निशंक की मांग : आपदा राहत मिशन पूरा होने तक राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया जाये
नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं उत्तराखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री डा0 रमेश पोखरियाल 'निशंक' के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमण्डल ने आज दिल्ली में प्रधानमंत्री डा0 मनमोहन सिंह से उत्तराखण्ड में आई आपदा को लेकर भेंट की। डा0 निशंक ने प्रधानमंत्री को विस्तार से आपदा में हुई क्षति का ब्यौरा दिया और मांग की कि तत्काल प्रभावितों को राशन, आवास, स्वास्थ्य सेवा सहित मूलभूत सुविधायें उपलब्ध करायी जायें।
निशंक के विशेष कार्याधिकारी, अजय सिंह बिष्ट ने बताया कि प्रतिनिधिमण्डल ने कहा कि अभी भी अनेक आपदा प्रभावित क्षेत्र शेष दुनिया से कटे हैं, उनके पास तन ढँकने के वस्त्रों के अतिरिक्त कुछ नहीं है और आपदा राशन सामग्री उन तक नहीं पहुंच पा रही है। अभी भी आशंका है कि दुर्गम क्षेत्रों में श्रृ़द्धालु फंसे हों। सर्वप्रथम बेघर लोगों के लिए भोजन आवास व स्वास्थ्य सेवा की चिंता की जाय। ध्वस्त पड़ी पेयजल, विद्युत, सड़क व दूरभाष सेवा बहाल की जाय। उत्तरकाशी, रूद्रप्रयाग, चमोली व पिथौरागड़ जनपद जो कि निरन्तर दैवीय आपदा से पीडि़त रहते हैं उनके लिए दीर्घकालिक योजना तैयार की जाय।
निशंक के नेतृत्व में गए प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि तत्काल फंसे लोगों को निकाला जाय, अभी भी स्थान-स्थान पर लोग फंसे है।लगभग 1500 गांव, 2000 किमी सड़कें व 150 छोटे बड़े पुल आपदा की भेंट चढ़ चुके हैं। सड़क एवं गांव सम्पर्क मार्ग पुल जो बहे हैं, उन्हें युद्धस्तर पर बनाया जाये। बी0आर.ओ0 को अतिरिक्त धन उपलब्ध करा कर निर्धारित समय में सीमावर्ती उन तमाम मार्गाे का निर्माण हो।
प्रतिनिधिमंडल ने मांग की कि आपदा राहत के मानकों से षिथिलीकरण कर जो गांव बर्बाद हुए हैं तथा जो लोग बेघर हो गये है उन्हें तुरंत मकान के बदले मकान देकर सरकारी नौकरी का अवसर दिया जाय तथा अनाथ हुए बच्चों की पढ़ाई सम्पर्ण व्यवस्था के साथ अन्य छात्रों को भी पढ़ाई की व्यवस्था सरकार अपने हाथ में ले। राष्ट्रीय आपदा प्रबन्धन फोर्स की एक बटालियन उत्तराखण्ड के पर्वतीय क्षेत्र में तैनात की जाये तथा डापलर रडार की व्यवस्था की जाय ताकि पूर्व अनुमान पर लोगों की समय से सुरक्षा की जा सके।
उन्होंने मांग की कि हिमालय की अलग नीति बनाकर सक्षम हिमालय प्राधिकरण बनाया जाय, जो पूरे हिमालय का पुनःनिर्माण व विकास करे तथा प्रदेश और देश की जनता जानना चाहती है कि सरकार ने मृतकों/ लापता लोगों पर जो भ्रम स्थिति बना रखी है उस पर श्वेत-पत्र जारी किया जाय।
प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि पुर्नवास का व्यावहारिक आंकलन हो, और आपदा राहत के मानकों में षिथिलीकरण के साथ जो गांव संवेदनशील चिन्हित हैं, उन्हें वन भूमि उपलब्ध कराकर पुर्नवासित किया जाय, चूंकि उत्तराखण्ड में 70 प्रतिशत वन भूमि है और इसके अलावा पुनर्स्थापन के लिए कोई भूमि नहीं है। सीमान्त गांवों से पलायन रोकने के लिए विकास और रोजगार सहित सभी कार्य किए जाये, सीमाओं से लोगों का पालयन राष्ट्र के लिए संकट का विषय है।
मुलाकात के दौरान प्रधानमंत्री को सूचित करते हुए मांग की कि सैकड़ों गांव सम्पर्क से टूटे गये हैं, वहाँ लोगों को हैलीकाप्टर से खाद्यान उपलब्ध कराया जाये, मवेशियों की स्थिति भी खराब है उन्हें चारा पहुँचाया जाये। आपदा प्रभावित क्षेत्रों में खाद्य विभाग अन्न भण्डारण की समुचित ब्यवस्था करे। भाजपा सरकार के समय 108 हैली एम्बुलेंस सर्विस प्रारम्भ की जाय। साथ ही एअरफोर्स की एक यूनिट चिन्यालीसौड़, गौचर या नैनीसैनी पिथौरागढ़ में तैनात की जाय ताकि सामरिम महत्व के साथ आपदा में भी उसका उपयोग हो सके।
किसानों व छोटे व्यवसायी का कर्ज को माफ किया जाय, जमीन का मुआवजा ठीक दिया जाय तथा परिवार को इकाई मानकर राहत दी जाय। केदारनाथ मंदिर में मंदिर समिति तथा विद्वतजनों के परामर्ष से पूजा-अर्चना प्रारम्भ की जाय, चार-धाम यात्रा को तुरंत अवस्थापना, सुदृढ़ता और सुरक्षा के तहत समीक्षा कर अतिशीघ्र प्रारम्भ किया जाय।
पूर्व मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार हर स्तर पर विफल रही है, अतः समीक्षा कर आपदा राहत मिशन पूरा होने तक राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाना उचित होगा। उक्त भेंट वार्ता में टिहरी से सांसद माला राज्यलक्ष्मी शाह तथा पूर्व कैबिनेट मंत्री खजान दास, केदारनाथ से पूर्व विधायक आशा नौटियाल तथा मालचन्द, विधायक पुरोला भी उपस्थित थे।
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