Saturday, August 28, 2010

अखबारी जंग पर 20 वर्ष पहले की एक बहस

अखबारी जंग पर 20 वर्ष पहले की एक बहस

E-mail Print PDF

नौनिहाल शर्मा: भाग 31 : मेरठ में 'दैनिक जागरण' और 'अमर उजाला' के बीच मुकाबला कड़ा होता जा रहा था। उजाला हालांकि जागरण से दो साल बाद मेरठ में आया था, पर उसने पाठकों से जल्दी रिश्ता बनाया। वो 1980 का दशक था। तब आज की तरह ब्रैंडिंग तो होती नहीं थी। समाचारों पर ही ध्यान दिया जाता था। अखबार एक ही फार्मूले को मानते थे कि अगर खबरें अच्छी हैं, तो पाठक खुश रहेंगे। अपने साथ बने रहेंगे। इसलिए संपादकों की नजरें हमेशा जनरुचि की खबरें तलाशती रहती थीं। तो जागरण और उजाला में सीधी टक्कर खबरों को लेकर ही थी।

उस दौर में क्षेत्रीय अखबारों ने राष्ट्रीय अखबारों को चुनौती देनी शुरू कर दी थी। वो जागरण, अमर उजाला, नई दुनिया और राजस्थान पत्रिका के विस्तार का दौर था। राष्ट्रीय अखबारों ने क्षेत्रीय अखबारों के इस 'विजय अभियान' को देखा, तो उन्हें भी इसकी ललक लगी। उनके भी कुछ संस्करण हिन्दी भाषी राज्यों की राजधानियों से शुरू हुए। अजब नजारा था। क्षेत्रीय अखबार राज्यों की राजधानियों से छोटे जिलों, शहरों और कस्बों की ओर जा रहे थे। राष्ट्रीय अखबार दिल्ली से राज्यों की राजधानियों में पहुंच रहे थे। इस मुद्दे पर एक दिन गोल मार्केट में चाय पीते हुए जागरण के हम करीब 10 जन में गंभीर चर्चा हो गयी। चर्चा शुरू की अभय गुप्तजी ने। उन्होंने परिदृश्य सामने रखते हुए पूछा कि 20 साल बाद पत्रकारिता के कैसे हालात रहेंगे?

रमेश गोयल ने कहा, '20 साल किसने देखे हैं? पता नहीं 20 साल बाद क्षेत्रीय अखबार राष्ट्रीय अखबारों के सामने टिकेंगे भी या नहीं।'

ओ. पी. सक्सेना बोला, 'जो हमें, मतलब कर्मचारियों को ज्यादा पगार देगा, वही टिकेगा।'

नरनारायण गोयल ने कहा, 'यह गंभीर बहस है। इसमें मजाक नहीं होना चाहिए।'

अपनी मूंछ को सहलाते हुए विश्वेश्वर बोला, 'साधन तो इन राष्ट्रीय अखबारों के पास ज्यादा हैं। इसलिए बढ़त तो उनकी ही रहेगी।'

दादा रतीश झा ने बहस को मुद्दे की ओर लाते हुए कहा, 'अखबार तो पाठक लोग ही ना खरीदेगा। तो उन लोगन को जो उनकी रुचि और आसपास की ज्यादा खबरें देगा, ऊ तो ओई पढ़बे करेंगे।'

नीरज कांत राही ने अपने बाल संवारते हुए कहा, 'पाठक के एकदम पास की खबरें सबसे बड़ा फैक्टर बनेंगी।'

बाकी ने भी अपने मत रखे। मैं सबसे छोटा था। सबकी बातें सुनकर बाद में बोलता था।

आखिर में मैंने नौनिहाल से पूछा कि इस बारे में उनकी क्या राय है। वे बोले-

यह मुद्दा भविष्य की हिन्दी पत्रकारिता की दिशा तय करेगा। यह एक लंबी दौड़ है। गुप्तजी ने इसीलिए 20 साल बाद के परिदृश्य के बारे में पूछा था। इस दौड़ को पाठकों की सहायता से ही जीता जा सकता है। राष्ट्रीय अखबारों के पास साधन ज्यादा हैं। फंड बड़े हैं। वे घाटे को ज्यादा समय तक सह सकते हैं। इसके विपरीत, क्षेत्रीय अखबारों की सबसे बड़ी ताकत उनकी क्षेत्रीयता है। यही उन्हें दौड़ जिताने में मदद करेगा। इसके अलावा, क्षेत्रीय अखबारों को कोई घमंड नहीं है। वे खुद को तीसमारखां नहीं समझते। उनका ऑपरेशन कम बजट में होता है। उनमें बाबूगिरी नहीं है। मालिक खुद ही डायरेक्टर और संपादक होते हैं। सबसे सीधे संपर्क में होते हैं। कोई उनके अखबार का बेजा इस्तेमाल नहीं कर सकता। खबरों पर उनकी सीधी नजर होती है। खबरों के स्रोतों पर भी। वे सब कुछ अपने हाथ में रखते हैं। राष्ट्रीय अखबारों के क्षेत्रीय संस्करण दो-चार साल में ढीले पड़ जायेंगे। तब तक क्षेत्रीय अखबार दूर-दराज तक पहुंच जायेंगे। उसके बाद दौड़ एकतरफा हो जायेगी। यानी क्षेत्रीय अखबारों की तूती बोलेगी।

