Subject: वनाधिकार समितियों का प्रशिक्षण स्थान: अधौरा, जिला कैमूर, बिहार 9 फरवरी को अर्ध सैनिक बलों के कब्ज़े से हस्पताल को वनाधिकार कानून के तहत मुक्त कराया जाएगा
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बिहार के कैमूर जिला के अधौरा में पिछले छह माह से वहां के स्थानीय संगठन कैमूर मुक्ति मोर्चा घटक जनमुक्ति आंदोलन व रा0 वनजन श्रमजीवी मंच की पहल से संसद द्वारा पारित वनाधिकार काननू 2006 के लागू करने की अधूरी प्रक्रिया को तेज़ी देने का काम किया जा रहा है। इस प्रक्रिया के तहत जनसंगठनों ने प्रशासन द्वारा कानून को लागू करने में अनदेखी किए जाने का कड़ा विरोध किया है जिसके तहत कानून के अनुरूप जो वनाधिकार समितियों को गठन होना था उसे कानून के अनुरूप न कर दबंग किस्म के लोगों को उसमें नियुक्त किया गया था। इस बात को संगठन के सम्मेलन 11 व 12 अक्तूबर 2012 को स्वयं बीडीअे ने स्वीकार किया था। उसी समय जनसंगठनों ने यह मांग की थी कि संगठन के देखरेख में अब इन समितियों का गठन किया जाएगा। इसी प्रक्रिया के तहत प्रशासन के सहयोग ने पिछले चार माह से इन समितियों का गठन विभिन्न गांवों में ज़ारी है व संगठन के पहल के तहत अब तक लगभग 20 गांवों में इन वनाधिकार समितियों का गठन कानून के अनुरूप किया गया है। इन समितियों में बड़ी संख्या में महिला चुन कर आई है व अधिकांश जगह पर महिला ही अध्यक्ष चुनी गई हैं। वनाधिकार कानून में सबसे ज्यादा महत्व सामुदायिक अधिकारों व महिलाओं की बराबर की भागीदारी को दिया गया है। इस लिए कानूनों के इन तमाम प्रावधानों को समझाने के बाद ग्रामीणों द्वारा स्वंय इन समितियों को गठन करने में काफी दिलचस्पी दिखाई गई और वनाधिकार कानून को अच्छी तरह से समझ कर इन समितियों का गठन किया गया। यह गठन सबसे कठिन गांवों में जहां पहुंच के लिए अभी तक किसी भी सड़क का निर्माण किया गया है वहां किया गया। इस गठन को करने के लिए संगठन के सैंकड़ों लोगों द्वारा एक गांव से दूसरे गांवों में उत्सव के रूप में जा कर किया गया। अब तक मुख्य रूप से इन समितियों का गठन निम्नलिखित गांवों में हो चुका है व बाकी गांवों में गठन ज़ारी है। जिन गांवों में इन समितियों का गठन हो चुका है संगठन ने अब यह मांग की है कि इन समितियों के अध्यक्ष व सचिवों की एक प्रशिक्षण प्रशासन के माध्यम से कराया जाए व कानून को लागू करने की प्रक्रिया को शुरू किया जाए। इसी प्रक्रिया के तहत 8 फरवरी 2013 को इन वनाधिकार समितियों के पदाधिकारीयों को कानून को लागू करने के लिए सामुदायिक व व्यक्तिगत दावों को भरने का प्रशिक्षण दिया जाएगा। यह प्रशिक्षण निम्नलिखित गांवों में दिया जाएगा।
गाॅव/टोला
1 डुमरांव
2 बहाबार
3 बयूफोर
4 बड़वान
5 पीपरा
6 अधौरा
7 बड़ाप
8 बहादाग
9 गल्लु
10 गुईयां
11 कुठिलाबा
12 दुग्गह
13 धहार
14 पंचमाहुल
15 नवकाडीह
इस प्रशिक्षण को रा0 वनजन श्रमजीवी मंच के रोमा, रजनीश, अशोकचैधरी, बालकेश्वर, हुलसी व सरिता द्वारा दिया जाएगा।
