राम की धर्मनिरपेक्षता, हिंदुत्व का भविष्य, नंदी और ममता की ईमानदारी
एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
रामचंद्र गुहा जैसे विद्वान को देश के भविष्य बतौर नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी नजर नहीं आते। धर्मनिरपेश्रता नजर आती है। कैसी धर्मनिरपेक्षता? मनुस्मृति व्यवस्था को कायम रखने के लिए हिंदुत्व को खारिज करके अस्पृशयता, भेदभाव और दमन के
यथार्थ के नजरअंदाज करके बहुसंख्यक जनता के खिलाफ युद्ध की धर्मनिरपेक्षता या कारपोरेट मुक्त बाजार की क्रयशक्ति आधारित धर्मनिरपेक्षता या फिर जनसंहार की धर्मनिरपेक्षता?
बंगाल के वर्चस्ववादी सत्तावर्ग को बेनकाब करनेवाले समाजशास्त्री आशीष नंदी के बयान के हक में बंगाली मीडिया के दफा रफा अभियान और बंगाल में ओबीसी, अनुसूचित जातियों और जनजातियों का देश की मध्ययुगीय गायपट्टी के मुकाबले ज्यादा सशक्तीकरण साबित करने की मुहिम के मध्य हिंदू धर्मराष्ट्रवाद पर आधारित पक्ष विपक्ष की राजनीते को सिरे से खारिज करके गुहा जैसे परम विद्वान सामाजिक यथार्थ का उसी तेवर में खंडन कर रहे हैं, जैसे बंगाल के प्रगतिशील भद्र जन बंगाल में जाति उन्मूलन का दावा करते हैं। बांग्ला के सबसे बड़े अखबार में रामचंद्र गुहा का यह आलेख तब छपा जबकि नंदी के बयान के आलोक में कि पिछले सौ साल में बंगाल में ओबीसी, एससी और एसटी को सत्ता में हिस्सेदीरी नहीं मिली,इसलिए यहां भ्रष्टाचार देशभर में सबसे कम है, बंगाल का बहुजन समाज मांग कर रहा है कि चूंकि नंदी ने अपने इस हंगामेखेज बयान के पक्ष में कोई आंकड़ा पेश नहीं किया है , इसलिए जनसंख्यावर भ्रष्टाचार जानने के लिए बंगाल और बाकी देशभर में संसदीय सर्वानुमति के मुताबिक ओबीसी की गिनती की जाये, बंगाल में मंडल कमीशन ने जो १३१ ओबीसी जातियां गिनायी हैं, उन्हें बतौर ओबीसी मान्यता दी जाये और फिर सच्चर आयोग की तरह बंगाल में और बाकी देश में भी किसका विकास हुआ और किसका नहीं, किसमें कितना भ्रष्टाचार है, की जांच हेतु एक न्यायिक आयोग का घठन किया जाये।
इसी बीच नंदी के बयन पर कोई बहस ने करने वाले कोलकाता के दो बड़े चैनलों ने पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य का घंटो इंटरव्यू लाइव प्रसारित किया जिसमे पहलीबार किसी ने ममता बनर्जी कीईमानदारी पर सवालिया निशान खड़ा कर दिया। अब नंदी क्या कहेंगे जबकि बंगाल के सत्तावर्ग के दोनों धड़े एक दूसरे को भ्रष्ट साबित करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं।यहां तक कि देशभर में ईमानदार छवि के लिए मशहूर ममता दीदी भी लपेटे में आ गयी है!बुद्धदेव के इंटरव्यू की टाइमिंग और नंदी के बयान से बुरी तरह फंसे सत्तावर्ग के नंदीबचाव अभियान के मद्देनजर तो यही लगता है कि जिस स्थानीय राजनीति विभाजन के जरिये बंगाल में वर्चस्ववादी सत्ता के हक में अस्पृश्यता, भेदभाव व एकादिकार के मुद्दे दरकिनार किये जाते रहे हैं, नंदी प्रकरण को दफा रफा करने के लिए उसी नूस्खे का बेहतरीन इस्तेमाल हाई वोल्टेज प्रायोजित मीडिया आयोजन के तहत किया गया है। सांप तो मरेगा ही, लाठी पर आंच नहीं आयेगी।
पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य ने बुधवार को ममता बनर्जी की ईमानदारी पर सवाल उठाया, जिसपर तृणमूल कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की और उनसे माफी मांगने को कहा।भट्टाचार्य से मंगलवार रात एक बांग्ला न्यूज चैनल ने पूछा कि क्या वह इस लोकप्रिय अवधारणा से सहमत हैं कि ममता बनर्जी ईमानदार हैं, उन्होंने कहा, 'मैं इस अवधारणा से सहमत नहीं हूं कि वह ईमानदार हैं।' जब पूर्व मुख्यमंत्री से अपनी बात को और स्पष्ट करने को कहा गया तो उन्होंने खबरिया चैनल से स्वयं जांच कर लेने को कहा।सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने कहा है कि भट्टाचार्य का बयान बिल्कुल अनुचित है। तृणमूल नेता एवं नगर निकाय मंत्री फिरहाद हकीम ने पार्टी मुख्यालय में संवाददाताओं से कहा, 'उन्होंने जो कुछ कहा, वह बिल्कुल अनुचित है, राज्य और उनके अपने निर्वाचन क्षेत्र (जादवपुर) की जनता ने भट्टाचार्य को नकार दिया है। हम मांग करते हैं कि वह उस व्यक्ति के बारे में अपने बयान को लेकर अफसोस जताएं एवं माफी मांगे जिसने जिंदगीभर जनता की सेवा में निस्वार्थ त्याग किया। उनकी (ममता) ईमानदारी पर कोई सवाल उठा नहीं सकता।'जब उनसे पूछा गया कि क्या तृणमूल कांग्रेस अदालत जाएगी, तब उन्होंने कहा, 'हम इसे जनता पर छोड़ते हैं। तृणमूल कांग्रेस एक पारदर्शी दल है।'
पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य ने कहा है कि उनकी पार्टी आगामी पंचायत चुनाव में अच्छी छवि वाले उम्मीदवारों को मैदान में उतारेगी। इसके साथ ही उन्होंने विश्वास व्यक्त किया है कि राज्य का जो गरीब तबका मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) से कट गया है, वह वापस पार्टी के साथ जुड़ जाएगा।बुद्धदेव भट्टाचार्य ने मंगलवार को बंगाली समाचार चैनल, एबीपी आनंद के साथ एक विशेष बातचीत में कहा, ''हम ऐसे उम्मीदवारों को मैदान में उतारेंगे, जिनकी स्थानीय स्तर पर अच्छी स्वीकार्यता और अच्छी छवि हो।''
बुद्धदेव भट्टाचार्य ने दावा किया है कि दाजिर्लिंग में गोरखा क्षेत्रीय प्रशासन करार एक 'भूल' थी क्योंकि इससे गोरखालैंड मुद्दे पर समझौता किया गया।उन्होंन बांग्ला भाषा के एक समाचार चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा, 'यह इतना आसान नहीं है कि मामले को एक दिन में सुलझा लिया जाएगा। जीटीए करार में गोरखालैंड की चर्चा ही अपने आप में एक भूल थी। यह समझौता सही नहीं था।' इसके अलावा उन्होंने यह दावा भी किया कि सीपीएम पश्चिम बंगाल के पिछले विधानसभा चुनाव में खोए जनाधार को धीरे-धीरे वापस हासिल कर रही है और आगामी पंचायत चुनाव इसका संकेत दे देंगे।
इसी बीच वित्त मंत्री पी. चिदंबरम का कहना है कि सेना ने विवादित सशस्त्रबल विशेषाधिकार कानून में किसी भी प्रकार के सरलीकरण या संशोधन के खिलाफ इतना कड़ा रूख अपना लिया है कि सरकार के लिए इस प्रस्ताव की ओर कदम बढ़ाना मुश्किल हो गया है।कुछ महीने पहले तक देश के गृह मंत्री रहे चिदंबरम ने कहा कि अधिनियम को 'और मानवतावादी' बनाने के लिए उसमें संशोधन पर विरोध के संबंध में कोई भी सवाल आप सेना से करें। के. सुब्रमणयम मेमोरियल लेक्चर के दौरान उन्होंने कहा कि सेना और विशेष तौर पर सेना प्रमुख, वर्तमान और पूर्व सेना प्रमुखों, ने इस संबंध में बहुत कड़ा रूख अपनाया है कि अफ्सपा में कोई संशोधन नहीं होनी चाहिए। अफ्सपा में संशोधन करने और जम्मू-कश्मीर से अनिधियम को हटाने के संबंध में एक प्रस्ताव था लेकिन रक्षा मंत्रालय इसका कड़ा विरोध कर रही है।चिदंबरम ने कहा कि अब बताएं कि इतने संवेदनशील मुद्दे पर इतने विरोधी विचारों के बाद सरकार इस दिशा में कैसे आगे बढ़े? चिदंबरम और जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला अफ्सपा के सरलीकरण के पक्ष में हैं।
दूसरी ओर, हिंदू आतंकवाद को लेकर भाजपा और संघ परिवार के निशाने पर चल रहे केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने बुधवार को कहा कि वह कांग्रेस पार्टी के इस रुख का पूर्णरुपेण समर्थन करते हैं कि आतंकवाद का कोई रंग नहीं होता। ऐसा कह शिंदे अपने पूर्व के बयान 'हिंदू आतंकवाद' से पलट गए हैं।