नौनिहाल ने यह बात 1986 में कही थी। समय गवाह है। सब कुछ लगभग इसी तरह हुआ। राष्ट्रीय अखबार अपने अहंकार में दिल्ली में बैठे रह गये। क्षेत्रीय अखबार पहले अपने राज्यों में बढ़े। फिर दूसरे राज्यों में पहुंचे। इस सिलसिले में उनमें आपस में स्वस्थ प्रतिस्पर्धाएं हुईं। फिर वे दूर के राज्यों तक पहुंचे। उनका विस्तार होता रहा। राष्ट्रीय अखबार अपने दिल्ली के संस्करण का प्रसार बढ़ाने में ही लगे रहे। आज हालत यह हो गयी कि जागरण और भास्कर दुनिया में सबसे ज्यादा रीडरशिप वाले अखबार बन गये हैं। किसी भी देश के किसी भी और भाषा के अखबारों से आगे हैं वे। अंग्रेजी अखबारों से भी।

क्या नौनिहाल को इस परिदृश्य का अंदाज रहा होगा?

बिल्कुल!

नौनिहाल ने कई बार यह चर्चा की थी कि हालंकि देश में अंग्रेजी का बोलबाला बढ़ेगा, पर हिन्दी उससे भी तेजी से बढ़ेगी। इसकी वजह वे बढ़ती साक्षरता बताते थे। दरअसल 1990 के दशक के बाद साक्षरता में काफी वृद्धि हुई है। इसीलिए देश में भाषाई, खासकर हिन्दी अखबारों का प्रचार-प्रसार भी तेजी से बढ़ा।

एक और मौके पर नौनिहाल से हिन्दी-अंग्रेजी अखबारों के बारे में बहस हो गयी। उन्होंने एकदम सधा हुआ विश्लेषण किया-

'अंग्रेजी अखबारों के साधनों और पेजों की संख्या का हिन्दी अखबार कभी मुकाबला नहीं कर सकते। सामग्री की वैसी विविधता भी नहीं दे सकते। उनके पास लोकल खबरों को ज्यादा से ज्यादा महत्व देने के अलावा कोई चारा नहीं है। यही इनकी सफलता की वजह बनेगा। अंग्रेजी अखबार कभी आम जनता तक, गांव-देहात तक, गरीब-गुरबे तक नहीं पहुंच सकते। वे संप्रभु वर्ग तक ही सीमित रहेंगे।'

'लेकिन आम लोगों में भी तो अंग्रेजी का दायरा बढ़ेगा।'

'पढ़ाई का स्तर सुधरने, रोजगार की जरूरत और अंतर्राष्ट्रीय परिदृश्य में बदलाव आने से अंग्रेजी का प्रसार निश्चित रूप से बढ़ेगा। पर वह कभी भारतीय भाषाओं की जगह नहीं ले सकती।'

'लेकिन साक्षरता बढऩे पर अंग्रेजी का प्रसार भी तो बढ़ेगा... '

'जरूर बढ़ेगा। पर देश के ज्यादातर लोगों की पहुंच से अंग्रेजी दूर ही रहेगी। शुरू में तो गांव का गरीब आदमी अंग्रेजी सीखने की कल्पना तक नहीं कर पायेगा। बाद में जब उसकी मजबूरी और जरूरत होगी, तब तक उसके और अंग्रेजीदां लोगों के बीच अंतर और बढ़ जायेगा। यानी हालात में बहुत ज्यादा फर्क नहीं आयेगा।'

'ये तो रही भाषा की बात। समाचार सामग्री के स्तर पर क्या बदलाव आयेंगे?'

'अभी 1000-1200 शब्दों तक के समाचार छपते हैं। आज से 20 साल बाद इतने विस्तृत समाचार पढऩे का समय किसी के पास नहीं होगा। शहरों का विस्तार होगा। इससे दूरियां बढ़ेंगी। और दूरियों के कारण पढऩे के लिए समय घटेगा। मतलब ये कि समाचार छोटे लिखे जायेंगे। पाठकों की ज्यादा रुचि के होंगे। नेताओं से जनता का मोहभंग होगा। इसलिए नेताओं के भाषण छपने कम होते चले जायेंगे।'

कितना सटीक विश्लेषण और पूर्वानुमान था नौनिहाल का! वे अंग्रेजी और भारतीय भाषाओं, खासकर हिन्दी की पहुंच के साथ-साथ पाठकों के मन और खबरों के बारे में अखबारों के नजरिये की मानो चौथाई सदी पहले एकदम सही भविष्यवाणी कर रहे थे। आज 24 साल बाद उनकी कही सभी बातें सच साबित हो रही हैं। आज अंग्रेजी के तमाम प्रसार के बावजूद दुनिया के अंग्रेजी अखबारों में सबसे ज्यादा पाठक संख्या वाला अखबार 'टाइम्स ऑफ इंडिया' भारत में पाठक संख्या के मामले में 11 वें नंबर पर है। पहले 10 नंबर पर भाषाई अखबार हैं। उनमें भी पहले तीन नंबर पर हिन्दी अखबार हैं। इसका सीधा मतलब यही हुआ कि साक्षरता बढऩे का संख्यात्मक रूप से ज्यादा फायदा भाषाई अखबारों को हुआ है। आज भले ही ये अखबार पेजों की संख्या और सामग्री की अधिकता में तो अंग्रेजी अखबारों का मुकाबला नहीं कर सकते, पर पाठकों की संवेदनाओं को यही छू सकते हैं।

भुवेंद्र त्यागीलेकिन अपने इस विश्लेषण और पूर्वानुमान को हकीकत में बदलते देखने के लिए आज नौनिहाल हमारे बीच नहीं हैं। अगर होते, तो वे जरूर अगले दशक या अगली चौथाई सदी के मीडिया के बारे में कुछ और आगे की बात बता रहे होते!

