए अब ज्यादा बड़ी चुनौती आने वाली है क्योंकि सत्तारूढ़ दल विरोध में उठने वाली आवाज को ज्यादा ताकत से दबाने का प्रयास करेगा। इसके संकेत भी मिलने लगे हैं। सामाजिक कार्यकर्ताओं को दबाने के लिए उन पर माओवादी होने का आरोप चस्पा करना बहुत आसान है। अल्मोड़ा में इस तरह की घटना सामने आ चुकी है इसलिए ऐसे हालात के लिए सभी को तैयार रहना होगा।इस मौके पर शमशेर सिंह बिष्ट ने नदी जोड़ो अभियान को पर्यावरण की दृष्टि के साथ राज्यों और राष्ट्रों के सह सम्बन्ध के भी खिलाफ बताया।दो दिन की इस चर्चा में शमशेर सिंह बिष्ट, पीसी तिवारी, भुवन पाठक, राजीव लोचन साह, बटरोही, पूर्व कुलपति विभूति नारायण राय, डॉ. सुनीलम, ताहिरा हसन, अंबरीश कुमार, दिनेश मानसेरा, रवि एकता, विजय शंकर चतुर्वेदी, आशुतोष सिंह, संजीव श्रीवास्तव, सनत सिंह, राजेश द्विवेदी, पूर्व राजदूत शशांक, ओवैस खान समेत कई लोग शामिल थे।


अविनाश दास ने लिखा हैः

·

हम यहां शब्‍दों में रोष दिखा रहे हैं, वहां केरल में महिलाएं इस तरह सड़कों पर उतर आयी हैं। अलीगढ़ में महिला जज से बलात्‍कार की कोशिश के खिलाफ कोच्चि में हाई कोर्ट के बाहर महिला वकीलों की ये टोली इस हाल में सड़क पर खड़ी हो गयी। इन्‍हें लालची नजरों से मत देखिए, इनके भीतर की आग आपको जला कर राख कर सकती है।

हम यहां शब्‍दों में रोष दिखा रहे हैं, वहां केरल में महिलाएं इस तरह सड़कों पर उतर आयी हैं। अलीगढ़ में महिला जज से बलात्‍कार की कोशिश के खिलाफ कोच्चि में हाई कोर्ट के बाहर महिला वकीलों की ये टोली इस हाल में सड़क पर खड़ी हो गयी। इन्‍हें लालची नजरों से मत देखिए, इनके भीतर की आग आपको जला कर राख कर सकती है।



किसी सच्चे भारतीय नागरिक के दिलोदिमाग का एक नक्शा हमारी आदरणीया लेखिका अनीता भारती की जुबानी पेश हैः


मेरे लिए देशप्रेम भारत की हर चीज यानि यहां के नदी नाले जंगल पहाड पशु पत्री और भारत के प्रत्येक नागरिर चाहे वो किसी राज्य के हो, किसी धर्म के हो किसी जाति के हो कोई भी भाषा को बोलते हो, किसी भी प्रकाऱ का खाना खाते हो चाहे शाकाहारी या मांसाहारी, किसी भी तरह के कपडे पहलने है, किसी भी रंग रुप के हो, चाहे वह बंगलादेश से आए हो या नेपाल तिब्बत मैं सबको बराबर का द्रर्जा देते हुए प्यार करती हूुँ और करती रहूंगी यही मेरा देशप्रेम है.।


आदरणीय हिमांशु कुमार जी का सवाल हैः

तुम लोगों ने गांधी को क्यों मारा था ?

और कल पूने में उस दाढ़ी वाले को क्यों मारा ?

इस पर प्रतिक्रियाएंः

  • Lakhan Singh ऐसे हिन्दू फासिस्ट संघटन तो पहले से ही यही करते थे ,अब तो उन्हे लगने लगा हीं उनके पिता श्री देहली मे सबसे बड़े ओहदे पा र्ज़ो बैठ गये हैं.

  • Zubair Ahmed Killed Gandhi as he had no beard --out of fashion , Guy in Pune had a beard , now , out of fashion , simple , you have to fall in line with fashion . ?

