केंद्र खुद पोंजी स्कीमों पर अध्यादेश लागू करने की तैयारी में,नया कानून भी बनेगा, दीदी का विधेयक खटाई में!
एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
शारदा फर्जीवाड़े के भंडाफोड़ के बाद बंगाल की मुख्यमंत्री ने तुरत फुरत विधानसभा का विशेष अधिवेशन बुलाकर जो चिटफंड विरोधी वेधेयक पारित किया,उसके अब जल्दी कानून बनने के आसार नहीं है।केंद्र सरकार पोंजी स्कीम पर अंकुश लगाने का श्रेय दीदी को देना नहीं चाहती और इसलिए बंगाल के चिटफंड पर नियंत्रण संबंधी विधेयक को खटाई में डाल दिया गया है। अब केंद्र खुद पोंजी स्कीमों पर अध्यादेश लागू करने की तैयारी में है । कैबिनेट की बैठक में पोंजी स्कीमों पर अध्यादेश पर विचार होगा। इसके तहत कलेक्टिव इन्वेस्टमेंट स्कीम के रेगुलेशन के नियम सख्त होंगे।वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने कहा है कि सरकार नया कानून बनाएगी ताकि पोंजी स्कीम चलाने वाले नियामकीय निगाह में आने से न बच सकें।केंद्रीय कैबिनेट ने एक अन्य महत्वपूर्ण संशोधन करते हुए सेबी को 'चिट फंड' कंपिनयों को नियंत्रित करने के लिए प्रतिभूति से जुड़े कानूनों में भी बदलाव किये।चिट फंड गैर-कानूनी न होते हुए भी शिथिल एवं अपर्याप्त नियमों के चलते देश भर में निवेश की पोंजी तथा पिरामिड स्कीमों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही थी। जिसके चलते इन योजनाओं में निवेश करने वाले कई निवेशकों को धोखाधड़ी की सामना करना पड़ा था।
खबर यह कि संसद के मानसून सत्र में ही केंद्र सरकार प्राइज चिट एंडसर्कुलेटिंग स्कीम( प्रतिबंध) संशोधन विधेयक पारित करने वाली है। गौरतलब है कि 1978 में तत्कालीन जनता पार्टी सरकार ने इसी नाम से कानून बनाया था।बंगाल सरकार ने वामपंथियों के विधेयक को खारिज करके नया विधेयक तैयार किया तो केंद्र सरकार जनतापार्टी के बनाये कानून को ही संशोधित करने जा रही है।
पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से विधानसभा के विशेष अधिवेशन में पारित विधेयक फिलहाल वित्तमंत्रालय के डीप फ्रिज में है। वहां से कारपोरेट मंत्रालय, कानून मंत्रालय और गृह मंत्रालय होकर ही यह विधेयक राष्ट्रपति के दरबार में पेश होगा। जबकि वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने केंद्र की ओर से कानून बनाने की तैयारी करने के अलावा सेबी के हाथ मजबूत करने और पोंजी फर्जीवाड़े के खिलाफ तदर्ध अध्यादेश की भी तैयारी कर ली है।
फिलहाल सरकार की योजना यह है कि आम निवेशकों को तत्काल राहत देने के लिए नया कानून पेश होने तक सेबी के अधिकार बढ़ा दिये जायें। योजना है कि अध्यादेश के बाद सेबी को निवेशकों का पैसा वसूलने का अधिकार मिलेगा। वसूले गए पैसे से निवेशकों के नुकसान की भरपाई होगीप्रस्तावित अध्यादेश आने के बाद 100 करोड़ रुपये से ज्यादा रकम जुटाने वाली कंपनियां सेबी के दायरे में आएंगी। इनकी जांच से पहले सेबी को मजिस्ट्रेट का आदेश लेने की जरूरत नहीं होगी। सेबी को नॉन-सिक्योरिटीज इंस्टिट्यूशंस से पूछताछ करने का अधिकार मिलेगा। साथ ही सेबी विदेशी एजेंसियों के साथ जानकारी बांट पाएगी।
