Wednesday, July 18, 2012

Fwd: बासागुड़ा: सैन्य बलों द्वारा जनसंहार की एक और कहानी



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From: reyaz-ul-haque <beingred@gmail.com>
Date: 2012/7/18
Subject: बासागुड़ा: सैन्य बलों द्वारा जनसंहार की एक और कहानी
To: abhinav.upadhyaya@gmail.com


ये बगैर तारीखों के पैदा हुए लोग हैं जो देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा बने हुए हैं. लाशों को माओवादी न होने के सुबूत देने होंगे पर माओवादी होना किसी की देह पर दर्ज नहीं होता. शोर तो ऐसा है कि अगर वे माओवादी होते तो मानो इनकी हत्याएं मान्य थीं. देश के अपने ही लोगों की सैन्य बलों द्वारा की जा रही हत्याएं देशभक्ति की मिसाल बन रही हैं. आखिर यह कौन और कहां की नस्ल है जो लाल किले पर लोकतंत्र और आज़ादी वाले सम्बोधनों की गिनती के साथ हर बरस बढ़ रही है.

बासागुड़ा: सैन्य बलों द्वारा जनसंहार की एक और कहानी



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