Wednesday, June 29, 2011

Fwd: हाजमा ठीक नहीं रहता?



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From: Dr. Mandhata Singh <drmandhata@ibibo.com>
Date: 2011/6/27
Subject: हाजमा ठीक नहीं रहता?
To: palashbiswas <palashbiswaskl@gmail.com>, palash biswa <palashbiswas@ibibo.com>, monumanjul <monumanjul@gmail.com>, singh <singhsheela10@gmail.com>



   क्या हाजमा ठीक नहीं रहता? ये रहे बेहद सरल नुस्खे


   आयुर्वेद में इंसानी शरीर व मन से जुड़ी अधिकांस बीमारियों का प्रामाणिक व शर्तिया उपाया बताया जाता है। आइये देखते हैं ऐसे ही कुछ आयुर्वेदिक और घरेलू नुस्खे जो आपके पाचन तंत्र को सदा दुरुस्त रखने में बेहद मददगार होते हैं..


1. भोजन के एक घंटा पहले पंचसकार चूर्ण को एक चम्मच गरम पानी के साथ लेने से भूख खुलकर लगती है।

2. रात में सोते समय आँवला 3 भाग, हरड़ 2 भाग तथा बहेड़ा 1 भाग-को बारीक चूर्ण करके एक चम्मच गुनगुने पानी के लेने 

  से सुबह दस्त साफ आता है एवं भूख खुलकर लगती है। 

3. भोजन में पतले एवं हलके व्यंजनों का प्रयोग करने से खाया हुआ जल्दी पच जाता है, जिससे जल्दी ही भूख लग जाती है।

4. खाना खाने के बाद अजवायन का चूर्ण थोड़े से गुड़ के साथ खाकर गुनगुना पानी पीने से खाया हुआ पचेगा, भूख लगेगी और खाने में रुचि पैदा होगी।

5. भोजन के बाद हिंग्वष्टक चूर्ण एक चम्मच खाने से पाचन-क्रिया ठीक होगी।

6. हरे धनिए में हरी मिर्च, टमाटर, अदरक, हरा पुदीना, जीरा, हींग, नमक, काला नमक डालकर सिलबट्टे पर पीसकर बनाई चटनी खाने से भोजन की इच्छा फि र से उत्पन्न होती है।

7. भोजन करने के बाद थोड़ा सा अनारदाना या उसके बीज के चूर्ण में काला नमक एवं थोड़ी सी मिश्री पीसकर मिलाने के बाद पानी के साथ एक चम्मच खाने से भूख बढ़ती है।

8. एक गिलास छाछ में काला नमक, सादा नमक, पिसा जीरा मिलाकर पीने से पाचन-क्रिया तेज होकर आरोचकता दूर होती है।

9. भोजन के बाद 5-10 मिनिट घूमना पाचन में सहायक होता है।

10. भोजन करने के बाद वज्रासन में कुछ देर बैठना भी बेहद लाभदायक होता है।


क्या आप गैस से परेशान हैं?


पेट में गैस एवं खट्टी डकारें आम समस्या बन गई है। पेट की बीमारियों के अतिरिक्त गैस बनने की कई और भी स्थितियां हंै, जिनकी वजह से लोग परेशान रहते हैं। 


किन बीमारियों में गैस बनती है


पाचन तंत्र की कई पुरानी बीमारियां जैसे पेप्टिक अल्सर, अमीबायोसिस, डायरिया, अपच, गैस्ट्राइटिस के कारण कई मरीजों में गैस बनने की शिकायत होती है। अमाशय में लगभग 0.4 फीसदी हाइड्रोक्लोरिक एसिड होता है, जो भोज्य पदार्थ के बडे अंश को छोटे-छोटे भाग में तोड़ने के काम आता है। इसकी मात्रा में अचानक वृद्धि होने से अधिक मात्रा में गैस बनने लगती है, जो आगे चलकर अमाशय की भीतरी दीवार को नुकसान पहुंचाती है और धीरे-धीरे घाव बन जाती है। इसे पेप्टिक अल्सर कहते है। इस स्थिति में भी गैस बनने की मात्रा में अचानक वृद्धि हो जाती है और पेट फूलने के साथ-साथ पेट भराभरा-सा लगता है। कई तरह की संक्रामक बीमारियों जिसमें अमाशय की दीवार में सूजन हो जाती है तब भी भोजन को पचाने में सहायक अम्ल के स्राव में परिवर्तन हो जाता है और अधिक मात्रा में गैस का निर्माण होने लगता है।


पाचन तंत्र में भोजन को पचाने वाले कई ऎसे एंजाइम्स होते हैं, जिनमें कमी हो जाने की वजह से भोजन का पाचन ठीक से नहीं हो पाता है। परिणाम स्वरूप गैस की शिकायत होने लगती है। लैक्टेज नामक एंजाइम भोजन में पाए जाने वाले लैक्टोज को पचाने में सहायक होता है, जिसकी कमी से इसका पाचन ठीक से नहीं हो पाता है और गैस बनने लगती है। वे मरीज, जिनमें लैक्टेज एंजाइम की कमी होती है, दूध तथा दूध से बने खाद्य पदार्थ को पूरी तरह पचा नहीं पाते हैं।