  • Kailash Mina ye hi ho raha hai

  • Kashyap Kishor Mishra मै एक धार्मिक व्यक्ति हूँ, मेरे लिए धार्मिक होनें का अर्थ निष्पाप होना है, उदार और सरल होना होना है, धर्म के नाम पर तलवारबाजी और फिरकापरस्ती करते लोग मेरे लिए अमानवीय है ।

  • मेरे लिए एक मनुष्य की जान से कीमती मेरा धर्म कभी नहीं हो सकता ।

  • पुणे में एक युवक की हत्या कुछ फसादी युवकों ने लाठी डंडे से पीट पीट कर कर डाली । ये युवक जिस हिन्दू धर्म के नाम पर एक मनुष्य की निर्मम हत्या कर गये, वह मेरा धर्म नहीं हो सकता ।

  • मेरे भगवान के उपर कोई अगर पेशाब भी कर दे, तो भी उस व्यक्ति से उसके जीने का हक छीनने का अधिकार, मेरा परमेश्वर मुझे नहीं देता ।

  • 28 mins · Like · 1

अमलेंदु का ताज्जुब लग रहा हैः

वाह रे राष्ट्रभक्तों, बहुत ही महान हो। बांग्लादेश को गैस दो डॉलर में और भारत को 8 डॉलर में !!!




अखिलेश प्रभाकर की मांग हैः

8:05am Jun 6

कथित हिंदू-राष्ट्र सेना प्रमुख कटटर आतंकी धनंजय देसाई को फांसी दो!


संवैधानिक, राजनीतिक-सामाजिक-सांस्कृतिक तौर पे भारत एक धर्म-निरपेक्ष राष्ट्र है और रहेगा...इसके अलावा, अगर कोई शख्स या संगठन किसी दूसरी राष्ट्र की कल्पना भी करता है तो वह राष्ट्रद्रोही-देशद्रोही है. बरसात के दिनों में अक्सर कुकुरमुत्ते और रोगाणु-बिषाणु के उग आने पर ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव किया जाता है...हाल के दिनों में जो राजनीतिक बरसात दिल्ली में हुई है उसके बाद जिस तरह से पुणे समेत कई जगहों में कटटरपंथी जमातों ने बलबा किया है उसका जवाब अभी भी 'उदारवादी जनतंत्र में मौजूद है. हालांकि, देश धीरे-धीरे स्टालिनवाद की तरफ कदम बढ़ाता जाएगा, क्योंकि प्रतिरोध का स्वरूप चाहे जो भी हो...जन-प्रतिरोध कभी रूकने वाला नहीं है...




लालजी निर्मल के मुताबिक दलित अपनी लड़ाई खुद लड़ने को तैयार है ,सलाम इनके आन्दोलन को ,सलाम इनके जज्बे को |

दलित अपनी लड़ाई खुद  लड़ने को तैयार है ,सलाम इनके आन्दोलन को ,सलाम इनके जज्बे को |


और अनीता भारती का मानना हैः

जिस तरह सभी ग्रुप अब भगाणा केस में एक जुटता दिखा रहे है क्या हम यह आशा कर सकते है कि इस समय हम सभी एकजुट होकर जाति और जातिभेद के विनाश के लिए काम शुरु कर सकते है. सामाजिक सुधार के जरिए सामाजिक क्रांति करने का अभी सही समय है. क्या मैं बहुत आशान्वित हो रही हूँ?

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  • Sanjeev Chandan, Kanupriya, Asang Ghosh and 45 others like this.

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  • Ashok Jaiswal कहा भी गया है कि जभी जगो तभी सवेरा, शुभ कार्य में देर कैसी....वृहत जनांदोलन होना चाहिये, वृहत्तम समर्थन के साथ....!!

  • 14 hours ago · Like

  • Antu Antima Hum

  • 8 hrs · Like

  • Antu Antima Hum sab apke sath hai

  • 8 hrs · Like

  • Vivek Bharti आज भी सोच नही बदली आज पुरे देश में दलित महिलाओ नाबालिक बच्चियों से जिस तरह बलात्कार हो रहे है ।लगता है किसी तरह का बदला ले रहे हो आज ना जगह जगह मोमबत्तिया जल रही है


Anita Bharti

5 hrs · Edited ·

ज्यादा गुस्सा आता है पहनो अंगूठी

मन अस्थिर रहता है काम काज ,पढाई-लिखाई मं कांन्ट्रेशन नही बनता, पहनो अंगूठी

शादी नही हो रही, नौकरी नही लग रही, प्रमोशन नही हो रही दफ्तर में बॉस तंग कर रहा है पहनो अंगूठी

पैसा नही आ रहा, घर में क्लेश बढ रहा है, घऱ बाहर कोई इज्जत नही करता पहनो अंंगूठी

अरे अंगूठी बाजों कितना अंगूठी पहनोगे. थौडा भरोसा अपने दिल दिमाग और क्षमता पर भी कर लो.


