Friday, January 24, 2014

Sikh Politics worldwide should be aware of USA and UK सिखों को अमेरिका और ब्रिटेन के बजाय भारत देश से न्याय मांगने की जरुरत है जैसे भारत की सीमाओं की रक्षा के लिए अब भी अपना खून बहाने में सिख ही सबसे आगे हैं,उसी तरह कारपोरेट अश्वमेध को रोकने में निर्णायक भूमिका भी हो सकती है सिखों की,दरअसल पश्चिम को सिखों से यही सबसे बड़ा खतरा है और सिखों के दमन में इसीलिए वह धर्मोन्मादी भारतीय सत्ता वर्ग का साथ निभाता रहा है।

Sikh Politics worldwide should be aware of USA and UK

सिखों को अमेरिका और ब्रिटेन के बजाय भारत देश से न्याय मांगने की जरुरत है


जैसे भारत की सीमाओं की रक्षा के लिए अब भी अपना खून बहाने में सिख ही सबसे आगे हैं,उसी तरह कारपोरेट अश्वमेध को रोकने में निर्णायक भूमिका भी हो सकती है सिखों की,दरअसल पश्चिम को सिखों से यही सबसे बड़ा खतरा है और सिखों के दमन में इसीलिए वह धर्मोन्मादी भारतीय सत्ता वर्ग का साथ निभाता रहा है।


पलाश विश्वास

आज का संवाद

भारतवर्ष के स्वतंत्रता संग्राम में सिख धर्म की भूमिका उसके जनम से लेकर हमेशा निर्णायक रही है।


हम यह इतिहास भूल गये हैं कि भारत में अस्सी के दशक से पहले सिखों की राजनीति पूरे देश को जोड़ रही थी और अस्सी के दशक से अमेरिका,ब्रिटेन और पश्चिम से सिख नेताओं का टांका भिड़ने के बाद ही सिखों का अलगाव हुआ और इसी अलगाव की वजह से हूबहू इस देश के आदिवासियों और दलितों की तरह अस्सी के दशक में धर्मोन्मादी सत्ता ने सिखों का जनसंहार किया।


दरअसल स्वतंत्रता प्रेमी सिख राष्ट्रीयता का समर्थक पश्चिम हो ही नहीं सकता जिसने  कुल मिलाकर बाजार और कारपोरेट साम्राज्यवाद के खिलाफ भारत की सबसे बड़ी सामाजिक शक्ति बतौर बार बार अपने को साबित किया।


हरित क्रांति के जरिये भारतीय कृषि के महाध्वंस के प्रतिरोध की पंजाबी पहल को धर्मोन्माद के दुश्चक्र में फंसाकर कारोपेरेट सम्राज्यवादी पूंजीवाद पश्चिम ने भारत की धर्मोन्मादी सत्ता वर्ग के साथ मिलकर सिख जनसंहार को अंजाम दिया।


आज भी दुनियाभर में अपनी पहचान के लिए सिख ही सबसे ज्यादा निशाने पर हैं।


अमेरिका और यूरोप में ये हमले निरंतर तेज हो रहे हैं।


भारत सरकार ने जिस तरह एक देवयानी खोपड़ागड़े के मामले राजनयिक युद्ध की घोषणा कर दी,उस हिसाब से भारत ने सिखों के पक्ष में कोई बड़ी राजनयिक पहल अभीतक नहीं की है।


भारतीय सत्तावर्ग में सिख नहीं हैं और इसीलिए अमेरिका,इजराइल और ब्रिटेन के हितों के मुताबिक वे वैसे भी नहीं हो सकते जैसे इस देश के आदिवासी और बहुसंख्य उत्पीड़ित आम लोग।


भारतीय सत्ता वर्चस्व के विरुद्ध सिख अस्मिता की लड़ाई इसीलिए भारतीय जनपक्षधर मोर्चे से ही लड़ी जा सकती है।अमेरिका,कनाडा या ब्रिटेन से नहीं क्योंकि सिखों के खून से उनके हाथ भी उसीतरह रंगे हैं जैसे भारतीय धर्मोन्मादी सत्तावर्ग के।


जब देश बेचो ब्रिगेड पूरे देश की नीलामी कर रहा है और कंपनी राज की पूरी तैयारी है तो देशभक्त सिखों को सिख धर्म,परंपरा और इतिहास से सबक लेकर भारतीय जन गण के प्रतिरोध संघर्ष में फिर सामने आना चाहिए।


यह इतिहास का तकाजा है।


जैसे भारत की सीमाओं की रक्षा के लिए अब भी अपना खून बहाने में सिख ही सबसे आगे हैं,उसी तरह कारपोरेट अश्वमेध को रोकने में निर्णायक भूमिका भी हो सकती है सिखों की,दरअसल पश्चिम को सिखों से यही सबसे बड़ा खतरा है और सिखों के दमन में इसीलिए वह धर्मोन्मादी भारतीय सत्ता वर्ग का साथ निभाता रहा है।


हमारा बचपन सीमा के उस पार रह गये पंजाब के सबसे बेहतरीन कृषि पंडितों के बच्चों के साथ उत्तराखंड की तराई में बीता है और हम जनमजात उनकी कृषिजीवी जिंदगी के हिस्सा रहे हैं। साठ और सत्तर दशक में भी अति संपन्न सिख,जाट और पंजाबी परिवारों के बच्चे पढ़ लिखकर अंततः अपने खेतों और खिलहानों के मध्य ही लौटकर आते रहे हैं। पंजाब में हरित क्रांति से जो कायाकाल्प हुआ,हम देहरादून से लेकर पीलीभीत बरेली रामपुर जिलों तक फैली उत्तर प्रदेश की दिवंगत तराई पट्टी में उसके साझेदार रहे हैं।हरित क्रांति के दु्ष्परिणामों को भी हमने साथ साथ झेला है।


हमारे परिवार में पुराने स्वतंत्रता सेनानियों का आना जाना रहा है। हमने बहुत नजदीक से उन्हें देखा है। बनारस में स्वतंत्रता सेनानी परिवार बनर्जी परिवार के बसंत कुमार बनर्जी पिताजी के खास मित्र थे तो बलिया के रामजी राय पिता के अवसान के बाद भी हमारे परिवार से जुड़़े रहे। स्वतंत्रता संग्राम के इतिहासकार सुधीर विद्यार्थी को हम बरेली से जानते रहे हैं।तो स्वतंत्रतासंग्राम के इतिहासकार मन्मथ नाथ गुप्त भी बसंतीपुर आये और डा. अशोक सेन भी।


नेताजी के रहस्यमय तरीके से भारत से बाहर जाकर आजाद हिंद फौज के निर्माण की शुरुआती यात्रा में उनके साथी भगतराम तलवार  भी पीलीभीत में बस गये थे।


मुंबई में नौसैनिक विद्रोह में शामिल सरदार अजित सिंह खटीमा के पास रहते थे। कब तक सहती रहेगी तराई,शीर्षक से 1978 में नैनीताल पर  एक धारावाहिक छप रहा था,उसी दौरान खटीमा में मैं उनसे टकरा गया।वे पकड़कर मुझे अपने घर ले गये और नौसेना विद्रोह का रोजनामचा लिखवाया। नैनीताल समाचार में जिसका थोड़ा इस्तेमाल मैं कर सका,बाद में पेशेवर पत्रकारिता की दौड़ में वह रोजनामचा गायब  हो गया।


सरदार अजित सिंह ने सिख गावों के अलावा खटीमा इलाके के थारु गांव में हमारे साथ घर घर गये।


1969 के मध्वावधि चुनाव में काशीपुर विधानसभा क्षेत्र से नारायणदत्त तिवारी उम्मीदवार थे। उनके मुकाबले भारतीय जनसंघ के उम्मीदवार थे शहीदेआजम सरदार भगत सिंह के छोटे भाई।तब शहीदेआजम की मां पंजाबमाता हमारे घर बसंतीपुर आयी थी और उन्होंने पिताजी को देखकर कहा था कि तुम तो ेकदम बटुकेश्वर दत्त लगते हो।उस चुनाव में नारायण दत्त तिवारी ने हमारे घर से चुनाव प्रचार अभियान शुरु किया था,लेकिन पिताजी शहीदेआजम के भाई के साथ खड़े थे। हमें शहीदेाजम की मां का भी आशीर्वाद मिला तब।


बंगाल में नेताजी सुभाष चंद्र बोस के उतने भक्त नहीं होंगे, जितने अब भी पंजाब में हैं।आजाद हिंद फौज में भी बंगालियों की तुलना में सिख और पंजाबी ज्यादा थे। ऐसे लोगों से साठ और सत्तर के दशक में हमारा समना बार बार हुआ है।अब भी उत्तराखंड बनने के बाद जबसे राज्य का मुख्य नेताजी जयंती समारोह बसंतीपुर में होने लगा है,भूल भटके स्वतंत्रता संग्राम के सेनानी और नेताजी के साथी भी बसंतीपुर पहंचते रहे हैं।


हम पंजाबी,सिख और जाटों की पंजाबी बिरादरी का साझा चूल्हा देख चुके हैं जो विभाजन के बाद अस्सी के दशक तक अटूट रहा है।तराई में तो उस साझे चूल्हे में हमारा भी हिस्सा था।हमारे पड़ोसी गांव में हर साल मनाये जाने वाले गुरुपर्व में हम उसी तरह हिस्सेदार रहे हैं ,जैसे वे हमारी पूजा में।ननकमत्ता गुरुद्वारा में मेरे छोटे भाई पंचानन को शरोपा तो नब्वे दशक के अंत में दिया गया।पत्रकारिता के लिए।तब वह पत्रकारिता कर रहा था,लेकिन बसंतीपुर के घर में वह तलवार अभी मौजूद है।


अस्सी के दशक के सिखनिधन अभियान ने न केवल पंजाब,न केवल तराई बल्कि पूरे भारत का तानाबाना सामाजिक बिगाड़ दिया,जिसे बुनने में शायद सिखों की सबसे बड़ी भूमिका रही है।


भारत देश के लिए कुर्बान हो जाने का जज्बा क्या होता है,यह हमने सिखों से ही सिखा है।


अस्सी के दशक के सिख संहार ने सिखों को इस देश से काटकर रख दिया है।तबसे लेकर अब तक न हुए न्याय की वजह से भी सिखों का अलगाव अब भी बदस्तूर जारी है। हमारे हिसाब से भारत देश के लिए यह बेहद खतरनाक है।सिखों के मुकाबले दुनियाभर में दूसरी योद्धा कौम खोजना कसरतका काम है।सत्तावर्ग की धर्मोन्मादी राजनीति ने उस योद्धा कौम को अपनी समस्याओं से निजात दिलाने के लिए अमेरिका,ब्रिटेन और पश्चिम की ओर देखने का जो सिलसिला शुरु करवा दिया है, वह अब भी खत्म नहीं हुआ क्योंकि सिखों के जख्म अब भी हरे हैं औरन राष्ट्र ने और न बाकी देश वासियों ने उस जख्म को भरने का कोई जतन किया है।


आपरेशन ब्लू स्टार में ब्रिटिश सरकार की भूमिका के खुलासे से पता चल ही गया कि पश्चिम आखिरकार सिखों का उतना मित्र है नहीं,जितना सिख समुदाय को लगता है। अमेरिका और यूरोप में सिखों की भावनाओं को बार बार चोट पहुंचायी जाती है और बाद में थोड़ा बहुत मलहम लगा दिया जाता है , जैसे पेंटागन ने सिखों,मुसलमानों और दूसरे अल्पसंख्यकों की धार्मिक पहचान की बहाली के नये नियम जारी कर दिये हैं।


मौका है कि हमारे ही परिवार के अभिन्न अंग सिख समुदाय के लोग अब अपने अलगाव  को तोड़कर फिर पहले की तरह पूरे जज्बे के साथ भारत देश की आम जनता के रोजमर्रे के संघर्षों की अगुवाई करे। न्याय भारत में ही होना है और यह न्याय तब मिलेगा जब सिखों के अलावा पूरी पंजाबी बिरादरी विभाजन की त्रासदी के वक्त दिखायी एकजुटता को फिर हासिल करें और बाकी देश भी अपने उत्पीड़ित सिख भाइयों के साथ खड़े हों।


गौरतलब है कि शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) के अध्यक्ष अवतार सिंह मक्कड़ ने कहा है कि 1984 में श्री हरमंदिर साहिब में आपरेशन ब्लू स्टार के लिए ब्रिटेन सरकार द्वारा भारत सरकार को सलाह देना और हमले की योजना बनाने में मदद करना शर्मनाक और अति निंदनीय है। सिख कौम ब्रिटेन सरकार की इस कार्रवाई की सख्त शब्दों में निंदा करती है।


मक्कड़ ने कहा कि सिख जिस देश में भी गए, वहां अथक मेहनत करके उन्होंने उस देश की आर्थिक खुशहाली में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। ब्रिटेन में भी सिखों ने वहां की तरक्की में बड़ा योगदान दिया।


बावजूद इसके ब्रिटेन सरकार ने अगर श्री हरमंदिर साहिब पर हमला करने के लिए भारत सरकार की मदद की है तो यह सिखों के साथ धोखा है।