लेखक भुवेन्द्र त्यागी को नौनिहाल का शिष्य होने का गर्व है. वे नवभारत टाइम्स, मुम्बई में चीफ सब एडिटर पद पर कार्यरत हैं. उनसे संपर्क bhuvtyagi@yahoo.comThis e-mail address is being protected from spambots. You need JavaScript enabled to view it के जरिए किया जा सकता है.


यह 'इमोशनल अत्याचार' है सेक्स अत्याचार!

E-mail Print PDF

आजकल 'बिंदास टीवी' पर प्रसारित कार्यक्रम 'इनोशनल अत्याचार' अश्लीलता का अखाड़ा बना हुआ है. विशेषकर युवा वर्ग, जो कि खुद इस कार्यक्रम के केंद्र में है, इस प्रोग्राम को लेकर काफी उत्सुक दिखता है. क्या यह कार्यक्रम सच में किसी पर हुए 'इमोशनल अत्याचार' को दिखाता है? प्रोग्राम को किसी भी दृष्टिकोण से देखकर ऐसा तो नजर बिल्कुल नही आता, इसे देखकर तो यही लगता है कि यह केवल सेक्स की बात ही दर्शकों को दिखाता है. हर एपिसोड में एक लड़का और लड़की केवल किस करते या सेक्स की बातें ही करते नजर आते हैं. भावानाएँ तो कहीं भी नजर नहीं आती है?

Read more...
 

बीत जाये बीत जाये जनम अकारथ

E-mail Print PDF
गांव में पेड़ पर सोने का सुख

गांव में पेड़ पर सोने का सुख

जीवन के 37 साल पूरे हो जाएंगे आज. 40 तक जीने का प्लान था. बहुत पहले से योजना थी. लेकिन लग रहा है जैसे अबकी 40 ही पूरा कर लिया. 40 यूं कि 40 के बाद का जीवन 30 से 40 के बीच की जीवन की मनःस्थिति से अलग होता है. चिंताएं अलग होती हैं. जीवन शैली अलग होती है. लक्ष्य अलग होते हैं. सोच-समझ अलग होती है.
Read more...
 

हिन्दी न्यूज़ चैनलों पर स्पीड न्यूज का हमला

E-mail Print PDF

रवीश कुमार: हिन्दी पत्रकारिता का दनदनाहट काल : अचानक से हिन्दी न्यूज़ चैनलों पर स्पीड न्यूज का हमला हो गया है। कार के एक्सलेटर की आवाज़ लगाकर हूं हां की बजाय ज़ूप ज़ाप करती ख़बरें। टीवी से दूर भागते दर्शकों को पकड़ कर रखने के लिए यह नया फार्मूला मैदान में आया है। वैसे फार्मूला निकालने में हिन्दी न्यूज़ चैनलों का कोई जवाब नहीं। हर हफ्ते कोई न कोई फार्मेट लांच हो जाता है। कोई दो मिनट में बीस ख़बरें दिखा रहा है तो कोई पचीस मिनट में सौ ख़बरें।

Read more...
 

खबरों के अपराधी की सजा

E-mail Print PDF

दुनिया भर की आपराधिक गतिविधियों, भ्रष्टाचार आदि के खिलाफ लगातार ढोल पीटनेवाला हमारा मीडिया अपने ही घर के भ्रष्ट आचरण के बारे में एक आपराधिक चुप्पी साधे हुए है. पता नहीं अब कितनों को याद है कि लोकसभा के पिछले चुनावों और उसके बाद कुछ राज्यों में हुए चुनावों के दौरान देश के कुछ समाचार पत्रों और चैनलों पर पैसे लेकर खबरें छापने और पैसे लेकर खबरें न छापने के गंभीर आरोप लगे थे. आरोपियों में कुछ बड़े अखबार भी शामिल थे. आरोपो के बारे में वे चुप रहे, लेकिन यह सबको पता चल गया था कि मीडिया बिकता है.

Read more...
 

अब 'गिर्दा' के गीत हमें जगाने आएंगे

E-mail Print PDF
नवीन जोशी

नवीन जोशी

इस दुनिया से सभी को एक दिन जाना होता है लेकिन 'गिर्दा' (गिरीश तिवारी) के चले जाने पर भयानक सन्नाटा सा छा गया है. जैसे सारी उम्मीदें ही टूट गई हों. वही था जो हर मौके पर एक नया रास्ता ढूंढ लाता था, उम्मीदों भरा गीत रच देता था, प्रतिरोध की नई ताकत पैदा कर देता था और विश्वास से सराबोर होकर गाता था- 'जैंता, एक दिन तो आलो उ दिन यो दुनी में. (मेरी जैंता, देखना, वह दिन एक दिन जरूर आएगा). 'अपना ध्यान रखना, हां!' गिर्दा को लखनऊ से नैनीताल रवाना करते हुए मैंने कहा था.
Read more...
 

बोल रे बाघ, तू शेर है, शेर!