Lalajee Nirmal

5 hrs ·

वीकारती है ,दूसरी धारा में वे लोग हैं जो अम्बेडकर से भावनात्मक रूप से जुड़े हुए हैं,उनका बहुत सम्मान करते हैं किन्तु दैनिक चर्या में वे हिन्दू बने हुए हैं |दूसरी धारा के लोगों को उन दलित नेताओं से भी उर्जा मिलती है जो अम्बेडकर के नाम से बड़े बड़े स्मारक का निर्माण करते हैं ,उनका दैवीय करण करते हैं किन्तु सार्वजनिक रूप से वे अपने महलनुमा आवास में गणेश की प्रतिमा को स्थापित करते हैं और खुद को हिन्दू दिखलाने में कदाचित गर्व की अनुभूति करते हैं | दलित आन्दोलन की समीक्षा में यह बात साफ़ साफ़ दिखती है कि दलितों की दूसरी धारा को अम्बेडकर के विचारों से जोड़ने की जरूरत है और यदि ऐसा न हुआ तो दलितों के राजनैतिक पलायन को रोका जाना बेहद कठिन होगा |

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  • Lalajee Nirmal दलित युवाओं को अम्बेडकर की विचारधारा से अवगत कराना होगा और ऐसे दलित नेतृत्व जो अम्बेडकर के विचारों के साथ छल कर रहे हैं ,की निर्मम आलोचना करनी होगी |

  • 1 hr · Edited · Like

  • Pankaj Parvez ब्राह्मणवाद के खिलाफ टिकाऊ संघर्ष तभी संभव है जब दूसरे हाथ में आर्थिक समता की लड़ाई का झंडा भी हो......

  • 1 hr · Like

  • Chander Banwal yes u right

  • 1 hr · Like

  • Mayur Vadher Vidrohi दलितो का एक वर्ग केवल बाबासाहबके चित्र की पूजा करने की आदत बनाए बैठा है , उन्हे अब बाबासाहब के चरित्र की पूजा करनेकी आदत बनानी होगी ।

  • 1 hr · Like


Anita Bharti

Yesterday at 5:04pm ·

अभी-अभी जंतर मंतर से लौटी हूं मन में एक आस लिए कि शायद शाम तक हमारे भगाणा के साथी दुबारा से टैन्ट लगाकर अपना धरना जारी रख पायेगे. सभी साथियों को जो सुबह सात बजे से भगाणा के लोगों के साथ हमदर्दी और एकजुटता प्रदर्शित करने के लिए जा रहे है वह अभूतपूर्व है. जो जहां है या था वह वहीं से तुरन्त जंतर मंतर के लिए चल पडा. मीडिया भी काफी पहुँची.

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Dalit Adivasi Dunia added a new photo.

1 hr ·

Dalit Adivasi Dunia's photo.

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Ak Pankaj

23 hrs ·

यह पत्र पढ़िए. कोई शुक्ला हैं जो 1948 में सेंट्रल प्रोविंस और बरार (आज का मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़) के प्रधानमंत्री थे. ये बिहार के तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष डा. राजेन्द्र प्रसाद को लिख रहे हैं कि संविधान लागू होते ही 'प्रशासनिक सुविधा' के लिए आदिवासी इलाकों को 'डिवाइड' कर देंगे. ये जनाब परेशान थे कि आदिवासी नए भारत में अपने लिए अलग प्रदेश चाहते हैं. शुक्ला महोदय गांधी के अनशन के लिए ह्दय से दुखी हैं परंतु आदिवासियों के अधिकारों को कुचलने के लिए इनकी आत्मा तड़प रही थी. ऐसी आत्माएं आज भी आदिवासी इलाकों को आक्रांत किए हुए हैं.