मक्कड़ ने कहा कि ब्रिटेन जैसा देश जो मानवीय अधिकारों के हनन के खिलाफ आवाज उठाता रहा है, उसकी ओर से सिखों के धार्मिक स्थान पर हमले के लिए मदद करना साबित करता है कि ब्रिटेन सरकार द्वारा मानवीय अधिकारों के लिए आवाज उठाना भी धोखा है।


ब्रिटेन सरकार की इस कार्रवाई से दुनिया भर में बैठे सिखों के मन में ब्रिटेन के खिलाफ रोष पैदा हुआ है। गुप्त पत्र से उन ब्रिटेन के लोगों के चेहरे भी बेनकाब हो गए है जिन्होंने सिखों को मारने और दबाकर राज करने की साजिश में हिस्सेदारी की है।


इसी बीच अमेरिकी सेना ने नये दिशानिर्देश जारी करते हुए कुछ मानकों में ढील दे दी है ताकि सैनिकों को उनके धर्म के मुताबिक आभूषण और परिधान पहनने की इजाजत हो। सेना के इस अहम फैसले का दूरगामी असर उन सिखों पर पड़ सकता है जो अमेरिकी सेना में भर्ती हुए हैं।


बहरहाल, नए दिशानिर्देशों में सुरक्षात्मक उपकरण जैसे हेलमेट आदि पहनने पर अब भी जोर दिया गया है। मानकों में दी गई छूट अब भी इतनी नहीं है कि सिख समुदाय के लोग बड़ी संख्या में अमेरिकी सशस्त्र बलों में शामिल हो सकें। सिख अमेरिकी समुदाय की यह मांग पुरानी है।


पेंटागन के प्रवक्ता नौसेना के लेफ्टिनेंट कमांडर नैटहैन जे. क्रिस्टेन्सन ने एक बयान में बताया कि नई नीति में कहा गया है कि सैन्य विभाग सर्विस सदस्यों के धार्मिक अनुरोध पर तब ही विचार करेगा जब उस अनुरोध का सेना की तैयारी पर, मिशन पूरा करने में, एकजुटता और अनुशासन पर प्रतिकूल असर न पड़े। उन्होंने कहा कि धार्मिक चलन अपनाने के लिए सभी अनुरोधों पर मामला दर मामला विचार किया जाएगा।


क्रिस्टेन्सन ने कहा कि कमांडर ऐसी स्थिति में धार्मिक परिधान या प्रतीकों को पहनने की अनुमति दे सकते हैं जब कि उसमें सैन्य विभाग या उन सर्विस नीतियों की छूट की जरूरत न हो जो कि सैन्य वर्दी और धार्मिक परिधान आदि के बारे में हो।


उन्होंने कहा कि इन बातों पर विचार किया जाएगा कि धार्मिक परिधानों से कहीं सैन्य दायित्व निर्वाह में बाधा न आए, स्वास्थ्य और सुरक्षा संबंधी खतरा न हो। क्रिस्टेन्सन के अनुसार, पेंटागन का मानना है कि नए दिशानिर्देशों से कमांडरों और सुपरवाइजरों की व्यवस्था और अनुशासन बनाए रखने की क्षमता बढ़ेगी तथा सेना में भेदभाव होने की धारणा दूर होगी।

31 Jan. Morichjhanpi Day. Mass demo. In front of GjandhiMurti.Park St.Kolkata.From 12 noon .

31 January Morichjhanpi Day. Mass demonstration in front of Gandhi Murti, Park St.Kolkata.12 noon to 6 pm.       The Morichjhanpi incident is one of the darkest episode of CPI(M) led Government of West Bengal.The Refugees who were raped by the CPI(M) were betrayed after the Elections.The settlement established by Refugees in the Morichjhapi island of Sundarban was dealt with iron fists by the Left front Govt. of West Bengal who deemed it  " illegal ". Subsequently they were brutally evicted by the Police and hired Mercenaries who butchered the Resisting People ,fired and killed Refugees, raped the Women,burnt down entire settlements. Please come and join.   Thanks.         Prof.Sunanda Sanyal, Prof.Ashokendu Sengupta, Dhiraj Sengupta ( sec APDR),Jagadishchandra Mondal(Researcher),Sibnath Chowdhury(Writer), Dr.Subodh Biswas (Refugee leader, Maharashtra),Nemai Sarkar ( Odisha ), Prasen Raftan ( Refugee leader, Karnatak ), Dr.Sanmathanath Ghosh ( Great Refugee leader), Nalini Mandal (Refugee leader,W.B.),Radhikaranjan Biswas (Refugee leader, Morichjhanpi),Debabrata Biswas (Refugee leader, Morichjhanpi), Narayan Mondal ( Refugee leader, Morocjjhanpi ),Mrityunjoy Mallik ( Respected Refugee leader),  Tushar Bhattacharjee ( Journalist, Docu.film maker).

New US rules on beards, turbans for Sikh, Muslim soldiers

Requests for wearing items of one's faith by Sikhs, Muslims and other religious-minority service members will be decided on a case by case basis


AP

Washington: The US defence department has clarified rules allowing Sikhs, Muslims and other religious-minority service members to wear a turban, scarf or beard as long as the practices do not interfere with military discipline, order or readiness.


However, requests for wearing items of one's faith by way of religious accommodation will still be decided on a case by case basis, but will generally be denied only if the item poses a safety hazard, interferes with wearing a uniform, a helmet or other military gear or "impairs the accomplishment of the military mission", Pentagon said.


"The new policy states that military departments will accommodate religious requests of service members unless a request would have an adverse effect on military readiness, mission accomplishment, unit cohesion and good order and discipline," Pentagon spokesman Navy Lt. Cmdr. Nathan J. Christensen announced on Wednesday.


Immediate commanders may resolve religious accommodation requests that don't require a waiver of military department or service policies that address wearing of military uniforms and religious apparel, grooming, appearance or body-art standards, he said.


The spokesman said department officials believe the new instruction will enhance commanders' and supervisors' ability to promote the climate needed to maintain good order and discipline, and will reduce the instances and perception of discrimination toward those whose religious expressions are less familiar to the command.


The Defense Department "places a high value on the rights of members of the military services to observe the tenets of their respective religions and the rights of others to their own religious beliefs", "including the right to hold no beliefs", the spokesman said.


Sikh American organisations criticised the new rules for not going far enough, but acknowledged they were a "stepping stone" in a long process of prodding the Pentagon to ease restrictions on wearing or showing their "articles of faith".


The Sikh American Legal Defence and Education Fund (SALDEF) called the rules an expansion of current policies rather than a meaningful overall change in policy. "Unfortunately, this continues to make us have to choose between our faith and serving our country," said SALDEF executive director Jasjit Singh.


"This is an expansion of the waiver policy that is decided person by person. It does not open doors and say you can apply as a Sikh American and serve your country fully," he said.


Responding to new Pentagon rules that permit limited religious accommodation, Democratic House member Joe Crowley, reiterated his call for an end to the presumptive ban on Sikh articles of faith, including turbans and beards, in the US military.


Crowley, vice chair of the Democratic Caucus and a leader on Sikh American issues in Congress, is currently spearheading a bipartisan letter signed by 20 members of Congress on both sides of the aisle requesting that the US Armed Forces update their appearance regulations to allow Sikh Americans to serve while abiding by their articles of faith.


"Depending on how they are implemented, some aspects of the new Department of Defense rules may be a step in the right direction," said Crowley.


"But more needs to be done to end the underlying presumptive ban on service by patriotic Sikh Americans. Sikh Americans love this country and want a fair chance to serve in our nation's military."

Probe ordered into Thatcher link to Operation Bluestar

Explanations have been sought after recent documents stated that SAS officials had been dispatched to help in Operation Bluestar

Reuters

London: British Prime Minister David Cameron has directed his Cabinet Secretary to establish the facts behind claims that Margaret Thatcher's government may have helped Indira Gandhi plan Operation Bluestar in 1984.

Labour MP Tom Watson and Lord Indarjit Singh had demanded an explanation after recently declassified documents indicated that Britain's Special Air Service (SAS) officials had been dispatched to help India on the planning on the raid of the Golden Temple to flush out militants from the shrine, an operation left more than 1,000 people dead.

"These events led to a tragic loss of life and we understand the very legitimate concerns that these papers will raise. The Prime Minister has asked the Cabinet Secretary to look into this case urgently and establish the facts," a UK government spokesperson said in a statement issued here yesterday night.

"The PM and the Foreign Secretary were unaware of these papers prior to publication. Any requests today for advice from foreign governments are always evaluated carefully with full Ministerial oversight and appropriate legal advice," he added.

The documents being referenced were released by the National Archives in London under the 30-year declassification rule as part of a series over the New Year. A letter marked "top secret and personal" dated February 23, 1984, nearly four months before the incident in Amritsar, titled 'Sikh Community', reads: "The Indian authorities recently sought British advice over a plan to remove Sikh extremists from the Golden Temple in Amritsar.

"The Foreign Secretary decided to respond favourably to the Indian request and, with the Prime Minister's agreement, an SAD (sic) officer has visited India and drawn up a plan which has been approved by Mrs Gandhi. The Foreign Secretary believes that the Indian Government may put the plan into operation shortly."

"These documents prove what Sikhs have suspected all along, that plans to invade the Golden Temple went back months even though the Indian government was claiming even weeks before that there were no such plans," Lord Singh, also the director of the Network of Sikh Organisations in the UK, told PTI.

"I have already approached the Indian government through the High Commission of India for the need of an independent international enquiry to establish the exact facts. I will now raise the issue in the House of Lords," he added.

Some of the documents have been reproduced on the 'Stop Deportations' blog which focuses on Britain's immigration policy and claim Thatcher sent SAS officials to advise Mrs Gandhi on the operation.

"I've only seen the documents this morning (Monday) and am told there are others that have been withheld. This is not good enough. It is not unreasonable to ask for an explanation about the extent of British military collusion with the government of Indira Gandhi," Watson, an MP for West Bromwich East, said.

He has written to UK foreign secretary William Hague and plans to raise the issue in the House of Commons.

"I think British Sikhs and all those concerned about human rights will want to know exactly the extent of Britain's collusion with this period and this episode and will expect some answers from the Foreign Secretary.

"But trying to hide what we did, not coming clean, I think would be a very grave error and I very much hope that the foreign secretary will...Reveal the documents that exist and give us an explanation to the House of Commons and to the country about the role of Britain at that very difficult time for Sikhism and Sikhs," he added.

Five months after Operation Bluestar, Gandhi was assassinated by her Sikh bodyguards in retaliation for the raid on the Golden Temple.

'Thatcher colluded with Indira for Operation Bluestar'

Documents released under Britain's 30-year rule included papers from Thatcher authorising the SAS to collude with the Indian government on the planning on the raid of the Golden Temple

Reuters

London: A British MP today claimed that top secret documents suggested Prime Minister Margaret Thatcher's government helped Indira Gandhi plan the storming of the Golden Temple in 1984 to flush out militants from the shrine, an operation that left more than 1,000 people dead.

Tom Watson, the Labour lawmaker from West Bromwich East, said the documents released under Britain's 30-year rule included "papers from Mrs Thatcher authorising the SAS (Special Air Service) to collude with the Indian government on the planning on the raid of the Golden Temple".

The government apparently "held back" some more documents and "I don't think that's going to wash", he told BBC Asian Network.

"I think British Sikhs and all those concerned about human rights will want to know exactly the extent of Britain's collusion with this period and this episode and will expect some answers from the Foreign Secretary," Watson said.

He wrote on his website that he would write to the Foreign Secretary and raise the issue in the House of Commons to get a "full explanation".

Man who led Operation Bluestar trashes talk of UK help

Lt Gen (retd) K S Brar, who led offensive in 1984, says it was planned and executed by Indian commanders

Reuters

Mumbai: Amid the raging row over claims that Margaret Thatcher's government had aided India in the Operation Bluestar to flush out militants from the Golden Temple in 1984, Lt Gen (retd) K S Brar, who led the offensive, on Tuesday said it was planned and executed by Indian military commanders.

"I am quite dumbfounded because the operation was planned and executed by military commanders in India. There is no question ... we never saw anyone from UK coming in here and telling us how to plan the operation," Brar told a TV news channel.

Maintaining that there was no involvement of British agencies in the operation that left over 1000 dead and led to the revenge assassination of Prime Minister Indira Gandhi, he said the authenticity of the documents that have surfaced suggesting England's assistance should be checked.

"I am not a politician. I don't know what are the political motives of these letters coming out. I am a straightforward soldier and therefore cannot give any view besides the soldier's view.

"I conducted the operation and no aid came in. This is the first time I am hearing all this. It is obviously some mischief at some stage or the other. There was no aid given to us, no advice given to us, there was no representative from the UK government who came and met us to help us plan the operation," the 79-year-old former general said.

A controversy has broken out after a British MP claimed he had seen declassified documents suggesting Britain's Special Air Service (SAS) officials had been despatched to help India plan the military offensive at the Golden Temple.

Labour MP Tom Watson and Lord Indarjit Singh had on Monday demanded an explanation from British government after the documents, declassified under Britain's 30-year rule, said Thatcher had authorised SAS to collude with Indian government to plan the operation.

There was a murderous attack on Brar by a group of Sikhs in London in 2012.

Three Sikh men and a woman were last year convicted of carrying out the revenge attack on Brar and sentenced to undergo imprisonment from 10 and half years to 14 years by a British court.

