पेट्रोल बम से झुलसे देश को राहत का छलावा
मुंबई से एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
पेट्रोल बम से झुलसे देश को राहत का छलावा दे रही है यूपीए सरकार। राज्यो से कहा जा रहा है वैट और दूसरे टैक्स घटाकर मरहम का इंतजाम कर दिया जाये। पर कांग्रेस शासित राज्य महाराष्ट्र के लिए भी ऐसा करना नामुमकिन है। पहले से आर्थिक तंगी से जूझ रहे राज्यों के लिए तेल पर चैक्स राहत देकर अपने राजस्व में कटौती करना राजनीतिक दबाव के बावजूद मुश्किल है।पेट्रोल में एक ही झटके में 7.54 रुपये प्रति लीटर की भारी वृद्धि के बाद देशभर में बढ़ते विरोध को देखते हुए सरकार ने शुक्रवार को कहा कि मूल्यवृद्धि की वापसी पर निर्णय लेने से पहले कुछ दिन तक वह स्थिति की समीक्षा करेगी।मजा देखिये,पेट्रोल के दाम में अब तक की सबसे ऊंची वृद्धि करने के एक दिन बाद तेल कंपनियों ने गुरुवार को संकेत दिया है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम में गिरावट के रुझान को देखते हुए अगले महीने पेट्रोल के दाम 1.50 से 1.80 रुपये लीटर तक कम हो सकते हैं।पेट्रोल की कीमत में बुधवार मध्यरात्रि से हुई वृद्धि के खिलाफ गुरुवार को देशव्यापी प्रदर्शन हुआ। लोगों ने जगह-जगह सड़कों पर उतरकर अपने गुस्से का इजहार किया और केंद्र सरकार का पुतला भी फूंका। उन्होंने मूल्य वृद्धि वापस लेने की मांग की।दूसरी ओर, पेट्रोल के बाद सरकार अब डीजल और रसोई गैस की कीमतें बढ़ाकर आम आदमी को जोर का झटका देने की तैयारी में है। सूत्रों के मुताबिक पेट्रोलियम मंत्रालय चाहता है कि डीजल के दाम 5 रुपये प्रति लीटर बढ़ाए जाएं। एलपीजी सिलेंडरों में तो 400 रुपये तक का इजाफा करने का दबाव है।सरकार ने पेट्रोल की तरह डीजल को बाजार के हवाले करने को लेकर अभी कोई अंतिम फैसला नहीं लिया गया है। लेकिन, डीजल पर दे रही 14 रुपये से अधिक की सब्सिडी को घटाना चाहती है। इसलिए सरकारी सूत्रों के मुताबिक, डीजल की कीमत में 3 से 5 रुपये तक की बढ़ोतरी का फैसला हो सकता है।इस बीच राज्यों पर राहत देने के लिए दबाव बढ़ रहा है। कुछ राज्य सरकारें अपनी ओर से थोड़ी राहत का जुगाड़ कर रही हैं। पेट्रोल की कीमतों में इजाफे के बाद उत्तराखंड सरकार ने वैट में 25 फीसदी की छूट दी है, जिससे पेट्रोल की कीमत 1.87 पैसे कम हो गई।
दाम हमेशा इतना बढा़या जाता है कि कटौती की गुंजाइश बनी रहे। पहले खूब दाम बढ़ाओ। फिर थोड़ी राहत दे दो। घर फूंकने के बाद मुआवजा जैसा। कारपोरेट इंडिया को खेल के नियम मालूम है। घंटा दो घंटा में अरबों का वारा न्यारा हो जाता है। फिर आप कुछ भी करो। जनता तो राहत से खुश हो जाती है।क्या अर्थव्यवस्था का बुनियादी संकट हल हुआ?संसद सत्र समाप्त होते ही पेट्रोलियम कंपनियों ने पेट्रोल के दाम में साढ़े सात रुपये लीटर की वृद्धि कर दी है। एक झटके में की गई यह अब तक की सबसे ऊंची वृद्धि है। छह महीनों की चुप्पी के बाद पेट्रोल के दाम बढ़े हैं।
रुपए पर नियंत्रण खत्म। गिरता रुपया रिजर्व बैंक भी थाम नहीं पा रहा। कालाधन से सेनसेक्स अर्थ व्यवस्था कीr सेहत बनती बिगड़ती। वित्तीय नीति है नहीं। बाजार पर नियंत्रण है नहीं। नीतिनिर्धारण कारपोरेट लाबिइंग से होता। विदेशी कर्ज से सरकारी खर्च। ब्याज अदा करने से भुगतान संतुलन गड़बड़ाता। मुद्रास्फीति और मंहगाई बेलगाम। सब्सिडी में कटौती सीधे आम आदमी पर कुठाराघात है औऱ राजस्व घाटा से निपटने का तदर्थ इतजाम। इससे जनती की कमर टूट' रही है पर बाजार बम बम है। लेकिन अर्थ व्यवस्था की बुनियाद पर कोई असर नहीं।
