Saturday, July 13, 2013

मृतक मजदूर के परिजनों को मुआवजे के लिए संघर्ष

मृतक मजदूर के परिजनों को मुआवजे के लिए संघर्ष


देश के औद्योगिक क्षेत्रों में रोज़ मजदूरों के साथ दुर्घटनाएं होती रहती हैं जिनके बारे में पता भी नहीं चलता। ऐसी ही एक दुर्घटना राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र एनसीआर के फरीदाबाद, हरियाणा में 8 जुलाई को हुई। इसके बाद इंकलाबी मजदूर केंद्र के कार्यकर्ताओं ने मजदूरों के साथ मिल कर संघर्ष किया। इसके बारे में  इंकलाबी मजदूर केंद्र के ब्लॉग में एक खबर प्रकाशित हुई है। आइएदेखते हैं क्या है पूरी खबर -

मृतक मजदूर के परिजनों को मुआवजे के लिए संघर्ष 

फरीदाबाद। औद्योगिक क्षेत्र सेक्टर 24 स्थित साधू फोजिंग प्रा.लि. में एक औद्योगिक दुर्घटना में एक मजदूर की मृत्यु हो गयी तथा एक अन्य मजदूर गम्भीर रूप से घायल हो गया। दुर्घटना मशीन से एक सरिया के टूटकर छिटकने से हुई। सरिया का एक हिस्सा एक 30 वर्षीय मजदूर दिनेश के माथे में धँस गया जिससे उसकी खोपड़ी खुल गयी तथा उसकी मौके पर ही मृत्यु हो गयी जबकि सरिया का दूसरा हिस्सा एक 55 वर्षीय मजदूर के मुँह पर लगा जिससे उसका जबड़ा टूट गया और वह गम्भीर रूप से घायल हो गया।

इस दुर्घटना के पीछे असल कारण साधू फोर्जिंग के मालिक व प्रबंधन द्वारा अधिक मुनाफे के लालच में अप्रशिक्षित मजदूरों को मशीन पर काम करवाना तथा उस पर कोई सुरक्षा उपकरण उपलब्ध न कराना रहा है।

मृतक मजदूर सेक्टर 24 स्थित झुग्गी बस्ती आजाद नगर में रहता था जिसका परिवार उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ में रहता था। दुर्घटना के बाद कम्पनी ने आनन-फानन में मृतक काई.एस.आई. कार्ड बनवाकर उसे ई.एस.आई. अस्पताल में भर्ती करवा दिया। स्थानीय पुलिस प्रशासन को भी प्रबन्धन व मालिक ने अपने साथ मिला लिया था। जब इंमके के कार्यकर्ता ई.एस.आई अस्पताल पहुँचे तो पुलिस प्रशासन के लोग वहीं पर कुछ ले देकर समझौते की बात करने लगे। इमके कार्यकर्ताओं ने मृतक के परिजनों के पहुँचने पर ही किसी तरह की बातचीत या कार्यवाही करने की बात की।

अगले दिन जब मृतक के परिजन पहुँचे तो थाने तथा प्रबन्धकों के दलाल वहाँ मंडराने लगे। इमके ने मृतक के परिजनों को विश्वास में लेकर दुर्घटना के खिलाफ प्राथमिक रिपोर्ट दर्ज कराने की बात रखी लेकिन परिजनों की मनोस्थिति को देखते हुये समुचित मुआवजे के लिये संघर्ष करने पर सबकी सहमति बनी। मृतक के परिजनों के साथ लगभग 150 के लगभग बस्ती के मजदूरों को साथ लेकर जब इमके कार्यकर्ता थाने पहुँचे तो पुलिस वाले भड़क गये और धमकाने के अंदाज में बोले कि आप इतने लोगों को लेकर क्यों आये ? 2-4  लोग आ जाते। इस पर उपस्थित जनसमूह द्वारा यह कहने पर कि वे अपनी मर्जी से वहाँ आये हैं, पुलिस के तेवर ढीले पड़ गये। अन्त में उन्होंने वार्ता के लिये प्रबन्धन को भी बुला लिया। पुलिस प्रशासन थाने में पूरी तरह प्रबन्धन की भाषा बोलने लगा व प्रबन्धन दो लाख से ज्यादा का मुआवजा न देने की बात कहकर वार्ता से चला गया।

ऐसे में इमके ने प्रबन्धन और मालिक पर मुकदमा दर्ज कर तुरन्त गिरफतारी की माँग की। यह सूचना जब दलालों व बिचैलियों के माध्यम से मालिक व प्रबन्धन के पास पहुँची तो उसने मजदूरों के प्रतिनिधियों को फैक्टरी के अन्दर वार्ता के लिये बुलाया। इससे पूर्व मृतक के परिजनों को दलालों द्वारा जबर्दस्ती गाड़ी में बिठाकर थाने से ले जाने की कोशिश की गयी जिसे जनसमूह ने विफल कर दिया। जनसमूह के तेवर देखकर प्रबंधन व मालिक दोबारा वार्ता के लिये राजी हुये और अन्ततः काफी नोंक-झोंक के बाद परिजनों की सहमति से पाँच लाख रुपये की मुआवजा राशि पर समझौता हुआ।

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