Sunday, June 20, 2010

एंडरसन को मैंने नहीं भेजा- अर्जुन सिंह

एंडरसन को मैंने नहीं भेजा- अर्जुन सिंह

नई दिल्ली. 19 जून 2010


भोपाल गैस कांड के आरोपी और यूनियन कार्बाइड के पूर्व प्रमुख वॉरेन एंडरसन को भारत से जाने देने के मामले में अर्जुन सिंह ने अपनी चुप्पी तोड़ते हुए कहा है कि उनका एंडरसन की रिहाई से कोई लेना−देना नहीं है. एक अखबार को दिए इंटरव्यू में मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह ने कहा है कि उन्हें बेवजह विवाद में घसीटा जा रहा है.

arjun singh


अखबार को दिये इंटरव्यू में अर्जुन सिंह ने कहा कि वह अपनी जीवनी लिख रहे हैं, जिसमें उन्होंने एंडरसन के विवाद पर विस्तार से लिखा है.

ज्ञात रहे कि प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के खिलाफ भोपाल की एक स्थानीय अदालत ने वारेन एंडसरन को गलत तरीके से देश से जाने के आरोप में आपराधिक केस दर्ज किया है. अर्जुन सिंह के खिलाफ मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट आर जी सिंह के कोर्ट में दायर याचिका में वकील फुरखान खान ने अदालत से श्री सिंह के खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज करने की अपील की. कोर्ट ने इस मामले में बहस के लिए 29 जून की तिथि निर्धारित की है.

इससे पहले कांग्रेस पार्टी भी अर्जुन सिंह को मामले में घेर चुकी है. कांग्रेस पार्टी ने भी यह माना था कि भोपाल गैस कांड के मुख्य आरोपी वॉरेन एंडरसन को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह ने जेल से रिहा कर सरकारी विमान से दिल्ली पहुंचाया. कांग्रेस का कहना था कि उसके पास इसके सिवा और कोई रास्ता नहीं था.वरिष्ठ नेता प्रणव मुखर्जी ने इसकी जिम्मेदारी अर्जुन सिंह पर डाली है.

प्रणब मुखर्जी के मुताबिक तब के मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह ने कहा कि घटना के बाद लोगों में बहुत गुस्सा है और एंडरसन को भोपाल से बाहर भेजना बहुत जरूरी है. प्रणब मुखर्जी ने कहा कि एंडरसन को बाहर भेजने का फैसला अर्जुन सिंह का था, इसमें पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की कोई भूमिका नहीं थी.


हला पन्ना
 

 
 मुद्दा : बात पते की 

उद्धव ठाकरे बचायेंगे राष्ट्रीय एकता
शिवसेना के कार्यकारी अध्यक्ष उद्धव ठाकरे अब राष्ट्र की एकता को बचाने का काम करेंगे. उन्हें सरकार ने राष्ट्रीय एकता मंच का सदस्य बनाया गया है. देश को बांटने वाले मुद्दों और प्रवृत्तियों से कैसे मुकाबला किया जाए, इस विषय पर चर्चा का सर्वोच्च मंच राष्ट्रीय एकता समिति है. ठाकरे के मनोनयन के बाद समिति की सदस्य शबनम हाशमी ने इस्तीफा दे दिया है.
राम पुनियानी का विश्लेषण
 
 मुद्दा : समाज 

इन बंजारों की धरती कहां है
भारत में कोई 500 ऐसी ज़मातें हैं, जिनकी अपनी कोई धरती नहीं है, अपनी कोई पहचान नहीं है. महाराष्ट्र में पारधी, तिरूमली और सैय्यद मदारी जैसी ज़मातों का हाल यह है कि इन्हें किसी प्रदेश तो क्या मोहल्ले से भी नहीं जोड़ा जा सका है. इनके संवैधानिक अधिकारों से लेकर सामाजिक सुरक्षा और बुनियादी सहूलियतों तक के सारे सवाल यहां मुंह के बल पड़े हुये हैं.
मुंबई से शिरीष खरे की रिपोर्ट
     
