Thursday, December 5, 2013

नागरिक सेवा में अव्वल नंबर आने की कवायद कर रही है बंगाल सरकार,लेकिन राजकाज पार्टीबद्ध পরিষেবায় দেশে 'ফার্স্ট বয়' হতে চায় রাজ্য


नागरिक सेवा में अव्वल नंबर आने की कवायद कर रही है बंगाल सरकार,लेकिन राजकाज पार्टीबद्ध

পরিষেবায় দেশে 'ফার্স্ট বয়' হতে চায় রাজ্য

एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास

मां माटी मानुष की सरकार की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बंगाल में सरकारी दफ्तरों में जनता के आवेदन पर तमाम तरह के कामकाज निपटाने के लिए हर तरह के काम के लिए समयसीमा बांध दी है,जिसका उल्लंघन करने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए हर काम में नाकामी के लिए जुर्माने की करम भी अलग अलग तय कर दी है।अब सवाल है कि दीदी के इस रामवाण से क्या आम जनता को प्रशासनिक विकलांगकता की संक्रामक व्याधि से मुक्ति मिलेगी।कर्म संस्कृति क्या राजनीति से मुक्त हो पायेगी।


नागरिक सेवा में अव्वल नंबर आने की कवायद कर रही है बंगाल सरकार,लेकिन राजकाज पार्टीबद्ध है। बंगाल में पुलिस प्रशासन को स्वतंत्र रुप में काम करते देने की संस्कृति वाम शासन में जो खत्म हुआ है,उसे बहाल किये बिना मात्र नागरिक सेवाओं के लिए समय सीमा बांध देने देने से चामत्कारिक ढंग से फाइलें दौड़ने लगेंगी और राशन कार्ड बनाने से लेकर जाति प्रमाणपत्र तक एकदम समयबद्ध तरीके से मिल जाएंगी,इसकी उम्मीद न ही करें तो बेहतर।


वैसे दीदी ने नये रासन कार्ड के लिए तीस दिन,कन्याश्री के लिए तीन महीने,विकलांगों के लिए छात्रवृत्ति के लिए तीन महीने,शिक्षा लोन के लिए तीन महीने,जमीन संबंधी तथ्य देने के लिए दो दिन,डुप्लीकेट मार्क्ससीटऔर एडमिट कार्ड के लिए 15 दिन,माध्यमिक उच्च माध्यमिक माइग्रेशन सर्टिफिकेट के लिए 15 दिन,गाड़ी के रजिस्ट्रेशन के लिए 5 दिन,ड्राइविंग लाइंसेस के लिए परीक्षा पास करने के बाद 7 दिन, एससी एसटी ओबीसी जाति प्रमाणपत्र के लिए आवेदन के बाद चार हफ्ते,इसी तर्ज पर हर काम के लिए समय बांध दिये हैं।कोलकाता नगर निगम के लिए भी हर काम के लिए अलग से समयसीमा बांध दी गयी है।


राज्य प्रशासन हो या स्थानीय निकाय या कानून व्यवस्था का पूरा तंत्र कार्रवाई से पहले संबद्ध पक्ष का राजनीतिक रंग की जांच पड़ताल और फिर सर्वोच्च स्तर से हरी झंडी का इंतजार,जनसेवा का प्रचलित तौर तरीका अब तक यही रहा है।


পরিষেবায় দেশে 'ফার্স্ট বয়' হতে চায় রাজ্য


এই সময়: জনপরিষেবা অধিকার আইনে এ রাজ্যে নতুন রেশন কার্ড পাওয়ার সময়সীমা ৩০ দিন৷ অথচ, পাঞ্জাবে সাত দিনের মধ্যে রেশন কার্ড দেওয়া হচ্ছে৷ তপশিলি জাতি, উপজাতি বা ওবিসি শংসাপত্র এ রাজ্যে মিলবে আবেদন করার চার সপ্তাহের মধ্যে৷ এ ক্ষেত্রেও পশ্চিমবঙ্গের থেকে এগিয়ে পাঞ্জাব এবং আমাদের পড়শি তিন রাজ্য, বিহার, ঝাড়খণ্ড এবং আসাম৷ বিহার ও ঝাড়খণ্ডে মিলছে আবেদন করার ২১ দিনের মধ্যে৷ আর আসামে দেওয়া হচ্ছে ১৫ দিনের মধ্যে৷ অন্য দিকে, কলকাতায় কত দিনের মধ্যে সিইএসসি-র কাছ থেকে নতুন বিদ্যুত্‍ সংযোগ বা বিদ্যুতের মিটার পাওয়া যাবে, জনপরিষেবার তালিকায় তার কোনও উল্লেখ নেই৷ এ ব্যাপারে রাজ্য সরকারের বক্তব্য, সময়সীমার বিষয়ে রাজ্য বিদ্যুত্‍ নিয়ন্ত্রণ কমিশনের যে নির্দেশ রয়েছে, সিইএসসি-কে তাই মেনে চলতে হবে৷ অর্থাত্‍, আবেদন করার এক মাসের মধ্যে বিদ্যুতের মিটার মিলবে৷


