तो क्या दीदी अब मरीचझांपी नरसंहार की जांच की बहुप्रत्याशित कार्रवाई करेंगी?
एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
राष्ट्रपति भवन पर कामदुनि के दस्तक के प्रसंग में बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने नंदीग्राम,सिंगुर के साथ साथ मरीचझांपी का हवाला देते हुए कांग्रेस से पूछा है कि इन मामलों में कांग्रेस क्यों खामोश रही।इससे पहले लोकसभा चुनावों से लेकर विधानसभा चुनावों तक में तृणमूल कांग्रेस ने मरीचझांपी को बड़ा मुद्दा बनाया हुआ था। माणिक मंडल की अगुवाई में बाकायदा मरीचझांपी के प्रत्यक्षदर्शी गवाहों के बयानों और दस्तावेजों पर आधारित फिल्म को शरणार्थी,मतुआ और अनुसूचित इलाकों में खूब प्रदर्शन भी हुआ। लेकिन सत्ता में आने के बाद मरीचझांपी के लिए न्याय की जनआकांक्षा पूरी होने के कोई संकेत नहीं मिले आजतक।तमाम पुरातन प्रकरणों में जांच आयोग के गठन की घोषणा करने के बावजूद दीदी ने मरीचझांपी की जांच के लिए अब तक कोई कदम नहीं उठाया। कामदुनि प्रसंग में दीदी ने जिस तरह मरीचझांपी का उल्लेख किया ,उसके बाद तृणमूल समर्थक मतुआ और शरणार्थी शिविर में भारी उत्साह है कि आखिरकार दीदी को मरीचझांपी की याद आयी। तो क्या दीदी अब मरीचझांपी नरसंहार की जांच की बहुप्रत्याशित कार्रवाई करेंगी?
वैसे जनवरी 1979 में हुए इस नरसंहार के दौरान 1976 से लेकर 1980 तक ममता बनर्जी प्रदेश महिला कांग्रेस की महासचिव रही हैं। महिलाओं पर मरीचझांपी में बलात्कार के आरोपों के बावजूद सत्ता से बेदखल विपक्षी पार्टी की महिला संगठन महासचिव के नाते दीदी ने क्या कदम उठाये,यह शोध का मामला है।वैसे दीदी तब भी राजनीतिक तौर पर बहुत सक्रिय रही हैं और इसीके नतीजतन 1984 के लोकसभा चुनाव में वे सोमनाथ चटर्जी जैसे दिग्गज को पराजित करके राष्ट्रीय राजनीति पर छा गयी। कांग्रेस में रहते हुए और अपनी पार्टी बना लेने के बावजूद दीदी ने संसद में कभी मरीचझांपी प्रसंग की चर्चा की हो,ऐसी सूचना नहीं है। सिविल सोसाइटी के अनके लोगों का मानना है कि तब महाश्वेता देवी और ममता बनर्जी जैसे लोगों को इस कांड के बारे में हकीकत नहीं मालूम था। सुनील गंगोपाध्याय जैसे लोग लिख रहे थे। आनंदबाजार समेत अखबारों में लगातार रपटें छपीं।मरीचझांपी कांड की सफाई में उत्पल दत्त ने पूरा नाटक लिख दिया,`चक्रांत'। क्या तब दीदी माकपा के प्रचार अभियान के झांसे में आ गयी थी कांग्रेस की मरीचझांपी भूमिका के बारे में सवाल उठाते हुए दीदी भूल गयीं कि उस कांड के वक्त और उसके बाद पूरे बारह साल तक वे कांग्रेस की बड़ी नेता,लोकसभा सद्स्य और केंद्रीय मंत्री सबकुछ थीं?
बहरहाल, इस विवाद में न पड़कर मंत्री बनने से पहले मरीचझांपी को लेकर बाकायदा अभियान चलाने वाले पूर्व सीबीआई संयुक्त निदेशक उपेन विश्वास और दूसरे अनुसूचित मंत्रियों की मंत्रिमंडल में मौजूदगी और दीदी के ताजा बयान से शरणार्थी नेताओं को फिर उम्मीद है कि दीदी मरीचझांपी नरसंहार का न्याय जरुर करेंगी।
इसी सिलसिले में शरणार्थी नेताओं ने राइटर्स में जाकर दीदी से मिलने के लिए वक्त लिया है। रिपब्लिकन पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मृत्युंजय मंडल ने यह जानकारी दी है।
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