Thursday, July 18, 2013

विदेशी कोयला क्षेत्रों में जोखिम उठाने के लिए कोल इंडिया के मजबूर कर दिया!

विदेशी कोयला क्षेत्रों में जोखिम उठाने के लिए कोल इंडिया के मजबूर कर दिया!


एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास​


भारत सरकार की योजना के तहत कोल इंडिया ने विदेशी कोयला क्षेत्रों से कोयला निकालने का काम सुरु कर दिया है। आस्ट्रेलिया की तीन खदानों के अधिग्रहण का सौदा पक्का समझा जा रही है। जबकि कोल इंडिया ने मोजांबिक में अपने दो कोयला खानों में ड्रिलिंग का काम पूरा करके अफ्रीकी कोयला ब्लाकों के विकास का कार्यभार को अंजाम देना शुरु किया है।इसी बीच, भुगतान और मूल्य विवाद के बावजूद देश की सबसे बड़ी बिजली कंपनी एनटीपीसी के साथ कोयला आपूर्ति समझौतों पर दस्तखत करते हुए कंपनी ने उससे आयातित कोयला देने का वायदा भी किया है।कोल इंडिया ने विदेशों में खदानों के अधिग्रहण के लिए 6,000 करोड़ रुपये के फंड का सृजन किया है। सूत्रों के मुताबिक कोल इंडिया ने ऑस्ट्रेलिया की खदान फर्मों के साथ नॉन डिसक्लोजर एग्रीमेंट (एनडीए) भी कर लिया है और यह प्रस्ताव कोल इंडिया की बोर्ड सब-कमेटी के पास विचाराधीन है। कोल इंडिया के समक्ष अमेरिका व कोलंबिया से भी कोयला खदान के अधिग्रहण का प्रस्ताव है।कोल इंडिया लागत और कोयले ढुलाई के खर्च को देखते हुए अमेरिका व कोलंबिया स्थित खदान का अधिग्रहण करने के पक्ष में नहीं है।


कोल इंडिया सूत्रों के मुताबिक चालू वित्त वर्ष में कोयले की जरूरत को पूरा करने के लिए बिजली कंपनियों की मांग को देखते हुए 50-60 लाख टन कोयले का आयात कर सकती है। चालू वित्त वर्ष में कोल इंडिया बिजली क्षेत्र को 3770 लाख टन कोयले की आपूर्ति करेगी। सूत्रों के मुताबिक जरूरत पडऩे पर कोल इंडिया यह आयात सरकारी उपक्रम एमएमटीसी व एसटीसी के माध्यम से कोयले का आयात करेगी। बुधवार को दोनों कंपनियों, कोल इंडिया और एनटीपीसी ने 28 ईंधन आपूर्ति समझौते (एफएसए) पर दस्तखत किये. इनमें एनटीपीसी की 17 उत्पादन इकाइयां और एनटीपीसी व अन्य कंपनी के संयुक्त उपक्रम की 11 उत्पादन इकाइयां शामिल हैं।एनटीपीसी के चेयरमैन व प्रबंध निदेशक अरूप रायचौधरी ने कहा कि इस समझौते के तहत कोल इंडिया  एनटीपीसी को 60 मिलियन टन कोयले की आपूर्ति करेगी. इससे 14010 मेगावाट अतिरिक्त बिजली का उत्पादन किया जायेगा।पुराने व नये एफएसए को मिला कर कोल इंडिया अब एनटीपीसी को कुल 174 मिलियन टन कोयले की आपूर्ति करेगी।समझौते के अनुसार कोल इंडिया को कुल मांग का 80 फीसदी कोयले की आपूर्ति करनी होगी। कंपनी ने 2030 तक एक लाख 32 हजार मेगावाट बिजली उत्पादन का लक्ष्य रखा है।कोल इंडिया लिमिटेड के चेयरमैन एस नरसिंह राव ने कहा कि दोनों कंपनियों के बीच कोयला की गुणवत्ता व कीमत को लेकर कुछ समस्याएं थीं, जिसका समाधान किया जा चुका है।  अब कोल इंडिया व एनटीपीसी के बीच ईंधन आपूर्ति समझौता को लेकर फिलहाल कोई विवाद नहीं है।