তেমনই রেন্ট কন্ট্রোলে জমা পড়া বাড়ি ভাড়ার টাকা কত দিনের মধ্যে বাড়িওয়ালারা পাবেন, তাও পরিষেবার তালিকায় উল্লেখ নেই৷ বাড়িওয়ালার সঙ্গে বিবাদের জেরে মহানগরীর প্রায় ৩৫ হাজার ভাড়াটিয়া রেন্ট কন্ট্রোলে ভাড়া জমা দেন৷ এই খাতে প্রায় ২৫০ কোটি টাকা পড়ে রয়েছে৷ অথচ, বহু বাড়িওয়ালা রয়েছেন, যাঁরা রেন্ট কন্ট্রোলে তাঁদের জমা পড়া টাকা না পেয়ে খুবই দুর্দশার মধ্যে দিন কাটাচ্ছেন৷ জনপরিষেবা আইনে কি সরকার বিষয়টি অন্তর্ভুক্ত করবে? ক্রেতা সুরক্ষা দপ্তরের মন্ত্রী সাধন পাণ্ডের জবাব, 'রেন্ট কন্ট্রোলের বিষয়টি নিয়ে আমি ভূমি দপ্তরের সঙ্গে কথা বলব৷ আর বিদ্যুত্‍ সংযোগ বা বিদ্যুতের মিটার দেওয়ার ক্ষেত্রে রাজ্য বিদ্যুত্‍ নিয়ন্ত্রণ কমিশন যে সময়সীমার রেখেছে, সেটাই সিইএসসি-সহ সকলকে মানতে হবে৷'


দেশের মধ্যে পশ্চিমবঙ্গ ১৭তম রাজ্য যেখানে নির্দিষ্ট সময়ের মধ্যে সাধারণ নাগরিকদের সরকারি পরিষেবা সুনিশ্চিত করতে জনপরিষেবা অধিকার আইন চালু হয়েছে৷ কিন্ত্ত, অনেক পরিষেবার ক্ষেত্রেই এ রাজ্যে যে সময়সীমা রাখা হয়েছে, তার থেকে কম সময়ে পরিষেবা দিচ্ছে অন্য রাজ্য৷ সাধনবাবু বলেন, 'বিভিন্ন পরিষেবা দেওয়ার ক্ষেত্রে আমরা যে সময়সীমা রেখেছি, তা পরিবর্তনশীল৷ আমি অন্য রাজ্যগুলির সঙ্গে আমাদের রাজ্যে সরকারি পরিষেবা প্রদানের সময়সীমার বিষয়টি তুলনা করে দেখব৷ যে সব ক্ষেত্রে আমাদের রাজ্যে সময়সীমা বেশি রয়েছে, তা কমানোর জন্য মুখ্যমন্ত্রীকে অনুরোধ করব৷ কারণ, আমাদের একটাই লক্ষ্য, সারা দেশের মধ্যে সব থেকে কম সময়সীমায় নাগরিকদের কাছে পরিষেবা পৌঁছে দেওয়া৷'


দেশের মধ্যে মধ্যপ্রদেশই প্রথম রাজ্য, যেখানে ২০১০ সালে জনপরিষেবা আইন তৈরি করা হয়৷ দ্বিতীয় রাজ্য হিসাবে এই আইন করে বিহার সরকার৷ মোটামুটি ভাবে, এই দুই রাজ্যের আইনকে মাথায় রেখেই এ রাজ্যের আইনটি তৈরি করা হয়েছে৷ তবে বিহার বা মধ্যপ্রদেশের তুলনায় এ রাজ্যের আইনে শহরাঞ্চলের অনেক বেশি পরিষেবাকে অন্তর্ভুক্ত করা হয়েছে৷ বিহারের আইনে জলের সংযোগ বা বাড়ির নকশা অনুমোদন কত দিনে মিলবে, তা বলা নেই৷ তেমনই ওডিশার আইনে রেশন কার্ড পাওয়ার বিষয়টির উল্লেখ নেই৷ পশ্চিমবঙ্গের আইনে এই সমস্ত জরুরি পরিষেবার বিষয়গুলিকে অন্তর্ভুক্ত করা হয়েছে৷


রাজ্যের জনপরিষেবা অধিকার আইনে, এখনও পর্যন্ত ১২টি দপ্তরকে অন্তর্ভুক্ত করা হয়েছে৷ তবে নিকট ভবিষ্যতে আরও কয়েকটি দপ্তরকে অন্তর্ভুক্ত করার বিষয়টি সরকারের চিন্তাভাবনার মধ্যে রয়েছে৷ পরিষেবা দেওয়ার ক্ষেত্রে দপ্তরগুলির তরফে যে সময়সীমা দেওয়া হয়েছে, সেটাই আপাতত রাখা হয়েছে বলে সাধনবাবু জানিয়েছেন৷ রেশন কার্ড, জলের সংযোগ, বাড়ির নকশার অনুমোদন প্রভৃতি একগুচ্ছ বিষয় পরিষেবার তালিকার মধ্যে রাখা হলেও কত দিনে সিইএসসি-র কাছ থেকে বিদ্যুত্‍ সংযোগ বা বিদ্যুতের মিটার মিলবে সে ব্যাপারে কিছু বলা হয়নি৷




No comments:

Post a Comment

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...

Census 2010

Welcome

Website counter

Followers

Blog Archive

Contributors