इस बीच अर्थव्यवस्था को सुधारने के बजाय प्रणव दादा राछ्ट्रपति भवन का सपना देख रहे हैं।केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी को राष्ट्रपति भवन के लम्बे-चौड़े लॉन बेहद पसंद हैं। यह बात उन्होंने स्वयं एक साक्षात्कार के दौरान कही। उनके इस रहस्यात्मक बयान ने राष्ट्रपति बनने की उनकी इच्छा जाहिर कर दी है। साथ ही इसे लेकर अटकलों का बाजार भी गर्म हो गया है।
'इकोनॉमिक टाइम्स' को दिए साक्षात्कार में राष्ट्रपति चुनाव के लिए अपनी सम्भावित उम्मीदवारी के बारे में पूछे जाने पर मुखर्जी ने कहा, "मुझे सुबह टहलना पसंद है। मैं अपने लॉन में करीब 40 चक्कर लगाता हूं। राष्ट्रपति भवन का लॉन बहुत बड़ा है। किसी को भी इसके 40 चक्कर लगाने की जरूरत नहीं होगी।"
पेट्रोल के बढ़े दामों से देशभर के लोगों में पिछले 48 घंटों से आग लगी है।पहले से कमरतोड़ महंगाई झेल रही जनता के लिए केंद्र सरकार ने पेट्रोल की कीमतें साढ़े सात रुपये बढ़ाकर बाकी कसर भी पूरी कर दी है। तमाम जगहों पर लोगों ने अलग-अलग अंदाज में अपना विरोध जताया, लेकिन सरकार अभी भी वही पुराना राग अलाप रही है कि दाम बढ़ाने के अलावा और कोई चारा नहीं था।पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री एस़ जयपाल रेड्डी ने पेट्रोल के दाम बढ़ने के बाद आम आदमी पर बढ़े बोझ पर चिंता व्यक्त करते हुये कहा कि दाम बढ़ाने का फैसला तेल कपंनियों का है, लेकिन सरकार इससे उपभोक्ता के बीच बढ़े गुस्से को समझती है।पेट्रोल मूल्य वृद्धि के खिलाफ देश भर में हो रहे प्रदर्शनों के बीच केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री एस जयपाल रेड्डी ने शुक्रवार को कहा कि सरकार स्थिति पर नजर बनाए हुए है और अगले कुछ दिनों में वह एक स्पष्ट रुख अपनाएगी। पेट्रोल मूल्य वृद्धि पर प्रतिक्रिया देते हुए रेड्डी ने पत्रकारों से कहा, "मैं अगले कुछ दिनों में आप लोगों के समक्ष एक स्पष्ट रुख के साथ उपस्थित होउंगा।"रेड्डी ने कहा कि उन्होंने इस मसले पर केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी से बातचीत की है और करों में कटौती की सम्भावनाएं तलाशने के लिए वह राज्य सरकारों के साथ सलाह-मशविरा करेंगे ताकि आम आदमी पर बोझ कम किया जा सके। रेड्डी ने कहा कि मूल्य बढ़ाने का फैसला तेल विपणन कम्पनियों ने लिया था और इस फैसले में सरकार शामिल नहीं थी।
तुर्कमेनिस्तान की यात्रा से लौटने के बाद आज संवाददाताओं से बातचीत में रेड्डी ने कहा कि सरकार जनता की भावनाओं को समझती है और इससे अलग नहीं रह सकती। विपक्ष के साथ साथ सरकार के घटक दल भी इस मूल्यवृद्धि का विरोध कर रहे हैं।
रेड्डी ने कहा कि पेट्रोल के दाम में वृद्धि कड़ा और नाराजगी पैदा करने वाला कदम है लेकिन तेल कंपनियों के अनुसार यह निर्णय जरूरी हो गया था। उन्होंने कहा कि मूल्यवृद्धि में वापसी के बारे में कोई भी पक्का निर्णय लेने से पहले कुछ दिन हम स्थिति की निगरानी करेंगे।
