Monday, May 20, 2013

पोंजी योजनाओं पर काबू पाने के लिए सेबी को मिलेंगे और अधिकार

पोंजी योजनाओं पर काबू पाने के लिए सेबी को मिलेंगे और अधिकार

Monday, 20 May 2013 18:05

नयी दिल्ली। सरकार ने पोंजी योजनाओं तथा ऐसी अन्य फर्जी गतिविधियां चलाने वालों पर काबू पाने के लिए बाजार नियामक सेबी को और मजबूत बनाने तथा उसे ज्यादा अधिकार देने का प्रस्ताव किया है। 
सरकार ने सेबी को जांच व तलाशी गतिविधियां तथा संपत्ति कुर्की का सीधा अधिकार देने का प्रस्ताव किया है। 
इसके अलावा सेबी प्रतिभूतियों में किसी सौदे की जांच के सिलसिले में किसी व्यक्ति या संस्थान से टेलीफोन काल डेटा रिकार्ड सहित दूसरी सूचनाएं हासिल कर सकेगा। यह अधिकार भी उसे देने का प्रस्ताव है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सेबी कानून तथ अन्य नियमों में जरूरी संशोधनों के प्रस्ताव को भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड :सेबी: के साथ व्यापक विचार विमर्श के बाद अंतिम रूप दिया गया है।  इस प्रस्ताव को कैबिनेट के समक्ष उसकी मंजूरी के लिए पेश किया जा रहा है।
आर्थिक मामलात विभाग ने इस बारे में एक परिपत्र :नोट: वित्त मंत्रालय के अन्य विभागों को भेजा है। यह परिपत्र कारपोरेट कार्य मंत्रालय, गृह मंत्रालय, विधि मंत्रालय व दूरसंचार मंत्रालय, भारतीय रिजर्व बैंक, प्रधानमंत्री कार्यालय को भी भेजा गया है।
कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद सरकार प्रतिभूति कानून :संशोधन: विधेयक, 2013 को संसद में पेश करेगी ताकि सेबी को और मजबूत अधिकार देने के लिए प्रस्तावित बदलावों को अंतिम रूप दिया जा सके। 

सेबी प्रतिभूति बाजार में बदलावों तथा निवेशकों को धोखा देने के लिए अपनाये जा रहे तौर तरीकों को देखते हुए लंबे समय से अपनी शक्तियों से जुड़े नियमों में आमूल चूल बदलाव की मांग कर रहा है। 
सरकार ने इस बारे में सेबी द्वारा दिए गये ज्यादातर सुझावों को मानने का फैसला किया है। सूत्रों के अनुसार कैबिनेट की मंजूरी के बाद उचित संशोधन किए जायेंगे और संशोधित विधेयक को संसद में पेश किश जाएगा।
प्रस्तावित संशोधनों के अनुसार सभी तरह की पोंजी योजनाएं सेबी की निगरानी में आ जाएंगी। इससे वह जाली योजनाओं से निवेशकों को बचाने के लिए और अधिक प्रभावी ढंग से काम कर सकेगा। सरकार ने सेबी को यह अधिकार देने का प्रस्ताव भी किया है कि चेयरमैन की मंजूरी से वह जांच पड़ताल व जब्ती की कार्रवाई कर सके। फिलहाल उसे इसके लिए मुख्य मेट्रापालिटिन मजिस्ट्रेट से मंजूरी लेनी होती है।
सामूहिक निवेश योजनाओं के नियमन के मामले में प्रस्ताव में कहा गया है कि सेबी ऐसी सभी निवेश योजनाओं को देखेगा जिनमें 100 करोड़ रुपये अथवा उससे अधिक राशि शामिल होगी। इसके अलावा न केवल किसी कंपनी बल्कि किसी 'व्यक्ति' द्वारा जारी की गई ऐसी योजना को भी सेबी के अधिकारक्षेत्र में लाने का प्रस्ताव है।
भाषा

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