 मुद्दा : बात पते की 

खबरों का ग्रीनहंट
मुंबई में कमेटी फॉर प्रोटेक्शन ऑफ डेमोक्रेटिक राइट्स के कार्यक्रम में अपने व्याख्यान की पीटीआई द्वारा तोड़-मरोड़ कर लगभग झूठी खबर जारी करने को लेकर लेखिका अरुंधति राय का सवाल है कि क्या यह ऑपरेशन ग्रीनहंट का शहरी अवतार है, जिसमें भारत की प्रमुख समाचार एजेंसी उन लोगों के खिलाफ मामले बनाने में सरकार की मदद करती है, जिनके खिलाफ कोई सबूत नहीं होते.
अरुंधति राय का आलेख
 
 मिसाल बेमिसाल : आंध्र-प्रदेश 

एक नरक का सफाया
धर्म और सामाजिक परंपरा के नाम पर औरतों के कितने नरक हो सकते हैं, इसे अगर जानना हो तो आप आंध्र प्रदेश के गुंटूर की कुछपुरदर गांव की सरपंच रत्न कुमारी से बात कर सकते हैं. रत्न कुमारी समाज सेवा के लिये दूसरे कई काम करती हैं, लेकिन दलित समुदाय से जुड़ी हुई रत्न कुमारी इस नरक के सफाये के लिये जी जान से जुटी हुई हैं. इस नरक का नाम है- कोलकुलम्मा.
गुंटूर से लौटकर आशीष कुमार अंशु की रिपोर्ट
     
 मुद्दा : उ.प्र. 

नहर का पानी खा गया खेती
उत्तर प्रदेश की शारदा सहायक नहर का उद्देश्य 150 प्रखंडों में 16.77 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई करना था. लेकिन दस साल पहले पूरी हुई 260 किमी लंबी इस नहर के हिस्से उपलब्धियों से अधिक नाकामियां ही दर्ज हैं. रेयाज उल हक की रिपोर्ट
 
 बहस : बात पते की 

ऐसे गांधीवाद से तौबा
माओवादियों की हिंसा ने देश को झकझोर कर रख दिया है. आज की तारीख में इस तरह की हिंसा के बाद यह सवाल उठ रहे हैं कि क्या हमारे युग में गाँधीजी के अहिंसा के सिद्धांत की तनिक भी प्रासंगिकता बची है. डॉ. असगर अली इंजीनियर का विश्लेषण
 
     
 

खबरें और भी हैं

  भाजपा के साथ गठबंधन जारी रहेगा-शरद यादव
  सौ साल में खत्म हो जाएगी मानव जाति
  जिंदल के बिजलीघर को केंद्र का झटका
  लश्कर-ए-तैय्यबा के एजेंट भारत में सक्रीय : हेडली
  नितीश अपना हाथ भी काट लें – लालू
  नीतीश कुमार ने लौटायी गुजरात की सहायता राशि
  एंडरसन को मैंने नहीं भेजा- अर्जुन सिंह
  भोपाल पर मंत्रीसमूह की रिपोर्ट सोमवार को: चिदंबरम
 
     
 

 
     
   
         
 मुद्दा : ओडीशा 

लापता तालाब उर्फ जिला नुआपाड़ा
अगर आपसे कहा जाये कि किसी गांव के तालाब गायब हो गये तो शायद आप यकीन न करें. लेकिन ओडिशा के नुआपाड़ा जिले के बिरीघाट पंचायत के झारसरम में ऐसा ही हुआ है. खरियार, ओडिशा से पुरुषोत्तम सिंह ठाकुर की रिपोर्ट
 
 मुद्दा : पाकिस्तान 

मेरा गुनाह क्या है
मीडिया में इन दिनों पाकिस्तान के तेज-तर्रार पत्रकार और जीओ टीवी के संपादक हामिद मीर के एक तालीबानी नेता के साथ बातचीत का कथित टेप चर्चा में है. रविवार के लिये खास तौर पर इस्लामाबाद से हामिद मीर की टिप्पणी
 
 मुद्दा : उ.प्र. 

