Tuesday, July 9, 2013

उत्तराखंड आपदाः एसोचैम ने मांगे दस हजार करोड़

उत्तराखंड आपदाः एसोचैम ने मांगे दस हजार करोड़

देहरादून/ ब्यूरो | अंतिम अपडेट 8 जुलाई 2013 9:00 AM IST पर

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द एसोसिएटेड चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया(एसोचैम) ने आपदा प्रभावित रुद्रप्रयाग, चमोली और उत्तरकाशी के पुनर्वास और विस्थापन को केंद्र सरकार से दस हजार करोड़ रुपये के पैकेज की मांग की है। एसोचैम ने इस जिलों का सर्वेक्षण कर एक रिपोर्ट जारी की है।

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रविवार को एक होटल में आयोजित प्रेस वार्ता में एसोचैम के महासचिव डीएस रावत ने कहा कि आपदा से पर्यटन क्षेत्र को सबसे अधिक नुकसान हुआ है। इस क्षेत्र में जुड़े 1.80 लाख लोगों के सामने रोजगार का संकट खड़ा हो गया है। उद्योग जगत के लिए भी आपदा विनाशक साबित हुई।

5150 लोगों का उद्योगों से जुड़ा रोजगार सीधे तौर पर प्रभावित हुआ है। तीनों जिलों में करीब 4500 औद्योगिक इकाइयां हैं, जिनमें करीब दस हजार लोगों की जीविका जुड़ी है। अनुमान है कि मार्च 2012 तक इनमें कुल 90 करोड़ रुपये का निवेश हुआ था। गैर पंजीकृत इकाइयों से जुड़े 650 लोग बेरोजगार हो गए हैं।

3758 गांवों की विद्युत आपूर्ति प्रभावित

इसके अलावा 1418 पेयजल योजनाएं और 3758 गांवों की विद्युत आपूर्ति प्रभावित हुई है। 35844 घर आपदा की भेंट चढ़ गए। 8188 हेक्टेयर कृषि भूमि नष्ट हो गई है। एसोचैम ने मांग की है कि प्रभावित जिलों में एक परिवार से कम से कम दो लोगों को 150 रुपये दिहाड़ी पर विकास योजनाओं में काम दिया जाए।

महासचिव डीएस रावत के अनुसार फौरी तौर पर केंद्र सरकार से दस हजार करोड़ रुपये मांगे गए हैं जबकि इन तीन जिलों को 18 हजार करोड़ रुपये से अधिक के पैकेज की जरूरत है। प्रेस वार्ता में एसोचैम के सीएस राव भी मौजूद रहे।

पर्यटन पर निर्भर है अर्थव्यवस्था

एसोचैम का तर्क है कि प्रदेश की अर्थव्यवस्था में पर्यटन व्यवसाय का बड़ा योगदान है। व्यापार, होटल और पर्यटन क्षेत्र मिलकर राज्य के सकल घरेलू उत्पाद में एक चौथाई योगदान करते हैं।

चमोली, रुद्रप्रयाग और उत्तरकाशी में आने वाले पर्यटकों का प्रतिशत प्रदेश में आने वाले कुल पर्यटकों की तुलना में 19 प्रतिशत है। इन तीन जिलों में तबाही से राज्य सकल घरेलू उत्पाद को पांच हजार करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ है।

किस सेक्टर में कितनी जरूरत
इंडस्ट्रीज - 1147 करोड़
पर्यटन - 4170 करोड़
सड़कें - 950 करोड़
पेयजल - 284 करोड़
बिजली - 225 करोड़
घर - 292 करोड़
फसलें - 79 करोड़
लाइवस्टोक (मिल्क प्रोडक्शन, अंडा कारोबार, मीट उत्पादन, ऊन व रेशम उत्पादन) - 248 करोड़
विस्थापन - 972 करोड़

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