Friday, October 23, 2015

आइए, अगले हब्शी के फंदे में फंसने का इंतजार करते हैं



Eeny, meena, mina, mo,
Catch a nigger by the toe;
If he hollers let him go,
Eena, meena, mina, mo

(नस्लवादी अर्थ लिए हुए बच्चों के खेल का एक गीत)

''एनी, मीना, मिना मो,
हब्शी को अंगूठा धरके पकड़ो
गर वो चिल्लाए तो जाने दो
एनी, मीना, मिना मो''

फरीदाबाद में जब उनका कत्ल किया गया, दिव्या 11 महीने की थी और उसका भाई वैभव दो साल का था. यह जगह एक औद्योगिक शहर है, जहां कारोबारी दुनिया की कुछ सबसे बड़ी कंपनियों के मुख्यालय हैं - बाटा, यामाहा, महिंद्रा डिफेंस, लखानी शूज, ओरिएंट फैन्स, एक खत्म न होनेवाली फेहरिश्त जिससे 'शाइनिंग इंडिया' का नाम निकला है. 

उन्हें मार दिया गया, क्योंकि वे दलित थे! कत्ल का हथियार कत्ल के इरादे जितना ही जहरीला था: उन्हें जला कर मारा गया.

हममें से कई यह नहीं जानते कि फरीदाबाद हिना बनाने के लिए भी मशहूर है. हिना: इंसानों को जितने रंग मालूम हैं, उनमें सबसे खूबसूरत रंग. एक ऐसा रंग, जो एक दिलेर और जिंदादिल लड़की के हाथों की निशानी है, एक खुशबू जो मुहब्बत की याद दिलाती है. कहा जाता है कि ये भारत में त्योहारों का मौसम है, जैसे उन मुल्कों में क्रिसमस का मौसम होता है, जहां कॉरपोरेट दिग्गजों के मुसाहिब लोग रहते हैं. मुझे यकीन है, दिव्या और वैभव की उस बदकिस्मत मां रेखा ने भी अपनी नन्हीं परी के लिए हिना के मंसूबे बनाए होंगे. लेकिन यह पूछने लायक बात नहीं है. है न? ऐसे में, जब दिव्या और वैभव जैसे धरती के अभागे इस जानलेवा हवा में सांसें लेने की कोशिश करते हैं. लेकिन इसमें कोई शक नहीं कि जब काला धुआं उनके नन्हें, गुलाबी फेफड़ों में दाखिल हुआ होगा तो वे चिल्लाए होंगे...या शायद नहीं भी चिल्लाए हों.

आइए, अगले हब्शी के फंदे में फंसने का इंतजार करते हैं.

प्रो. शाह आलम खान
एम्स, नई दिल्ली 
--
Pl see my blogs;


Feel free -- and I request you -- to forward this newsletter to your lists and friends!

No comments:

Post a Comment

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...

Census 2010

Welcome

Website counter

Followers

Blog Archive

Contributors