वनाधिकार समितियों को गठन करते वक्त सबसे बड़ी बात यह देखने में आई कि अधौरा प्रखंड़ में सबसे बड़ी दिक्कत विकास की है। एक भी गांव इस क्षेत्र में सड़क से नहीं जुड़ा हुआ है। जो स्कूल बने है जैसे बड़ाप, पीपरा या बड़वान वहां कोई अध्यापक जाने को तैयार नहीं है। और कई गांव जैसे दुग्गाह में माओवादीयों द्वारा स्कूलों को विस्फोट से उड़ा दिया गया है वहां चार साल बाद अभी तक स्कूल का निर्माण किया गया है, वहां पर अध्यापिका भी भभुआ से नियुक्त की गई है जो कि बड़ी मुश्किल से महीने में एक बार ही पहुंच पाती है। गुल्लु गांव के तो स्कूल का निर्माण अभी तक अधूरा है वहां के प्रधान सारे फंड को लील गए। लेकिन गांवों में अभी तक किसी भी प्रकार की जांच नहीं हो रही है।
एक बड़ा अस्पताल जो कि अधौरा प्रखंड़ में है उसपर अर्ध सैनिक बल का कब्जा है जो इस पिछड़े व गरीब इलाके के जीवन के साथ खिलवाड़ है। यहां के तैनात डाक्टर मौज कर रहे है व मुफत में ही तनख्वाह पा रहे हैं। अक्सर छोटी छोटी बीमारीयों से यहां के लोग मर जाते हैं व भभुआ जो कि 60 किमी है वहां पर प्रावेइट डाक्टरों द्वारा इनको भरपूर लूटा जाता है। इसलिए वनाधिकार समितिों ने एक नोटिस प्रशासन व शासन को दिया है कि अर्ध सैनिक बलों से 9 फरवरी 2013 को हस्पताल को खाली करवाया जाएगा। ताकि 30 बेड वाले हस्पताल को शुरू किया जा सके।
वनाधिकार कानून विकास की कूंजी है जिसे लागू करना अत्यंत ही अनिवार्य है। इस कानून को लागू करने के लिए वनाधिकार समितियां व जनसंगठन ने अब कमर कस ली है।
--
NFFPFW / Human Rights Law Centre
c/o Sh. Vinod Kesari, Near Sarita Printing Press,
Tagore Nagar
Robertsganj,
District Sonbhadra 231216
Uttar Pradesh
Tel : 91-9415233583, 05444-222473
Email : romasnb@gmail.com
http://jansangarsh.blogspot.com
To:
वनाधिकार समितियों का प्रशिक्षण
स्थान: अधौरा, जिला कैमूर, बिहार
8 फरवरी 2013, बीडीओ कार्यालय
9 फरवरी को अर्ध सैनिक बलों के कब्ज़े से हस्पताल को वनाधिकार कानून के तहत मुक्त कराया जाएगा
स्थान: अधौरा, जिला कैमूर, बिहार
8 फरवरी 2013, बीडीओ कार्यालय
9 फरवरी को अर्ध सैनिक बलों के कब्ज़े से हस्पताल को वनाधिकार कानून के तहत मुक्त कराया जाएगा
बिहार के कैमूर जिला के अधौरा में पिछले छह माह से वहां के स्थानीय संगठन कैमूर मुक्ति मोर्चा घटक जनमुक्ति आंदोलन व रा0 वनजन श्रमजीवी मंच की पहल से संसद द्वारा पारित वनाधिकार काननू 2006 के लागू करने की अधूरी प्रक्रिया को तेज़ी देने का काम किया जा रहा है। इस प्रक्रिया के तहत जनसंगठनों ने प्रशासन द्वारा कानून को लागू करने में अनदेखी किए जाने का कड़ा विरोध किया है जिसके तहत कानून के अनुरूप जो वनाधिकार समितियों को गठन होना था उसे कानून के अनुरूप न कर दबंग किस्म के लोगों को उसमें नियुक्त किया गया था। इस बात को संगठन के सम्मेलन 11 व 12 अक्तूबर 2012 को स्वयं बीडीअे ने स्वीकार किया था। उसी समय जनसंगठनों ने यह मांग की थी कि संगठन के देखरेख में अब इन समितियों का गठन किया जाएगा। इसी प्रक्रिया के तहत प्रशासन के सहयोग ने पिछले चार माह से इन समितियों का गठन विभिन्न गांवों में ज़ारी है व संगठन के पहल के तहत अब तक लगभग 20 गांवों में इन वनाधिकार समितियों का गठन कानून के अनुरूप किया गया है। इन समितियों में बड़ी संख्या में महिला चुन कर आई है व अधिकांश जगह पर महिला ही अध्यक्ष चुनी गई हैं। वनाधिकार कानून में सबसे ज्यादा महत्व सामुदायिक अधिकारों व महिलाओं की बराबर की भागीदारी को दिया गया है। इस लिए कानूनों के