British Prime Minister David Cameron has directed his Cabinet Secretary to establish the facts behind claims that Thatcher's government may have helped Indira Gandhi plan Operation Bluestar.

'British help' for Operation Blue Star stirs Punjab parties

Dal Khalsa wrote to British PM David Cameroon expressing 'pain, concern and anguish' over the revelations that British govt under Margaret Thatcher helped Indian govt attack Golden Temple


AP

Chandigarh: Radical Sikh organizations as well as Punjab's ruling Akali Dal on Tuesday came out against revelations that Britain had helped the Indian government in plans to launch Operation Blue Star on the Golden Temple complex, home to the holiest of Sikh shrines Harmandar Sahib, in June 1984.

Radical Sikh organization Dal Khalsa on Tuesday shot off a letter to British Prime Minister David Cameroon through the British high commission in India expressing its "pain, concern and anguish over the startling revelations as to how the then British government under Margaret Thatcher helped Indian government to attack the Golden Temple in June 1984".

Another radical body, the All India Sikh Students Federation (AISSF) will hold a rally outside British high commissioner's office in New Delhi January 17, its president Karnail Singh Peermohammed told IANS.

"The aim of the rally is to demand that British Parliament should immediately pass a resolution that action of PM Margret Thatcher of colluding with Indira Gandhi to attack the holiest Sikh shrine was wrong," he said.

Dal Khalsa spokesperson Kanwar Pal Singh, quoting the letter, said: "The news report about the secret document from British National Archives revealing the UK government collaborating with Indian government to plan the attack has shattered the Sikhs from within. The Sikh diaspora is deeply hurt and the news has left them numbed."

He said the document revealed that India sought support and the British government obliged.

"However it is silent as to what extent and in what shape the support and succour was provided," the letter said, seeking these details.

Britain is home to tens of thousands of Sikhs who have settled there in the past nearly 100 years.

The controversy erupted after documents of that period went public in Britain and Liberal MP Tom Watson procured documents showing that Britain's elite Special Air Service (SAS) was involved in planning the attack on the Golden Temple.

The Akali Dal in Punjab on Tuesday blamed the Congress party for its "nefarious designs against the Sikh community".

In a statement here, Akali Dal spokesman Daljit Singh Cheema said that the top secret British documents had exposed the real conspiracy behind Operation Blue Star.

"The media reports published today (Tuesday) have unearthed a major conspiracy of the Congress party which even went to the extent of compromising the national sovereignty for its political gains," he said.

Terming it shocking to see that to solve an issue of internal security of Punjab state, Mrs Gandhi took the services of British forces, he said the Congress-led union government must come clean on the "unknown compulsions under which it had to take the help of forces from such a country against whom the nation had fought a battle of freedom for more than 200 years".

Cheema said that the only justification of colluding with British forces could be that they had the expertise to kill thousands of freedom fighters as in the 1919 Jallianwala Bagh massacre.

Heavily armed terrorists, led by separatist leader Jarnail Singh Bhindranwale, were flushed out by the Indian Army in its Operation Blue Star on the Golden Temple complex in June 1984. The then Prime Minister Indira Gandhi had ordered the Army operation in which hundreds were killed.

Punjab had witnessed a bloody phase of terrorism between 1981 to 1992 as separatists demanded a separate Sikh homeland — Khalistan (land of the pure). The terrorism phase left over 25,000 people dead, including hundreds of security force personnel.

1984 के लिये इंसाफ अभियान : गुनहगारों को सज़ा दो! पीडि़तों को बदनाम करना बंद करो!

1984 में सिखों के कत्लेआम के पीडि़तों के लिये इंसाफ की मांग करते हुये, एक गंभीर व जोशपूर्ण अभियान 21 अक्तूबर, 2012 को अमृतसर में जलियांवाला बाग से, एक दिल दहलाने वाली चित्र प्रदर्शनी के साथ शुरू हुआ।

1984 के जन संहार, जिसके दौरान दिल्ली, कानपुर और अन्य जगहों पर 7000 से अधिक लोग मारे गये थे, उसके पीडि़तों के लिये इंसाफ की मांग करने वाले इस अभियान के संदर्भ में, कई संगठनों और व्यक्तियों ने उसी दिन एक प्रेस वार्ता आयोजित की। प्रेस वार्ता को संबोधित करने वाले संगठनों में बचपन बचाओ आन्दोलन, लोक राज संगठन, सिख फोरम और सोशलिस्ट युवजन भी शामिल थे।

जैसे-जैसे यह कारवां अनेक शहरों से गुज़रते हुये दिल्ली की ओर चला, हजारों-हजारों लोग इसके समर्थन में आगे आये। दिल्ली में इस अभियान के तहत, अक्तूबर के अंत व नवम्बर के आरंभ में कई कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं।

पीडि़तों को बदनाम करना

पंजाब में कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने विभिन्न जन संगठनों द्वारा जून 1984 में आपरेशन ब्लू स्टार में मारे गये लोगों की याद में एक स्मारक स्थापति करने के फैसले को बदनाम किया है। कांग्रेस पार्टी के नेताओं के अनुसार, यह "आतंकवादियों को सम्मानित करना" है। यह सरासर झूठ है।

80 के दशक से पंजाब में आतंक फैलाने के लिये कौन जिम्मेदार है? केन्द्रीय राज्य और नई दिल्ली में शासक पार्टी इसके लिये जिम्मेदार है। इंदिरा गांधी की अगुवाई में कांग्रेस पार्टी नीत सरकार ने सिख समुदाय के खिलाफ़ राजकीय आतंक लागू करने, उन पर वहशी हमला करने तथा उनके सबसे पवित्र धर्म स्थल को नष्ट करने की नीति शुरू की थी। अब वे अपने अपराधों पर पर्दा डालने के लिये, पीडि़तों पर इल्ज़ाम लगाना चाहते हैं।

आपरेशन ब्लू स्टार

"आपरेशन ब्लू स्टार" - सिखों के सबसे पवित्र धर्म स्थल, अमृतसर के स्वर्ण मंदिर पर सशस्त्र हमला, "आतंकवादियों का सफाया करने" के नाम पर, 6 जून, 1984 को किया गया था। आपरेशन ब्लू स्टार सिख गुरु अर्जुन देव के शहादत दिवस पर किया गया था, जिसे सिख धर्म के स्त्रियों व पुरुषों के लिये पवित्र दिन माना जाता है, जब हजारों-हजारों लोग स्वर्ण मंदिर पर इकट्ठे होते हैं। तत्कालीन प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी ने सेना को भारी टैंकों व बंदूकों से स्वर्ण मंदिर पर हमला करने का आदेश दिया था, जिसकी वजह से बड़ी संख्या में लोग मारे गये और सिखों के पवित्र धर्म स्थल, अकाल तख्त को बहुत हानि हुई।

स्वर्ण मंदिर पर हमले के बाद, कई वर्षों तक पंजाब, दिल्ली और देश के दूसरे भागों में राजकीय आतंकवाद आयोजित किया गया, जिसके चलते हजारों लोगों, खास तौर पर नौजवानों को मार डाला गया, पीडि़त किया गया और लापता घोषित कर दिया गया। पंजाब और अन्य जगहों पर मजदूरों और किसानों की बगावत और राष्ट्रीय अधिकारों की मांग को कुचलने के लिये यह आतंक की मुहिम चलाई गई। लोगों के जायज़ प्रतिरोध और राजनीतिक मांगों के आन्दोलन को बांटने और गुमराह करने के उद्देश्य से, शासक पार्टी और केंद्र सरकार के संस्थानों ने जानबूझकर हिन्दुओं और सिखों के बीच में बंटवारा करने की कोशिश की। सिख धर्म के लोगों को राष्ट्र विरोधी, राष्ट्रीय एकता और अखंडता के दुश्मन, करार दिया गया।

पंजाब के लोगों की राजनीतिक मांगों के साथ ऐसा बर्ताव किया गया जैसे कि वे "कानून और व्यवस्था की समस्यायें" थीं। "हिन्दोस्तान की एकता और अखंडता के दुश्मनों" को कुचलने के नाम पर, मजदूर वर्ग और किसानों को राजकीय आतंकवाद की नीति के समर्थन में लामबंध किया गया।

सिखों का कत्लेआम

इंदिरा गांधी की हत्या के बाद, कांग्रेस पार्टी ने दिल्ली, कानपुर और उत्तरी हिन्दोस्तान के अन्य मुख्य शहरों में सिखों का कत्लेआम आयोजित किया। कई हजारों सिखों को बेरहमी से मार डाला गया, हजारों महिलाओं का बलात्कार किया गया, सिखों के घरों, दुकानों व कारोबारों को जला दिया गया। सभी प्राप्त सबूतों से यह स्पष्ट होता है कि यह एक पूर्व नियोजित जन संहार था। तत्कालीन प्रधान मंत्री राजीव गांधी के उकसाने वाले कथनों से प्रेरित, कांग्रेस पार्टी के सांसदों की अगुवाई में, वोटर लिस्ट और आगजनी के सामान लिये हुये गुंडों ने सिख धर्म के लोगों को जिन्दा जलाया और मार डाला। तत्कालीन गृह मंत्री पी.वी. नरसिंह राव की अगुवाई में पुलिस ने कातिलों को पूरा समर्थन दिया।

गुनहगारों को सज़ा दो - कमान की जिम्मेदारी निभाओ

"गुनहगारों को सज़ा दो!" - उस जनसंहार से बचने वाले लोग तथा देश भर के इंसाफ पसंद लोग बीते 28 वर्षों से डटकर यह मांग उठाते आ रहे हैं। 1984 के पीडि़तों के लिये इंसाफ़ के इस अभियान के समर्थन में हज़ारों-हज़ारों लोगों का आगे आना यह दिखाता है कि लोग 28 वर्ष पहले किये गये भयानक अपराध को आज तक नहीं भूले हैं।

कमान की जिम्मेदारी निभाने के असूल को स्थापित करना ज़रूरी है, यानि मानव जाति के खिलाफ़ इस प्रकार के अपराधों व हत्याकांडों के लिये, सिर्फ इन्हें अंजाम देने वाले गुंडों को ही नहीं बल्कि इन्हें निर्देश देने, आयोजित करने व अगुवाई देने वालों को भी सज़ा दिलाने की सख्त ज़रूरत है।

हमारी मांग है कि पीडि़तों को बदनाम करना फौरन रोका जाये और गुनहगारों को फौरन सज़ा दी जाये!

http://www.cgpi.org/hi/mel/voice-party/2652-1984-%E0%A4%95%E0%A5%87-%E0%A4%B2%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A5%87-%E0%A4%87%E0%A4%82%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%AB-%E0%A4%85%E0%A4%AD%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%A8



ऑपरेशन ब्लू स्टार की जांच करेगा ब्रिटेन

(03:14:48 AM) 15, Jan, 2014, Wednesday

कैमरन ने दिए ब्रिटश मदद की जांच के आदेश

थैचर सरकार ने की थी भारत की मदद !

स्वर्ण मंदिर पर सैन्य कार्रवाई के लिए चलाया गया था ऑपरेशन ब्लू स्टार

ऑपरेशन ब्लू स्टार के दौरान सैनिक कार्रवाई करती भारतीय सेना

लंदन !  ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने 1984 में भारत में अमृतसर के प्रसिध्द स्वर्ण मंदिर से उग्रवादियों को खदेड़ने की योजना 'आपरेशन ब्लू स्टार' में मारग्रेट थैचर की सरकार द्वारा तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की मदद किए जाने के दावे की जांच का आदेश दिया गया है।

ब्रिटेन में लेबर पार्टी के सांसद टाम वाटसन और हाउस आफ लार्ड्स के सिख सदस्य इंदरजीत सिंह ने इस साल सार्वजनिक किए गए गोपनीय दस्तावेजों में ऑपरेशन ब्लू स्टार में ब्रिटेन की ओर मदद पहुंचाने के दावे की जांच की मांग की थी। दस्तावेजों के मुताबिक मारग्रेट थैचर की सरकार ने ब्रिटेन के स्पेशल एयर सर्विस के अधिकारियों को इस ऑपरेशन में मदद पहुंचाने के लिये भारत भेजा था। इस ऑपरेशन के दौरान 1000 लोग मारे गए थे। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने देर रात जारी विज्ञप्ति में बताया, कैमरन ने कैबिनेट सचिव को इस मामले की जांच करके सच्चाई सामने लाने का आदेश दिया है।

सरकारी प्रवक्ता ने कहा, इस ऑपरेशन में कई लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा था और सरकार इन दस्तावेजों के प्रकाशित होने से उठे मुद्दों की गंभीरता समझती है। प्रधानमंत्री ने इसी वजह से कैबिनेट सचिव को तत्काल इसकी जांच करने का आदेश दिया है।

ब्रिटेन के नियमों के मुताबिक गोपनीय दस्तावेजो को 30 साल के बाद सार्वजनिक किया जाता है। इस महीने सार्वजनिक किए दस्तावेजों में एक पत्र भी शामिल है जिस पर 23 फरवरी 1984 की तारीख और सिख कम्युनिटी अर्थात सिख समुदाय शीर्षक अंकित है। यह पत्र आपरेशन ब्लू स्टार के क्रियान्वन के चार महीने पहले लिखा गया है।