यह पत्र पढ़िए. कोई शुक्ला हैं जो 1948 में सेंट्रल प्रोविंस और बरार (आज का मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़) के प्रधानमंत्री थे. ये बिहार के तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष डा. राजेन्द्र प्रसाद को लिख रहे हैं कि संविधान लागू होते ही 'प्रशासनिक सुविधा' के लिए आदिवासी इलाकों को 'डिवाइड' कर देंगे. ये जनाब परेशान थे कि आदिवासी नए भारत में अपने लिए अलग प्रदेश चाहते हैं. शुक्ला महोदय गांधी के अनशन के लिए ह्दय से दुखी हैं परंतु आदिवासियों के अधिकारों को कुचलने के लिए इनकी आत्मा तड़प रही थी. ऐसी आत्माएं आज भी आदिवासी इलाकों को आक्रांत किए हुए हैं.

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Mohan Shrotriya

21 mins · Edited ·

सर्वोच्च न्यायालय के सवाल धरे के धरे रह गए !

अंबानी पाएंगे ‪#‎आठ_डॉलर‬ की दर से, गैस की क़ीमत ! एक जुलाई से !

अंबानी के तो अच्छे दिन आ ही गए हैं !

सर्वोच्च न्यायालय ने जवाब मांगा था कि बांग्लादेश को दो डॉलर में, तो फिर भारत सरकार को आठ डॉलर में क्यों?

इस पर कुछ बोलेंगे भक्तगण?

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Satya Narayan shared गुड़गाँव मज़दूर संघर्ष समिति's photo.

1 hr ·

राजस्‍थान में अच्‍छे दिन रफ्तार से आ रहे हैं। एक कैबिनेट बैठक में श्रम कानुनों में संशोधन किया गया है जिसके मु‍ताबिक अब युनियन बनाने के लिए 15 प्रतिशत की जगह 30 प्रतिशत मज़दूरों की जरूरत होगी। फैक्‍ट्री मालिक को अब फैक्‍ट्री में तालाबन्‍दी करने के लिए सरकार की अनुमति लेने की भी जरूरत नहीं है अगर उसके पास ३०० से कम मज़दूर हैं।

सबसे खतरनाक संशोधन ठेका मज़दूर कानुन में किया गया है जिसके मुताबिक अब ठेका मज़दरों काे प्रधान नियोक्‍ता का कर्मचारी नहीं माना जायेगा।

स्रोत - राजस्‍थान पत्रिका, ६ जून २०१४ लिंक http://epaper.patrika.com/c/2951021

राजस्‍थान में  अच्‍छे दिन रफ्तार से आ रहे हैं। एक कैबिनेट बैठक में श्रम कानुनों में  संशोधन किया गया है जिसके मु‍ताबिक अब युनियन बनाने के लिए 15 प्रतिशत की जगह 30 प्रतिशत मज़दूरों की जरूरत होगी। फैक्‍ट्री मालिक को अब फैक्‍ट्री में तालाबन्‍दी करने के लिए सरकार की अनुमति लेने की भी जरूरत नहीं है अगर उसके पास ३०० से कम मज़दूर हैं।   सबसे खतरनाक संशोधन ठेका मज़दूर कानुन में किया गया है जिसके मुताबिक अब ठेका मज़दरों काे प्रधान नियोक्‍ता का कर्मचारी नहीं माना जायेगा।    स्रोत - राजस्‍थान पत्रिका, ६ जून २०१४ लिंक http://epaper.patrika.com/c/2951021

गुड़गाँव मज़दूर संघर्ष समिति with Reyazul Haque and 48 others

राजस्‍थान में अच्‍छे दिन रफ्तार से आ रहे हैं। एक कैबिनेट बैठक में श्रम कानुनों में संशोधन किया गया है जिसके मु‍ताबिक अब युनियन बनाने के लिए 15 प्रतिशत की जगह ...

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Mohan Shrotriya

3 hrs ·

तो सुषमा स्वराज, उमा भारती और हर्ष वर्धन संसद में कभी संस्कृत बोलकर दिखाएंगे न?

यदि नहीं, तो इस सांकेतिकता से क्या असर छोडना चाहते हैं?

प्रधानमंत्री ने हिंदी में शपथ ली ! बहुत अच्छा किया !

सोनिया गांधी ने भी हिंदी में शपथ ली ! उन्होंने भी बहुत अच्छा किया !

दोनों ने ही पूरे आत्मविश्वास के साथ, बिना एक भी शब्द पर अटके, सही उच्चारण के साथ, शपथ ली !