जयपुर में पिछले महीने कांग्रेस के चिन्तन शिविर के दौरान की गई टिप्पणी के बारे में पूछने पर शिन्दे ने यहां संवाददाताओं से कहा कि आतंकवाद का कोई रंग नहीं होता। उन्होंने कहा कि कांग्रेस महासचिव जनार्दन द्विवेदी की 22 जनवरी की टिप्पणी के बाद मैं कह चुका हूं कि मेरे विचार वही हैं, जो पार्टी के हैं। हिन्दू आतंकवाद पर भाजपा और संघ परिवार ने शिन्दे को निशाने पर ले रखा है। द्विवेदी ने कहा था कि आतंकवाद को किसी धर्म से नहीं जोड़ना चाहिए। उन्होंने कहा था कि कांग्रेस आतंकवाद और किसी धर्म के बीच कोई संबंध नहीं देखती। पार्टी पहले भी स्पष्ट कर चुकी है कि आतंकवाद का न तो कोई धर्म है और न ही कोई रंग। कांग्रेस भगवा आतंक या हिन्दू आतंक जैसे शब्दों का इस्तेमाल कभी नहीं करती। शिन्दे के हिन्दू आतंक को लेकर दिये गये बयान को लेकर भाजपा का आरोप है कि वह सरकार की विफलताओं से ध्यान हटाने के लिए ऐसा कर रहे हैं। भाजपा ने कहा कि इस अपमान का खामियाजा कांग्रेस को संसद के भीतर और बाहर दोनों जगह भुगतना होगा।पार्टी ने कहा कि संसद के आगामी बजट सत्र में यह मुद्दा उठाया जाएगा। शिंदे के बहिष्कार के बारे में भी गंभीरता से विचार हो रहा है। जयपुर में शिंदे ने कहा था कि हमारे पास जांच रिपोर्ट है कि चाहे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ हो या भाजपा, उनके प्रशिक्षण शिविर हिंदू आतंकवाद को प्रोत्साहित कर रहे हैं। हम इन सब पर कड़ी नजर रख रहे हैं।
राम चंद्र गुहा के दावे के विपरीत धर्मराष्ट्रवाद उफान पर है और कारपोरेट राज को मजबूत करने में , जनसंहार की संस्कृति जारी रखने व अश्वमेध यज्ञ की पुर्णाहुति में हिंदुत्व की भूमिका का नजरअंदाज करने ी हिमाकत या तो कोई मूर्ख करेगा या फिर मनुस्मृति कायम रखने की योजना के तहत मस्तिष्क नियंत्रण विशेषज्ञ कोई। विश्वविख्यात इतिहासविद न भोला हैं और न मूर्ख । वे ऐसा क्यों कह रहे हैं जबकि हालत क्या है, आनन फानन में बलात्कार के विरोध में स्त्री विरोध को सिरे से नजरअंदाज करके स्त्री की सुरक्षा में अध्यादेश जारी करके विशेष सैन्य कानून की निरंतरता कोसंघी समर्थन से वैधता दे दी गयी । जबकि हालत यह है कि कांग्रेस ने लसंघ परिवार के मुकाबले उग्रतम हिंदुत्व का विकल्प चुन लिया है और संगम में डुबकी लगाने के साथ ही भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने साफ कर दिया कि पार्टी राम की राह पर सत्ता में लौटने की कोशिश करेगी और उग्र हिंदुत्व के मुद्दों की ओर लौटेगी। राजनाथ ने राम मंदिर बनवाने के लिए बहुमत मांगा और साफ कहा कि अब तो मंदिर संसद में कानून बना कर ही बनेगा। राजनाथ इलाहाबाद में वीएचपी के मार्गदर्शक मंडल की बैठक में हिस्सा ले रहे थे।बीजेपी राम के नाम पर सत्ता में लौटने का सपना देख रही है। इधर, पार्टी के हिंदू हृदय सम्राट नरेंद्र मोदी का नाम प्रधानमंत्री पद के लिए उछला, उधर कुंभनगरी में बीजेपी के नाथ राजनाथ ने राम का नाम लेकर बहुमत मांगा। जाहिर है, राजनाथ जानते हैं कि बीजेपी अपने तीन कोर मुद्दों राममंदिर का निर्माण, समान नागरिक संहिता और धारा 307 से भटक चुकी थी।
विश्व हिंदू परिषद के मार्गदर्शक मंडल की बैठक में राजनाथ का शामिल होना इत्तेफाक नहीं था। ये बैठक ऐसे वक्त में हुई है जब बीजेपी में राजनीतिक सरगर्मियां उफान पर थीं। वैसे भी वीएचपी ने राम मंदिर के ठंडे पड़े मुद्दे को गर्माना शुरू कर दिया है। संकेत साफ हैं चुनाव सिर पर हैं। संघ से पहले ही राजनाथ मिल चुके हैं और अब वीएचपी के झंडे तले कुंभ में संतों का आर्शीवाद लेना बीजेपी के राम मार्ग पर आने के पुख्ता संकेत हैं।हर बीतते दिन के साथ बीजेपी का एजेंडा साफ होता जा रहा है। एक तरफ नरेंद्र मोदी राष्ट्रीय परिदृश्य में अपनी धमक बढ़ाने में लगे हैं, वहीं राजनाथ सिंह संतों के साथ राम मंदिर के मॉडल पर पड़ी धूल झाड़ रहे हैं। इसी बीच वीएचपी संसद के मॉनसून सत्र तक सभी पार्टियों को राम मंदिर के हक में कानून बनाने का अल्टीमेटम दे रही है और ऐसा न होने पर 6 लाख गांवों में रामनाम के जाप का कार्यक्रम बना रही है।