पत्र में लिखा है, भारतीय सरकार ने अमृतसर के स्वर्ण मंदिर से उग्रवादियों को निकाल भगाने की योजना में ब्रिटेन की सलाह मांगी है। उस समय तत्कालीन विदेश सचिव ने भारत सरकार के आग्रह को माना और तत्कालीन प्रधानमंत्री मार्गरेट थैचर की सहमति से ब्रिटिश वायुसेना के एक अधिकारी को श्रीमती गांधी से मिलने भारत भेजा। इस अधिकारी ने ही ऑपरेशन की सारी योजनाएं बनाईं जिसे श्रीमती गांधी ने मंजूर किया। ब्रिटिश सरकार को तब ही पता चला था कि श्रीमती गांधी जल्द ही ऑपरेशन ब्लू स्टार को अमल में लाएगीं। वाटसन ने कहा, मैंने सोमवार सुबह को ही यह दस्तावेज देखे हैं और मुझे जानकारी मिली है कि अभी ऐसे कई दस्तावेज गोपनीय हैं। यह समझा जा सकता है कि  मानवाधिकारों और ब्रिटिश सिखों की सुरक्षा को लेकर चिंतित सभी लोग जानना चाहेंगे कि इस अवधि में और इस घटनाक्रम में ब्रिटेन की सहभागिता किस स्तर तक थी। हम विदेश मंत्री से इस विषय पर उनका जवाब चाहते है।

लार्ड सिंह ने कहा, श्रीमती गांधी की सरकार इस ऑपरेशन के कुछ सप्ताह पहले तक इस बात का दावा करती रही थी कि उन्होंने स्वर्ण मंदिर पर कार्रवाई करने की कोई योजना नहीं बनाई लेकिन इन गोपनीय दस्तावेजों के जारी होने से उस दावे की पोल खुल गई है। इस दस्तावेज से पता चलता है सिख हमेशा से कटघरे में खड़े थे और स्वर्ण मंदिर पर की जाने वाली कार्रवाई की योजना महीनों पहले बन गई थी।

ऑपरेशन ब्लू स्टार के घाव को कुरेदना ठीक नहीं

नवभारत टाइम्स | Jan 24, 2014, 01.00AM IST

अवधेश कुमार करीब तीस वर्ष बाद 'ऑपरेशन ब्लू स्टार' का भूत फिर सामने आ खड़ा हुआ है, लेकिन राजनीतिक पार्टियां इस मामले में धैर्य दिखाने की जगह उस पर सियासत कर रही हैं। ब्रिटेन में कथित रूप से एक दस्तावेज सामने आया है जिससे संकेत मिलता है कि तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने ब्रिटेन की पीएम मारग्रेट थैचर से अमृतसर के स्वर्ण मंदिर से आतंकवादियों को बाहर निकालने के लिए सैन्य ऑपरेशन में मदद मांगी थी। ब्रिटेन में भी यह मुद्दा बन गया है और प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने इसकी जांच के आदेश दे दिए हैं। निश्चय ही जांच के बाद सच सामने आ जाएगा पर भारत में जिस तरह से इस सूचना मात्र पर तूफान खड़ा कर दिया गया है वह खतरनाक है।

ब्रिटेन के नियमों के मुताबिक गोपनीय दस्तावेज 30 साल के बाद सार्वजनिक किए जाते हैं। कहा जा रहा है कि इस महीने सार्वजनिक किए गए दस्तावेजों में 23 फरवरी 1984 की तारीख और 'सिख कम्यूनिटी' शीर्षक अंकित किया गया एक पत्र है, जिसमें लिखा है कि भारत सरकार ने श्री दरबार साहिब से उग्रवादियों को निकालने की योजना में ब्रिटेन की सलाह मांगी। ऑपरेशन ब्लू स्टार से चार महीने पहले 6 फरवरी 1984 को लिखे पत्र के मुताबिक भारत सरकार की ओर से स्वर्ण मंदिर से अलगाववादियों को निकालने की योजना में मदद मांगी गई थी। अगर इसे सही मान लिया जाए तो स्वर्ण मंदिर पर हुई भारतीय सेना की कार्रवाई में ब्रिटेन की स्पेशल एयर सर्विस (एसएएस) ने मदद की थी। अति गोपनीय व व्यक्तिगत शीर्षक वाले इन दस्तावेजों के मुताबिक थैचर के निर्देश पर ऐसा हुआ था। यानी हमला सुनियोजित था। हालात बिगड़ने के बाद मजबूरी में ऐसा किए जाने का तर्क गलत था।

ब्रिटेन में सिखों की संख्या अच्छी-खासी है। वे वहां 30 से अधिक सीटों पर प्रभाव डालते हैं। ऐसे में वहां इस मामले का गरमाना स्वाभाविक है। इससे सत्ताधारी कंजर्वेटिव पार्टी की समस्या बढ़ी है। सिख नेताओं की प्रतिक्रियाएं काफी तीखी हैं। शिरोमणि अकाली दल ने कहा है कि कांग्रेस ने अपने सियासी हितों के चलते देश की प्रभुसत्ता से भी समझौता कर लिया। बीजेपी नेता अरुण जेटली ने कहा कि समय आ गया है जब भारत के लोग निष्कर्ष निकालें कि कहीं ऑपरेशन ब्लू स्टार रणनीतिक चूक तो नहीं था? सवाल है कि स्वर्ण मंदिर को जरनैल सिंह भिंडरावाले और उनके समर्थकों के चंगुल से छुड़ाने का दूसरा विकल्प ही क्या था? वे बातचीत से हथियार डालने और मंदिर को मुक्त करने के लिए तैयार नहीं थे। गौरतलब है कि आपरेशन ब्लू स्टार भारतीय सेना द्वारा 3 से 6 जून 1984 तक चलाया गया। लेकिन सेना ने मार्च में ही स्वर्ण मंदिर को चारों ओर से घेर लिया था और मंदिर परिसर के बाहर दोनों ओर से रुक-रुक कर गोलियां चल रही थीं। संभव है इंदिरा गांधी ने मार्गरेट थैचर से सलाह के लिए पत्र लिखा हो, क्योंकि थैचर ने उत्तरी आयरलैंड के पृथकतावादियों के खिलाफ 'रक्त और लौह' की नीति अपनाई थी। आतंकवाद के खिलाफ सहयोग एक स्वाभाविक बात है। पर यह मानने का कोई कारण नहीं है कि इसमें ब्रिटेन की बड़ी भूमिका रही होगी।

हम यह तो मानते हैं कि आरंभ में भिंडरावाले को कांग्रेस की ओर से ही शह मिली, अन्यथा वह इतना ताकतवर नहीं होता। लेकिन अलग पंजाब की मांग और उसके लिए प्रत्यक्ष-परोक्ष समर्थन देने वाले हर दल में मौजूद थे। उन सब कारणों से पंजाब के आतंकवाद ने ऐसा भीषण रूप लिया कि पूरा देश उससे थर्राता था। ऐसे में हमारे राष्ट्र-राज्य की एकता, अखंडता तथा सरकार की अथॉरिटी स्थापित करने के लिए स्वर्ण मंदिर और आसपास के भवनों को आतंकवादियों से मुक्त कराना ही एकमात्र विकल्प था। वैसे पंजाब एवं सिख समुदाय के लिए वह संवेदनशील मामला है और आज करीब तीस साल बाद उसे कुरेदकर हम अपना ही नुकसान करेंगे। बेहतर है इस पर कोई राजनीति न हो और उसे इतिहास के पन्नों में ही रहने दिया जाए।

दल खालसा ने कहा, गणतंत्र दिवस कार्यक्रमों से दूर रहें सिख

Fri, 24 Jan 2014 10:34 PM (IST)

दल खालसा ने कहा, गणतंत्र दिवस कार्यक्रमों से दूर रहें सिख

जागरण संवाददाता, अमृतसर। अलगाववादी संगठन दल खालसा ने शुक्रवार को फरमान जारी कर सिखों को 26 जनवरी के कार्यक्रमों से तब तक दूर रहने की अपील की है, जब तक सिखों के प्रति संवैधानिक नाइंसाफी समाप्त नहीं की जाती। साथ ही, कहा कि सिख की वफादारी व आस्था श्री अकाल तख्त साहिब व सिखी सिद्धांतों के साथ है।

शुक्रवार बाद दोपहर दल खालसा ने दमदमी टकसाल, शिरोमणि अकाली दल पंजप्रधानी व सिख यूथ ऑफ पंजाब के साथ मिलकर नाइंसाफी व ज्यादतियों के विरुद्ध रोष-प्रदर्शन किया। इसमें सैकड़ों सिख नौजवान हाथों में काले झंडे व बैनर पकड़े हुए थे। बैनरों पर लिखा था कि जब संविधान में सिखों की अलग पहचान से इन्कार कर रहा है तो फिर 26 जनवरी का जश्न सिख क्यों मनाएं।

दल खालसा के मुखिया हरचरणजीत सिंह धामी ने कहा कि सिख एक अलग कौम है। हिंदुस्तान में सिखों के साथ दु‌र्व्यवहार किया गया है। दमदमी टकसाल के बाबा हरनाम सिंह खालसा ने कहा कि भारतीय संविधान सिखों से एक धोखा है।

http://www.jagran.com/news/national-dal-khalsa-sikh-outfits-demand-sikh-personal-law-11037699.html

अभी भी हरे हैं ऑपरेशन ब्लू स्टार के जख्म- दलजीत सिंह मट्टू

By अनिल पाण्डेय 06/06/2009 16:40:00



दलजीत सिंह बिट्टू पंजाब के उन प्रभावी अलगाववादी नेताओं मे से हैं जिनका युवाओं पर काफी प्रभाव है. अस्सी और नब्बे के दशक में वे करीब 10 साल भूमिगत रह कर अलग सिख राष्ट्र आंदोलन में प्रमुख भूमिका निभाते रहे. अप्रैल 1996 में गिरफ्तार होने के के बाद वे करीब 10 साल तक नाभा और तिहाड़ जेल में रहे. जेल से बाहर आने के बाद दलजीत सिंह फिर से युवाओं को एकजुट कर लोकतांत्रिक तरीके से अलग सिख राष्ट्र की मांग कर हैं. आपरेशन ब्लू स्टार से लेकर मौजूदा आंदोलन के बारे में अनिल पांडेय ने उनसे बातचीत की.

सवाल- आपरेशन ब्लू स्टार पर आप की क्या प्रतिक्रिया है?

जवाब- हम इसे "आपरेशन" नहीं दरबार साहिब पर "अटैक" कहते हैं. यह हमारे गुरु ग्रंथ साहिब, सिख आइडेंटटी और सिख नेशन पर हमला था. इस हमले को हम कभी भूल नहीं सकते.  आपरेशन ब्लू स्टार ने हमें जो जख्म दिया है उसे हम सिख राष्ट्र की मांग की प्रेरणा के रूप में रखना चाहते हैं. अकाल तख्त और दरबार साहिब पर पहले भी मुगलो द्वारा हमले किए गए. सिखों ने इसे कभी भुलाया नहीं, बल्कि इसका बदला भी लिया.


सवाल- लेकिन सरकार और सेना का कहना था कि स्वर्ण मंदिर में आतंकवादी छिपे थे, इसलिए कार्रवाई करनी पड़ी.

जवाब- जनरैल सिंह भिंडरवाला आतंकवादी नहीं, महान सिख थे. उन्होंने गुरु ग्रंथ साहिब की नए सिरे से व्याख्या की. स्टेट सोचता है कि भिंडरवाला टेरिरिस्ट थे, लेकिन आम सिख मानता है कि वे एक ऐसे संत योद्दा थे, जिन्होंने सिख ग्लोरी को रिवाइज किया. भिंडरवाला हमारे सिखों के हीरों हैं और रहेंगे.  


सवाल- फिर आप आपरेशन ब्लू स्टार की क्या वजह मानते हैं?

जवाब- इतिहास गवाह है कि दिल्ली की गद्दी पर जो भी बैठा उसे गुरु ग्रंथ साहिब और सिख विचारधारा से हमेशा डर लगता रहा है. दरबार साहिब पर जितने हमले हुए वह इसी वजह से हुए.


सवाल- आखिर दिल्ली की गद्दी पर बैठने वाला व्यक्ति गुरु ग्रंथ साहिब से क्यों डरता है?

जवाब- हमारे गुरुद्वारे केवल प्लेस आफ वर्सिप नहीं हैं. यह हमारी पहचान और अस्मिता से जुडा है. अकाल तख्त केवल सिखों की एक सर्वोच्च संस्था भर नहीं है, बल्कि एक अलग सिख राष्ट्र बनाने की विचारधारा भी है. इसीलिए दिल्ली की सरकार इससे डरती है.


सवाल- कभी अलग सिख राष्ट्र की मांग को भारी जनसमर्थन था, अब वह नहीं दिखाई देता. इसका मतलब अब यह मांग खत्म हो गई है?

