Wednesday, August 7, 2013

इंजीनियरिंग की दस हजार सीटें खाली

इंजीनियरिंग की दस हजार सीटें खाली


एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास​




हम सभी को कमोबेश इसका अहसास होगा कि इंजीनियरिंग में दाखिले के लिए अभिभावकों को पिछले दिनों कितने पापड़ बेलने पड़े। दाखिला मिलने की वजह से कितने छात्रों ने तो अलग कोर्स में दाखिला ले ही लिया है।बहुत सारे छात्र तो विश्वविद्यालयों में बीएससी की लाइन में शामिल भी हो गये हैं। अब जाकर पता चला कि इतनी मारामारी कितनी फिजूल रही।


चालू शिक्षा वर्ष में राज्यभर में दस हजार से ज्यादा सीटें खाली हैं।अकेले यादवपुर और शिवपुर विश्वविद्यालयों में ही कम से कम सौ सीटें खाली रह गयीं।जबकि इसी सोमवार को ही काउंसिलिंग और दाखिला की समयसीमा खत्म हो चुकी है।


गौरतलब है कि पिछले साल भी इसीतरह दस हजार सीटें खाली रह गयी थीं। यादवपुर और शिवपुर में भी सौ सीटें पिछले साल भी खाली रह गयीं।बंगाल में पिछले साल ही आनलाइन काउंसिलिंग शुरु हुई। इसे लेकर खूब हंगामा भी हुआ और इस साल काउंसिलिंग एक मुश्त करने के बजाय चार दफा की गयी। लेकिन फिर वही ठाक के तीन पात।नतीजा डिटो।यादवपरु में साठ सीटें खाली रह गयी,जबकि छात्रों की महात्वांकाक्षा इसी विश्वविद्यालय में दाखिले के लिए सबसे बड़ी हुआ करती है।


अब सवाल है कि छात्रों के भविष्य से इस खिलवाड़ का जिम्मेदार कौन?


कौन हैं उनके सपनों के हत्यारे?


इंजीनियरिंग में बेस्ट ऑप्शंस                

भले ही आज करियर के हजारों ऑप्शंस खुल गए हों, लेकिन 'इंजीनियरिंग' स्टूडेंट्स में हॉट सब्जेक्ट बना हुआ है। आइए, आपको बताते हैं, इंजीनियरिंग में कहां है आपके लिए बेस्ट ऑप्शंस...?

बदलते वक्त के साथ स्टूडेंट्स के लिए करियर के हजारों ऑप्शंस खुल गए हैं, लेकिन देखा जाए, तो आज भी अधिकतर स्टूडेंट्स की पसंद 'इंजीनियरिंग' ही है। आज जिस तेजी से तकनीक का विकास हो रहा है, युवाओं को यह फील्ड भी उतना ही लुभा रही है, क्योंकि इस फील्ड में अच्छी हैसियत, बढिय़ा वेतन और काम की संतुष्टि है। हालांकि इंजीनियर बनना उतना आसान भी नहीं है। इसके लिए आपको कड़ी मेहनत करनी पड़ेगी। 12वीं के बाद इंजीनियरिंग की फील्ड चुनने के लिए यह जरूरी है कि आपकी साइंस और मैथ्स स्ट्रॉन्ग हो। इंजीनियरिंग की किसी भी ब्रांच में इन दोनों सबजेक्ट्स की जानकारी बेहद जरूरी है। इसी फील्ड में कुछ नया करने की तलाश में अब आप इंजीनियरिंग की नई स्ट्रीम्स में भी अपना करियर बना सकते हैं। सिविल, कम्प्यूटर, इलेक्ट्रिकल, इलेक्ट्रॉनिक जैसी ट्रेडिशनल फील्ड के अलावा, अब स्पेस टेक्नोलॉजी, फूड टेक्नोलॉजी, एेयरोस्पेस इंजीनियरिंग, न्यूक्लियर फिजिक्स, नैनोटेक्नोलॉजी, टेलिकॉम टेक्नोलॉजी जैसी नई फील्ड भी आपके लिए खुली है। देश में इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए इंडियन इंस्टीट्यूट्स ऑफ टेक्नोलॉजी यानी आईआईटी को सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। इसके लिए एक ज्वाइंट इंट्रेंस एग्जाम होता है, जिसे पास करने के लिए आपको काफी मेहनत करनी होगी। इसके अलावा, कई प्राइवेट संस्थान हैं, जहां आप इंजीनियरिंग की मनचाही ब्रांच में एडमिशन ले सकते हैं। इसके लिए आपको एआईईईई यानी ऑल इंडिया इंजीनियरिंग इंट्रेंस एग्जाम देना होगा।

क्या है बीई और बीटेक?

बीई का अर्थ है-बैचलर ऑफ इंजीनियरिंग, जबकि बीटेक का मतलब है-बैचलर ऑफ टेक्नोलॉजी। सिविल, मैकेनिकल पर आधारित परंपरागत इंजीनियरिंग के क्षेत्रों में बैचलर डिग्री को बीई के नाम से जाना जाता है, जबकि टेक्नोलॉजी (खासकर कम्प्यूटर टेक्नोलॉजी) पर आधारित कोर्स को बीटेक के नाम से जाना जाता है। वैसे, ये दोनों ही एक-दूसरे के पूरक और समकक्ष नाम हैं और दोनों ही कोर्स चार वर्ष के होते हैं।

कैसे मिलेगी इंजीनियरिंग में एंट्री?