बीजेपी अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने इलाहाबाद में सियासत की डुबकी लगाई, तो दिल्ली में नरेंद्र मोदी ने पीएम पद के सपनों की महफिल सजाई। श्रीराम कॉलेज में छात्रों को संबोधित करते हुए मोदी ने बड़े करीने के साथ पीएम पद की दावेदारी का खाका खींचा। हालांकि जब मोदी अंदर भाषण दे रहे थे, तो कॉलेज के बाहर वामपंथी छात्रों की भीड़ उन्हें कोस रही थी। उधर, इलाहाबाद कुंभ में पहुंचे बीजेपी अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने कहा है कि मोदी की लोकप्रियता बढ़ी है। जबकि विश्व हिंदू परिषद के वरिष्ठ नेता अशोक सिंहल ने मोदी की तुलना जवाहर लाल नेहरू से की है।
गुजरात की सफलता की राज्य के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी की कहानी बुधवार को कालेज के छात्रों को काफी पसंद आई और उनकी वाकपटुता के कायल छात्र उनसे जुड़े विवादों को दरकिनार करते हुए मंत्रमुग्ध दिखे।तो यह है भारत का भविष्य। यह धर्म निरपेक्षता है या हिंदुत्व का विजय रथ , अब हम क्या बतायें!
वामपंथी विचारधारा से जुड़े छात्रों और मोदी समर्थक एबीवीपी छात्रों की नारेबाजी के बीच श्रीराम कालेज आफ कामर्स में छात्र पर मोदी का जादू स्पष्ट तौर पर देखा जा सकता था और छात्र सांसें थामे गुजरात की आर्थिक उपलब्धियों और इससे जुड़ी नरेन्द्र मोदी की बातों को सुन रहे थे।मोदी के मुहावरे और आकर्षक टिप्पणियों से युवा छात्र काफी प्रभावित नजर आए और ताली बजाकर इसका स्वागत किया और भाषण समाप्त होने पर खड़े होकर उनका अभिवादन किया।
विवादों में रहने वाले मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी को श्रोताओं की पसंद के बारे में अच्छी तरह से पता है। मोदी ने जानबूझ कर राजनीति को इससे दूर रखा और अपने संबोधन में विकास और प्रगति को उठाया।मोदी के भाषण में जापान, अमेरिका और चीन से तुलना और भारतीयों के कौशल और विकास के मार्ग पर आगे बढ़ने की जरूरत को रेखांकित करने पर जोर रहा। मोदी ने जापानी उद्यमियों की प्रशंसा की और कहा कि वहां लोगों ने खेल प्रतियोगिता शुरू होने के आठ वर्ष पहले ही आयोजन की तैयारी शुरू कर ली है।
गुजरात के मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने चुनाव के बाद कार्यभार संभलने के बाद महज 10 दिन पहले जनवरी में वहन्न गुजरात शिखर सम्मेलन आयोजित किया था जिसमें 121 देशों ने हिस्सा लिया था।उन्होंने छात्रों पर अपनी भाषण शैली का प्रभाव डालते हुए कहा कि भारत अब संपेरों का देश नहीं रह गया है, बल्कि चूहों को आकर्षित करने वालों कम्प्यूटर माउस का देश बन गया है।
मोदी के बारे में पूछे जाने एसआरसीसी के छात्र मयंक अग्रवाल ने कहा कि सभी जानते हैं कि उन्होंने गुजरात के लिए क्या किया। वह भारत को बदल सकते हैं।
एसआरसीसी छात्र ऐश्वर्या ने कहा कि हम कामर्स के छात्र हैं और यह हमारे लिए बड़ा अनुभव रहा। मोदी को सुनना काफी अच्छा रहा। एक नेता के रूप में उन्होंने गुजरात का विकास सुनिश्चित किया है।
गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने केन्द्र में सत्ता परिवर्तन की जरूरत बताते हुए दावा किया कि देश में इस समय छाए निराशावाद को समाप्त करने के लिए सुशासन के रूप में असली आजादी की प्रतीक्षा है। इस निराशावाद से उबरने के लिए उन्होंने विकल्प के रूप में गुजरात के विकास माडल को पेश किया।
भाजपा के कुछ नेताओं द्वारा भावी प्रधानमंत्री के रूप में पेश किए जा रहे मोदी ने यहां दिल्ली विश्वविद्यालय के श्रीराम कालेज आफ कामर्स के छात्रों को संबोधित करते हुए उक्त बात कही। गुजरात विधानसभा चुनाव में जीत के बाद राष्ट्रीय राजधानी में उन्होंने पहली बार किसी सार्वजनिक सभा को संबोधित किया।