जवाब- नहीं, यह आंदोलन खत्म नहीं हुआ है. बल्कि अभी यह दबा है. आज भी हर सिख रोज अरदास करता है, "राज करेगा खालसा". अगर आप को इस आंदोलन की सच्चाई जाननी है तो युवाओं के बीच जाइए. कालेज में पढ़ने वाले युवकों के मोबाइल स्क्रीन पर संत भिंडरवाले की तस्वीर लगी मिलेगी. उनकी रिंगटोन के रूप में भिंडरावाले के प्रेरणावाले भाषण और गाने मिलेंगे. आज पंजाब में भगत सिंह से ज्यादा भिंडरावाले की तस्वीर बिक रही है.


सवाल- क्या खालसा राज की स्थापना भारतीय राष्ट्र राज्य के खिलाफ नहीं है?

जवाब- यह मांग हिंदू या स्टेट के खिलाफ नहीं है. इसे गलत तरीके से पेश किया जा रहा है. खालसा राज की स्थापना तो हर सिख की तमन्ना है. हमारा तो अपना साम्राज्य भी था. खालसा राज यानी सिख धर्म के अनुसार जीवन पद्धति. लेकिन सरकार हमें हमारा अधिकार देने की बजाए हम पर जुल्म करती है. आंदोलन के दौरान भूमिगत रहने के क्रम में मैं जिन घरों में रहा पुलिस ने उन लोगों की नृशंस तरीके से हत्या कर दी.


सवाल- क्या आप लोग अपनी मांगे मनवाले के लिए फिर से हथियार उठा सकते है?

जवाब- देखिए, लड़ाई का तरीका समय पर निर्भर करता है. अभी तो हम लोकतांत्रिक तरीके से अपने अधिकारों की मांग कर रहे हैं. लेकिन हालात अगर 1984 जैसा होता है तो तरीका बदल सकता है.


सवाल- क्या आप को लगता है कि भारत सरकार आप की मांग मान लेगी?

जवाब- सिख राष्ट्र का निर्माण कठिन जरूर है,लेकिन हम इसे हासिल करके ही रहेंगे.


सवाल- अपनी मांगे मनवाने के लिए जो आप लोग हथियार उठाते हैं, वह कितना जायज है?

जवाब- हमारे सिख धर्म में शस्त्र धारण करने की बात है. लेकिन हम शस्त्र अन्याय के विरुद्ध उठाते हैं, किसी के शोषण के लिए नहीं. हमारे गुरु ग्रंथ साहिब के सामने हथियार यानी कृपाण रखा जाता है. हमारे यहां तो परंपरा है कि "राज करैं या लड़ मरैं".


सवाल- कहा जाता है कि भिंडरवाला ने स्वर्ण मंदिर को अपने छुपने का माध्यम बनाया?

जवाब- मुगलों से युद्ध के दौरान गुरु घरों यानी गुरुद्वारों में ही शरण लेकर सिखों ने लड़ाई लड़ी. भिड़रवाले भी स्वर्ण मंदिर में आकर तब रहने लगे जब दो महीने के दौरान उन पर छह हमले हुए. उन्हें डर था कि पुलिस और सुरक्षा बल उन्हें फर्जी इनकांउंटर में मार देंगे.

http://visfot.com/index.php/interview/3494-%E0%A4%85%E0%A4%AD%E0%A5%80-%E0%A4%AD%E0%A5%80-%E0%A4%B9%E0%A4%B0%E0%A5%87-%E0%A4%B9%E0%A5%88%E0%A4%82-%E0%A4%91%E0%A4%AA%E0%A4%B0%E0%A5%87%E0%A4%B6%E0%A4%A8-%E0%A4%AC%E0%A5%8D%E0%A4%B2%E0%A5%82-%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%9F%E0%A4%BE%E0%A4%B0-%E0%A4%95%E0%A5%87-%E0%A4%9C%E0%A4%96%E0%A5%8D%E0%A4%AE-%E0%A4%A6%E0%A4%B2%E0%A4%9C%E0%A5%80%E0%A4%A4-%E0%A4%B8%E0%A4%BF%E0%A4%82%E0%A4%B9-%E0%A4%AE%E0%A4%9F%E0%A5%8D%E0%A4%9F%E0%A5%82.html

News Updates from Citizens for Legitimate Government

24 Jan 2014

http://www.legitgov.org/

All links are here:

http://www.legitgov.org/#breaking_news

Previous edition: New radioactive water leak discovered at Fukushima nuclear plant

Advisory panel says NSA surveillance program should end 23 Jan 2014 A government advisory panel said Thursday that the bulk data collection program run by the National Security Agency is illegal and should be halted. Recommendations by the bipartisan Privacy and Civil Liberties Oversight Board, which was created by Congress last decade with a mandate to conduct oversight and recommendations to preserve individual liberty, are sure to inflame the ongoing debate over the National Security Agency and its surveillance practices. The board's opinions are advisory in nature only, and don't have the force of law.

US withholding Fisa court orders on NSA bulk collection of Americans' data --Justice Department refuses to turn over 'certain other' documents in ACLU lawsuit meant to shed light on surveillance practices 21 Jan 2014 The Justice Department is withholding documents related to the bulk collection of Americans' data from a transparency lawsuit launched by the American Civil Liberties Union. US attorney Preet Bharara of the southern district of New York informed the ACLU in a Friday letter that the government would not turn over "certain other" records from a secret surveillance court, which are being "withheld in full" from a Freedom of Information Act suit the civil liberties group filed to shed light on bulk surveillance activities performed under the Patriot Act.

The hidden history of the CIA's prison in Poland 23 Jan 2014 On a cold day in early 2003, two senior CIA officers arrived at the U.S. Embassy in Warsaw to pick up a pair of large cardboard boxes. Inside were bundles of cash totaling 15 million that had been flown from Germany via diplomatic pouch. They were met by Col. Andrzej Derlatka, deputy chief of the Polish intelligence service, and two of his associates. The Americans and Poles formalized an agreement that over the previous weeks had allowed the CIA the use of a secret prison -- a remote villa in the Polish lake district -- to interrogate torture 'al-Qaeda' suspects. ...In December, the European Court of Human Rights heard arguments that Poland violated international law and participated in torture by accommodating its American ally; a decision is expected this year.

US psychology body declines to rebuke member in Guantánamo torture case 22 Jan 2014 America's professional association of psychologists has quietly declined to rebuke one of its members, a retired US army reserve officer, for his role in one of the most brutal interrogations known to have to taken place at Guantánamo Bay, the Guardian has learned. The decision not to pursue any disciplinary measure against John Leso, a former army reserve major, is the latest case in which someone involved in the post-9/11 torture of detainees has faced no legal or even professional consequences. In a 31 December letter obtained by the Guardian, the American Psychological Association said it had "determined that we cannot proceed with formal charges in this matter. Consequently, the complaint against Dr. Leso has been closed."

Snowden reveals why he can't go home 24 Jan 2014 Former US spy agency contractor Edward Snowden on Thursday said he cannot come back from Russia because "there's no chance to have a fair trial" and urged the United States to strengthen its protections for whistle-blowers. During an online question-and-answer session, Snowden also denied that he stole the passwords of National Security Agency co-workers, condemned threats to his life made by unnamed US intelligence officials in the news media and decried "indiscriminate mass surveillance" by governments.

Security Check Firm Said to Have Defrauded U.S. 23 Jan 2014 The company that conducted a bkg. investigation on the contractor Edward J. Snowden fraudulently signed off on hundreds of thousands of incomplete security checks in recent years, the Justice Department said Wednesday. The government said the company, U.S. Investigations Services, defrauded the government of millions of d-llars by submitting more than 650,000 investigations that had not been completed. The government uses those reports to help make hiring decisions and decide who gets access to national security secrets. In addition to Mr. Snowden, the company performed the bkg. check for Aaron Alexis, a 34-year-old military contractor who killed 12 people at the Washington Navy Yard last year. Mr. Alexis, who died in a shootout with the police, left behind documents saying the government had been tormenting him with low-frequency radio waves.

Pentagon eyes 10,000 troops for Afghanistan, or none 22 Jan 2014 The Pentagon has proposed leaving 10,000 troops in Afghanistan after 2014 but then draw down the number of troops to zero by the end of 2016, CBS News confirmedWednesday. While White House officials have not publicly commented on the proposal, it is contingent on Afghan President Hamid Karzai signing the Bilateral Security Agreement, which has been a point of contention between the two countries, CBS News reports.

Perry Nuclear says tritium found in groundwater 21 Jan 2014 (Perry, OH) The Perry Nuclear Power Plant has sent a notification after a water leak containing tritium was discovered. According to the plant, the leak of water from a steam pipe was found on Monday afternoon. Samples taken at the site of the leak found tritium in the under drain system of the plant's Auxiliary Building. The FirstEnergy plant's 10-mile Emergency Planning Zone includes Lake County and parts of Geauga and Ashtabula counties.

Fukushima fears in B.C. fuel demand for potassium iodide 22 Jan 2014 Pam Magee, a pharmacist at the Medicine Shoppe on the Sunshine Coast, has seen customers come in frightened -- and then storm out angry and flustered. The customers, afraid of radiation from the 2011 Fukushima nuclear meltdown[s] in Japan, have read on the Internet that they are at risk and should protect themselves with large doses of potassium iodide.

Information on West Virginia leak's 2nd chemical 'very limited' --Freedom Ind. marked chemical ID as 'proprietary' 22 Jan 2014 Federal and state officials scrambled Wednesday for more information following the surprise disclosure Tuesday that an additional chemical was also in the tank that spilled Crude MCHM into the Elk River public drinking water supply two weeks ago. Freedom Industries disclosed the information to state and federal regulators on Tuesday morning, but health impacts of the chemical remain unclear, and Freedom Industries has claimed the exact identify of the substance is "proprietary." In an email to state officials Tuesday night and a press statement this morning, the U.S. Centers for Disease Control noted that data about the potential health effects of the chemical "PPH" are -- like the information on Crude MCHM -- "very limited."

Texans angrily protest fracking after 30 earthquakes hit town 22 Jan 2014 Dozens of residents from a rural Texas community traveled to the state capital on Tuesday to demand that regulators act immediately to ban hydraulic fracturing, or fracking, amidst allegations that it's to blame for a spate of recent earthquakes. The Azle, TX, area north of Fort Worth has experienced no fewer than 30 earthquakes since November, and residents say it's a result of increased fracking activity. Fracking has long been associated with seismic activity, and researchers last year linked drill sites to a series of quakes in parts of Ohio.

Chris Christie refuses to sign bill to regulate drone use in N.J. skies 22 Jan 2014 Gov. Chris Christie scrapped a bill yesterday that would require law enforcement officers to get a warrant each time they use a drone to investigate a crime. The bill was one of 44 that Christie "pocket vetoed" yesterday by letting it expire without taking action. The governor also signed 100 bills into law. As with nearly all of the bills signed or vetoed yesterday, he did not give a outline his reasons for refusing to sign the drone bill (S2702), which had bipartisan sponsors and passed the state Senate and Assembly overwhelmingly.

U.S. Attorney subpoenas Christie campaign and GOP State Committee over bridge scandal 23 Jan 2014 The U.S. Attorney for New Jersey has issued a subpoena for documents to both the Christie for Governor reelection campaign and the New Jersey Republican State Committee, an attorney for both organizations confirmed today. According to attorney Mark Sheridan, the subpoenas request documents from the two organizations in relation to the investigation into lane diversions at the George Washington Bridge in September. Both organizations are represented by the law firm of Patton Boggs, which has offices in Newark.

Concerns Raised Over Christie Administration's Bridge Lawyers 17 Jan 2014 Lawyers at the Port Authority of New York and New Jersey lodged an objectionFriday about Gov. Chris Christie's hiring of a global law firm to represent his administration in the George Washington Bridge scandal. The agency's lawyers [Gibson, Dunn and Crutcher] see a potential conflict because the same firm has represented the authority in lingering disputes over 2011 toll increases, people familiar with the authority's concerns said.

FBI questions Hoboken mayor's aides over alleged Sandy relief funds threat, sources say 21 Jan 2014 FBI agents have begun questioning witnesses in the investigation into whether New Jersey Gov. Chris Christie's aides threatened tocut off Hurricane Sandy relief m-ney to Hoboken unless the city's mayor backed a billion-d-llar development project, three sources with direct knowledge of the probe told NBC News on Wednesday. Federal prosecutors and agents have also instructed key witnesses to preserve all documents and emails relating to the allegations by Hoboken Mayor Dawn Zimmer, these sources said.

Mitt Romney Finally Admits: 'They Had to Steal Republican Nomination' From Ron Paul 20 Jan 2014 In a new documentary called "Mitt," Mitt Romney all but states that they stole the Republican nomination from Ron Paul. This new documentary was released last Friday at the Sundance Film Festival in Utah.

Dinesh D'Souza indicted for violating U.S. election law 23 Jan 2014 Dinesh D'Souza, a conservative commentator and author, has been indicted by a federal grand jury for arranging excessive campaign contributions to a candidate for the U.S. Senate. The candidate was Wendy Long, a Republican who sought to unseat Democratic incumbent Kirsten Gillibrand as New York's junior senator in 2012, according to a person familiar with the case. D'Souza was charged in anindictment made public on Thursday with one count of making illegal contributions in the names of others and one count of causing false statements to be made.