E-mail Print PDF

: कलमाडी को शेर और बाघ में अंतर कौन बताए! : कामनवेल्थ गेम्स का शुभंकर ही अशुभ निकला. कहीं यही तो नहीं कलमाडी एंड कंपनी के ग्रहण का कारण. वे अपने वेबसाइट और मीडिया बुक में भी कहते हैं की 'शेरा' हिंदी के शब्द 'शेर' से लिया गया है जिसका मतलब होता है 'टाइगर'. कौन बताये उन्हें की शेर को अंग्रेजी में टाइगर नहीं लायन कहते हैं. टाइगर की हिंदी तो बाघ होती है.

Read more...
 

फिर कौन करेगा इन संपादकों का सम्मान!

E-mail Print PDF

nk singh: जिसे सलाखों के पीछे होना चाहिए उसे सेलिब्रिटी बना दिया : किसी संस्थान की प्रासंगिकता खत्म हो जाने के बावजूद मीडिया की भूमिका खत्म नहीं हो जाती। इसका काम उन लोगों को सामने लाना है जो लोकतांत्रिक प्रक्रिया को पटरी से उतारने में लिप्त हैं। समाचार चैनल यदि लोकतंत्र में अपनी जगह बनाए रखना चाहते हैं, तो उन्हें मनोरंजन चैनलों से फुटेज लेना बंद करना होगा। तथाकथित मनोरंजन कार्यक्रम अधिकांशत: अश्लील हैं।

Read more...
 

अखबारी जंग पर 20 वर्ष पहले की एक बहस

E-mail Print PDF

नौनिहाल शर्मा: भाग 31 : मेरठ में 'दैनिक जागरण' और 'अमर उजाला' के बीच मुकाबला कड़ा होता जा रहा था। उजाला हालांकि जागरण से दो साल बाद मेरठ में आया था, पर उसने पाठकों से जल्दी रिश्ता बनाया। वो 1980 का दशक था। तब आज की तरह ब्रैंडिंग तो होती नहीं थी। समाचारों पर ही ध्यान दिया जाता था। अखबार एक ही फार्मूले को मानते थे कि अगर खबरें अच्छी हैं, तो पाठक खुश रहेंगे। अपने साथ बने रहेंगे। इसलिए संपादकों की नजरें हमेशा जनरुचि की खबरें तलाशती रहती थीं। तो जागरण और उजाला में सीधी टक्कर खबरों को लेकर ही थी।

Read more...
  • «
  •  Start 
  •  Prev 
  •  1 
  •  2 
  •  3 
  •  4 
  •  5 
  •  6 
  •  7 
  •  8 
  •  9 
  •  10 
  •  Next 
  •  End 
  • »
Page 1 of 103

घर में घुसकर डा. जगदीश चंद्रकेश को मार डाला

E-mail Print PDF

वरिष्ठ पत्रकार और साहित्यकार डा. जगदीश चंद्रकेश की कल रात उनके घर के अध्ययन कक्ष में हत्या कर दी गई. उनका आवास दिल्ली के लारेंस रोड पर स्थित है. एचटी ग्रुप की मैग्जीन कादंबिनी में करीब 25-26 वर्ष तक काम करने के बाद छह वर्ष पहले रिटायर हुए डा. चंद्रकेश की हत्या किस इरादे से की गई, यह पता नहीं चल पाया है. वे अपने मकान के उपर बने अध्ययन कक्ष में सोए हुए थे. हत्यारों ने अध्ययन कक्ष में घुसकर उनकी जान ले ली. वे इन दिनों एक किताब लिखने में लगे हुए थे. कुछ महीनों पहले ही उनकी तीन-चार किताबें मार्केट में आईं.

Read more...
 

समाचार पत्र के स्ट्रिंगर पर जानलेवा हमला

E-mail Print PDF

एक और पत्रकार संगठित अपराध चला रहे दबंगो के कहर का शिकार हुआ है। मध्य प्रदेश के चित्रकूट में राज एक्सप्रेस के स्ट्रिंगर हरि ओम मिश्रा पर दर्जन भर बदमाशों ने उस वक़्त हमला किया, जब वो चित्रकूट के जानकी कुंड अस्पताल जा रहे थे। हरि ओम मिश्रा कुछ दिनों से ज्वर से पीड़ित थे और अपने इलाज के लिए अस्पताल गए थे लेकिन वहीं उन पर इस तरह हमला किया गया कि अब वो अस्पताल में ज़िंदगी और मौत के बीच झूल रहे हैं। हमलावरों के दुस्साहस की यह स्थिति थी कि मंगलवार को यह वारदात उस समय अंजाम दी गई जब अस्पताल में खूब चहल पहल रहती है।

Read more...
 

सहारा के स्ट्रिंगर से कैमरा-माईक आईडी छीना

E-mail Print PDF

साउथ दिल्ली के अम्बेडकर नगर थाना क्षेत्र से खबर है कि यहां "आनंद निकेतन सेवा सोसाइटी" नाम से एक एनजीओ चला रहे लोगों ने सहारा एक स्ट्रिंगर पर हमला कर दिया और कैमरा व माईक आईडी छीन ली. बताया जा रहा है कि एनजीओ के लोग पैसा डबल करने की स्कीम चला कर लोगों से रोजाना लाखों रुपये जमा करा रहे हैं.

Read more...
 

