बंदूक की नाल से सत्ता की ढाल तक
बंदूक की नाल से सत्ता की ढाल तक
Thursday, 11 July 2013 09:18 |
प्रभाकर मणि तिवारी, कोलकाता। पश्चिम बंगाल में होने वाले त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के पहले दौर में राजनीतिक दल चुनावी बिसात पर माओवादी मोहरों के जरिए एक-दूसरे को मात देने की कोशिश कर रहे हैं। पहले दौर में गुरुवार को माओवादी असर वाले जंगलमहल के तीन जिलों-पश्चिम मेदिनीपुर, बांकुड़ा और पुरुलिया में वोट डाले जाएंगे। इन इलाकों में मैदान में उतरे ज्यादातर उम्मीदवार ऐसे हैं जो पहले माओवादी संगठन में रहे हैं। इनमें से कई के खिलाफ तो हत्या और अपहरण के मामले चल रहे हैं। जंगलमहल इलाके के लगभग दस हजार मतदान केंद्रों में लगभग सभी को उच्च-संवेदनशील या संवेदनशील की श्रेणी में रखा गया है। माओवादी हिंसा की आशंका से पहले दौर के मतदान के लिए सुरक्षा का जबरदस्त इंतजाम किया गया है। लेकिन कभी इलाके का आतंक रहे माओवादी ही जब चुनावी शतरंज पर मोहरे बने हों, तो शह और मात से भला कौन डरेगा। हत्या के कई मामलों में गिरफ्तार माओवादी हेमलेट मरांडी दिसंबर, 2011 में गिरफ्तारी के बाद आठ महीने जेल में बिता चुका है। अब वह पश्चिम मेदिनीपुर जिले के बीनपुर-2 ब्लाक में तृणमूल का पंचायत समिति उम्मीदवार है। वह कहता है- पहले मैंने जो रास्ता चुना था वह गलत था, लेकिन अब मैं कानूनी तरीके से इलाके के विकास के लिए काम करूंगा। 2008 में लालगढ़ में तत्कालीन मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टचार्य के काफिले पर हमले के सिलसिले में हिरासत में लिया गया क्षमानंद महतो अब तृणमूल के टिकट पर जिला परिषद का चुनाव लड़ रहा है। एक अन्य माओवादी असित सरकार की पत्नी सुमित्रा सरकार भी मैदान में हैं। पार्टी ने जंगलमहल के माओवादी दस्ते के प्रमुख सदस्य दिलीप महतो की पत्नी टुलूरानी महतो को बीनपुर-1 पंचायत समिति में अपना उम्मीदवार बनाया है। इसी तरह हत्या, अपहरण और जबरन उगाही के कई मामलों का अभियुक्त ज्योति प्रसाद महतो सालबनी पंचायत समिति का चुनाव लड़ रहा है। शीर्ष माओवादी नेता किशनजी की सहयोगी सुचित्रा महतो का पति प्रबीर गराई भी बांकुड़ा जिले में जिला परिषद चुनाव में किस्मत आजमा रहा है। पूर्व माओवादियों को टिकट देने में अगर तृणमूल कांग्रेस सबसे आगे है, तो दूसरे दल भी पीछे नहीं हैं। बेलपहाड़ी पंचायत समिति का कांग्रेस उम्मीदवार निखिल महतो दो साल जेल में रह चुका है। उसके खिलाफ 35 मामले हैं। महतो कहता है-यह इलाका कांग्रेस का गढ़ है। इलाके के लोग चाहते थे कि मैं चुनाव लड़ूं। लोगों की भावनाओं का सम्मान करते हुए मैं चुनाव मैदान में हूं। जामबनी इलाके में माकपा के ग्राम पंचायत उम्मीदवार लक्ष्मण पर स्थानीय पंचायत प्रधान व उनके सहयोगियों की हत्या का मामला चल रहा है, लेकिन लक्ष्मण कहता है कि विपक्ष के आरोपों की कोई परवाह नहीं है। उस पर झूठे आरोप लगाए गए हैं। लेकिन इलाके के लोग मेरे साथ हैं। माओवादियों का सबसे मजबूत गढ़ कहे जाने वाले गोविंदबल्लभपुर के खरबंदी इलाके में तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार दस में से नौ सीटों पर निर्विरोध चुने जा चुके हैं। इनमें से ज्यादातर माओवादी हैं। बालीपाल सीट से निर्विरोध चुने गए दुलाल मांडी पर तीन हत्याओं के अलावा अपहरण के कई मामले हैं। वह कहता है-अपने परिवार की सुरक्षा के लिए मैंने माओवादी संगठन में शामिल होने का फैसला किया था। लेकिन अब मुख्यधारा में वापस आने का प्रयास कर रहा हूं। ग्राम पंचायत सीट जीतने वाले प्रबीर ने कहा- ममता बनर्जी के सत्ता में आने के बाद वह तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गया था। उसके खिलाफ हत्या के दो मामले हैं। गोपीबल्लभपुर के तृणमूल कांग्रेस विधायक चूड़ामणि हांसदा पूर्व माओवादियों को टिकट देने का बचाव करते हुए कहते हैं कि उन लोगों को जबरन संगठन में शामिल किया गया था। अब ऐसे लोग जीत के बाद सतर्कता बरतें, तो इलाके में माओवादी दोबारा पैर नहीं जमा सकते। इसी तरह बीनपुर के तृणमूल विधायक श्रीकांत महतो कहते हैं- माकपा शासन के दौरान जंगलमहल इलाके के युवा मजबूरन माओवादी दस्ते में शामिल हुए थे। अब वे मुख्यधारा में आना चाहते हैं। उनकी सहायता करना हमारा नैतिक दायित्व है। दूसरी ओर, माकपा ने इतनी बड़ी संख्या में माओवादियों को टिकट देने के लिए तृणमूल कांग्रेस की आलोचना की है। पार्टी के पश्चिम मेदिनीपुर जिला सचिव दीपक सरकार कहते हैं कि तृणमूल ने पूर्व माओवादियों को टिकट देकर इलाके में आतंक फैला दिया है। कई जगह दूसरे लोग डर के मारे चुनाव नहीं लड़ रहे हैं। वे कहते हैं कि तृणमूल ने माओवादियों के खिलाफ दायर मामलों को वापस लेने का भरोसा देकर उनको अपने पाले में कर लिया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 20 जून को ही राज्य सरकार को भेजे एक पत्र में चेताया था कि ओड़िशा और महाराष्ट्र की तरह बंगाल में माओवादी वोटरों को डरा-धमका कर कई सीटों पर जीत दर्ज कर सकते हैं। पत्र में सरकार से चुनाव के दौरान खासकर जंगलमहल इलाके में सुरक्षा के मजबूत इंतजाम करने को कहा गया था कि ताकि वोटरों और दूसरे दलों के उम्मीदवारों को डराने-धमकाने के मामलों पर अंकुश लगाया जा सके। http://www.jansatta.com/index.php/component/content/article/1-2009-08-27-03-35-27/48716-2013-07-11-03-54-21 |
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