पर मीडिया को क्या हुआ कि हिंदी में शपथ लेने के लिए सारी प्रशंसा, प्रधानमंत्री के खाते में चली गई? उन्होंने अंगरेज़ी में शपथ न लेकर यों भी अच्छा किया कि एक भी शब्द इधर-उधर हो गया होता तो फिर कार्टूनों की बाढ़ आ जाती !

सोचना तो उन तीन सांसदों को था कि जो भाषा उनके दैनंदिन कार्य-व्यापार की भाषा नहीं है, उसमें शपथ लेकर उन्होंने कौन ‪#‎तीन_के_तेरह‬ कर लिए ! इस लिहाज़ से भी प्रधानमंत्री को ज़्यादा नंबर मिलने चाहिए कि उन्होंने सुब्रमण्यम स्वामी के अभियान की हवा निकाल दी, उस जाल में न फंस कर ! वरना स्वामी तो जैसे ज़िद पर ही अड़े हुए थे, 26 मई से कई दिन पहले से ही !


Himanshu Kumar

8 hrs ·

हमें तुम्हारे विचारों से नफ़रत है

हांलाकि हमें पता ही नहीं है कि तुम क्या सोचते हो

हमें तुम्हारे लिखने से नफ़रत है

हांलाकि हमने वह पढ़ा नहीं है

तुम जिन चीज़ों को प्यार करते हो उससे हमारी भावनाएं आहत होती हैं

हांलाकि हमें पता नहीं है कि तुम किन चीज़ों को प्यार करते हो

तुम जो भी

खाते हो

पहनते हो

कहते हो

बनाते हो

उस सब से हमारी भावनाएं आहत होती है

हमारी भावनाओं का सम्मान करो वरना ...........

हमें तुम्हारे विचारों से नफ़रत है   हांलाकि हमें पता ही नहीं है कि तुम क्या सोचते हो     हमें तुम्हारे लिखने से नफ़रत है   हांलाकि हमने वह पढ़ा नहीं है     तुम जिन चीज़ों को प्यार करते हो उससे हमारी भावनाएं आहत होती हैं   हांलाकि हमें पता नहीं है कि तुम किन चीज़ों को प्यार करते हो     तुम जो भी    खाते हो   पहनते हो   कहते हो   बनाते हो     उस सब से हमारी भावनाएं आहत होती है     हमारी भावनाओं का सम्मान करो वरना ...........

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Dalit Adivasi Dunia shared Karan Janardan Pawar's photo.

10 hrs ·

अनेक न्यायलयों के माननीय न्यायधीशों ने अपने निर्णय में यह निर्धारित किया है कि भारत के आदिवासी हिन्दु नही हैं -

1. जबलपुर के विद्वान न्यायाधिश मा. एस.पी.सेन. ने अपने निर्णय में यह निर्धारित किया है कि भारत के आदिवासी हिन्दु नही हैं । वे हिन्दुओ से भिन्न रहने वाले हैं । वे इस भूमि के शासक थे और आर्यों ने आकर उन्हे निर्वासित कर दिया । आदिवासी आर्यों की वर्ण व्यवस्था में कहीं कभी नहीं आते । वे ब्राह्मण , क्षत्रीय , शुद्र किसी में नहीं हैं । शारदा एक्ट 1928 और हिन्दु विवाह अधिनियम उन पर लागु नहीं होते । आदिवासीयों के सभी संस्कार जन्म से मृत्यु तक हिन्दुओं से भिन्न हैं ।

2. दुसरा निर्णय इसी न्यायालय के न्यायाधीश मा. एस.एन.मिश्रा ने न.मु. 188/72 कुलसियाबाई बनाम उसका पति में निर्णय दिया और यह निर्धारित किया कि कुलसियाबाई और उसका पति हिन्दू की श्रेणी में नहीं आते हैं (वे आदिवासी हैं ।) । इसलिये उनके लिये हिन्दू कानुन नहीं होगा ।

3. सुप्रिम कोर्ट के निर्णय के अनुसार आदिवासी हिन्दू नहीं हैं । केस त्रिलोक सिंग वि. गुलाब एस.ए. 100 /66 फैसला दिनांक 15/01/1971