निरुपमा ने खुदकुशी की थी : एम्स

E-mail Print PDF

आईआईएमसी की छात्रा रहीं और बिजनेस स्टैंडर्ड अखबार की पत्रकार निरुपमा पाठक की मौत के मामले में ताजा अपडेट ये है कि दिल्ली स्थित एम्स (अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान) ने अपनी रिपोर्ट में निरुपमा की मौत को खुदकुशी करार दिया है. इस बाबत आईएएनएस न्यूज एजेंसी ने एक खबर रिलीज की है. खबर के मुताबिक- ''एम्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि निरुपमा ने आत्महत्या की थी. झारखण्ड सरकार के एक सूत्र ने आईएएनएस को बताया- एम्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि निरुपमा ने आत्महत्या की थी और उसकी हत्या नहीं की गई थी."

Read more...
 

मुंबई में जी न्यूज के जर्नलिस्ट पर हमला

E-mail Print PDF

: नाराज पत्रकारों ने मुख्यमंत्री आवास के सामने किया प्रदर्शन : पुलिस ने चार हमलावरों को गिरफ्तार किया : मुंबई में पत्रकारों पर हो रहे हैं लगातार हमले : मुंबई के दादर इलाके में मंगलवार को आग लगने की घटना का कवरेज कर रहे जी न्यूज के पत्रकार अमित जोशी को स्थानीय गुंडों ने जमकर पीट दिया. जोशी आग की घटना के बारे में अधिक जानकारी लेने के लिए दमकल के अधिकारियों से बाइट ले रहे थे. इस बीच कुछ युवक लाठियां लिए आए और उन्होंने पत्रकारों और कैमरामैन पर हमला कर दिया.

Read more...
 

लाखों रुपये वसूल चुके दो फर्जी पत्रकार गिरफ्तार

E-mail Print PDF

गाजियाबाद । इंदरापुरम थाना क्षेत्र में सरकारी अधिकारियों का स्टिंग आपरेशन करने के मामले में दो फर्जी पत्रकारों को गिरफ्तार किया गया है. वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक रघुबीर लाल ने बताया कि वैशाली के मित्र प्रकाश और देवाशीष चौधरी एक टीवी चैनल के पत्रकार का नाम लेकर अधिकारियों से अवैध उगाही करने का काम करते थे.

Read more...
 

भोपाल में पत्रिकाकर्मी को भास्कर वालों ने पीटा

E-mail Print PDF

भोपाल से सूचना है कि यहां पत्रिका के एक कर्मचारी की भास्कर के लोगों ने पिटाई कर दी. भोपाल में पत्रिका के कर्मचारी नवाज खान को बस स्टैण्ड वितरण सेण्टर पर भास्कर के गुण्डों ने बुरी तरह पीटा. नवाज खान को जख्मी हालत में हनुमानगंज पुलिस थाने रिपोर्ट दर्ज कराने लेल जाया गया. पुलिस ने पहले मेडिकल कराने को कहा. तब नवाज को हास्पिटल में उसे एडमिट कराया गया. एक्स-रे इत्यादि के बाद फिर थाने पहुंचे तो हनुमानगंज थाने के टीआई ने रिपोर्ट लिखने से साफ इनकार कर दिया. अगले दिन पत्रिका ने इस पूरे घटनाक्रम का समाचार प्रकाशित किया.

Read more...
 

राजस्थान के मंत्री के गुर्गों ने जान लेने की धमकी दी

E-mail Print PDF

राजस्थान के बाड़मेर से खबर है कि राजस्थान के पंचायत राज्य मंत्री अमीन खां के रिश्तेदारों की चारा घोटाले में लिप्तता के समाचार सिलसिलेवार छापने वाले पत्रकार महावीर जैन को मोबाइल पर खां के गुर्गों ने जान से मारने की धमकी दी हैं।

Read more...
  • «
  •  Start 
  •  Prev 
  •  1 
  •  2 
  •  3 
  •  4 
  •  5 
  •  6 
  •  7 
  •  8 
  •  9 
  •  10 
  •  Next 
  •  End 
  • »
Page 1 of 14
--
भारतीय मीडिया

यह 'इमोशनल अत्याचार' है सेक्स अत्याचार!

आजकल 'बिंदास टीवी' पर प्रसारित कार्यक्रम 'इनोशनल अत्याचार' अश्लीलता का अखाड़ा बना हुआ है. विशेषकर युवा वर्ग, जो कि खुद इस कार्यक्रम के केंद्र में है, इस प्रोग्राम को लेकर काफी उत्सुक दिखता है. क्या यह कार्यक्रम सच में किसी पर हुए 'इमोशनल अत्याचार' को दिखाता है? प्रोग्राम को किसी भी दृष्टिकोण से देखकर ऐसा तो नजर बिल्कुल नही आता, इसे देखकर तो यही लगता है कि यह केवल सेक्स की बात ही दर्शकों को दिखाता है. हर एपिसोड में एक लड़का और लड़की केवल किस करते या सेक्स की बातें ही करते नजर आते हैं. भावानाएँ तो कहीं भी नजर नहीं आती है?

Read more...