उन्होंने कहा कि तेल विपणन कंपनियों को कच्चे तेल के दाम में जारी घटबढ़ के दोहरे रुख से जूझना पड़ता है। तेल मूल्यों में जारी मौजूदा गिरावट का रुख भी स्थायी नहीं है। डीजल मूल्य पर प्राधिकृत मंत्री समूह की बैठक के बारे में पूछे जाने पर रेड्डी ने कहा कि वह डीजल, एलपीजी और केरोसिन के दाम तय करने के बारे में मंत्री समूह की बैठक बुलाये जाने का अनुरोध कर रहे हैं।
दाम बढ़ने के बाद चौतरफा राजनीतिक दबाव को देखते हुए सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम कंपनियों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों से पेट्रोल के दाम में एक झटके में 7.54 रुपये लीटर की वृद्धि के पीछे उनकी मजबूरी का ब्यौरा देने को कहा है। पिछले सात महीनों में कंपनियों ने पहली बार दाम बढ़ाए हैं।
इंडियन ऑयल कारपोरेशन (आईओसी) के चैयरमैन आरएस बुटोला ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल मूल्य के मौजूदा रुझान को देखते हुए लगता है कि पेट्रोल के दाम नीचे आएंगे। तेल कंपनियों हर महीने की पहली और 16 तारीख को अंतरराष्ट्रीय तेल मूल्य और विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार की दरों के हिसाब से पेट्रोलियम पदार्थों के दाम की समीक्षा करती हैं। इस दौरान गैसोलिन के दाम जिसके आधार पर पेट्रोल के दाम तय होते हैं अंतरराष्ट्रीय बाजार में 124 डॉलर से घटकर 117 डॉलर प्रति बैरल पर आ गए हैं।
हालांकि, इस दौरान डॉलर के समक्ष रुपये की विनिमय दर 53.17 से 56 रुपये प्रति डॉलर के स्तर तक गिर गई है। बुटोला के अनुसार, अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल मूल्य में एक डॉलर की कमी से पेट्रोलियम उत्पाद का दाम 33 पैसे लीटर घटता है जबकि डॉलर के समक्ष रुपये की विनिमय दर एक रुपये घटने से दाम में 77 पैसे की वृद्धि की जरूरत होती है।
इस महीने के बाकी दिनों में यदि दाम में गिरावट का रुझान जारी रहता है तो तेल कंपनियां एक जून को होने वाली मूल्य समीक्षा में 1.25 से लेकर 1.50 रुपये लीटर तक दाम घटा सकती हैं। बिक्री कर और वैट सहित यह कमी और अधिक होगी।
बुटोला ने कहा, हम उम्मीद कर रहे हैं कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल के दाम नीचे आयेंगे। यदि दाम घटते हैं और रुपये की विनिमय दर में और गिरावट नहीं आती है तो हम इसका लाभ उपभोक्ता को पहुंचायेंगे। उन्होंने कहा, जैसा हमने 16 नवंबर और एक दिसंबर 2011 को किया उसी तरह हम फिर से मूल्य में कमी का लाभ उपभोक्ता को देंगे।
सरकार ने जून, 2010 में पेट्रोल के दाम नियंत्रण मुक्त कर दिए थे, लेकिन पिछले साल नवंबर 2011 के बाद से पेट्रोल के दाम में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम 14.5 प्रतिशत बढ़ने और डालर के मुकाबले रुपये की कीमत 3.2 प्रतिशत गिरने के बावजूद पिछले साल नवंबर के बाद से पेट्रोल के दाम नहीं बढ़े हैं। इस दौरान पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों को देखते हुये तेल कंपनियों ने दाम नहीं बढ़ाए।
पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री जयपाल रेड्डी ने कल ही कहा था कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल के दाम बढ़ने के साथ साथ रुपये की गिरावट के कारण तेल मूल्यों में तुरंत वृद्धि जरूरी हो गई है। बहरहाल, डीजल, मिट्टी तेल और खाना पकाने की गैस के दाम में कोई वृद्धि नहीं हुई है।
वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी की अध्यक्षता वाली उच्चाधिकार प्राप्त समिति इसे देख रही है। समिति में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार के घटक दलों के प्रतिनिधि शामिल हैं। पिछले एक साल से इसकी बैठक नहीं हुई है।
पेट्रोल के दाम में हुई इस वृद्धि के बाद मुंबई में एक लीटर पेट्रोल का दाम 70.66 से बढ़कर 78.57 रुपये, कोलकाता में 7.85 रुपये बढ़कर 77.88 रुपये और चेन्नई में 7.98 रुपये प्रति लीटर बढ़कर 77.53 रुपये लीटर हो गया। दिल्ली में इसका दाम वैट सहित 7.54 रुपये लीटर बढ़कर 73.18 रुपये प्रति लीटर होगा।
पेट्रोलियम मंत्री के अनुसार, यदि डालर के मुकाबले रुपये की विनिमय दर एक रुपये घटती है तो तेल कंपनियों पर सालाना 8000 करोड़ रुपये का बोझ बढ़ता है। उल्लेखनीय है कि पिछले कुछ महीनों से रुपये में डालर के मुकाबले लगातार गिरावट का रुख बना हुआ है।
बुधवार को डॉलर के मुकाबले रुपया सबसे निचले स्तर 56 रुपये प्रति डालर पर बंद हुआ है। एक साल पहले इन्हीं दिनों डॉलर के मुकाबले रुपया की विनिमय दर 46 रुपये प्रति डॉलर थी। इस प्रकार रुपये के कमजोर पड़ने से तेल कंपनियों पर 80,000 करोड़ रुपये का बोझ बढ़ गया।
तेल कंपनियां अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के लगातार बढ़ते दाम से पिछले कई सालों से जूझ रही हैं। मार्च 2011 को समाप्त वर्ष के दौरान लागत से कम दाम पर पेट्रोल बिक्री से कंपनियों को पेट्रोल पर ही 4,860 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा है। वर्तमान में उन्हें पेट्रोल पर 6.28 रुपये प्रति लीटर का नुकसान हो रहा है। दिल्ली में इस पर 20 प्रतिशत वैट होने के कारण प्रति लीटर वृद्धि 7.54 रुपये हुई है।
बहरहाल, पेट्रोल मूल्य वृद्धि की घोषणा होते ही केन्द्र की संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार की प्रमुख घटक तृणमूल कांग्रेस और द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) ने मूल्यवृद्धि वापस लेने की मांग की है।
दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने शुक्रवार को कहा कि दिल्ली सरकार लोगों को पेट्रोल की बढ़ी हुई कीमतों में कुछ राहत दे सकती है। वित्त मंत्रालय का भी कार्यभार देख रही दीक्षित ने कहा सोमवार तक हमारे बजट का इंतजार कीजिये। उन्होंने कल रात भी संकेत दिये थे कि दिल्ली सरकार पेट्रोल की कीमतों में हुये इजाफे से लोगों को राहत दिलवाने के लिये कुछ करों में कटौती कर सकती है।
पेट्रोल पर वैट को कम किये जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि हम देखेंगे कि हम क्या कर सकते हैं। हाल ही में पेट्रोल की कीमतों में साढ़े सात रुपये का इजाफा हुआ है। हालांकि शीला दीक्षित ने कीमत में इजाफे को सही ठहराते हुये कहा कि तेल कंपनियों को भारी घाटा हो रहा था और यह इजाफा जरूरी था। बढ़ती कीमतों से राहत देने के लिये केरल और उत्तराखंड सरकार ने करों में कटौती की है।
पेट्रोल के दाम में कभी भी इतनी ज्यादा बढ़ोतरी नहीं की गई। इससे पहले पिछले साल दो बार 5-5 रुपये की बढ़ोतरी की गई थी, जो सबसे ज्यादा थी।
यूपीए सरकार में सहयोगी दल तृणमूल कांग्रेस की सुप्रीमो और पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने कहा है कि पेट्रोल के दाम में बढ़ोतरी हमें मंजूर नहीं है। हालांकि ममता ने यह भी कहा है कि हम सरकार गिराएंगे नहीं, क्योंकि इससे राजनीतिक और आर्थिक अस्थिरता फैलेगी।