अनेक न्यायलयों के माननीय न्यायधीशों ने अपने निर्णय में यह निर्धारित किया है कि भारत के आदिवासी हिन्दु नही हैं -    1. जबलपुर के विद्वान न्यायाधिश मा. एस.पी.सेन. ने अपने निर्णय में यह निर्धारित किया है कि भारत के आदिवासी हिन्दु नही हैं । वे हिन्दुओ से भिन्न रहने वाले हैं । वे इस भूमि के शासक थे और आर्यों ने आकर उन्हे निर्वासित कर दिया । आदिवासी आर्यों की वर्ण व्यवस्था में कहीं कभी नहीं आते । वे ब्राह्मण , क्षत्रीय , शुद्र किसी में नहीं हैं । शारदा एक्ट 1928 और हिन्दु विवाह अधिनियम उन पर लागु नहीं होते । आदिवासीयों के सभी संस्कार जन्म से मृत्यु तक हिन्दुओं से भिन्न हैं ।    2. दुसरा निर्णय इसी न्यायालय के न्यायाधीश मा. एस.एन.मिश्रा ने न.मु. 188/72 कुलसियाबाई बनाम उसका पति में निर्णय दिया और यह निर्धारित किया कि कुलसियाबाई और उसका पति हिन्दू की श्रेणी में नहीं आते हैं (वे आदिवासी हैं ।) । इसलिये उनके लिये हिन्दू कानुन नहीं होगा ।    3. सुप्रिम कोर्ट के निर्णय के अनुसार आदिवासी हिन्दू नहीं हैं । केस त्रिलोक सिंग वि. गुलाब एस.ए. 100 /66 फैसला दिनांक 15/01/1971

Karan Janardan Pawar with Drhira Alawa Jays and 33 others

अनेक न्यायलयों के माननीय न्यायधीशों ने अपने निर्णय में यह निर्धारित किया है कि भारत के आदिवासी हिन्दु नही हैं -

1. जबलपुर के विद्वान न्यायाधिश मा. एस.पी.सेन. ने...

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Pankaj Chaturvedi

6 hrs · New Delhi ·

नक लेख और भाषण के चलते गिरफ्तार हो चुके हैं। पुलिस के मुताबिक, हिस्ट्रशीटर देसाई पर जबरन उगाही, दंगों में शामिल होने और अन्य अपराधों से जुड़े करीब 23 से ज्यादा मामले दर्ज हैं।

हिंदू राष्ट्र सेना का गठन करीब दस साल पहले किया गया। संगठन का प्रमुख देसाई अन्य दक्षिणपंथी संगठनों के नेताओं के साथ मंच साझा करता रहा है। इनमें श्री राम सेना के मुखिया प्रमोद मुतालिक और अभिनव भारत के हामिनी सावरकर भी शामिल है।

अप्रैल 2007 में स्टार न्यूज (अब एबीपी न्यूज) के मुंबई कार्यालय पर हमले में हिंदू राष्ट्र सेना के लोग भी शामिल रहे थे। हिंदू लड़की के मुस्लिम युवक के साथ प्रेम संबंध संबंधी स्टोरी दिखाने पर न्यूज चैनल के दफ्तर पर हमला कर दिया गया था।

पिछले साल सितंबर में हिंदू राष्ट्र सेना ने पुणे जेल प्रशासन द्वारा आयोजित कार्यक्रम में भी हंगामा करने का प्लान है। यरवदा जेल में बंद अभिनेता संजय दत्त बाल गंधर्व थियेटर में नाटक मंचन में हिस्सा लेने वाले थे, लेकिन आखिर समय में इसे रद्द कर दिया गया था। इससे पहले हिंदू राष्ट्र सेना के लोगों ने संजय दत्त के मुंबई स्थिति आवास के बाहर भी हंगामा मचाया था। संगठन का कहना था कि संजय दत्त को जेल में वीआईपी ट्रीटमेंट दिया जा रहा है।

हिंदू राष्ट्र सेना मालेगांव बम बलास्ट के आरोपी कर्नल पुरोहित, साध्वी प्रज्ञा और अन्य आरोपियों के पक्ष में खुलकर आ चुके हैं।