कालेज में वैश्विक परिदृश्य में उभरता व्यापार माडल विषय पर अपने संबोधन में उन्होंने संप्रग सरकार पर परोक्ष प्रहार करते हुए कहा कि आज देश में बड़े पैमाने पर निराशावाद छाया हुआ है। राष्ट्र सुशासन के रूप में वास्तविक आज़ादी की प्रतीक्षा कर रहा है। स्वतंत्रता के छह दशक के बाद भी देश को अच्छे शासन का इंतज़ार है।
अपने गुजरात के विकास माडल को एक तरह से विकल्प के रूप में पेश करते हुए उन्होंने कहा कि यह जनोन्मुखी और अच्छे शासन पर आधारित है। उन्होंने कहा कि देश में ऐसा निराशावाद छा गया है कि जनता मान बैठी है कि कोई बदलाव नहीं आने वाला है। सब चोर हैं। वह जो भी करें सब व्यर्थ जाएगा। लोग भारत में जन्म लेने को अभिशाप मानने लगे हैं। वे शिक्षा पूरी करने के तुरंत बाद देश छोड़ देना चाहते हैं।
मोदी ने कहा कि लेकिन मेरे विचार अलग हैं। मैं चौथी बार मुख्यमंत्री बना हूं। और मेरा अनुभव है कि उसी कानून, उसी संविधान, उन्हीं नियम कानूनों, उन्हीं अधिकारियों, उन्हीं लोगों और उन्हीं फाइलों से हम आगे बढ़ सकते हैं। हम बहुत कुछ कर सकते हैं। मुझे विश्वास है कि हम बदलाव ला सकते हैं। उन्होंने कहा कि यह देश वोट बैंक की राजनीति के कारण बरबाद किया जा रहा है। इस देश को विकास की राजनीति की आवश्यकता है, हम शीघ्र ही टिकाऊ बदलाव और प्रगति लाने की स्थिति में होंगे। मोदी ने कहा कि देश के सामने सबसे बड़ी चुनौती मानव संसाधन का पूरी क्षमता से उपयोग करने की है।
इससे पहले छात्रों के एक वर्ग ने मोदी के विरोध में प्रदर्शन किया। कुछ छात्र अवरोधक पार कर कालेज के बाहर नारे लगाने लगे। दूसरी ओर कालेज ने एक सर्वेक्षण के आधार पर मोदी को इस व्याख्यान के लिए बुलाया था। इस सर्वेक्षण में बड़ी संख्या में छात्रों ने मोदी को सुनने की इच्छा व्यक्त की थी। मोदी ने इससे पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से गैस के मूल्यों पर चर्चा के लिए भेंट की।
बाद में संवाददाताओं से बातचीत में उन्होंने सिंह के साथ मुलाकात को अच्छी बताया और कहा कि प्रधानमंत्री ने उन्हें गुजरात के विकास और नई सरकार की सफलता के लिए शुभकामनाएं दीं। लगातार चौथी बार गुजरात का मुख्यमंत्री बनने के बाद प्रधानमंत्री से पहली बार मिलने वाले मोदी ने कहा कि मैंने भी प्रधानमंत्री को आश्वासन दिया कि जनता के कल्याण के लिए उनकी सरकार जो भी कदम उठाएगी, गुजरात सरकार उसे पूरा समर्थन देगी।
भाजपा की ओर से कई नेताओं द्वारा उन्हें आगामी लोकसभा चुनाव में पार्टी की ओर से प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करने की मांग हो रही है। वह 12 फरवरी को कुंभ मेला में शामिल होने इलाहाबाद जा रहे हैं।
राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को पाना बहुत जरूरी: मोंटेक
योजना आयोग ने कहा है कि राजकोषीय घाटे को लक्ष्य तक सीमित रखना देश की अर्थव्यवस्था के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण है।आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने आज यहां राज्यांे के योजना आयोग-बोडो' के साथ बैठक के मौके पर संवाददाताओं से कहा, ''हमें राजकोषीय घाटे को संतुलन में रखने पर पूरी तरह स्पष्ट होना चाहिए। इसका मतलब शून्य राजकोषीय घाटा नहीं है। लेकिन राजकोषीय घाटे को लक्ष्य में रखना अर्थव्यवस्था की सेहत की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है।'' अहलूवालिया ने आगे कहा कि दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाú के लिए राजकोषीय घाटे को लक्ष्य में रखना महत्वपूर्ण है।
टिकाउ वृद्धि के बिना आर्थिक समस्याओं का हल नहीं: चिदंबरम
वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने आज कहा कि दीर्घावधि में टिकाउ उंची वृद्धि के बिना भारत अल्पपोषित और अल्प उपलब्धता की स्थिति झेलता रहेगा। के सुब्रमण्यम स्मृति व्याख्यान में वित्त मंत्री ने कहा कि यदि दीर्घावधि में हम टिकाउ उंची वृद्धि दर हासिल नहीं करते हैं, तो हम अल्पपोषित, अल्पशिक्ष्ज्ञित, अल्पउपलब्धा के अलावा अल्प प्रदर्शन वाला राष्ट्र बने रहेंगे। वित्त मंत्री ने कहा कि सुरक्षा के लिए संसाधन उपलब्ध कराने और समाज कल्याण कार्यक्रमों मसलन स्वास्थ्य एवं शिक्षा को प्रोत्साहन देने के लिए वृद्धि बेहद जरूरी है।चिदंबरम ने कहा कि बिना वृद्धि के सरकार के पास शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र को देने के लिए कम कोष होगा। रक्षा और पुलिस के खर्च में कटौती से हमारी रक्षा और सुरक्षा तैयारियों पर असर होगा। वित्त मंत्री ने कहा कि आवश्यक खचरें को उधारी के जरिये पूरा नहीं किया जा सकता। यह सकल घरेलू उत्पाद के प्रतिशत के रूप में वैश्विक औसत से कहीं अधिक है।सरकार चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद के 5.3 प्रतिशत पर सीमित रखने का लक्ष्य लेकर चल रही है। अगले वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटे को 4.8 प्रतिशत पर लाने का लक्ष्य है।
भारत में 7% वाषिर्क आर्थिक वृद्धि की संभावना:गोल्डमैन साक्स
अमेरिका के प्रतिष्ठित निवेश बैंक गोल्डमैन साक्स का मानना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था दीर्घकालिक रुप से औसतन सात प्रतिशत वाषिर्क की दर से वृद्धि करने की शक्ति है। हां, यदि आर्थिक नीतियों में सुधार तेजी से हों तो यह संभावना और बढ सकती है।गोल्डमैन साक्स ने एक रपट में कहा ''हालांकि हमारा मानना है कि फिलहाल अर्थव्यवस्था की वृद्धि की दीर्घकालिक संभावना सालाना सात फीसद की है और यदि सुधार प्रक्रिया गति पकड़ती है तो इसमें बढ़ोतरी हो सकती है।'' रपट में 2013 में भारत की वास्तविक आर्थिक वृद्धि 6.5 फीसद रहने का अनुमान लगाया गया है जो 2014 में बढ़कर 7.2 फीसद और 2016 में 7.5 फीसद तक जा सकती है।भारत वैश्विक वित्तीय संकट से पहले सालाना नौ फीसद की दर से वृद्धि दर्ज कर रहा था। 2008-09 में वृद्धि घटकर 6.7 फीसद रह गयी थी। गोल्डमैन साक्स ने हाल में हुए सुधार की पहलों की प्रशंसा की और कहा कि भारती की वृद्धि की संभावनाओं को वास्तविक रूप देने में सुधार की प्रमुख भूमिका होगी।इस निवेश बैंक के अनुसार हाल के दिनों में भारत सरकार ने खुदरा व विमानन क्षेत्र में निदेशी कंपनियों की हिस्सेदारी की व्यवस्था और उदार बनाने और डीजल की कीमतों पर से नियंत्रण आंशिक तौर पर खत्म करने समेत कई सुधारवादी कदम उठाए हैं।
भारत की वृद्धि दर घटकर 5.4% होगी: IMF
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने आज कहा कि भारत की आर्थिक वृद्धि दर में नरमी अपेक्षा से अधिक रहने का अनुमान है और 2012-13 में वृद्धि दर 5.4 प्रतिशत रहेगी।आईएमएफ ने भारत के बारे में अपनी सालाना रपट में जारी करते हुए यह अनुमान लगाया है। संस्थान का कहना है, े 2011-12 में भारत की वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रही थी। 2012-13 में यह घटकर 5.4 प्रतिशत होने का अनुमान है। े रपट में कहा गया है, े वैश्विक अर्थव्यवस्था को लेकर निराशाजनक परिदृश्य के बावजूद, यह अपेक्षा से कहीं अधिक गिरावट है। उल्लेखनीय है कि 2004 से 2011 के दौरान भारत की औसत वृद्धि दर 8.3 प्रतिशत रही थी।सरकार ने पिछले महीने कहा कि 2011-12 में आर्थिक वृद्धि दर 6.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है। आईएमएफ के कार्यकारी निदेशक मंडल ने कहा है कि कई च्रकीय व ढांचागत कारणों के चलते भारत की वृद्धि दर घटी है। मुद्रास्फीति उंचे स्तर पर बनी हुई है।
Unique
My Blog List
HITS
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
Census 2010
Followers
Blog Archive
-
▼
2013
(5604)
-
▼
February
(443)
- दिल्ली तक शरणार्थियों के लिए लड़ेंगे प्रफुल्ल पटेल!