इंजीनियरिंग के बीई या बीटेक कोर्स में एडमिशन के लिए फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथ्स से बारहवीं पास होना जरूरी है। बारहवीं की परीक्षा में शामिल होने वाले स्टूडेंट्स भी इसमेंं सम्मिलित हो सकते हैं, लेकिन एंट्रेंस में पास होने के बाद अंतिम रूप से एडमिशन मिल पाता है।

प्रमुख एंट्रेंस एग्जामिनेशंस

इंजीनियरिंग के कोर्सेज में प्रवेश के लिए अखिल भारतीय तथा राज्य स्तर पर प्रति वर्ष कई परीक्षाएं आयोजित की जाती हैं। इनमें देश की प्रतिष्ठित आईआईटी में प्रवेश के लिए ली जाने वाली आईआईटी जेईई तथा अन्य टॉप इंजीनियरिंग कॉलेजों के लिए ली जाने वाली एआईईईई परीक्षा प्रमुख हैं।

आईआईटी-जेईई : इंडियन इंस्टीटयूट ऑफ टेक्नोलॉजी यानी आईआईटी में एडमिशन पाना इंजीनियरिंग करने की चाह रखने वाले हर युवा का सपना होता है। इसके लिए आईआईटी जेईई नाम से प्रवेश परीक्षा ली जाती है। इसमें केवल वे स्टूडेंट्स ही शामिल हो सकते हैं, जिन्होंने कम-से-कम 60 प्रतिशत अंकों से बारहवीं की परीक्षा पास की हो। इस परीक्षा के माध्यम से आईआईटीज (दिल्ली, कानपुर, रूडक़ी, मुंबई, गुवाहाटी, खडग़पुर, चेन्नई आदि) में एडमिशन ले सकते हैं। इसके अलावा, इंडियन स्कूल ऑफ माइंस (धनबाद), बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी के आईटी सेंटर और मैरीन इंजीनियरिंग ऐंड रिसर्च इंस्टीट्यूट (कोलकाता) में भी इसी परीक्षा के आधार पर एंट्री मिलती है।

एआईईईई : यानी ऑल इंडिया इंजीनियरिंग एंट्रेंस एग्जामिनेशन। इस परीक्षा का आयोजन सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन यानी सीबीएसई द्वारा किया जाता है। इसके माध्यम से देश के विभिन्न भागों में स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एनआईटी) में प्रवेश दिया जाता है। स्टेट लेवल एग्जाम्स देश के तकरीबन सभी राज्यों द्वारा राज्यस्तरीय इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षाओं का आयोजन किया जाता है, जिनके आधार पर उस राज्य के इंजीनियरिंग कॉलेजों में एडमिशन प्रदान किया जाता है। अधिकांश राज्यस्तरीय इंजीनियरिंग कॉलेजों की 85 सीटें संबंधित राज्य के स्टूडेंट्स के लिए आरक्षित होती हैं, जबकि शेष 15 प्रतिशत सीटों के लिए अन्य राज्यों के अभ्यर्थी आवेदन कर सकते हैं। इनमें यूपीटीयूईई, बीसीईसीई-बिहार, सीईई-कर्नाटक, पेट-मध्य प्रदेश, सीएपी-महाराष्ट्र, दिल्ली-सीईई, जेम-पं. बंगाल, सीईईटी-हरियाणा, सीईटी-पंजाब, पेट-राजस्थान आदि प्रमुख हैं। इन सभी की प्रवेश परीक्षाओं के लिए नोटिफिकेशन जनवरी से अप्रैल माह के बीच जारी होते हैं और एंट्रेंस टेस्ट मई-जून में होता है।

इंजीनियरिंग एंट्रेंस

देश में कुछ एेसे प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग कॉलेज भी हैं, जिन्हें डीम्ड यूनिवर्सिटी का दर्जा प्राप्त है और जो स्वायत्त हैं। ऐसे संस्थानों की सूची में प्रमुख हैं - बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (बीआईटीएस)-पिलानी, बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी-रांची, मणिपाल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी-मणिपाल, धीरूभाई अंबानी इंस्टीट्यूट ऑफ इंफॉर्मेशन एेंड कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी-गांधीनगर, वीर माता जीजाबाई टेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट (वीजेटीआई)-मुंबई आदि। बीआईटीएस, पिलानी में एडमिशन के लिए संस्थान द्वारा ऑनलाइन परीक्षा आयोजित की जाती है, जिसे बीआईटीएस एडमिशन टेस्ट के नाम से जाना जाता है। धीरूभाई अंबानी इंस्टीट्यूट एवं बीआईटीएस, रांची में एआईईईई के आधार पर प्रवेश दिया जाता है। वीजेटीआई में बारहवीं के प्राप्त अंकों के आधार पर प्रवेश दिया जाता है। एमआईटी, मणिपाल अपने यहां एडमिशन के लिए स्वतंत्र परीक्षा आयोजित करता है। हालांकि यहां कुछ सीटें एआईईईई में अच्छी रैंक पाने वाले स्टूडेंट्स के लिए भी आरक्षित होती हैं।