पुलिस के मुताबिक, संगठन का मुखिया देसाई हमेशा बॉडीगार्ड अपने साथ रखता है।

यदि इन गुडों के सोशल मीडिया पेज अभी भी चल रहे हैं, ये लोग अभी भी जहर फैला रहे हैं, इससे साफ है कि महाराष्‍ट्र सरकार की दिली मंश नहीं है कि वहां अमन चैन रहे, यह तय है कि पुलिस फोर्स में बडी संख्‍या में सांप्रदायिक लोक भरे हैं, अनुरोध है कि महराष्‍ट्र के राज्‍यपाल को खत लखिें, मेल करें, फैक्‍स करें, संपर्क करें और पुणे के आला ुपलिस अफसरों को इतनी बडी लापरवाही के लिए सस्‍पेंड करने, हिंदू राष्‍ट्र सेना संगठन पर पाबंदी लगाने, गिरफतार गुंडों की जमानत ना हो यह सुनिश्‍तिचत करने के कडे कदम की मांग की जाएा

Raj Bhavan,

Walkeshwar Road

Malabar Hill

Mumbai 400 035

Ph 91-22-23632660 / 23632343

Fax: 022-23680505

email: governor-mh@nic.in


Ak Pankaj

23 hrs ·

मित्रो, अगर जिंदल-मित्तल जैसी विदेशी और बहुराष्ट्रीय कंपनियां भारत में लूट के लिए आई हैं तो कृपया हमें समझाएं पेंगुइन बुक्स जैसी विदेशी प्रकाशन कंपनियों को हम किस श्रेणी में रखेंगे? लूट के लिए आई बहुराष्ट्रीय कंपनियों की श्रेणी में या फिर साहित्य सेवा करने आई कंपनी की श्रेणी में?

Mohan Shrotriya shared Ashvin Solanki's photo.

42 mins ·

यह गरिमा है, संसद की?

टीवी कैमरों की व्यग्रता देखें !

जो रिकॉर्ड करेंगे, वही तो दिखाएंगे !

अब यह बेचारा संस्कृत में शपथ तो ले नहीं सकता, पर सोलहवीं संसद के इतिहास में अपना नाम दर्ज कराना तो चाहता ही है !

‪#‎नौटंकी_चालू_आहे‬ !

ये है भाजपी सांसद देवजीभाइ फतेपुरा,     जिन्होंने आज फोक डान्स करते हुए सदन में  प्रवेश किया !    क्या सदन इन्हें कोई नौटंकियों का मेला लग रहा है ?    या फिर इन्हें बस यही काम रह गया है ???

Ashvin Solanki

ये है भाजपी सांसद देवजीभाइ फतेपुरा,

जिन्होंने आज फोक डान्स करते हुए सदन में प्रवेश किया !

क्या सदन इन्हें कोई नौटंकियों का मेला लग रहा है ?

या फिर इन्हें बस यही काम रह गया है ???

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Amalendu Upadhyaya with Ajit Pratap Singh and 2 others

8 hrs ·

आज हिंदुस्तान टाइम्स के भोपाल संस्करण के प्रथम पृष्ठ की खबर के अनुसार मध्य प्रदेश में प्रति दो घंटे में एक बलात्कार हुए पिछले एक साल में... और 2014 के प्रथम तिमाही में 1106 बलात्कार के प्रकरण दर्ज किये गये ... यानी प्रतिदिन 12 .....मने समझ रहे हैं न आप..... केंद्रीय गृह मंत्रालय शिवराज सरकार को सख्त पत्र लिखने ही वाला है, रामविलास पासवान, उदितराज और अपने राहुल बाबा व बहन मायावती शाम तक मध्य प्रदेश का दौरा कर शिवराज सरकार को बर्खास्त करने की मांग करने ही वाले हैं बस !!!!!

आज हिंदुस्तान टाइम्स के भोपाल संस्करण के प्रथम पृष्ठ की खबर के अनुसार मध्य प्रदेश में प्रति दो घंटे में एक बलात्कार हुए पिछले एक साल में... और 2014 के प्रथम तिमाही में 1106 बलात्कार के प्रकरण दर्ज किये गये ... यानी प्रतिदिन 12 .....मने समझ रहे हैं न आप..... केंद्रीय गृह मंत्रालय शिवराज सरकार को सख्त पत्र लिखने ही वाला है, रामविलास पासवान, उदितराज और अपने राहुल बाबा व बहन मायावती शाम तक मध्य प्रदेश का दौरा कर शिवराज सरकार को बर्खास्त करने की मांग करने ही वाले हैं बस !!!!!

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Satyendra Singh Pratap shared ABP News's photo.