Cold weather in US no solace for starving polar bears By Dr. Steven C. Amstrup 20 Jan 2014 In September of 2007, after exhaustive analysis of all of the available data, my colleagues and I predicted that we could lose two thirds of the world's polar bears by the middle of this century -- perhaps all of them by 2100. That prediction led to the listing of polar bears as a Threatened Species under the US Endangered Species Act (ESA) -- the first species listed under the ESA due to human-caused global warming...In 2010, my colleagues and I published a paper showing that preventing the disappearance of polar bears is all about reducing our use of fossil fuels and halting the rise in global temperatures.

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Thank you very kindly, Mr Baddowal @ hotmail. com.


Would you kindly brush up your knowledge of the Sikh History from the Sikh point of view. Just do not forget that the deceitful, characterless Brahmins-Hindus-Turbaned Brahmins all out to 'swallow' you as soon as possible.


I would not like to live in a Dream World, the Dream World of Fools. Maybe your father and forefathers all came from the word, you have used the "Pendu world." Do not forget that Pendu world had been the "First Sovereign and Secular" nation/world of the South Asian region. Also, the same Pendu world, including the "Robbed" PUNJAB of 15th August, 1947, had been the segment of the "First Sovereign and Secular" nation of a Sikh Monarch, Ranjit Singh, 1799 to 14th March, 1849. These so to speak 'pendus' carried out the "Sikhs Struggle for Sovereignty, Independence and Political power since 14th March, 1849, under the guidance of Guru Granth Sahib and The Sikh Traditions." The very Struggle has been going on for the Sikhs and pendu world without and interruption. Let us see what next has to unfold in the History of the Sikhs from the Sikh point of view and the International politics, too.


Best wishes.


Awatar Singh Sekhon (Machaki)

IMMIGRATION FRAUD

19 suspects held in UK

London, January 22

Nineteen people were arrested on Tuesday in a series of raids with regard to a suspected immigration scam. It is being suspected that Indians are brought to the UK as Sikh religious preachers, who later disappear.

Sixteen addresses across the UK were raided as part of the ongoing investigation involving Manchester-based Khalsa Missionary Society, a Sikh religious and cultural centre, the Birmingham Mail reported.

Ten people were arrested on the suspicion of obtaining leave by deception during the early morning swoops in the Home Office or interior ministry investigation that was supported by officers from the National Crime Agency, it said.

They are being questioned in police stations across the UK and all the addresses are being searched.

Addresses are now also being searched in Birmingham, Slough, Southall, Southampton, Luton, Hounslow and Leicester.

The probe is focusing on the sponsoring of Indians to work at the society as ministers of religion, under the Tier 2 and Tier 5 migrant workers system, the Birmingham Mail reported.

Nine more people were arrested for immigration offences, including overstaying their visa duration, it said. Three separate cash seizures were also made. — PTI

{The Tribune on line, Thursday, 23 January 2014}

Piare Bhai Sahib Janab Sajjad Ahmad ji,


Aslaam O Alaikum!


Let the 'History' unfold since 15th August, 1947. There is nothing to be ashamed for the deceitful, characterless Brahmins-Hindus-Turbaned Brahmins for the Clandestine operations, regarding their modus operandi against the non-Brahmins-Hindus-turbaned minorities (more than 90% of the total population of more than 1.2 billion hungry mouths, without any fixed mailing address, public health facilities, etc.).


This declassification of papers after 30-year of an 'undeclared' war on the "Robbed" PUNJAB of 15th August, 1947, its dismemberment into three (PUNJAB of post 1966, Haryana and Himachal Pradesh) within the largest democracy, so to speak. Internationally, it dismembered the East Pakistan, now Bangladesh, merely with the propaganda mechanics of the Research and Analysis Wing. Where is the UN:SC sponsored resolution of 1948 for the "Right for Self-Determination?"


Before your own eyes, you may see a further breakup of what it had been known as East Pakistan (?). Quite likely, the fate will be known to us within the next few years.


All these are blessed by the so-called election/democratic processes by the so-called intelligent people; or, through the clandestine operations. Let not a gentleman trapped into the "Aam Admi philosophy." There is nothing but thedeceitful Brahmins-Hindus-Turbaned Brahmins and their friends or just friends like "what is up there for me."


There had been a song in the late 1960s in the West: "This is strange strange world Master Jack…."


Best wishes and warmest regards.


Your bhra,


Awatar Singh Sekhon (Machaki)


MY SIKH BROTHERS, SISTERS. YOUTH & OTHER NON-SIKH BROTHERS


Please wake up! Genocide of Muslims is going on in Muzaffarnagar, U P, since September, 2013. More than 100,000 Muslims have been killed. Just see and think, who is next? The Brahmins-Hindus-fundamentalist and militants are the enemies of the Humanity. These militants have been carrying out the "Gross Human Rights Violations, as it had been done in 1984 in the "Robbed" PUNJAB of 15th August, 1984 and in Gujarat in 2002-2003, along with the Internationally Disputed Areas of Jammu and Kashmir (IDA:JK).

Please wake up and stop these inhumane activities.


Thank you.


Awatar Singh Sekhon (Machaki)

assekhon@shaw.ca


ऑपरेशन ब्लूस्टार

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से

यह सुझाव दिया जाता है कि इस लेख या भाग का ऑपरेशन ब्लू स्टार के साथ विलय कर दिया जाए। (वार्ता)

*

इस लेख में सन्दर्भ या सूत्र नहीं दिए गए हैं।

कृपया विश्वसनीय सूत्रों के सन्दर्भ जोड़कर इस लेख में सुधार करें। बिना सूत्रों की सामग्री को हटाया जा सकता है।


ऑपरेशन ब्लूस्टार



तिथि

3– 6 जून 1984

स्थान

अमृतसर स्थित हरिमंदिर साहिब परिसर

परिणाम

जहाँ इस कार्रवाई ने पंजाब समस्या को पूरे विश्व में चर्चित कर दिया वहीं इससे सिख समुदाय की भावनाएँ आहत हुईं और अनेक पर्यवेक्षक मानते हैं कि इस कदम ने समस्या को और जटिल बना दिया



आपरेशन ब्लू स्टार भारतीय सेना द्वारा 3 से 6 जून 1984 को सिख धर्म के सबसे पावन धार्मिक स्थल अमृतसर स्थित हरिमंदिर साहिब परिसर पर की गयी कार्रवाई का नाम है।

अनुक्रम

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किन परिस्थितियों में हुआ ऑपरेशन ब्लूस्टार[संपादित करें]

पंजाब समस्या की शुरुआत 1970 के दशक से अकाली राजनीति में खींचतान और अकालियों की पंजाब संबंधित माँगों को लेकर शुरु हुई थी. पहले वर्ष 1973 में और फिर 1978 में अकाली दल ने आनंदपुर साहिब प्रस्ताव पारित किया. मूल प्रस्ताव में सुझाया गया था कि भारत की केंद्र सरकार का केवल रक्षा, विदेश नीति, संचार और मुद्रा पर अधिकार हो जबकि अन्य विषयों पर राज्यों को पूर्ण अधिकार हों. अकाली ये भी चाहते थे कि भारत के उत्तरी क्षेत्र में उन्हें स्वायत्तता मिले.

अकालियों की पंजाब संबंधित माँगें ज़ोर पकड़ने लगीं. अकालियों की माँगों में प्रमुख थीं - चंडीगढ़ केवल पंजाब की ही राजधानी हो, पंजाबी भाषी क्षेत्र पंजाब में शामिल किए जाएँ, नदियों के पानी के मुद्दे पर सर्वोच्च न्यायालय की राय ली जाए, 'नहरों के हेडवर्क्स' और पन-बिजली बनाने के मूलभूत ढाँचे का प्रबंधन पंजाब के पास हो. इसी के साथ कुछ अन्य मुद्दे थे - फ़ौज में भर्ती काबिलियत के आधार पर हो और इसमें सिखों की भर्ती पर लगी कथित सीमा हटाई जाए और अखिल भारतीय गुरुद्वारा क़ानून बनाया जाए.

अकाली-निरंकारी झड़प[संपादित करें]

अकाली कार्यकर्ताओं और निरंकारियों के बीच अमृतसर में 13 अप्रैल 1978 को हिंसक झड़प हुई. इसमें 13 अकाली कार्यकर्ता मारे गए और रोष दिवस में सिख धर्म प्रचार की संस्था के प्रमुख जरनैल सिंह भिंडरांवाले ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया. अनेक पर्यवेक्षक इस घटना को पंजाब में चरमपंथ की शुरुआत के तौर पर देखते हैं.

ये आरोप लगाया जाता है कि सिख समुदाय में अकाली दल के जनाधार को घटाने के लिए काँग्रेस ने सिख प्रचारक जरनैल सिंह भिंडरांवाले को परोक्ष रूप से प्रोत्साहन दिया. मकसद ये था कि अकालियों के सामने सिखों की माँगें उठाने वाले ऐसे किसी संगठन या व्यक्ति को खड़ा किया जाए जो अकालियों को मिलने वाले समर्थन में सेंध लगा सके. लेकिन इस दावे को लेकर ख़ासा विवाद है.

सेना ने स्वर्ण मंदिर परिसर के आसपास घेराबंदी कर मोर्चा बना लिए थे

अकाली दल भारत की राजनीतिक मुख्यधारा में रहकर पंजाब और सिखों की माँगों की बात कर रहा था लेकिन उसका रवैया ढुलमुल माना जाता था. उधर इन्हीं मुद्दों पर जरनैल सिंह भिंडरांवाले ने कड़ा रुख़ अपनाते हुए केंद्र सरकार को दोषी ठहराना शुरु किया. वे विवादास्पद राजनीतिक मुद्दों और धर्म और उसकी मर्यादा पर नियमित तौर पर भाषण देने लगे. जहाँ बहुत से लोग उनके भाषणों को भड़काऊ मानते थे वहीं अन्य लोगों का कहना था कि वे सिखों की जायज़ मागों और धार्मिक मसलों की बात कर रहे हैं.

पंजाब में हिंसा का दौर[संपादित करें]

धीरे-धीरे पंजाब में हिंसक घटनाएँ बढ़ने लगीं. सितंबर 1981 में हिंद समाचार - पंजाब केसरी अख़बार समूह के संपादक लाला जगत नारायण की हत्या हुई. जालंधर, तरन तारन, अमृतसर, फ़रीदकोट और गुरदासपुर में हिंसक घटनाएँ हुईं और कई लोगों की जान गई.

भिंडरांवाले के ख़िलाफ़ लगातार हिंसक गतिविधियों को बढ़ावा देने के आरोप लगने लगे लेकिन पुलिस का कहना था कि उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई करने के पर्याप्त सबूत नहीं हैं.

सितंबर 1981 में ही भिंडरांवाले ने महता चौक गुरुद्वारे के सामने गिरफ़्तारी दी लेकिन वहाँ एकत्र भीड़ और पुलिस के बीच गोलीबारी हुई और ग्यारह व्यक्तियों की मौत हो गई. पंजाब में हिसा का दौर शुरु हो गया. कुछ ही दिन बाद सिख स्टूडेंट्स फ़ेडरेशन के सदस्यों ने एयर इंडिया के विमान का अपहरण भी किया.

लोगों को भिंडरांवाले के साथ जुड़ता देख अकाली दल के नेताओं ने भी भिंडरावाले के समर्थन में बयान देने शुरु कर दिए. वर्ष 1982 में भिंडरांवाले चौक महता गुरुद्वारा छोड़ पहले स्वर्ण मंदिर परिसर में गुरु नानक निवास और इसके कुछ महीने बाद सिखों की सर्वोच्च धार्मिक संस्था अकाल तख्त से अपने विचार व्यक्त करने लगे.

अकाली दल ने सतलुज-यमुना लिंक नहर बनाने के ख़िलाफ़ जुलाई 1982 में अपना 'नहर रोको मोर्चा' छेड़ रखा था जिसके तहत अकाली कार्यकर्ता लगातार गिरफ़्तारियाँ दे रहे थे. लेकिन स्वर्ण मंदिर परिसर से भिंडरांवाले ने अपने साथी ऑल इंडिया सिख स्टूडेंट्स फ़ैडरेशन के प्रमुख अमरीक सिंह की रिहाई को लेकर नया मोर्चा या अभियान शुरु किया. अकालियों ने अपने मोर्चे का भिंडरांवाले के मोर्चे में विलय कर दिया और धर्म युद्ध मोर्चे के तहत गिरफ़्तारियाँ देने लगे.

एक हिंसक घटना में पटियाला के पुलिस उपमहानिरीक्षक के दफ़्तर में भी बम विस्फोट हुआ. पंजाब के उस समय के मुख्यमंत्री दरबारा सिंह पर भी हमला हुआ.

डीआईजी अटवाल की हत्या[संपादित करें]

फिर अप्रैल 1983 में एक अभूतपूर्व घटना घटी. पंजाब पुलिस के उपमहानिरीक्षक एएस अटवाल की दिन दहाड़े हरिमंदिर साहब परिसर में गोलियाँ मारकर हत्या कर दी गई. पुलिस का मनोबल लगातार गिरता चला गया. कुछ ही महीने बाद जब पंजाब रोडवेज़ की एक बस में घुसे बंदूकधारियों ने जालंधर के पास पहली बार कई हिंदुओं को मार डाला तो इंदिरा गाँधी सरकार ने पंजाब में दरबारा सिंह की काँग्रेस सरकार को बर्खास्त कर दिया.

राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया. पंजाब में स्थिति बिगड़ती चली गई और 1984 में ऑपरेशन ब्लूस्टार से तीन महीने पहले हिंसक घटनाओं में मरने वालों की संख्या 298 थी.

अकाली राजनीति के जानकारो के अनुसार ऑपरेशन ब्लूस्टार से पहले इंदिरा गाँधी सरकार की अकाली नेताओं के साथ तीन बार बातचीत हुई. आख़िरी चरण की बातचीत फ़रवरी 1984 में तब टूट गई जब हरियाणा में सिखों के ख़िलाफ़ हिंसा हुई. एक जून को भी स्वर्ण मंदिर परिसर और उसके बाहर तैनात केंद्र रिज़र्व पुलिस फ़ोर्स के बीच गोलीबारी लेकिन तब तक वहाँ ये आम बात बन गई थी.

कार्रवाई और सिखों में रोष[संपादित करें]

स्वर्ण मंदिर परिसर में हथियारों से लैस संत जरनैल सिंह, कोर्ट मार्शल किए गए मेजर जनरल सुभेग सिंह और सिख सटूडेंट्स फ़ेडरेशन के लड़ाकों ने चारों तरफ़ ख़ासी मोर्चाबंदी कर रखी थी.

दो जून को परिसर में हज़ारों श्रद्धालुओं ने आना शुरु कर दिया था क्योंकि तीन जून को गुरु अरजन देव का शहीदी दिवस था.

उधर जब प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी ने देश को संबोधित किया तो ये स्पष्ट था कि सरकार स्थिति को ख़ासी गंभीरता से देख रही है और भारत सरकार कोई भी कार्रवाई कर सकती है.

पंजाब से आने-जाने वाली रेलगाड़ियों और बस सेवाओं पर रोक लग गई, फ़ोन कनेक्शन काट दिए गए और विदेशी मीडिया को राज्य से बाहर कर दिया गया. लेकिन सेना और सिख लड़ाकों के बीच असली भिड़ंत पाँज जून की रात को ही शुरु हुई.

तीन जून तक भारतीय सेना अमृतसर में प्रवेश कर और स्वर्ण मंदिर परिसर को घेर चुकी थी और शाम में कर्फ़्यू लगा दिया गया था. चार जून को सेना ने गोलीबारी शुरु कर दी ताकि चरमपंथियों के हथियारों और असले का अंदाज़ा लगाया जा सके.

सैन्य कमांडर केएस बराड़ ने माना कि चरमपंथियों की ओर से इतना तीखा जवाब मिला कि पाँच जून को बख़तरबंद गाड़ियों और टैंकों को इस्तेमाल करने का निर्णय किया गया. उनका ये भी कहना था कि सरकार चिंतित थी कि यदि स्वर्ण मंदिर की घेराबंदी ज़्यादा लंबी चलती है तो तरह-तरह की अफ़वाहों को हवा मिलेगी और भावनाएँ भड़केंगी.

भीषण ख़ून-ख़राबा हुआ और सदियों के अकाल तख़्त पूरी तरह तबाह हो गया, स्वर्ण मंदिर पर भी गोलियाँ चलीं कई सदियों में पहली बार वहाँ से पाठ छह, सात और आठ जून को नहीं हो पाया. ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण सिख पुस्तकालय जल गया.

भारत सरकार के श्वेतपत्र के अनुसार 83 सैनिक मारे गए और 249 घायल हुए. इसी श्वेतपत्र के अनुसार 493 चरमपंथी या आम नागरिक मारे गए, 86 घायल हुए और 1592 को गिरफ़्तार किया गया. लेकिन इन सब आँकड़ों को लेकर अब तक विवाद चल रहा है. सिख संगठनों का कहना है कि हज़ारों श्रद्धालु स्वर्ण मंदिर परिसर में मौजूद थे और मरने वाले निर्दोष लोगों की संख्या भी हज़ारों में है. इसका भारत सरकार खंडन करती आई है.

इस कार्रवाई से सिख समुदाय की भावनाओं को बहुत ठेस पहुँची. कई प्रमुख सिख बुद्धिजीवियों ने सवाल उठाए कि स्थिति को इतना ख़राब क्यों होने दिया गया कि ऐसी कार्रवाई करने की ज़रूरत पड़ी? कई प्रमुख सिखों ने या तो अपने पदों से इस्तीफ़ा दे दिया या फिर सरकार द्वारा दिए गए सम्मान लौटा दिए.

सिखों और काँग्रेस पार्टी के बीच दरार पैदा हो गई जो उस समय और गहरा गई जब दो सिख सुरक्षाकर्मियों ने कुछ ही महीने बाद 31 अक्तूबर को तब की प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी की हत्या कर दी. इसके बाद भड़के सिख विरोधी दंगों से काँग्रेस और सिखों की बीच की खाई और बड़ी हो गई.

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]


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Dalits Media Watch

News Updates 23.01.14

Acid attack on Dalit in Bihar- The Hindu

http://www.thehindu.com/news/national/other-states/acid-attack-on-dalit-in-bihar/article5606983.ece

Case against Dalits in Daula village- Hindustan Times

http://www.hindustantimes.com/punjab/bathinda/case-against-dalits-in-daula-village/article1-1175777.aspx

Giving Dalits their due- Frontline

http://www.frontline.in/social-issues/giving-dalits-their-due/article5596960.ece?homepage=true

Declaration of Empathy for the Dalit People of India- Frontline

http://www.frontline.in/world-affairs/declaration-of-empathy-for-the-dalit-people-of-india/article5589820.ece

Caste Hindu Wife Abducted by Parents: Dalit PhD Scholar- The New Indian Express

http://www.newindianexpress.com/states/tamil_nadu/Caste-Hindu-Wife-Abducted-by-Parents-Dalit-PhD-Scholar/2014/01/23/article2015031.ece1

NOTE : Please Find Attachment For HINDI DMW ( PDF)

The Hindu

Acid attack on Dalit in Bihar

http://www.thehindu.com/news/national/other-states/acid-attack-on-dalit-in-bihar/article5606983.ece

A group of people poured acid in the eyes of a Dalit youth in Supaul district of Bihar on Wednesday, according to a police complaint.

Ranjit Sada, 22, said that as he was walking along a road, talking on his mobile phone, a few people suddenly shouted at him, accusing him of theft. They pinned him down and poured acid in the eyes, Manish Kumar, Station House Officer of the Kishanpur station, told The Hindu, quoting the youth .

The police have arrested Ramanand Yadav and Bikas Yadav on the charge of attempt to murder and under the Scheduled Castes and Scheduled Tribes (Prevention of Atrocities) Act. They are looking for another person.

Hindustan Times

Case against Dalits in Daula village

http://www.hindustantimes.com/punjab/bathinda/case-against-dalits-in-daula-village/article1-1175777.aspx

National Commission for Scheduled Castes vice-chairman and Amritsar West MLA Raj Kumar Verka has sought a report from the district administration on reports that 12 Dalit residents in Daula village have been implicated in false cases by the local police.

Verka visited Daula in Muktsar on Wednesday and met members from the SC/ST community.

Congress MLA from Gidderbaha Amarinder Singh Raja Warring accompanied him.

On January 18, two Dalit women, including 10 others, were booked by Gidderbaha police for allegedly opening a passageway to a street under the alleged possession of a dera in the village.

"I have asked ADC (Muktsar) to submit a report on the incident in 15 days. I have come to know that water supply pipes have already been installed in the disputed street. If there are water supply pipes, then there should be no reason to allow any dera to close the street," said Verka. He said, "Gidderbaha MLA has brought it into my notice that two Dalit women were attacked by on Tuesday night. I have told the police to inquire into the allegations and register a case against them also."

He also met the injured women admitted at the Gidderbaha hospital.

Visits Faridkot; seeks report on child labour.

Verka has sought a report from the Faridkot administration in three days on the alleged deployment of primary school children to lift refuse at private function at the residence of Kotkapura chief parliamentary secretary last week.

"The incident is a violation of the Child Labour Act. It is deplorable that no action has been taken."

Some media publications had reported that more than two dozen children of Government Primary School, Devi Wala, worked at the leader, Mantar Singh Brar's house.

Verka added that he wanted to meet the parents and the children involved, but the administration did not cooperate.

Frontline

Giving Dalits their due

http://www.frontline.in/social-issues/giving-dalits-their-due/article5596960.ece?homepage=true

Two draft Bills on the Tribal Sub-Plan and the Scheduled Caste Sub-Plan raise hopes of granting these decades-old schemes statutory status and ensuring allocation of funds in the Central and State budgets for their implementation. By AJOY ASHIRWAD MAHAPRASHASTA

IN a significant legislative move, the Union government's Ministry of Tribal Affairs released a draft Bill for the implementation of the long-neglected Tribal Sub-Plan (TSP), a special programme mandated by the Planning Commission to benefit the Scheduled Tribes. The Bill, which was released in the end of November 2013, will complement the Bill on the Scheduled Castes Sub-Plan (SCSP) released in June 2013. Both Bills recommend statutory status for these programmes and are an important step forward in making them stronger. They also recommend institutionalisation of accountability mechanisms in case of non-implementation of these programmes.

The SCSP, drafted by former Indian Administrative Service officer and prominent civil rights activist P.S. Krishnan in 1978, requires the Central and State governments to allocate budget funds for Dalits in proportion to their number in the population so as to enhance the flow of development benefits to them. It would entail earmarking 16.2 per cent of the total Plan outlay in the Union Budget for the Scheduled Castes, whose population was pegged around that figure in Census 2001. Similarly, the TSP mandates governments to earmark for the Scheduled Tribes 8.2 per cent of the total Plan outlay.

The Union and State governments have shown little interest in the implementation of these programmes. However, advocacy demanding proper implementation of the two sub-plans has gathered steam in the last 15 years. Leaders of some advocacy groups allege that governments have colluded with the dominant castes to prevent the implementation of these programmes. The activists, therefore, see the Bills as a shot in the arm for their cause.

As many as 151 Dalit and Adivasi groups from 22 States gathered in New Delhi in December and during the month met all-party delegations and political leaders separately. Land rights for Dalits and Adivasis, under the SCSP and the TSP, have been the main demand of these groups. OnDecember 10, International Human Rights Day, thousands of Dalits and Adivasis protested in New Delhi to claim land rights for poor, landless Dalit and tribal families through land distribution for housing and agriculture. Addressing the rally, many Dalit leaders demanded that the provision should be included in the SCSP and the TSP. Following this, Congress leader Jairam Ramesh assured the activists that the Bills would be presented to the Union Cabinet so that they could be introduced in Parliament in subsequent sessions.

The SCSP (earlier known as Special Component Plan, or SCP) was introduced by the Planning Commission in 1979 and the TSP in 1974 as special programmes with the stated objective of bridging the development gap between the general population and the Scheduled Castes and Scheduled Tribes. They were intended to deliver direct benefits to Dalits and Adivasis because the universal social and economic welfare programmes of the Planning Commission remained inadequate for these populations.

Objectives of the plans

The plans were conceptualised with three objectives. One, funds under the SCSP and the TSP in various Ministries should directly benefit Dalit and Adivasi individuals; individual scholarships for education, housing facilities, employment opportunities, and so on, should be made available. Two, funds should be utilised to improve the conditions of Dalit and Adivasi families so that their access to the mainstream economy and social welfare programmes increases. This would include providing houses and cheap loans, creating employment opportunities and encouraging entrepreneurship. Three, funds under these programmes should be channelled towards special developmental work involving the building of schools and infrastructure required for the supply of drinking water and the extension of the public distribution scheme to bastis (hamlets) where Dalits and Adivasis constitute more than 40 per cent of the population. The overall vision was to create an enabling environment for greater participation of Dalits and Adivasis in the mainstream economy and society.

The Sixth Five Year Plan (1980-85) was the first Plan that gave due emphasis to the development of the S.Cs in terms of the Special Component Plan. Among the strategies adopted in this Plan were special Central assistance to the Special Component Plan and Scheduled Castes development corporations in the States. All the subsequent Five Year Plans emphasised these programmes. However, despite their existence for the last 30-odd years, governments have either chosen not to allocate funds under the SCSP and the TSP or diverted the funds towards other generic development work.

Nature of non-implementation

There are four different ways in which governments have been evasive in allocating funds under the SCSP and the TSP. In the preparation of the Union Budget, the Department of Economic Affairs under the Finance Ministry asks the Planning Commission to chart out expenditure for the financial year on the basis of the taxes collected. The Planning Commission, in turn, asks various Ministries to send proposals of their budget expenditure. The Ministries should, ideally, list out separate expenditure under the SCSP and the TSP, along with their general plan of expenditure. However, over the years the Ministries have not included SCSP and TSP funds in their proposals. Therefore, the Planning Commission has had to allocate funds under these schemes only after the Budget is approved. Government documents revealed that many Ministries never allocated funds under the SCSP and the TSP. This is the first and the most blatant violation of the schemes.

Secondly, most Ministries have flouted the norms of the schemes even while they have set aside funds for the S.Cs and the S.Ts. They have under-allocated SCSP and TSP funds. Said Paul Divakar of the Delhi-based Dalit Arthik Adhikar Andolan (DAAA):

"The analysis of the last five years' Budget indicates that the SCSP has never received allocation beyond 8.1 per cent [of the total], which ideally should be 16 per cent. Similarly, of the total budget, 8 per cent should be allocated for the TSP, but the allocation is only around 4.5 per cent.