इंजीनियरिंग में ऑप्शंस

1.एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग

अगर आप इंजीनियरिंग में करियर ऑप्शंस के रूप में एग्रीकल्चर इंजीनियर चुनते हैं, तो बारहवीं में साइंस सब्जेक्ट यानी फिजिक्स, केमिस्ट्री, मैथमेटिक्स/बायोलॉजी जरूर होने चाहिए। अधिकतर एग्रीकल्चर इंस्टीट्यूट और यूनिवर्सिटी एग्रीकल्चर इंजीनियर के बीई/बीटेक प्रोग्राम्स में एडमिशन के लिए एंट्रेंस टेस्ट का आयोजन करती है। इस कोर्स की अवधि चार वर्ष होती है। एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग में डिप्लोमा कोर्स भी किया जा सकता है। इस कोर्स की अवधि दो-तीन वर्ष होती है। कुछ इंस्टीट्यूट में एडमिशन बारहवीं के अंक के आधार पर भी हो जाता है। इसके बाद यदि एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग के एमई/एमटेक प्रोग्राम्स में प्रवेश लेना हो, तो इसके लिए ग्रेजुएट एप्टिट्यूड टेस्ट इन इंजीनियरिंग (ॠअळए) पास करना पड़ता है। आईआईटी, खडग़पुर और इंडियन एग्रीकल्चरल रिसर्च इंस्टीट्यूट, नई दिल्ली में पीएचडी कोर्स भी उपलब्ध हैं। अगर इस फील्ड में अवसर की बात करें, तो एग्रीकल्चर इंजीनियर्स की आज काफी डिमांड है। वैसे, इस क्षेत्र में ज्यादा जॉब प्राइवेट कंपनियां दे रही हैं। ट्रैक्टर बनाने वाली कंपनियां, सिंचाई के उपकरण बनाने वाली कंपनियां, बीज बनाने वाली कंपनियां, खाद बनाने वाली कंपनियां अपने यहां सेल्स, मैनेजमेंट, मार्केटिंग तथा रिसर्च के क्षेत्र में जॉब दे रही हैं। क्वालिफाइड प्रोफेशनल्स के लिए प्रोडक्शन, सेल्स, मैनेजमेंट, रिसर्च जैसे क्षेत्र में जॉब के अवसर हैं। इसके अलावा, कई कंपनियां प्लेसमेंट के जरिए स्टूडेंट्स की नियुक्ति करती हैं।

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2.एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग

एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग एक ऐसा फील्ड है, जिसमें एयरोनॉटिक्स और स्पेस साइंस दोनों का अध्ययन किया जाता है। चुनौतियों से भरपूर इस क्षेत्र में काम करते हुए आपको एविएशन, अंतरिक्ष और रक्षा से संबंधित अनुसंधान और नई टेक्नोलॉजी के विकास का अवसर मिलता है। एयरोनॉटिकल इंजीनियर के रूप में आप निम्नलिखित क्षेत्रों में विशेषज्ञता हासिल कर सकते हैं, जैसे-स्ट्रक्चरल डिजाइन, नेविगेशनल गाइडेंस ऐंड कंट्रोल सिस्टम, इंस्ट्रूमेंटेशन एेंड कम्युनिकेशन या प्रोडक्शन मेथड, मिलिट्री एयर क्राफ्ट, पैसेंजर प्लेन, हेलीकॉप्टर, सैटेलाइट, रॉकेट इत्यादि। एयरोनॉटिकल इंजीनियर बनने के लिए आपके पास बीई/बीटेक (एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग) अथवा कम से कम एयरोनॉटिक्स में डिप्लोमा होना चाहिए। विभिन्न कॉलेजों और आईआईटी द्वारा एयरोनॉटिक्स में डिग्री और पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री करवाई जाती है, जबकि कई पॉलिटेक्निक्स द्वारा एविएशन में डिप्लोमा कोर्स कराए जाते हैं। फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथमेटिक्स विषयों के साथ बारहवीं या उसके समकक्ष परीक्षा पास करने वाला कोई भी स्टूडेंट्स बीई/बीटेक में प्रवेश प्राप्त कर सकता है। देश में कुछ संस्थान एविएशन में पोस्ट ग्रेजुएट (एमटेक) और डॉक्टोरल प्रोग्राम (पीएचडी) भी कराते हैं। एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग का बीई/ बीटेक कोर्स चार साल का होता है, जबकि डिप्लोमा कोर्स की अवधि दो-तीन साल होती है। आज दक्ष एयरोनॉटिकल इंजीनियरों की सरकारी व निजी एयरलाइन कंपनियों, विमान निर्माता कंपनियों और इसके रखरखाव की सेवा मुहैया कराने वाली कंपनियों में समान रूप से जबरदस्त मांग है। ये रक्षा अनुसंधान व विकास संबंधी संस्थानों, नेशनल एयरोनॉटिकल प्रयोगशालाओं, एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट संस्थापनाओं, नागरिक उड्डयन विभाग, प्रतिरक्षा सेवाओं और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) में भी रोजगार पा सकते हैं। इस विधा के इंजीनियर्स विमान के डिजाइन, विकास और रखरखाव संबंधी क्षेत्रों में काम कर सकते हैं, वहीं इससे जुड़े प्रोफेशनल्स विभिन्न संस्थानों में प्रबंधकीय व शिक्षण के पदों पर भी काम कर सकते हैं।

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3. ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग

ऑटोमोबाइल के क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा अब काफी बढ़ गई है। इसलिए कार को डिजाइन करना इंजीनियर्स के लिए एक सपने की उड़ान की तरह है। इसमें काफी फीचर्स होते हैं और ग्राहकों की पसंद का खयाल रखना पड़ता है। ऑटो डिजाइनर आमतौर पर इंजीनियरिंग फील्ड से जुड़े होते हैं। ऑटो-डिजाइन इंजीनियर ही कार या किसी अन्य वाहन के नए डिजाइन को डेवलप करने का कार्य करते हैं। यदि आपकी इच्छा ऑटो डिजाइन करने की है, तो ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग में एडमिशन ले सकते हैं। आप आईआईटी (गुवाहाटी) से बीटेक इन डिजाइनिंग (चार वर्षीय) का कोर्स कर सकते हैं। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन (एनआईडी) अहमदाबाद, इंडस्ट्रियल डिजाइनिंग में चार वर्षीय प्रोग्राम ऑफर करती है। इन सभी कोर्सों (बीटेक या बीई) में बारहवीं (पीसीएम) के बाद आईआईटी-जेईई या एआईईईई क्वालिफाई करके एडमिशन लिया जा सकता है। आईआईटी, दिल्ली से इंडस्ट्रियल डिजाइनिंग में मास्टर डिग्री (दो वर्षीय) हासिल कर सकते हैं। आईआईटी, कानपुर भी इंडस्ट्रियल डिजाइनिंग में दो वर्षीय मास्टर डिग्री कोर्स करवाती है। इसके अलावा, इंडस्ट्रियल डिजाइन सेंटर, आईआईटी-मुंबई से  इंडस्ट्रियल डिजाइनिंग में मास्टर डिग्री (दो वर्षीय) प्राप्त कर सकते हैं। आप चाहें, तो प्राइवेट इंजीनियरिंग इंस्टीट्यूट से भी इस तरह के कोर्स में दाखिला ले सकते हैं। महाराष्ट्र इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन ऑटोमोटिव डिजाइन (पीजीडीएडी) कोर्स में एडमिशन लिया जा सकता है।

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4.जेनेटिक इंजीनियरिंग

जेनेटिक तकनीक के जरिए जींस की सहायता से पेड़-पौधे, जानवर और इंसानों में अच्छे गुणों को विकसित किया जाता है। जेनेटिक तकनीक के द्वारा ही रोग प्रतिरोधक फसलें और सूखे में पैदा हो सकने वाली फसलों का उत्पादन किया जाता है। इसके जरिए पेड़-पौधे और जनवरों में ऐसे गुण विकसित किए जाते हैं, जिसकी मदद से इनके अंदर बीमारियों से लडऩे की प्रतिरोधिक क्षमता विकसित की जाती है। इस तरह के पेड़-पौधे जीएम यानी जेनेटिकली मोडिफाइड फूड के रूप में जाने-जाते हैं। योग्य जेनेटिक इंजीनियर उसे ही माना जा सकता है, जिनके पास जेनेटिक और इससे संबंधित फील्ड में ग्रेजुएट और पोस्टग्रेजुएट डिग्री हो, जैसे कि बायोटेक्नोलॉजी, मोलिक्युलर बायोलॉजी, माइक्रोबायोलॉजी और बायोकेमिस्ट्री। इस कोर्स में एंट्री के लिए 12वीं बायोलॉजी, केमिस्ट्री और मैथ से पास होना जरूरी है। इस समय अधिकतर यूनिवर्सिटी और इंस्टीट्यूट में जेनेटिक इंजीनियरिंग के लिए अलग से कोर्स ऑफर नहीं किया जाता है, लेकिन इसकी पढ़ाई बायोटेक्नोजी, माइक्रोबायोलॉजी और बायोकेमिस्ट्री में सहायक विषय के रूप में होती है। बायोटेक्नोलॉजी के अडंर ग्रेजुएट और पोस्टग्रेजुएट में जेनेटिक इंजीनियरिंग में स्पेशलाइजेशन कर सकते हैं। गेेजुटए कोर्स, बीई/बीटेक में एंट्री प्रवेश परीक्षा के आधार पर होता है। एमएससी इन जेनेटिक इंजीनियरिंग में एडमिशन के लिए जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी हर साल 120 सीटों के लिए संयुक्त परीक्षा का आयोजन करती है।  जेनेटिक इंजीनियर के लिए भारत के साथ-साथ विदेश में भी जॉब के अवसर तेजी से बढ़ रहे हैं। इनके लिए मुख्यत रोजगार के अवसर मेडिकल व फार्मास्युटिकल कंपनी, एग्रीकल्चर सेक्टर, प्राइवेट और सरकारी रिसर्च और डेवलपमेंट सेंटर में होते हैं। टीचिंग को भी करियर ऑप्शन के रूप में आजमा जा सकता है। इसके अलावा, इनके लिए रोजगार के कई और भी रास्ते हैं। बायोटेक लेबोरेटरी में रिसर्च, एनर्जी और एंवायरनमेंट से संबंधित इंडस्ट्री, एनिमल हसबैंड्री, डेयरी फार्मिंग, मेडिसन आदि में भी रोजगार के खूब मौके हैं। कुछ एेसे संस्थान भी हैं, जो जेनेटिक इंजीनियर को हायर करती है, जैसे नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इम्यूनोलॉजी, नई दिल्ली, सेंटर फॉर डीएनए फिंगरप्रिंट ऐंड डाइग्नोस्टिक, हैदराबाद, बायोकेमिकल इंजीनियरिंग रिसर्च एेंड प्रोसेस डेवलपमेंट सेंटर, चंडीगढ़, द इंस्टीट्यूट ऑफ जिनोमिक एेंड इंटेग्रेटिव बायोलॉजी, दिल्ली आदि।