मालूम हो कि कोयला मंत्री श्री प्रकाश जायसवाल पहले ही कह चुके हैं कि कोल इंडिया को विदेशी कोयला क्षेत्रों के अधिग्रहण के लिए आक्रामक रवैया अपनाना चाहिए। जबकि कोल इंडिया अपनी नकदी विदेशी कोयलाक्षेत्रों के जोखिमभरे उद्यम में खपाने के लिए तैयार नहीं है। देश में कोल इंडिया की भूमिका कत्म करके नीति निर्देशकों ने कोल इंडिया को इसके लिए मजबूर कर दिया।अधिग्रहण के लिए प्रस्तावित ऑस्ट्रेलिया की तीन खदानों से कोयले का उत्पादन शुरू हो चुका है। इनमें से एक की उत्पादन क्षमता 120 लाख टन है वहीं अन्य दो की उत्पादन क्षमता 250-250 लाख टन है।


मंत्री समूह के पैनल को दी गयी जानकारी में कोल इंडिया ने बताया है कि उसने मोजांबिक में हासिल कोयला ब्लाकों में जून केपहले हफ्ते में ही ड्रिलिंग शुरु कर दी है।जबकि 30 हजार मीटर कोयला क्षेत्र की ड्रिलिंग मई में ही पूरी हो गयी।इस पैनल का गठन कोल इंडिया के कामकाज की समीक्षा के लिए किया गया है।कोल इंडिया ने पैनल को बताया कि सारे कोयला ब्लाकों की मैपिंग का काम कंस्लटेंट के जरिये उसने पूरा कर लिया है।


गौरतलब है कि कोलइंडिया अफ्रिकिना लिमिटेड ने अगस्त, 2009 में इन ब्लाकों का पांचसाला लाइसेंस हासिल कर लिया था।मोजाबिक में ए- वन और ए-टू नाम के ये कोयला ब्लाक का क्षेत्रफल 200 वर्ग किमी है।इसके विकास और कोयला उत्पादन के लिए कोल इंडिया ने अपनी अनुषंगी इकाई कोलइंडिया अफ्रिकिना लिमिटेड का गठन भी 2009 में कर लिया था।


अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कोयले की मांग में कमी से इन दिनों विदेश की कई चालू कोयला खदान घाटे में चल रही हैं और उन खदान को बेचने की तैयारी चल रही है। कोल इंडिया इस मौके का फायदा उठाते हुए ऑस्ट्रेलिया में तीन खदानों का अधिग्रहण करने जा रही है। इन तीन खदानों के अधिग्रहण से अगले पांच साल में कोयले की मांग व आपूर्ति में होने वाले अंतर को कम किया जा सकता है।


कोल इंडिया अनुबंधित मात्रा का 80 प्रतिशत घरेलू स्रोत से आपूर्ति करने का लक्ष्य बना रही है। जबकि बिजली इकाइयों के साथ किए गए नए ईंधन आपूर्ति समझौतों के तहत कंपनी को घरेलू स्रोत से 65 प्रतिशत की आपूर्ति करने का लक्ष्य है। कोल इंडिया के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक एस नरसिंग राव ने कहा, 'संभवत: सिमहाद्री इकाई को छोड़कर एनटीपीसी का कोई ऐसा संयंत्र नहीं है जिसे सालाना अनुबंधित मात्रा का 80 प्रतिशत से कम ईंधन मिल रहा है। अगर हम थोड़ा और प्रयास करें तो हम उस इकाई को भी 80 प्रतिशत कोयले की आपूर्ति कर सकते हैं।'ईंधन आपूर्ति समझौते (एफएसए) के तहत कोल इंडिया को बिजली संयंत्रों को 65 प्रतिशत कोयला घरेलू स्रोत से जबकि शेष 15 प्रतिशत आयात के जरिए उपलब्ध कराना है ताकि वह 80 प्रतिशत की बध्यता को पूरा कर सके।






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