30 चैनलों की पाक में बत्ती गुल

: इनमें कई भारतीय चैनल भी : इस्लामाबाद। पाकिस्तान केबल आपरेटर्स संघ के अधिकारी मुहम्मद सादिक के मुताबिक स्टार प्लस, सोनी, सेट मैक्स, स्टार गोल्ड, जी टीवी, जी सिनेमा, स्टार मूवीज जैसे मनोरंजन चैनलों, ईएसपीएन, स्टार स्पोर्ट्स, सुपर स्पोर्ट्स, सीएनएन, बीबीसी और अल जजीरा सहित 30 चैनलों के प्रसारण को रोकने को कहा गया है। पाकिस्तान में राष्ट्रीय मीडिया नियामक प्राधिकरण के आदेश के बाद केबल आपरेटरों ने भारतीय मनोरंजन चैनलों का प्रसारण बंद कर दिया है। इस्लामाबाद स्थित नयाताल केबल नेटवर्क ने अपने ग्राहकों के नाम जारी संदेश में लिखा है कि पाकिस्तान इलेक्ट्रॉनिक मीडिया रेगुलेटरी अथॉरिटी ने कुछ चैनलों का प्रसारण निलंबित कर दिया है।

Read more...

कितने बड़े हरामखोर हैं ये मीडिया घराने

: शेयर लेकर कंपनियों की खबर देने का काम करते थे : अब सेबी वालों ने नकेल कसने का काम शुरू किया : बाजार में सूचीबद्ध कंपनियों से शेयर लेकर उनके विज्ञापन और खबर देने वाली मीडिया कंपनियों पर नकेल कसने के लिए बाजार नियामक सेबी ने इस तरह के शेयरों के लेन-देन के निजी समझौतों (प्राइवेट ट्रिटी) का ब्यौरा सार्वजनिक करना अनिवार्य कर दिया है। सेबी ने कहा है कि सूचीबद्ध कंपनियों को मीडिया समूहों के साथ निजी समझौते की सूचना अपनी बेवसाइट पर देनी होगी। नियामक ने मीडिया घरानों के लिए भी ऐसी कंपनियों की खबर देते समय यह जानकारी देना आवश्यक कर दिया है, कि उस कंपनी में उसकी कितनी हिस्सेदारी है।

Read more...

आ रहा है नया न्यूज चैनल- 'न्यूज17'

आ रहा है नया न्यूज चैनल- 'न्यूज17'

दिसंबर महीने के लास्ट तक एक नया न्यूज चैनल अवतरित हो जाएगा. 'न्यूज17' नाम से. इसके सीईओ और एडिटर इन चीफ राजेश शर्मा हैं. एडिटोरियल और कंटेंट हेड देखेंगे विवेक अवस्थी. विवेक आईबीएन7, आजतक, जी न्यूज, स्टार न्यूज, दिल्ली आजतक समेत कई मीडिया हाउसों में काम कर चुके हैं. इस चैनल के लाइसेंस के लिए आवेदन किया जा चुका है और मंजूरी की प्रक्रिया में है. लाइसेंस मिलने के तुरंत बाद भर्ती की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी. इस चैनल का टारगेट व्यूवर युवाओं को रखा गया है. यह नेशनल न्यूज चैनल होगा.

Read more...

ज्ञानेंद्र बरतरिया फिर पहुंचे एमएच1 न्यूज

: ईटीवी से शशांक का इस्तीफा, अरविंद का तबादला : ज्ञानेंद्र बरतरिया के फिर से एमएच1 न्यूज में लौटने की खबर है. सूत्रों के मुताबिक उन्होंने चैनल हेड के पद पर आज ज्वाइन कर लिया. वे ए2जेड न्यूज चैनल में थे लेकिन कई महीनों पहले इस्तीफा देकर स्वतंत्र पत्रकार के बतौर सक्रिय हो गए थे. दैनिक जागरण, इंडिया टीवी समेत कई चैनलों-अखबारों में काम कर चुके ज्ञानेंद्र मूलतः कानपुर के रहने वाले हैं. वे पहले भी एमएच1 में रह चुके हैं. ए2जेड की लांचिंग में ज्ञानेंद्र ने सबसे प्रमुख भूमिका निभाई. बाद में ए2जेड प्रबंधन के न्यूज रूम में अनावश्यक हस्तक्षेप से खफा होकर ज्ञानेंद्र ने इस्तीफा दे दिया था.

Read more...

तीन हिन्दुस्तानियों का इस्तीफा

: दो ने 'संपूर्ण भारत' ज्वाइन किया : एक ने अमर उजाला : हिन्दुस्तान, पटना के उप संपादक पंकज किशोर रूपक ने 'सम्पूर्ण भारत' का दामन थाम लिया है. पंकज दैनिक हिन्दुस्तान, पटना में फीचर, जनरल, प्रादेशिक, आर्थिक पेजों पर काम कर चुके हैं. हिन्दुस्तान, मुजफ्फरपुर के प्रादेशिक डेस्क प्रभारी अजय प्रताप सिंह ने भी 'सम्पूर्ण भारत' के साथ नई पारी शुरू की है. खबर है कि पटना के कई अन्य अखबारों चैनलों के पत्रकार भी 'सम्पूर्ण भारत' प्रबंधन के संपर्क में हैं. 'सम्पूर्ण भारत' अखबार को पटना से दो सितंबर से लांच करने की योजना है.

Read more...

कब सुधरेंगे अमर उजाला, लखनऊ के हालात?