- ममता दीदी की शुरु की हुई परियोजनाएं खटाई में!महंगा...
- Torture in police station & prison (correctional h...
- Rape of human rights,Human Rights defender getting...
- हम अंबेडकर विचारधारा के मुताबिक देश की उत्पादक व स...
- मोदीवादी छद्म धार्मिक राष्ट्रवाद
- जमीन अधिग्रहण खत्म हो मेधा पाटकर
- पेंशन बिल यानी कामगारों की तबाही पीयूष पंत
- एक मामूली ‘गालिब’ की कहानी, जो असदउल्ला खां नहीं ...
- रिहाई मंच ने शिंदे से पूछे सात सवाल
- सुरक्षा-सुविधा की गारंटी दीजिये रेलमंत्री
- मजदूरों को एक सिरे से देश का घाटा कराने और असुविधा...
- वर्धा विश्विद्यालय में यौन उत्पीड़न
- Fwd: New Biometric Face Recognition Attendance Tim...
- पूरे देश की अर्थव्यवस्था अब चिट फंड में तब्दील!
- Ex-IAF chief SP Tyagi named! Tough most task for C...
- বধ্যভূমিতে দাঁড়িয়ে শপথ,দ্বিতীয় মুক্তযুদ্ধের প্রথম ...
- THE CENTRE CANNOT HOLD - New Delhi’s dilemma over ...
- गुमशुदा बच्चों की फिक्र
- ममता, सिंगूर आंदोलन का उपहास उड़ाने के कारण फिल्म प...
- ऑस्कर: ‘आरगो’ और ‘लाइफ ऑफ पाई’ का धमाल, डे-लूइस सर...
- हिन्दू भी आतंकवादी होता है?
- बंगाल में हिन्दुओं का कत्लेआम !इस दुष्प्रचार के भय...
- बंगाल में हिंदुओं के नरसंहार का यह दुष्प्रचार!
- Threat to Indian Constitution is more serious from...
- সিরাজসিকদাররচনা জাতীয় মুক্তিযুদ্ধে কৃষকের ওপর নির্...
- এবার পশ্চিমবঙ্গ ? জামাত-রাজাকারদের শাস্তি নিয়ে যখন...
- बजट के खेल से हमें क्या? हमारी आंखें बंद हैं, श्रद...
- स्टालिन के असम्मान और सिंगुर की चर्चा के बहाने `का...
- শাহবাগের প্রজন্ম আন্দোলনে যে বাঙ্গালী জাতিসত্তার ন...
- रेल बजट: यात्री किराया व मालभाड़ा बढ़ाने को रेलवे मजबूर
- [Marxistindia] Sangharsh Sandesh Yatra flagged off
- दिल्ली के अधिकांश अख़बार कर रहे हैं भूमाफियाओं की ...
- पश्चिम बंगाल में सांप्रदायिक दंगा
- সেন্সরের কোপে `কাঙাল মালসাট`, ফ্যাতাড়ুদের মহাবিপদ...
- State’s monitoring of PDS unsatisfactory: Activists
- वे अचानक स्मृति शेष हो गए
- सोनी सोरी को रिहा करो!
- Fwd: PRESS CONFERENCE: Observations, Analysis of t...
- रेलबजट पर रेलमंत्री दगड़ मुखाभेंट
- Rail Budget: Will Railway Minister Pawan Bansal bi...