यूपीए के ही एक और सहयोगी दल डीएमके ने भी पेट्रोल के दाम में बढ़ोतरी वापस लेने की मांग की है। पार्टी सुप्रीमो एम. करुणानिधि ने कहा है कि हमारे सांसद इस बारे में सरकार के सामने अपनी बात रखेंगे।
यूपीए सरकार को बाहर से समर्थन दे रही समाजवादी पार्टी ने कहा है कि यह सरकार के तीन साल पूरे होने पर आम आदमी को दिया गया 'तोहफा' है। पार्टी के प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने इस बढ़ोतरी को तुरंत वापस लेने की मांग की है।
बीजेपी ने भी बढ़ोतरी का विरोध किया है। लेफ्ट ने देश भर में विरोध प्रदर्शन करने की बात कही है। कांग्रेस प्रवक्ता राशिद अल्वी ने कहा है कि पेट्रोल के दाम में बढ़ोतरी से सरकार का कोई लेना-देना नहीं है, इस पर फैसला तेल कंपनियां करती हैं।
सरकार ने पेट्रोल के दाम से सरकारी कंट्रोल जून 2010 में हटा लिया था। सरकारी तेल कंपनियों ने कहा है कि हमने पेट्रोल के दाम में 6.28 रुपये की बढ़ोतरी की है। इसमें स्थानीय टैक्स भी जुड़ेंगे। विभिन्न राज्यों में टैक्स 15 पर्सेंट से 33 पर्सेंट है। यानी टैक्स में 94 पैसे से लेकर 2.07 रुपये तक जुड़ जाएंगे। फिलहाल टैक्स 10.30 से 18.74 रुपये तक हैं। दिल्ली में टैक्स समेत बढ़ोतरी 7.54 रुपये होगी। दिल्ली में पेट्रोल की कीमत फिलहाल 65.64 रुपये है, जो अब 73.18 रुपये हो जाएगी। जनता से बोझ कम करने के लिए जब-तब राज्य सरकारों से टैक्स घटाने की मांग उठती रही है।
सरकारी तेल कंपनी इंडियन ऑयल ने कहा है कि घाटे के कारण हमें दाम बढ़ाने पड़े। इस वित्त वर्ष में अब तक जो घाटा हो चुका है , उसकी भरपाई करने के लिए 1.50 रुपये प्रति लीटर दाम और बढ़ाने की जरूरत थी। योजना आयोग के सदस्य अभिजीत सेन ने कहा है कि इससे महंगाई की स्थिति पर तुरंत असर तो पड़ेगा , लेकिन आगे चलकर स्थिति सामान्य हो जाएगी।
कमजोर रुपये ने बढ़ाए दाम
रुपये की कीमत में तेज गिरावट ने पेट्रोल के दाम बढ़ाने पर मजबूर कर दिया। तेल कंपनियों को कच्चे तेल के आयात के लिए डॉलर की खातिर पहले से ज्यादा रुपये चुकाने पड़ रहे थे। विदेशी मुद्रा बाजार में बुधवार को कारोबार के दौरान एक डॉलर की कीमत 56 रुपये के लेवल को भी पार कर नया रेकॉर्ड बना गई। मंगलवार को पेट्रोलियम मंत्री जयपाल रेड्डी ने कहा था कि रुपये की कमजोरी को देखते हुए ईंंधन के दाम में बढ़ोतरी जरूरी हो गई है। अगर डॉलर का दाम एक रुपया बढ़ता है तो तेल कंपनियों का सालाना घाटा 8,000 करोड़ रुपये बढ़ जाता है।
डीजल और गैस पर भी नजर
मीडिया रपटों के मुताबिक , डीजल और रसोई गैस के दाम बढ़ाने पर शुक्रवार को मंत्रियों के अधिकार प्राप्त समूह की बैठक हो सकती है। इस मंत्री समूह की बैठक पिछले करीब एक साल से नहीं हो पाई है। इसमें तृणमूल और डीएमके के भी प्रतिनिधि हैं।
डीजल पर घाटा : 15.35 रुपये प्रति लीटर
केरोसिन पर घाटा : 32.98 रुपये प्रति लीटर
रसोई गैस पर घाटा : 479 रुपये प्रति सिलिंडर
पेट्रोल , डीजल या सीएनजी ?
ईंधन - एवरेज - रनिंग कॉस्ट
पेट्रोल -15 किमी प्रति लीटर -5 रुपये प्रति किमी
डीजल -20 किमी प्रति लीटर -2 रुपये प्रति किमी
सीएनजी - 22 किमी प्रति किलो - 1.5 रुपये प्रति किमी
(1200 सीसी इंजन वाली कार में )
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