इन तमाम प्रावधानों को समझाने के बाद ग्रामीणों द्वारा स्वंय इन समितियों को गठन करने में काफी दिलचस्पी दिखाई गई और वनाधिकार कानून को अच्छी तरह से समझ कर इन समितियों का गठन किया गया। यह गठन सबसे कठिन गांवों में जहां पहुंच के लिए अभी तक किसी भी सड़क का निर्माण किया गया है वहां किया गया। इस गठन को करने के लिए संगठन के सैंकड़ों लोगों द्वारा एक गांव से दूसरे गांवों में उत्सव के रूप में जा कर किया गया। अब तक मुख्य रूप से इन समितियों का गठन निम्नलिखित गांवों में हो चुका है व बाकी गांवों में गठन ज़ारी है। जिन गांवों में इन समितियों का गठन हो चुका है संगठन ने अब यह मांग की है कि इन समितियों के अध्यक्ष व सचिवों की एक प्रशिक्षण प्रशासन के माध्यम से कराया जाए व कानून को लागू करने की प्रक्रिया को शुरू किया जाए। इसी प्रक्रिया के तहत 8 फरवरी 2013 को इन वनाधिकार समितियों के पदाधिकारीयों को कानून को लागू करने के लिए सामुदायिक व व्यक्तिगत दावों को भरने का प्रशिक्षण दिया जाएगा। यह प्रशिक्षण निम्नलिखित गांवों में दिया जाएगा।
गाॅव/टोला
1 डुमरांव
2 बहाबार
3 बयूफोर
4 बड़वान
5 पीपरा
6 अधौरा
7 बड़ाप
8 बहादाग
9 गल्लु
10 गुईयां
11 कुठिलाबा
12 दुग्गह
13 धहार
14 पंचमाहुल
15 नवकाडीह
इस प्रशिक्षण को रा0 वनजन श्रमजीवी मंच के रोमा, रजनीश, अशोकचैधरी, बालकेश्वर, हुलसी व सरिता द्वारा दिया जाएगा।
वनाधिकार समितियों को गठन करते वक्त सबसे बड़ी बात यह देखने में आई कि अधौरा प्रखंड़ में सबसे बड़ी दिक्कत विकास की है। एक भी गांव इस क्षेत्र में सड़क से नहीं जुड़ा हुआ है। जो स्कूल बने है जैसे बड़ाप, पीपरा या बड़वान वहां कोई अध्यापक जाने को तैयार नहीं है। और कई गांव जैसे दुग्गाह में माओवादीयों द्वारा स्कूलों को विस्फोट से उड़ा दिया गया है वहां चार साल बाद अभी तक स्कूल का निर्माण किया गया है, वहां पर अध्यापिका भी भभुआ से नियुक्त की गई है जो कि बड़ी मुश्किल से महीने में एक बार ही पहुंच पाती है। गुल्लु गांव के तो स्कूल का निर्माण अभी तक अधूरा है वहां के प्रधान सारे फंड को लील गए। लेकिन गांवों में अभी तक किसी भी प्रकार की जांच नहीं हो रही है।
एक बड़ा अस्पताल जो कि अधौरा प्रखंड़ में है उसपर अर्ध सैनिक बल का कब्जा है जो इस पिछड़े व गरीब इलाके के जीवन के साथ खिलवाड़ है। यहां के तैनात डाक्टर मौज कर रहे है व मुफत में ही तनख्वाह पा रहे हैं। अक्सर छोटी छोटी बीमारीयों से यहां के लोग मर जाते हैं व भभुआ जो कि 60 किमी है वहां पर प्रावेइट डाक्टरों द्वारा इनको भरपूर लूटा जाता है। इसलिए वनाधिकार समितिों ने एक नोटिस प्रशासन व शासन को दिया है कि अर्ध सैनिक बलों से 9 फरवरी 2013 को हस्पताल को खाली करवाया जाएगा। ताकि 30 बेड वाले हस्पताल को शुरू किया जा सके।
वनाधिकार कानून विकास की कूंजी है जिसे लागू करना अत्यंत ही अनिवार्य है। इस कानून को लागू करने के लिए वनाधिकार समितियां व जनसंगठन ने अब कमर कस ली है।
--
NFFPFW / Human Rights Law Centre
c/o Sh. Vinod Kesari, Near Sarita Printing Press,
Tagore Nagar
Robertsganj,
District Sonbhadra 231216
Uttar Pradesh
Tel : 91-9415233583, 05444-222473
Email : romasnb@gmail.com
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