: आरई के रवैये से एक और पत्रकार लंबी छुट्टी पर गया : अमर उजाला, लखनऊ में हालात सुधरने के आसार नहीं दिख रहे हैं. पत्रकारों के उत्पीड़न का सिलसिला जारी है. स्थानीय संपादक इंदुशेखर पंचोली अपना रवैया बदलने को तैयार नहीं है, इस कारण हर पंद्रह दिन एक महीने में कोई न कोई पत्रकार संस्थान से अलग हो रहा है या लंबी छुट्टी पर चला जा रहा है. ताजी सूचना के मुताबिक स्टेट ब्यूरो में कार्यरत राघवेंद्र मिश्रा लंबी छुट्टी पर चले गए हैं. स्थानीय संपादक जाने किस तरह की स्टोरी चाहते हैं कि उन्हें काम कर रहे रिपोर्टरों में ज्यादातर नापसंद हैं. उन्होंने राघवेंद्र को अच्छी स्टोरी न लाने के आरोप में आफिस से जाने को कह दिया.

Read more...

सुभाष चंद्रा, वाशिंद्र, निधि, विवेक हाजिर हों

जी ग्रुप के रीजनल न्यूज चैनल 'जी न्यूज यूपी' में प्रसारित एक खबर के चलते जी ग्रुप के मालिक सुभाष चंद्रा, जी न्यूज यूपी के एडिटर वाशिंद्र मिश्र, एंकर निधि, रिपोर्टर विवेक को प्रतापगढ़ की एक अदालत ने 17 सितंबर 2010 को हाजिर होने का आदेश दिया है. नवम्बर 2009 में जी न्यूज यूपी पर आधे घंटे की एक खबर प्रसारित की गई थी. इस खबर में एक लड़की ने सपा नेता शिवपाल सिंह यादव पर यौन शोषण का आरोप लगाया था. आगरा से चली इस खबर की काफी चर्चा हुई थी. चरित्र हनन करने वाली इस खबर के खिलाफ एडवोकेट विनोद पाण्डेय ने मुकदमा दायर किया.

Read more...

वाकई गलत खबर छापी थी तीन अखबारों ने

: राष्ट्रीय सहारा में प्रकाशित आज खबर से पुष्टि हुई : पंचायत चुनावों के प्रस्तावित कार्यक्रम को राज्य सरकार द्वारा मंजूरी दिए जाने की जो गलत खबर कल लखनऊ के अखबारों हिंदुस्तान, जागरण और अमर उजाला में प्रमुखता से प्रकाशित हुई, उस खबर का एक तरह से खंडन आज राष्ट्रीय सहारा, लखनऊ में प्रकाशित हुआ है. राष्ट्रीय सहारा अखबार में पेज नंबर वन पर प्रकाशित खबर में पंचायत चुनाव को लेकर सही तस्वीर पेश की गई है. अधिकारियों के वर्जन व तथ्यों पर आधारित खबर से स्पष्ट हो चला है कि तीन अखबारों ने गलत सूचनाएं अपने पाठकों तक पहुंचाई. राष्ट्रीय सहारा, लखनऊ में आज प्रकाशित पूरी खबर इस प्रकार है-

Read more...

पेड न्यूज़ के ख़िलाफ़ आज महासम्मेलन

: लालू और पासवान भी शामिल होंगे : पेड न्यूज़ को रोकने की गरज़ से बिहार-झारखंड के पत्रकारों की ओर से शनिवार को पटना के एलएन मिश्रा इंस्टीट्यूट में एक महासम्मेलन किया जा रहा है। पूरे देश में  इस तरह का ये पहला सम्मेलन  है जहाँ पत्रकारों की पहल  पर पत्रकार और समाज के विभिन्न वर्गों से जुड़े प्रतिष्ठित लोगों के अलावा राजनीतिक दलों के नेता भी जुटेंगे और पेड न्यूज़ के ख़िलाफ आवाज़ बुलंद करेंगे। सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए देश के दूसरे हिस्सों से भी पत्रकार आ रहे हैं। पैसे देकर न्यूज़ छपवाने का प्रचलन पिछले कुछ सालों में बहुत तेज़ी से बढ़ा है।

Read more...

पत्रकार राजेंद्र माथुर के योगदान को याद किया

पत्रकार राजेंद्र माथुर के योगदान को याद किया

पत्रकार राजेंद्र माथुर ने भारतीय पत्रकारिता खासकर हिन्‍दी पत्रकारिता की जो सेवा की, उसे कभी भुलाया नहीं जा सकता. यह बात वरिष्‍ठ पत्रकार और फिल्‍म निर्माता राजेश बादल ने कही. वे प्रेस क्‍लब हरिद्वार की ओर से आयोजित गोष्‍ठी में बतौर मुख्‍य अतिथि बोल रहे थे. उन्‍होंने कहा कि राजेंद्र माथुर अंग्रेजी के प्राध्‍यापक थे.

Read more...

घर में घुसकर डा. जगदीश चंद्रकेश को मार डाला

वरिष्ठ पत्रकार और साहित्यकार डा. जगदीश चंद्रकेश की कल रात उनके घर के अध्ययन कक्ष में हत्या कर दी गई. उनका आवास दिल्ली के लारेंस रोड पर स्थित है. एचटी ग्रुप की मैग्जीन कादंबिनी में करीब 25-26 वर्ष तक काम करने के बाद छह वर्ष पहले रिटायर हुए डा. चंद्रकेश की हत्या किस इरादे से की गई, यह पता नहीं चल पाया है. वे अपने मकान के उपर बने अध्ययन कक्ष में सोए हुए थे. हत्यारों ने अध्ययन कक्ष में घुसकर उनकी जान ले ली. वे इन दिनों एक किताब लिखने में लगे हुए थे. कुछ महीनों पहले ही उनकी तीन-चार किताबें मार्केट में आईं.