- Tata's old pillars suffer erosion in brand value, ...
- $8.8 bn missing link in exports figures: How gover...
- Are Muslim voters in Gujarat really supporting Nar...
- Budget 2013: Government’s strained finances will b...
- कश्मीर का इतिहास भूगोल फिर से लिखेगा ♦ हिमांशु कुमार
- ஆப்கான் உளவுத்துறை அலுவலகம் மீது இன்று காலை தலிபான...
- Workshop: UID, National Population Register (NPR) ...
- कचरे से रेडियोधर्मी तत्वों के रिसाव से एक बार फि...
- অবাধ পুঁজির খেলায় যে ছাড় প্রতিবছর দেওয়া হয় রাজস্ব...
- Fwd: RNI Exclusive in Hindi for free use: "Uttar P...
- Fwd: [গুরুচন্ডা৯ guruchandali] বাংলাদেশ সরকার বলে,...
- मजदूर महाबदं से खुलेंगे नये रास्ते
- आदिवासियों के लिए नहीं आकाशवाणी
- खामोश होतीं भारत की भाषाएं
- माओवाद का विकल्प नहीं बन पायी सरकार
- A NOVELIST IN THE ASHRAM - Between Gandhi and Ambe...
- Trinamul eye-opener on ear - Arrested suspects our...
- Sec 144 for Kejriwal protest? Court asks Delhi pol...
- आहत आस्थाओं का देश
- असुरक्षा बोध से पनपी सियासत
- यौन हिंसा की जड़ें
- आतंकवाद के नाम पर किसी तबके पर निशाना ठीक नही: अखिलेश
- क्या दीदी ने टाटा मोटर्स को हरी झंडी दे दी?
- লোক দেখানো হৈ হাঙ্গামা যাই হোক না, সংস্কার কর্মসুচ...
- My Daughter Attacked
- সব ধর্মের মৌলবাদের বিরুদ্ধে সক্রিয় হন বন্ধুরা: বাং...
- The Origins of Communalism Book Review by Aria Thaker
- Fwd: Rihai Manch statement on UPA govt intention t...
- Fwd: James Petras: Israel's Coming "Civil War": Th...
- Fwd: [भीमसागर] हम एक अनुसूचित जाति के रूप में संवै...
- HYDERABAD BLASTS Terror Returns Till more evidence...
- Terror Returns Till more evidence is forthcoming, ...
- What next, hand in boiling oil? Brutality in name ...
- “हाँ” और “ना” के हाशिये पर खड़ा है “बलात्कार का आर...
- जाति एवं भ्रष्टाचार
- JATI EVAM BHRASHTACHAR डॉ. उदित राज
- Dalits ‘barred’ from taking part in temple function
- No to begging yes to dignity By Vidya Bhushan Rawat
- More Questions for Sri Lanka to Answer about War C...
- TIED IN A KNOT- Cross-region Marriages in Haryana ...
- विश्लेषण : सोन्याचे मोल?
- NORTHEAST NEWS
- नागरिकता प्राप्तीमा कठिनाइ
- गोर्खाल्याण्ड राज्य गठनको मांगको समर्थनमा गोजमुमो ...
- ਮਾਂ-ਬੋਲੀ ਪੰਜਾਬੀ ਲਈ ਜਲੰਧਰ 'ਚ ਲਾਮਿਸਾਲ ਮਾਰਚ
- आनंद बल्लभ उप्रेती का आकस्मिक निधन
- Ultra vires regulations- does association with a b...
- ஹைதராபாத்தில் குண்டு வைத்தவர்கள் ‘ஸ்லீப்பர் செல்’ ...
- संकट में है कहने की आज़ादी और इंसान!महामहिम का भी ...
- অথ সিংহ কথা
- Fwd: [Right to Education] Appeal to join Demostrat...
- बुड्या मरणु बि नी!: याने एक अभिनव आन्दोलनs जड़नाश
- फिर बिगड़ेंगे प्रणव और दीदी के रिश्ते
- Only an impeachment may break the presidential imm...
- কপ্টার চুক্তির ফ্যাক্টশিটে ইতিমধ্যেই প্রণব মুখার্জ...
- ওপার বাংলাঃ প্রতিবাদে প্রজন্ম আন্দোলন, বাংলাদেশে প...
- Attack on CPI(M) MPs
- Fwd: Rihai Manch press note on IPS Singhal's arres...
- ਬਰਤਾਨੀਆ ਦੇ ਪ੍ਰਧਾਨ ਮੰਤਰੀ ਕੈਮਰੂਨ ਨੇ ਹਰਿਮੰਦਰ ਸਾਹਿਬ ਮੱ...
-
▼
February
(443)
No comments:
Post a Comment