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5. सिविल इंजीनियरिंग

आमतौर पर सिविल इंजीनियर लोक निर्माण परियोजनाओं पर कार्य करते हैं। सिविल इंजीनियर बनने के लिए मैथ और फिजिक्स की पृष्ठभूमि से होना आवश्यक है। यह डिग्री चार वर्ष अवधि की होती है। सिविल इंजीनियर का कार्यक्षेत्र किसी भी प्रोजेक्ट की प्लानिंग तथा डिजाइनिंग, उसका वांछित पैमाने पर निर्माण तथा रखरखाव तक सीमित होता है। उसके लिए उनके पास न केवल उच्चस्तरीय इंजीनियरिंग ज्ञान का होना जरूरी है, बल्कि प्रशासन कौशल भी होना चाहिए। इनके अंतर्गत साइट इंवेस्टीगेशन, संभावना अध्ययन, जटिलताओं का समाधान तथा स्ट्रक्चर्स की वास्तविक डिजाइनिंग के कार्य आते हैं। उन्हें राज्य सरकारों के प्राधिकरणों के मार्गदर्शन में काम करना होता है तथा उनके प्लान को संबंधित सक्षम प्राधिकारी द्वारा अनुमोदित किया जाता है। सिविल इंजीनियर को सरकारी विभागों, निजी तथा सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योगों, अनुसंधान तथा शिक्षण संस्थानों में रोजगार की अपार संभावनाएं उपलब्ध हैं। जिस तरह की सारी दुनिया में रियल एस्टेट और निर्माण कार्योें की बाढ़ आई हुई है, उसे देखते हुए तो यही लगता है कि यहां रोजगार की संभावनाएं दिन पर दिन बढ़ती रहेंगी।

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6. केमिकल इंजीनियरिंग

केमिकल इंजीनियर का मुख्य काम विभिन्न रसायनों व रासायनिक उत्पादों के निर्माण में आने वाली समस्याओं का हल ढूंढना होता है। इनका कार्यक्षेत्र पेट्रोलियम, रिफाइनिंग, फर्टिलाइजर टेक्नोलॉजी, खाद्य व कृषि उत्पादों की प्रोसेसिंग, सिंथेटिक फूड, पेट्रो केमिकल्स, सिंथेटिक फाइबर्स, कोयला, खनिज उद्योग तथा एंवायरनमेंटल इंजीनियरिंग जैसे अन्य क्षेत्रों में फैला होता है। अपने काम को अंजाम देने के लिए इन्हें फिजिक्स, केमिस्ट्री, मैथ्स, मैकेनिकल व इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग आदि की पढ़ाई भी करनी होती है। कुछ केमिकल इंजीनियर ऑक्सीडेशन, पॉलीमराइजेशन या प्रदूषण नियंत्रण जैसे किसी क्षेत्र विशेष में विशेषज्ञता हासिल कर लेते हैं। स्नातक स्तर की पढ़ाई के लिए अखिल भारतीय प्रवेश परीक्षा के जरिए आईआईटी, बीएचयू, रुडक़ी एवं कुछ अन्य बड़े इंजीनियरिंग कॉलेजों में दाखिला लिया जा सकता है। विभिन्न राज्यों के अलग-अलग इंजीनियरिंग कॉलेज होते हैं, जहां राज्यस्तरीय प्रवेश परीक्षा के जरिए दाखिला मिलता है। ग्रेजुएट एप्टिट्यूड टेस्ट इन इंजीनियरिंग (गेट) एवं नेशनल एलिजिबिलिटी टेस्ट (नेट-यूजीसी) उत्तीर्ण करके पोस्ट ग्रेजुएट पाठ्यक्रमों में दाखिला पाया जा सकता है। केमिकल इंजीनियरिंग से जुड़े प्रोफेशनल्स के लिए डाई, पेंट, वार्निश, दवाइयों, तेजाब, पेट्रोलियम, खादों, डेयरी उत्पादों से विभिन्न खाद्य पदार्थों से जुड़े उद्योगों में काम करने का अवसर मिलता है। ये टेक्सटाइल या प्लास्टिक इंडस्ट्री से लेकर कांच या रबर उद्योग में भी काम पा सकते हैं। आप चाहें, तो उत्पादन में लगी किसी इंडस्ट्री या फर्म में कार्य कर सकते हैं। किसी अनुसंधान केंद्र में भी रोजगार पा सकते हैं।

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7. मैकेनिकल इंजीनियरिंग

मैकेनिकल इंजीनियरिंग अब कम्प्यूटेशन इंजीनियरिंग से जुड़ चुका है, इसलिए इस ब्रांच का प्रोडक्शन पूणर्त: कम्प्यूटेशनल बेस्ड हो गया। सब ब्रांच में ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग, डिजाइन इंजीनियरिंग, थर्मल इंजीनियरिंग, एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग, नैवल इंजीनियरिंग शामिल होने के बाद एक भी एेसा प्रोडक्ट नहीं बचा है, जिसमें मैकेनिकल इंजीनियरिंग का योगदान न हो।

पहले इंजीनियरिंग करने के लिए मैकेनिकल इंजीनियरिंग को सिर्फ लडक़ों के लिए ठीक-ठाक ब्रांच माना जाता था, लेकिन अब गल्र्स स्टूडेंट्स की संख्या भी इस ब्रांच में बढ़ी है। मैकेनिकल इंजीनियरिंग का क्रेज बढऩे का एक कारण इसमें मिलने वाले पैकेज भी है। कैंपस प्लेसमेंट के लिए थर्ड ईयर से ही कंपनियों की नजर स्टूडेंट्स पर रहने लगती है। अच्छे स्टूडेंट्स को सैैलरी भी अच्छी मिल जाती है।

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8. इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग

इलेक्ट्रिकल इंजीनियर्स की बढ़ती मांग ने युवाओं को इस विषय की तरफ आकर्षित किया है। इलेक्ट्रिकल एनर्जी के क्षेत्र में इन्हें आकर्षक वेतन पर नौकरियां मिलती हैं। ऑडियो और वीडियो कम्युनिकेशन सिस्टम्स में तो ये मुख्य भूमिका में होते हैं। इसके अलावा, इलेक्ट्रिकल मशीनरी, पावर प्लांट्स, रेलवे, सिविल एविएशन, टेलिकम्युनिकेशन और इलेक्ट्रिकल एनर्जी के वितरण सिस्टम में इलेक्ट्रिकल इंजीनियर्स की खूब डिमांड है। संबंधित संस्थान में इलेक्ट्रिकल इंजीनियर बनने के लिए स्टूडेंट को एआईईईई, जेईई अथवा स्टेट लेवल पर आयोजित इंजीनियरिंग परीक्षाएं क्वालिफाई करनी होती है। प्रवेश परीक्षा में स्टूडेंट को साइंस स्ट्रीम से अच्छे अंकों से उत्तीर्ण होना जरूरी है। साइंस स्ट्रीम में छात्र को फिजिक्स, केमेस्ट्री और मैथ होना चाहिए। मौजूदा समय में इलेक्ट्रिक इंजीनियरों की मांग में जबर्दस्त इजाफा हुआ है। इंडस्ट्रीज मैन्युफैक्चरिंग, रेफ्रीजरेटर, टेलीविजन, कम्प्यूटर, माइक्रोवेब्स से संबंधित इंडस्ट्रीज में इसकी खूब मांग है। इसके अलावा, एटमी प्लांट्स, हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर प्लांट्स, थर्मल पावर आदि के डिजाइन और डेवलपमेंट इलेक्ट्रिक इंजीनियर की अहम भूमिका है।

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9. कम्प्यूटर इंजीनियरिंग

कम्प्यूटर की बढ़ती उपयोगिता के कारण कम्प्यूटर इंजीनियर्स की डिमांड काफी बढ़ गई है। कम्प्यूटर इंजीनियर्स कम्प्यूटर के पुर्जों की डिजाइनिंग और टेस्टिंग वगैरह का काम करते हैं। वे पेशेवर जो कम्प्यूटर हार्डवेयर्स और सॉफ्टवेयर्स के साथ काम करते हैं उन्हें कम्प्यूटर इंजीनियर कहा जाता है। ये अपनी टीम के साथ मिलकर मैथेमेटिक्स और साइंस का प्रयोग करके कम्प्यूटर को डिजाइन और विकसित करते हैं। जो कम्प्यूटर के पुर्जों के साथ काम करते हैं, उन्हें कम्प्यूटर हार्डवेयर इंजीनियर कहा जाता है और जो कम्प्यूटर के प्रोग्राम्स के साथ काम करते हैं, उन्हें सॉफ्टवेयर इंजीनियर कहा जाता है। कम्प्यूटर साइंस में करियर बनाने के लिए मैथ्स और साइंस (फिजिक्स, केमेस्ट्री) में अच्छी पकड़ होनी चाहिए। कम्प्यूटर इंजीनियर बनने के लिए उम्मीदवार को कम्प्यूटर साइंस में ग्रेजुएट की डिग्री लेनी होती है। इस ब्रांच में बीई या बीटेक करने के बाद पोस्टग्रेजुएशन यानी एमई/एमटेक किया जा सकता है। कम्प्यूटर इंजीनियर्स के लिए देश-विदेश दोनों जगहों पर अच्छी संभावनाएं हैं। ये सॉफ्टवेयर्स को डिजाइन, डेवलप और मेंटेन करते हैं। इस फील्ड से जुड़े लोगों को सॉफ्टवेयर कंपनीज और आईटी कंपनियों में जॉब मिलती है।

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10. इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग

इलेक्टॉनिक्स इंजीनियरिंग का एक उभरता हुआ एरिया है, जिसमें जॉब की काफी संभावनाएं हैं। एक इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियर आम जीवन में प्रयोग होने वाले इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरणों से जुड़ा रहता है। इसके अलावास पेट्रोलियम, ऊर्जा, केमिकल इंडस्ट्री, स्टील और कृषि जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में भी इनकी जरूरत पड़ती है। इस फील्ड में डिग्री हासिल करने के बाद सेंट्रल गवर्नमेंट, स्टेट गवर्नमेंट और प्राइवेट सेक्टर में मोटे पैकेज पर नौकरी के अवसर खुले हैं। इंडियन टेलिफोन इंडस्ट्रीज, एमटीएनएल, नेशनल फिजिकल लेबोरेट्री, सिविल एविएशन डिपार्टमेंट, पोस्ट एेंड टेलिग्राफ डिपार्टमेंट और बीईएल जैसी प्रतिष्ठित कंपनियां इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियर्स को नौकरियां प्रदान करती हैं। इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग में करियर प्रदान करने के लिए विभिन्न संस्थान बीई या बीटेक की 4 वर्षीय डिग्री प्रदान करते हैं। इन कोर्सेज में एडमिशन के लिए फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथमेटिक्स में इंटरमीडिएट की परीक्षा अच्छे अंकों के साथ उत्तीर्ण होनी चाहिए। इंजीनियरिंग कोर्स में प्रवेश के लिए जेईर्ई (संयुक्त प्रवेश परीक्षा) या एआईईईई (ऑल इंडिया इंजीनियरिंग एंट्रेस एग्जामिनेशन) की परीक्षा बेहतर रैंक के साथ पास करनी अनिवार्य है। इन परीक्षाओं में प्राप्त रैंक के आधार पर ही प्रतिष्ठित संस्थानों में एंट्री मिलती है। इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियर्स के लिए अवसरों की कमी नहीं है। सरकारी और गैर-सरकारी दोनों क्षेत्रों में ऊंची सैलरी पर नौकरियां उपलब्ध हैं। बीएसएनएल, एमटीएनएल, सिविल एविएशन, रेलवे, बीईएल, सीईएल, भारतीय वायु सेना, जल सेना, थल सेना, परमाणु ऊर्जा आयोग और एयरोनोटिक्स में अच्छे अवसर उपलब्ध हैं।