"For example, in the last five years the Ministry for Human Resource Development has received Rs.18,896.41 crore under the SCSP/TSP, which is comparatively more than what other Ministries have got. However, only 5 per cent of this is spent on scholarships for Dalit-Adivasi students. The rest of the money is spent under the head of 'general allocation and asset building'. For instance, in 2011-12, the UGC [University Grants Commission] spent only Rs.63.36 crore on educational schemes for Dalit students out of Rs.780 crore allocated from the SCP."

Thirdly, the actual expenditure is much less than even the under-allocated amounts for these sub-plans. Ministries declare a particular amount to be spent for the S.Cs and the S.Ts. However, the actual expenditure, which is declared only after two years of such an announcement, shows that the money was not spent at all or spent only partially. Again, most of the funds under the SCSP and the TSP are spent on general programmes. For example, the Department of Agriculture spends a substantial sum on the National Food Security Mission, but a substantial chunk of that amount is shown to be spent under the SCSP and the TSP, conveniently forgetting the point that the two sub-plans were introduced only because universal programmes could not adequately improve the social and economic stigma attached to the S.Cs and the S.Ts. For instance, Rs.400 crore from the National Food Security Mission's total budget in 2013-14 was shown as money spent on the SCSP. Similarly, substantial amounts spent under health and rural development programmes, the Sarva Sikhsha Abhiyaan and other such programmes were shown under the SCSP and the TSP.

Fourthly, the amounts declared under the sub-plans are also used for purposes that have no direct impact on Dalits and Adivasis. This, DAAA activists say, is a gross diversion of SCSP and TSP funds. For example, the money is spent on building flyovers and highways. The Delhi government, they alleged, diverted Rs.744 crore towards the Commonwealth Games in Delhi. In Odisha, in 2011-12, around Rs.30 crore was spent on the construction of jails, shelters for paramilitary forces, and courts.

Said Paul Divakar: "Out of the Rs.26,328 crore and Rs.9,765 crore declared for the SCSP and the TSP in the Union Budget of 2013-14, 71.59 per cent has been allocated either notionally or to general schemes. Of the money allocated for the TSP, Rs.500 crore was set apart for the construction of highways. From the allocation for the SCSP in 2011-12 and 2012-13, Rs. 64.50 crore was used for animal injections."

The maximum allocation under the SCSP and the TSP, over the last 30 years, has come from the Ministry of Tribal Affairs and the Ministry of Social Justice and Empowerment. This does not serve the actual purpose of the SCSP and the TSP. These schemes were meant to help the S.Cs and the S.Ts to come out of their traditional occupations, mostly considered lowly and meant to serve the upper castes. Most of these funds were given in the leather industry, for weavers, and for improvement of scavenging conditions. "Does the spending mean that Dalits and Adivasis continue to be good cobblers and good butlers?" asked Divakar.

Most of the other Ministries say it is difficult to set aside funds for the S.Cs and the S.Ts for schemes that will directly impact them. However, the DAAA wants Ministries to come up with innovative ideas to empower Dalit and Adivasi individuals. To look into gross violations in the use of sub-plan funds, the Planning Commission set up the Narendra Jadhav task force in 2010. It pointed out that all Ministries in the Union and State governments fell far short in the implementation of the SCSP and the TSP and reminded them that earmarking of funds for the sub-plans was mandatory.

The Planning Commission has asked all Ministries to set aside SCSP and TSP funds in the proposal stage itself before the Budget. It has categorised Ministries into four groups. The first category has no obligation to earmark funds because of difficulty in quantifying the benefit to the S.Cs and the S.Ts. The other three categories have to allocate funds to the SCSP and the TSP on the basis of their roles in the development, survival, participation and protection of Dalits and Adivasis.

Even after these recommendations, most of the allocations have been oriented towards the survival aspect of Dalits and Adivasis and a minuscule percentage has been channelled towards their development, upward mobility and participation.

Dalit and Adivasi groups had, therefore, demanded legislation that would have these provisions. In January 2013, Andhra Pradesh promulgated the "Andhra Pradesh Scheduled Castes Sub-Plan and Tribal Sub-Plan (Planning, Allocation and Utilisation of Financial resources) Act. The State government incorporated in it most of the recommendations made by the task force it set up for the purpose in 2012.

The lack of accountability is seen as the main reason why governments could bypass the sub-plans all these years. "A nodal authority with independent functioning would mandate Ministries to send detailed proposals to spend on the SCSP and the TSP before every budget. It would also facilitate it with innovative ideas to spend the funds based on the needs and demands of the S.C. and S.T. populations. Overall, it would ensure accountability and participation and help Dalits and Adivasis to claim these entitlements as rights," said Mallepalli Lakshmaiah, a member of Hyderabad-based Centre for Dalit Studies.

If the two draft Bills see the light of day in Parliament, it would meet four important demands of Dalit activists. First, the constitution of a development council comprising ex-officio and nominated members for the purpose of planning, allocation and utilisation of budgets; second, the creation of a nodal agency at the appropriate level to make governments accountable; third, the earmarking of funds under the SCSP at least six months before the financial year and only towards schemes which have "direct and quantifiable" benefits to S.C. individuals, households or habitations; and fourth, consultation with the "primary stakeholders" before deciding the expenditure under these programmes.

While the Bills address most of the concerns, they still do not make the SCSP and TSP funds "non-lapsable and non-divertible". A long-time demand of a prescribed penalty in case of non-implementation also does not figure in the Bills. Activists fear that government agencies could exploit these loopholes to prevent the proper implementation of the SCSP and the TSP. Considering the poor history of implementation, these concerns are justified. Despite such doubts, the two Bills are undoubtedly a significant step forward in ensuring social justice and equity in India.

Frontline

Declaration of Empathy for the Dalit People of India

http://www.frontline.in/world-affairs/declaration-of-empathy-for-the-dalit-people-of-india/article5589820.ece

Whereas, This Declaration expresses our deepest empathies for the human rights abuses of and social and economic segregation of Dalits in India.

Whereas, The Dalits of India are history's longest standing oppressed population, subjected to institutionalised discrimination, slavery, abject poverty, human trafficking, and persecution

Whereas, The Quander Historical Society, which represents one of the oldest documented descendants of slaves in the United States of America, Dalit Freedom Network, a non-profit dedicated to ending the subjugation of Dalits in India, and Gye Nyame, a non-profit that focuses on cultural and educational advancement have called on the United States of America, and her people, to stand in solidarity with Dalits of India

We…, in a spirit of unity and solidarity, and in an effort to promote justice, respectfully assert that our nation should oppose the modern day enslavement of the Dalits and declare empathy with their plight.

The New Indian Express

Caste Hindu Wife Abducted by Parents: Dalit PhD Scholar

http://www.newindianexpress.com/states/tamil_nadu/Caste-Hindu-Wife-Abducted-by-Parents-Dalit-PhD-Scholar/2014/01/23/article2015031.ece1

A Dalit PhD scholar from Thoothukudi has sought the help of an NGO here to rescue his Caste Hindu wife, who he claimed, was abducted by her parents and detained in their house in Silambinathanpetti of Cuddalore district.

R Solaischamy (29), who sought the help of Evidence, a Madurai based NGO on Wednesday, said that he fell in love with Sandhya (name changed) while he was doing post-graduation in Physics at the Tranquebar Bishop Manickam Lutheran College in Porayar in 2009, where the girl too was pursuing her post graduation in Zoology.

When her parents came to know about their relationship, they started making arrangements to get her married to a person from their community. However, the couple tied the knot on January 4, 2014 in the presence of their friends at the Register Office in Vanur.

Solaichamy said: "On January 19, after we returned to my house, my wife's family members came and forcibly took her away."

Alleging that Sandhya's life was in danger, Solaichamy said that his wife called him on the phone and told him that she had been locked up in the house.  "She also told me that her parents had lodged a false complaint in the All Women Police Station that I had abducted her and married. Hence, I have decided to file a habeas corpus petition in the Madurai Bench of the HC," he said.

A Kathir, executive director of Evidence, said that the police should  take appropriate action to rescue Solaichamy's wife and ensure the security of the couple. "Besides, action must be initiated against the parents of the girl under the Scheduled Caste and Scheduled Tribes Act, 1989," he said.

When Express contacted Inspector Revathi of the All Women Police Station in Panruti, she claimed that the girl came along with her parents and lodged a complaint claiming that Solaichamy had married her without her consent.

News Monitor by Girish Pant

.Arun Khote

On behalf of

Dalits Media Watch Team

(An initiative of "Peoples Media Advocacy & Resource Centre-PMARC")


Pl visit on FACEBOOK : https://www.facebook.com/DalitsMediaWatch


CGPI Newsline Jan 16-31, 2014

Party school on constitution

On December 25, 2013, the Communist Ghadar Party of India completed 33 years since its founding. The occasion was marked by celebrations organized by the party organizations in different regions of the country. The Central Committee had previously planned to organize a series of Party Schools in different regions.    > read more


Bangladesh in grip of crisis:

Oppose all foreign interference in Bangladesh!

Elections to the Bangladesh parliament were held on January 5, 2014 in the backdrop of a severe political crisis in that country. The 28 party opposition coalition headed by the Bangladesh National Party (BNP) of Khaleda Zia boycotted the elections.    > read more


Riots in Singapore

Shimmering opulence built on unbridled exploitation of toilers

Singapore and Dubai are often held out by the rulers and capitalists of our country as aspirational examples. Time and again we've heard them tell us how they'll make Mumbai like Singapore and Delhi like Dubai.    > read more


Garment workers in Cambodia fighting against super-exploitation by multinationals

Thousands of striking garment workers in Cambodia have been struggling for months for decent wages and working conditions. Cambodia is one of the countries which supply some of the biggest branded retail store chains in Europe and America.    > read more


Steep hike in LPG prices:

Another attack on the working people

On January 1, 2014 the price of non-subsidized cooking gas (LPG) was raised by Rs. 220, one of the steepest hikes so far. Following the increase, a 14.2 kg non-subsidized cooking gas cylinder will now cost Rs. 1,241, while it earlier cost Rs. 1,021.

  > read more


Who benefits from the rise in vegetable prices?

In the year that has gone by, one of the biggest burdens on the masses of working people has been the sharp and continuous rise in prices of vegetables. This added to the burden the people were already facing because of the rise in the prices of a whole host of other essential commodities. The rise in prices was particularly severe in the case of onions, and also potatoes and tomatoes.    > read more


Interviews with leaders of Western Railway Motormen Association, All-India Bank Emloyees Association, All-India Guards Council, National Federation of Postal Employees Union

With the approaching Parliamentary Elections in 2014, the major political formations of the ruling capitalist class, the Congress and BJP along with their fronts have gone into election mode. Each of them is using and will use their time tested methods of muscle and money power and divisive politics based on caste, language and religion to try to come to power.

  > read more


New Year Message

Sir,

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National round up

Sir,

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Action Alert                            Action Alert                  Action Alert

New Delhi, 21st January, 2013

Dear Friends,

On 20th January, 2013, Lower Suktel Dam project work has started again with heavy deployment of Police in the Area. They had detained more than 250 villagers protesting the project, later on released them. Lower Suktel is a major irrigation scheme on a tributary of Mahanadi in Bolangir district of Odisha.The Environment Clearance to the project was given by the Ministry of Environment and Forest in 1998.The dam site is located around 20 kms. from the Bolangir town which will submerge more than 30 villages.

Lower Suktel Budi Anchal Sangram Parishad has been fighting against the dam construction since its beginning. In 1997, public hearing for the project happened, when 29 out of 30 people opposed the project. In 2001, the government tried to lay down the foundation stone which could not happen due to strong opposition of the local people. The project was opposed many times in many forums, but in 2012 some MLAs sat on a demonstration in Orissa Assembly Complex to start construction. Despite the strong opposition to the project, construction started in April, 2013 with Police brutality and in that course more than 100 people were arrested, which has raised question about the project across the country. In that confrontation film makers and journalists were also attacked by the police. Eventually the construction was stopped.

But now again 3-4 days back administration has started it, destructing their agricultural land with standing crop and Mango trees and that too in a village where some people have not given their land for the project. Collector had ordered for investigation and to compensate the loss to those who have not given land. But the construction is still on without any grievance redressal.

We demand:

  1. The construction should be immediately stopped, since it violates the existing norms and procedures and is completely illegal.

  2. Due compensation should be given for the loss of crop and other properties due to forceful construction.

  3. The government should appoint a committee to look into the matter and the project as a whole.

Please write to the following urgently :

Sl. No.

Whom

Email

Phone / Fax no.

1

The Chief Minister


0674-2531100,2531500

Fax No. 0674-2390562

2

Principal Secretary, Water Resource Department

wrsec@ori.nic.in

0674-2536764 /

2392630 /

3

Regional Office, Ministry of Environment and Forests


Off. No. 0674: 2301213

2302432

Fax No. 0674: 2302432

4

District Collector, Bolangir

dm-balangir@nic.in

06652- 232223

Fax No. 233082


In Solidarity,

National Alliance of People's Movements

Contact: 09437259005, 09212587159


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