Saturday, June 29, 2013

जल विद्युत निगम के आंकड़े इसे झुठला रहे हैं....उत्तरकाशी के जिन तीन कस्बों (भटवाडी, तिलोथ व जोशियाड़ा) को भागीरथी ने पिछली बारिश में आधा बहा दिया था इस बार वह पूरी तरह से मटियामेट हो गए हैं...

सरकार अगर यह मान रही कि इस बार अधिक बारिश हुई इसीलिए नदियों द्वारा लायी गयी तबाही कई गुना अधिक है बनिस्पत पिछले के............ तो जल विद्युत निगम के आंकड़े इसे झुठला रहे हैं....उत्तरकाशी के जिन तीन कस्बों (भटवाडी, तिलोथ व जोशियाड़ा) को भागीरथी ने पिछली बारिश में आधा बहा दिया था इस बार वह पूरी तरह से मटियामेट हो गए हैं...ऐसा क्यूँकर हुआ जबकि..16 जून को रिकार्ड की गयी बारिश पिछली बार से 7 गुना कम मापी गयी है.......पिछली बार जब भागीरथी में बाढ़ आई तो नदी का जलस्तर 7283 क्यूमेक मीटर प्रति सेकेण्ड था जबकि इस बार सोलह जून को वह मात्र 1047.था.....असल कारणों की ओर जाएँ तो सरकारी कामकाज के तरीके से कोफ़्त होने लगती है...पिछले साल आई बाढ़ से नदियों में 10 से 15 फीट ऊँचे रेत व मिटटी के टीले बन गए थे..जिन्हें साफ़ कर नदी को समतल करने के लिए जनवरी 2013 में शासन से 60 करोड़ मंजूर हो सके...लेकिन उत्तरकाशी जिला प्रशासन ने टेंडर जरी करने की सुध मई माह में ली...जिसका नतीजा सेकड़ों गाँव को भुगतना पडा...बाढ़ आई तो नदी में टीले होने के चलते नदी दो भागों में बंट गयी...नदी को दीवारों से कोइ शेप नहीं दिया गया था जिससे नदी और मनमानी पर उतर आई..अगर मई माह का टेंडर मार्च तक भी डाला गया होता तो शायद भागीरथी घाटी की तस्वीर अभी कुछ और ही होती...सात गुना बारिश कम थी..तो सात गुना कम तबाही होती वहां निश्चय ही.....सरकार का ह्रदय है इतना पाकसाफ की वह ले नदियों से फैली तबाही की जिम्मेदारी...

No comments:

Post a Comment

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...

Census 2010

Welcome

Website counter

Followers

Blog Archive

Contributors