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11.पेट्रोलियम इंजीनियरिंग

किसी भी देश की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करने में पेट्रोलियम और संबंधित उत्पादों का प्रमुख हाथ होता है। बढ़ती मांग के मद्देनजर अब नए पेट्रोलियम व गैस भंडारों की खोज को प्राथमिकता दी जा रही है। यह काम इतना आसान नहीं है। स्वाभाविक है कि इसके लिए ट्रेंड प्रोफेशनल्स की जरूरत आने वाले समय में और ज्यादा होगी। किसी भी अन्य इंजीनियरिंग ब्रांच की ही तरह पेट्रोलियम इंजीनियरिंग में एडमिशन के लिए स्टूडेंट्स का 12वीं साइंस (फिजिक्स, केमिस्ट्री, मैथमेटिक्स) से उत्तीर्ण होना चाहिए। विभिन्न संस्थानों में प्रवेश के लिए एआईईईई, जेईई जैसी परीक्षाएं या फिर संबंधित संस्थान की प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण होना जरूरी है। पेट्रोलियम इंजीनियरिंग में एमटेक करने के लिए केमिकल या पेट्रोलियम इंजीनियरिंग में बीटेक/बीई होना चाहिए। जिस तरह पेट्रोल और गैस की जरूरत बढ़ती जा रही है, उसी अनुपात में इससे संबंधित विभिन्न कार्यों के लिए कुशल पेट्रोलियम इंजीनियरों की भी मांग बढ़ती जा रही है। इंडियन ऑयल, ऑयल इंडिया लिमिटेड, एचपीसीएल, ओएनजीसी, बीपी आदि तमाम संस्थान हैं, जहां रिक्तियां निकलती रहती हैं। निजी और सरकारी दोनों ही क्षेत्रों में वेतन की स्थिति अच्छी है। इस फील्ड में टैलेंटेड लोगों के लिए विदेश में भी मौके हैं, जहां कमाई और अच्छी है।

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12. माइनिंग इंजीनियरिंग

माइनिंग इंजीनियरिंग में प्रवेश पाने के लिए मैथ, फिजिक्स और केमिस्ट्री से बारहवीं पास होना चाहिए। इसमें करियर बनाने के लिए माइनिंग से बीटेक, बीई और बीएससी में अप्लाई कर सकते हैं। आईआईटी-जेईई के तहत भी इस पाठ्यक्रम में प्रवेश पाया जा सकता है।

माइनिंग इंजीनियरिंग में कोर्स की बेसिक जानकारी के साथ उसकी व्यावहारिक ट्रेनिंग भी दी जाती है। माइनिंग के विभिन्न पहलुओं इंजीनियरिंग, धातु निष्कर्षण और भूगर्भ विज्ञान के बारे में भी बताया जाता है। साथ ही, ड्रिलिंग, ब्लास्टिंग, माइन कॉस्ट इंजीनियरिंग, अयस्क रिजर्व विश्लेषण, ऑपरेशन विश्लेषण, माइन वेंटीलेशन, माइन प्लानिंग, माइन सेफ्टी, रॉक मैकेनिक्स, कम्प्यूटर एेप्लिकेशन, इंडस्ट्रियल मैनेजमेंट के बारे में शिक्षा दी जाती है। मुख्यत: इसके पाठ्यक्रम के तहत खनिज पदार्थों की संभावनाओं का पता लगाना, उनके नमूने एकत्रित करना, भूमिगत तथा भूतल खदानों का विस्तार और विकास करना, खनिजों को परिष्कृत करना आदि के बारे में जानकारी प्रदान की जाती है। आज के दौर में जब देश में ईंधन की खपत लगातार बढ़ रही है, खनन उद्योग के विकास के लिए इस तरह की जानकारी आवश्यक हो जाती है। माइन मुख्यत: दो तरह की होती है- अंडर ग्राउंड माइन और ओपेन-पिट माइन। अंडरग्राउंड माइन में ही मिनरल मिलते हैं, जिन्हें माइनिंग के द्वारा निकाला जाता है। अंडरग्राउंड माइन के द्वारा सोने और कोयले को निकाला जाता है, वहीं ओपन पिट माइनिंग द्वारा आयरन ओर, लाइमस्टोन, मैग्नीज आदि को निकाला जाता है। स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड, कोल इंडिया लिमिटेड, आईपीसीएल, नेवली लिग्नाइट कॉरपोरेशन, यूरेनियम कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया, आईबीपी लिमिटेड में जॉब की बेहतर संभावनाएं हैं। इसके अलावा, आप रिसर्च और पढ़ाने के क्षेत्र में भी अवसर तलाश सकते हैं। इस कोर्स को करने के बाद ऑपरेशन, इंजीनियरिंग, सेल्स और मैनेजमेंट में नौकरी की खासी संभावनाएं बनती हैं। मैनेजर, माइनिंग मैनेजर, माइन वेंटीलेशन इंजीनियर, ऑपरेशन मैनेजर, माइनिंग इनवेस्टमेंट एनालिस्ट, पेट्रोलियम इंजीनियर जैसे पदों पर बेहतर पैकज की नौकरी मिल जाती है।

http://www.career7india.com/news/newsdetail/id/508/page/2/news/%E0%A4%87%E0%A4%82%E0%A4%9C%E0%A5%80%E0%A4%A8%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%82%E0%A4%97+%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%82+%E0%A4%AC%E0%A5%87%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%9F+%E0%A4%91%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B6%E0%A4%82%E0%A4%B8


  1. एसटी-एससी छात्रों को सरकारी स्तर पर इंजीनियरिंग ...

