Tuesday, March 31, 2015

भगत सिंह को पीली पगड़ी किसने पहनाई? चमन लालरिटायर्ड प्रोफ़ेसर, जेएनयू, दिल्ली

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Chaman Lal

भगत सिंह को पीली पगड़ी किसने पहनाई?
चमन लालरिटायर्ड प्रोफ़ेसरजेएनयूदिल्ली
·         29 मार्च 2015
मेरे पास भगत सिंह से जुड़ी 200 से ज़्यादा तस्वीरें हैं. इनमें उनकी प्रतिमाओं के अलावा किताबों और पत्रिकाओं में छपी और दफ़्तर वगैरह में लगी तस्वीरें शामिल हैं. ये तस्वीरें भारत के अलग अलग कोनों के अलावा मारिशसफिजी,अमरीका और कनाडा जैसे देशों से ली गई हैं.
इनमें से ज़्यादा तस्वीरें भगत सिंह की इंग्लिश हैट वाली चर्चित तस्वीर हैजिसे फ़ोटोग्राफ़र शाम लाल ने दिल्ली के कश्मीरी गेट पर तीन अप्रैल, 1929 को खींची थी. इस बारे में शाम लाल का बयान लाहौर षडयंत्र मामले की अदालती कार्यवाही में दर्ज है.
लेकिन पिछले कुछ वर्षों से मीडियाखासकर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में भगत सिंह की वास्तविक तस्वीरों को बिगाड़ने की मानो होड़ सी मच गई है. मीडिया में बार-बार भगत सिंह को किस अनजान चित्रकार की बनाई पीली पगड़ी वाली तस्वीर में दिखाया जा रहा है.
पढ़ें लेख विस्तार से
भगत सिंह (बाएँ से दाएँ)11 साल, 16 साल, 20 साल और क़रीब 22 साल की उम्र की तस्वीरें. (सभी तस्वीरें चमन लाल ने उपलब्ध कराई हैं.)
भगत सिंह की अब तक ज्ञात चार वास्तविक तस्वीरें ही उपलब्ध हैं.
पहली तस्वीर 11 साल की उम्र में घर पर सफ़ेद कपड़ों में खिंचाई गई थी.
दूसरी तस्वीर तब की है जब भगत सिंह क़रीब 16 साल के थे. इस तस्वीर में लाहौर के नेशनल कॉलेज के ड्रामा ग्रुप के सदस्य के रूप में भगत सिंह सफ़ेद पगड़ी और कुर्ता-पायजामा पहने हुए दिख रहे हैं.
तीसरी तस्वीर 1927 की हैजब भगत सिंह की उम्र क़रीब 20 साल थी. तस्वीर में भगत सिंह बिना पगड़ी के खुले बालों के साथ चारपाई पर बैठे हुए हैं और सादा कपड़ों में एक पुलिस अधिकारी उनसे पूछताछ कर रहा है.
चौथी और आखिरी इंग्लिश हैट वाली तस्वीर दिल्ली में ली गई है तब भगत सिंह की उम्र 22 साल से थोड़ी ही कम थी.
इनके अलावा भगत सिंह के परिवारकोर्टजेल या सरकारी दस्तावेज़ों से उनकी कोई अन्य तस्वीर नहीं मिली है.
आखिर क्यों?
वाईबी चव्हाणभगत सिंह की प्रतिमा का शिलान्यास करते हुए. (तस्वीर चमन लाल ने उपलब्ध करवाई है.)
आख़िरकारभगत सिंह की काल्पनिक और बिगाड़ी हुई तस्वीर इलेक्ट्रानिक मीडिया में वायरल कैसे हो गई?
1970 के दशक तक देश हो या विदेशभगत सिंह की हैट वाली तस्वीर ही सबसे अधिक लोकप्रिय थी. सत्तर के दशक में भगत सिंह की तस्वीरों को बदलने सिलसिला शुरू हुआ.
भगत सिंह जैसे धर्मनिरपेक्ष शख्स के असली चेहरे को इस तरह प्रदर्शित करने के लिए सबसे अधिक जिम्मेदार पंजाब सरकार और पंजाब के कुछ गुट हैं.
23 मार्च, 1965 को भारत के तत्कालीन गृहमंत्री वाईबी चव्हाण ने पंजाब के फ़िरोजपुर के पास हुसैनीवाला में भगत सिंहसुखदेव और राजगुरु के स्मारक की बुनियाद रखी. अब यह स्मारक ज़्यादातर राजनेताओं और पार्टियों के सालाना रस्मी दौरों का केंद्र बन गई है.
विचारों से दूरी
दरअसल भारत की सत्ताधारी पार्टियाँ भगत सिंह की बदली हुई तस्वीरों के साथ उन्हें एक प्रतिमा में बदलकर उसके नीचे उनके क्रांतिकारी विचारों को दबा देना चाहती हैंताकि देश के युवा और आम लोगों से उनसे दूर रखा जा सके.
ब्रिटेन में रहने वाले पंजाबी कवि अमरजीत चंदन ने वो तस्वीर शाया की है,जिसमें 1973 में खटकर कलाँ में पंजाब के उस समय के मुख्यमंत्री और बाद में भारत के राष्ट्रपति बने ज्ञानी जैल सिंह भगत सिंह की हैट वाली प्रतिमा पर माला डाल रहे हैं. भगत सिंह के छोटे भाई कुलतार सिंह भी उस तस्वीर में हैं.
भारत के केंद्रीय मंत्री रहे एमएस गिल बड़े ही गर्व के साथ कहते सुने गए हैं कि उन्होंने ही प्रतिमा में पगड़ी और कड़ा जोड़ा था. यह समाजवादी क्रांतिकारी नास्तिक भगत सिंह को 'सिख नायकके रूप में पेश करने की कोशिश थी.
क्रांतिकारी छवि
भगत सिंह के क्रांतिकारी लेख 1924 से ही विभिन्न अख़बारोंपत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहे हैं. इस समय उनके लेख किताबोंपुस्तिकाओंपर्चों वगैरह के रूप में छप रहे हैंजिनसे इस नायक की क्रांतिकारी छवि उभर कर सामने आती है.
अस्सी के दशक तक भगत सिंह का लेखन हिंदीपंजाबी और अंग्रेजी में छप चुका थाजिसकी भूमिका बिपिन चंद्रा जैसे प्रसिद्ध इतिहासकार ने लिखी थी.
उनके लेखन से यह प्रमाणित हो गया कि वो एक समाजवादी और मार्क्सवादी विचारक थे. इससे भारत के कट्टरपंथी दक्षिणपंथी धार्मिक समूहों के कान खड़े हो गए.
मीडिया की साज़िश?
भगत सिंह को बहादुर और देशभक्त बताने के लिए उन्हें पीली पगड़ी में दिखाना ज्यादा आसान समझा गया.
यह उग्र मीडिया प्रचार के जरिए भगत सिंह की बदली गई छवि के ज़रिए एक अंतरराष्ट्रीय क्रांतिकारी विचारक के मुक्तिकामी विचारों को दबाने की साज़िश है.
(चमन लाल जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालयदिल्ली के सेवानिवृत्त प्रोफ़ेसर हैं. उन्होंने भगत सिंह के सम्पूर्ण दस्तावेजों का संपादन किया है. वो हिन्दीपंजाबी और अंग्रेजी में भगत सिंह पर किताबें लिख चुके हैं जिनका उर्दूमराठी और बांग्ला इत्यादि में अनुवाद हो चुका है.)

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