वन विभाग का जंगल राज
उत्तर प्रदेश में वन अधिकार कानून वन विभाग के जंगलराज का शिकार बन गया है. राज्य में वन अधिकार से संबंधित लगभग 85 फीसदी आवेदन निरस्त कर दिये गये हैं. सोनभद्र, उत्तर प्रदेश से आवेश तिवारी की रिपोर्ट
         
 मुद्दा : कृषि 

दाल में काला क्यों है
एक समय था, जब दाल-रोटी आम आदमी का भोजन था. लेकिन अब गरीब लोगों की प्लेट से दाल लगभग गायब हो गई है. भारत सरकार ने अपनी लापरवाही से देश की जनता को महंगी दाल संकट के सामने परोस दिया है. अपने देश में उत्पादन बढ़ाने के बजाय मुख्यमंत्रियों के कार्यकारी समूह ने सुझाव दिया है कि भारत को दलहन और तिलहन की खेती करने के लिए विदेश में जमीन खरीदना चाहिये.
खाद्य एवं कृषि विशेषज्ञ देविंदर शर्मा का विश्लेषण
 
 मुद्दा : पश्चिम बंगाल 

मुसलमानों की क्यों बदली प्राथमिकतायें
कोलकाता और पश्चिम बंगाल के अन्य शहरी स्थानीय निकायों के चुनावों के नतीजे, वाममोर्चे के लिए धक्का पहुंचाने वाले रहे हैं. मतदाताओं पर वाममोर्चे के घटते प्रभाव को कई कारण हो सकते हैं, परंतु वाममोर्चे के कुछ नेताओं सहित अधिकांश लोग यह स्वीकार करते हैं कि वामपंथियों ने मुस्लिम मतदाताओं का समर्थन खो दिया है, जो घटते जनाधार का महत्वपूर्ण कारण है.
डॉ. असगर अली इंजीनियर का विश्लेषण
 
 मिसाल बेमिसाल : झारखंड 

हौसले वाला स्कूल
रांची जिले में कुल 1391 सरकारी प्राथमिक विद्यालय हैं. इसके अलावा गली-मुहल्लों में खुले हुये प्राईवेट प्राईमरी स्कूलों की संख्या निकाली जाये तो यह आंकड़ा दुगुने के आसपास पहुंचता है. लेकिन शहर के डोमटोली इलाके में चलने वाला एक स्कूल इन सबों से अलग है. इसे न तो सरकार चलाती है और ना ही शिक्षा को उद्योग मानने वाले धनपति. कोई ट्रस्ट और एनजीओ भी नहीं.
रांची से अनुपमा कुमारी की रिपोर्ट
             
 साहित्य : कविता 

राहुल राजेश की कवितायें
युवा कवि राहुल राजेश की ये कवितायें महज प्रेम भर की कवितायें नहीं हैं. इन कविताओं में जीवन के विविध प्रसंग अपना विस्तार पाते हैं, विन्यस्त होते हैं और अंततः प्रेम भी.
 
 साहित्य : कहानी 

रिबाऊन्ड
कुछ दुख ऐसे होते हैं, जो शाश्वत होते हुए भी जब पहली बार महसूस होते हैं तो नये लगते हैं. मां-बेटी के द्वंद्व से कहीं अधिक मनुष्य के रिश्ते को उधेड़ती पुष्पा तिवारी की कहानी
 
 साहित्य : कविता 

लाल्टू की दस कवितायें
लाल्टू की कविताओं को सरसरी तौर पर पढ़ते हुये साफ लगता है कि ये कवितायें राजनीति की कवितायें हैं, ऐसी कवितायें, जो राजनीतिक नारों से कहीं अलग है.
 
 साहित्य : कहानी 

एक दिन
रामकुमार तिवारी की यह कहानी आधुनिक जीवन की विसंगतियों के बीच अकेले और अकेले होते चले जाने की त्रासद स्थिति से संवाद भी करती है और उससे कहीं अधिक सवाल खड़े करती है.
             
 

सीखना दिल से

संयुक्ता

गीत चतुर्वेदी

आलाप में गिरह

लाल्टू

लोग ही चुनेंगे रंग

अरुण आदित्य

उत्तर वनवास

गीताश्री

नागपाश में स्त्री

 
 
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Palash Biswas
Pl Read:
http://nandigramunited-banga.blogspot.com/

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