दावा यह किया जा रहा है कि लुभावने ऑफर दिखाकर लोगों से पैसे जुटाने वाली पोंजी स्कीमों के खिलाफ सेबी कमर कस ली है। बाजार नियामक सेबी ने एक और कलेक्टिव इन्वेस्टमेंट स्कीम पर पाबंदी लगा दी है। जिसके बाद घी बेचने के नाम पर लोगों को दोगुना रिटर्न का लालच देने वाली कंपनी एचबीएन डेयरी को निवेशकों को पैसा लौटाना होगा।। सेबी ने एचबीएन डेरी के खिलाफ ऑर्डर जारी किया है। एचबीएन डेरी कैटल, घी के नाम पर लोगों से पैसा जमा कर रही थी। बाजार नियामक ने सीआईएस के नियमों के तहत ये कार्रवाई की है।
जानकारी के अनुसार एचबीएन ने लुभावनी स्कीम के तहत निवेशकों से करीब 1,100 करोड़ रुपये जुटाए हैं। वहीं सेबी ने एचबीएन को निवेशकों का पैसा 1 महीने में लौटाने का आदेश दिया है।
मालूम हो कि हाल ही में सेबी ने रोजवैली ग्रुप की हॉलिडे स्कीम पर पाबंदी लगाई थी। इससे अलावा सुमंगल इंडस्ट्रीज की आलू खरीद स्कीम पर सेबी ने रोक लगाई है।
राज्य सरकारों के बजाय चिटफंड कतारोबार को अपने नियंत्रण में लेने की केंद्र सरकार ने पहल कर दी है और इसी सिलसिले में सेबी अधियनियम 1992 में संशोधन करते हुए देश के प्रतिभूति नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (Securities and Exchange Board of India, SEBI, सेबी) के अधिकारों में वृद्धि कर दी गयी है। केंद्रीय मंत्रीमंडल ने 17 जुलाई 2013 को सेबी अधिनियम में संशोधन को मंजूरी दी।
सेबी बढ़ाये गये अधिकारों में शामिल है – निवेशकों के फोन कॉल के रिकॉर्ड्स की निगरानी कर पाना और संदेहास्पद कंपनियों की जांच करना शामिल है।अधिकारों में वृद्धि से सेबी को अधिकार होगा कि वह किसी भी संदेहास्पद कंपनी के परिसर एवं खातों की जांच कर सके।सेबी ने इन अधिकारों के लिए काफी लंबे समय से इनसाइडर ट्रेडिंग के दावों तथा देश पूंजी बाजार में जोड़-तोड़ की जांच के लिए सरकार के पास बिना न्यायालय की अनुमति के कॉल रिकॉर्ड्स की निगारानी कि अधिकार मांगे थे।
गौरतलब है कि चिदंबरम ने कहा है, 'मौजूदा समय में कंपनियों के लिए अपनी गैर कानूनी निवेश स्कीमों को कुछ इस तरह से चलाना संभव है जिससे कि वे किसी भी नियामक अथवा सरकारी विभाग की पकड़ में आने से बच सकें।' उन्होंने कहा कि फिलहाल कंपनियों के लिए अपने व्यवसाय को इस तरह से चलाना संभव है जिससे कि न तो उसे एनबीएफसी (गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी) और न ही चिट फंड या कोई और निगमित निकाय माना जा सकता है।
वित्त मंत्री ने कहा है, 'किसी भी नियामक के दायरे में स्पष्ट रूप से न आने के चलते ही विभिन्न कंपनियों का इस तरह का फर्जीवाड़ा जारी है। हम कुछ इस तरह का प्रयास करे रहे हैं कि जिससे कि हर स्कीम का किसी न किसी नियामक के दायरे में आना सुनिश्चित हो जाए। यह नियामक रिजर्व बैंक, सेबी और रजिस्ट्रार ऑफ चिट्स वगैरह कोई भी हो सकता है।'
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