June 4 at 2:03pm

राम राज्य में सबसे ज्यदा अत्यचार महिलाओ पर ही हुआ ,सीता को वनवास ,शूर्पनखा का नाक काटे, सुग्रीव की बीवी का अपहरण ,लछमन अपनी बीवी छोड़कर चला गया , धोबी का अपनी बीवी पर शक ।

और अब रामराज्य में महिलाओ पर अत्याचार हो रहा हैं तो इतनी हाय तोबा क्यों मचा रहे हो राम राज्य यहाँ कोई दसरथ नही आप ही लोगो ने लाया हैं तो फिर देखो राम लीला

Watch: सीतापुर में दोहराई गई है बदायूं की घटना, यहां पर एक लड़की के साथ गैंगरेप के बाद हत्याकर उसे पेड़ पर लटका दिया गया, http://bit.ly/1mQIpUN

ABP News

Watch: सीतापुर में दोहराई गई है बदायूं की घटना, यहां पर एक लड़की के साथ गैंगरेप के बाद हत्याकर उसे पेड़ पर लटका दिया गया, http://bit.ly/1mQIpUN


S.r. Darapuri shared Shilpi Gaur's photo.

7 hrs ·

नेताओं की संपत्ति दिन दुगनी और रात चौगुनी बढ़ती है.

हंसिये मत बहन जी..... आपके त्याग के हमलोगों ने बड़े किस्से सुने है अब बस त्यागपत्र के साथ इन संपत्ति को भी जनहित के लिए दे दीजिये।   बाबा साहेब के दिखाए रास्ते पर चलिए वंचितों के हित के लिए सब कुछ त्याग दीजिये। सब मोह माया है...:):)

Shilpi Gaur

हंसिये मत बहन जी..... आपके त्याग के हमलोगों ने बड़े किस्से सुने है अब बस त्यागपत्र के साथ इन संपत्ति को भी जनहित के लिए दे दीजिये।

बाबा साहेब के दिखाए रास्ते पर चलिए वंचितों के हित के लिए सब कुछ त्याग दीजिये। सब मोह माया है...:):)

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Ashok Azami

5 hrs ·

संस्कृत के शपथ लेने वाले डा हर्षवर्धन का अंग्रेजी नामधारी क्लिनिक

‪#‎मैंकोईझूठबोल्या‬? - Meenu Jain

संस्कृत के शपथ लेने वाले डा हर्षवर्धन का अंग्रेजी नामधारी क्लिनिक     #मैंकोईझूठबोल्या? - Meenu Jain

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Virendra Yadav

4 hrs · Edited ·

'हिन्दू' ने अपने 5 जून के सम्पादकीय में लिखा है कि---

" Mr. Modi must guard against administration by fiat. The Congress, citing the PMO press release that has asked all Ministers who have difficulties in deciding issues relating to their own Ministry to refer them to the PMO and the Cabinet Secretariat for resolution, has cautioned that this should not lead to an unhealthy "centralisation of power" and an "autocratic regime in the future." An omniscient super-PMO must not destroy the Cabinet system that envisages decisions through consensus. Rather, Mr. Modi should act as a facilitator, using persuasion and not diktat. He must rely on the collective wisdom of his Cabinet colleagues to create an effective — and harmonious — administration. In order to meet people's expectations, Mr. Modi must not be tempted to become a single point of power, governing as he conducted his campaign, in a presidential manner, focussing all authority in the PMO. What worked in Gujarat may not succeed all across India."http://www.thehindu.com/opinion/editorial/for-quicker-decisionmaking/article6082838.ece

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Satya Narayan shared गुड़गाँव मज़दूर संघर्ष समिति's status update.

June 4 at 11:15pm ·

गुड़गाँव मज़दूर संघर्ष समिति's photo.

गुड़गाँव मज़दूर संघर्ष समिति's photo.

गुड़गाँव मज़दूर संघर्ष समिति's photo.

गुड़गाँव मज़दूर संघर्ष समिति's photo.

गुड़गाँव मज़दूर संघर्ष समिति added 7 new photos.

Ahresty India Pvt. Ltd. के बावल प्लांट में 31 मई शाम 4 बजे हरियाणा पुलिस ने तीन दिनों से शांतिपूर्वक फैक्टरी के भीतर धरने पर बैठे मज़दूरों पर लाठीचार्ज किया।

अस...

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