Read more...

जमशेदपुर के नाम पर रांची में छपा-बंटा भास्कर

समरथ को नहीं दोष गुसाईं. अगर आप पैसे वाले हैं, पावरफुल हैं, सत्ता में आपकी पैठ है तो नियम-कानून की मनमानी व्याख्याएं कर सकते हैं. भास्कर ब्रांड नेम का विवाद कोर्ट में चल ही रहा था कि डीबी कार्प ने लांचिंग की तैयारियां शुरू कर दीं और अखबार का प्रकाशन भी प्रारंभ कर दिया. हाईकोर्ट ने कल प्रकाशन रोकने को कहा लेकिन प्रकाशन कार्य बाधित नहीं हुआ. बस कुछ तकनीकी बाजीगरी कर प्रकाशन जारी रखा गया. आज के दिन भी रांची में दैनिक भास्कर के नाम से अखबार प्रकाशित हुआ और बंटा. प्रिंटलाइन में तकनीकी बदलाव करते हुए जमशेदपुर से प्रकाशित लिख दिया गया.

Read more...

न्यू मीडिया का प्रभाव खूब बढ़ रहा : बजाज

न्यू मीडिया का प्रभाव खूब बढ़ रहा : बजाज

: 'पत्रकारिता के बदलते परिदृश्‍य' पर भोपाल में व्‍याख्‍यान :

Read more...
 


'संजय अग्रवाल' फूल-मालाओं से लाद दिए गए

'संजय अग्रवाल' फूल-मालाओं से लाद दिए गए

रांची में भास्कर की नीतियों व हमलों से नाराज हाकरों ने कल इस बात के लिए विज...

तीन हिन्दुस्तानियों का इस्तीफा

: दो ने 'संपूर्ण भारत' ज्वाइन किया : एक ने अमर उजाला : हिन्दुस्तान, पटना के उ...

कब सुधरेंगे अमर उजाला, लखनऊ के हालात?

: आरई के रवैये से एक और पत्रकार लंबी छुट्टी पर गया : अमर उजाला, लखनऊ में हाला...

More:

30 चैनलों की पाक में बत्ती गुल

: इनमें कई भारतीय चैनल भी : इस्लामाबाद। पाकिस्तान केबल आपरेटर्स संघ के अधिकार...

आ रहा है नया न्यूज चैनल- 'न्यूज17'

आ रहा है नया न्यूज चैनल- 'न्यूज17'

दिसंबर महीने के लास्ट तक एक नया न्यूज चैनल अवतरित हो जाएगा. 'न्यूज17' नाम स...

ज्ञानेंद्र बरतरिया फिर पहुंचे एमएच1 न्यूज

: ईटीवी से शशांक का इस्तीफा, अरविंद का तबादला : ज्ञानेंद्र बरतरिया के फिर से ...

More:

यह 'इमोशनल अत्याचार' है सेक्स अत्याचार!

आजकल 'बिंदास टीवी' पर प्रसारित कार्यक्रम 'इनोशनल अत्याचार' अश्लीलता का अखाड़ा बना हुआ है. विशेषकर युवा वर्ग, जो कि खुद इस कार्यक्रम के केंद्र में है, इस प्रोग्राम को लेकर काफी उत्सुक दिखता है. क्या यह कार्यक्रम सच में किसी पर...

बीत जाये बीत जाये जनम अकारथ

बीत जाये बीत जाये जनम अकारथ

जीवन के 37 साल पूरे हो जाएंगे आज. 40 तक जीने का प्लान था. बहुत पहले से योजना थी. लेकिन लग रहा है जैसे अबकी 40 ही पूरा कर लिया. 40 यूं कि 40 के बाद का जीवन 30 से 40 के बीच की जीवन की मनःस्थिति से अलग होता है. चिंताएं अलग होती ...

More:

गरीब का कोई रिश्‍तेदार नहीं होता : विष्णु नागर

गरीब का कोई रिश्‍तेदार नहीं होता : विष्णु नागर

इंटरव्यू - विष्णु नागर (वरिष्ठ पत्रकार - साहित्यकार) : पार्ट वन : स्कूली ट्रिप पर दिल्‍ली आया तो टाइम्‍स बिल्डिंग देख सोचा, मुझे यहां काम करना चाहिए : रघुवीर सहाय बोले- मैं तुम्‍हें काम दे सकता हूं, मुझे लगा वो फ्री-लांसिंग कराएंग...

विष्णु नागर के विस्तृत इंटरव्यू का करें इंतजार

विष्णु नागर के विस्तृत इंटरव्यू का करें इंतजार

: तब तक उन्हीं की जुबान से सुनें उनकी कविताएं और कहानियां : विष्णु नागर. मीडिया और साहित्य में जो भी सक्रिय हैं, लगभग सभी के लिए यह नाम बेहद परिचित होगा. लेकिन मिले और सुने कम लोग होंगे. मैं भी नहीं मिला था. उनके रिटायर होने की...

More:

Latest 91



Palash Biswas
Pl Read:
http://nandigramunited-banga.blogspot.com/

No comments:

Post a Comment

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...

Census 2010

Welcome

Website counter

Followers

Blog Archive

Contributors