  2. www.jagran.com/bihar/saran-10577618.html

  3. 19-07-2013 - अब एसटी, एससी छात्रों को कल्याण विभाग द्वारा सरकारी स्तर से देश के प्रसिद्धइंजीनियरिंग कालेजों में दाखिला दिलाया जायेगा। दाखिला लेने वाले छात्रों को पढ़ाई के साथ ही छात्रवृत्ति भी दी जायेगी। जिला कल्याण विभाग ...

  4. पीयू में लॉ के दाखिले में जुटे इंजीनियर 10574510

  5. www.jagran.com/punjab/chandigarh-10574510.html

  6. 18-07-2013 - जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : पंजाब विश्वविद्यालय में चल रहे लॉ की काउंसिलिंग में इस बार विद्यार्थियों की उम्मीद से अधिक भीड़ जुटी है। कारण है कि रोजान 10574510.

  7. जेईई के बिना नहीं मिलेगा इंजीनियरिंग में दाखिला

  8. www.jagran.com/himachal-pradesh/mandi-9854926.html

  9. 17-11-2012 - हंसराज सैनी, सुंदरनगर इंजीनियरिंग करने के इच्छुक युवाओं को इस बार प्रदेश के सरकारी व निजी क्षेत्र के इंजीनियरिंग कॉलेजों में दस जमा दो कक्ष 9854926.

  10. orkut - इंजीनियरिंग दाखिला ;नक़ल माफिया की करतूत.

  11. www.orkut.com › ... › RSS Rastriya Swayamsevak SanghForum

  12. 23-09-2012 - इंजीनियरिंग की दो मुख्य परीक्षाओ निट और त्रिपिल ई टी की परीक्षाओ में इंटर की परीक्षो के नंबर जोड़े जाए गे ..यह सब नक़ल माफिया की करतूत है. पहले यूं पी बिहार में दस हजार ले कर इंटर में नक़ल कराई जाती रही है अब नक़ल करने के लिए एक ...

  13. Engineering | जीरो मार्क्स पर इंजीनियरिंग में दाखिला

  14. hindi.webdunia.comखबर-संसारकरियरसमाचार

  15. 09-07-2012 - हैदराबाद। उत्तर भारत के इंजीनियरिंग और तकनीकी संस्थानों में जहां सीटों को लेकर मारामारी है, वहीं आंध्रप्रदेश में शून्य अंक पाने वाले छात्रों को भी इंजीनियरिंग और कृषि पाठ्यक्रमों मेंदाखिला मिल रहा है। | Engineering ...

  16. इंजीनियरिंग में दाखिला अब 8 तक - इंजीनियरिंग में ...

  17. www.bhaskar.comChhatisgarh

  18. 06-07-2013 - 0 रायगढ़ के कालेज ने कमजोर छात्रों को एडमिशन देने से किया इंकार 0 कालेजों में अब एडमिशन 8 जुलाई तक खिसका 0 आज से.

  19. मप्र: बिना प्रवेश परीक्षा के 17000 छात्रों का ...

  20. hindi.pardaphash.com/news/17000/690550.html

  21. 23-11-2011 - भोपाल| मध्य प्रदेश में उच्च शिक्षा व्यवसाय इन दिनों बेहद खराब दौर से गुजर रहा है, जिसकी वजह से प्री इंजीनियरिंग परीक्षा (पीईटी) दिए बगैर ही 17718 छात्रों को विभिन्न इंजीनियरिंगकॉलेजों में दाखिला दिया गया। इसके बाद भी ...

  22. कहीं दाखिले की भीड़, कहीं सन्नाटा - Guest column ...

  23. www.livehindustan.com/news/editorial/.../article1-story-57-62-343982.ht...

  24. 26-06-2013 - एक तस्वीर आपको देश के हजारों इंजीनियरिंग, मैनेजमेंट, फार्मेसी, एमसीए कोर्स चलाने वाले कॉलेजों में दिखाई देगी। पिछले दो-तीन वर्षों से इंजीनियरिंग व मैनेजमेंट कॉलेजों मेंदाखिला लेने वालों की तादाद कम होती जा रही है।

  25. Directorate of Technical Education, Maharashtra State, Mumbai

  26. www.dte.org.in/

  27. अनुवादित: तकनीकी शिक्षा निदेशालय, महाराष्ट्र राज्य, मुंबई

  28. First Year Pharmacy 2013 · Direct Second Year Diploma 2013 · Direct Second YearEngineering 2013 · Direct Second Year Pharmacy 2013 · Admissions 2012- ...

  29. Admission to the College of Engineering | College of Engineering ...

  30. www.egr.msu.edu/advising/admission/admit

  31. अनुवादित: इंजीनियरिंग कॉलेज | इंजीनियरिंग कॉलेज में एडमिशन...

  32. Admission to the College. Students are admitted to the College of Engineering as soon as they have met the following requirements: Complete at least 12 credits ...




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