ये है इलाज 


यदि किसी बीमारी के कारण गैस बनती है, पेट फूल जाता है तथा पेट में दर्द होने लगता है, तो उसका इलाज किसी अनुभवी चिकित्सक से कराना चाहिए। जिन्हें पेट की कोई बीमारी नहीं है फिर भी पेट में गैस बनने की शिकायत रहती है, उन्हें तीन बातों की ओर विशेष ध्यान देना चाहिए। पहली बात- किसी खास भोज्य पदार्थ के लेने पर ही तो कहीं गैस नहीं बनती है। यानी उससे एलर्जी तो नहीं है, ऎसी स्थिति में तुरंत उसका सेवन बंद कर देना चाहिए। 


दूसरी बात- कहीं आप अधिक गैस बनाने वाला भोजन तो नहीं करते हैं, जैसे- सेम, मटर, केक, कार्बोनेट युक्त सामग्री, खट्टा फल, फूलगोभी, बंदगोभी, काजू, मुनक्का, सुपारी आदि। इनका सेवन भी बंद कर दें। तीसरी बात- आप नियमित रूप से भोजन करने की आदत डालिए। समय पर नाश्ता तथा भोजन करने पर गैस की शिकायत अपने आप बंद हो जाएगी। भोजन को चबा चबाकर इत्मिनान से करना चाहिए।

   ज्यादा तेल, मिर्च, तला हुआ मसाला तथा अधिक गरिष्ठ भोज्य पदार्थ नहीं करना चाहिए। भोजन में हरी सब्जी का सेवन करें। जितना खाने में पेट भर जाए, उससे थोड़ा कम खाना खाए तो भोजन पचाने में आसानी होती है। भोजन करने के आधा-एक घंटे बाद पानी पीना चाहिए। खाना खाने के तुरंत बाद काम करने नहीं बैठें। जो शारीरिक श्रम नहीं करते हैं, पेट में गैस बनने की शिकायत रहती है। 

यदि पेट तथा हाजमा ठीक होगा तो आप शारीरिक तथा मानसिक दोनों तौर पर स्वस्थ रहेंगे। हाजमा ठीक नहीं रहने पर अन्य बीमारियों के साथ खून की कमी हो जाएगी और कमजोरी, दिल की धड़कन तीव्र होना, सिर चकराना, काम में मन नहीं लगना, मानसिक तनाव चिंता हो जाएगी। शारीरिक प्रतिरोध क्षमता घट जाएगी। 


क्यों बनती है?


केवल बीमारी की स्थिति में ही पेट में गैस नहीं बनती। बीमारी तो एक कारण है ही, इसके अलाव भी भोजन करते समय बहुत बड़ी मात्रा में (2 से 6 फीसदी) हवा पेट में जाती है। आंत में पाए जाने वाले विभिन्न बैक्टीरिया तथा रक्त संचालन द्वारा भी गैस पाचन तंत्र में पहुंचती है, जो डकार द्वारा मुंह से बाहर बीच-बीच में निकलती रहती है। इससे मरीज को कोई परेशानी नहीं होती, लेकिन इसका जो भाग नहीं निकल पाता है, अमाशय तथा आंत में रह जाता है और बाद में पेट फूलने का कारण बनती है। कई बार तो पेट में दर्द होने लगता है।


   अगर आप चाहते हैं कि आपके भोजन से आपको अधिक से अधिक लाभ पहुंचे तो आपको न केवल सही भोजन चुनना होगा, उसे अच्छी तरह चबाना होगा बल्कि आपका पाचन तंत्र भी इस काबिल होना चाहिए कि वह उसे अच्छी तरह तोड़ कर पोषक पदार्थों को अवशोषित कर सके। अगर हम जल्दी-जल्दी में खाना निगलते हैं, तो इस बात से कोई लाभ नहीं होगा कि हमने अपने भोजन को बढि़या बनाने में कितना समय एवं पैसा लगाया है। 

अगर हम खाने के साथ कोई लिक्विड जैसे सॉफ्ट ड्रिंक ले रहे हैं, तो यह पाचन क्रिया को कुप्रभावित करता है। केवल यही नहीं, यदि हम खाने के साथ सादा पानी भी पीते हैं, तो यह भोजन को पेट में ठीक से टूटने नहीं देगा। इसलिए अपने भोजन से अधिक से अधिक पोषण पाने के लिए ठीक यही रहेगा कि भोजन खाने से कम से कम 30 मिनट पहले व 30 मिनट बाद ही पानी पिएं। 

कैल्शियम, आयरन, विटामिन-बी जैसे पोषक तžवों को ठीक से अवशोषित करने के लिए भोजन का ठीक से पचना जरू री है। ऎसा न होने से कई तरह की समस्याएं उठ खड़ी होंगी, उदाहरण के लिए बेचैनी, अवसाद, थकान।


पाचन को पुख्ता करें


ताजा फलों व कच्ची सब्जियों में कई स्वास्थ्यकर पुष्टिकर होते हैं, इसलिए इनकी मात्रा आपके भोजन में अधिक होनी चाहिए।

दो-तीन बार पेट भर के खाने से अच्छा है कि 4 से 5 बार थोड़ा-थोड़ा खाया जाए, इससे हमारे पेट को बहुत अधिक मेहनत नहीं करनी पड़ती। धीमे-धीमे चबाते हुए भोजन का आनंद लें। निगलने से पहले मुंह के कौर को पूरी तरह तोड़ लें। अगला निवाला लेने से पहले विराम दें, क्योंकि आपको सांस लेनी है।


सुबह का भोजन/नाश्ता कभी न छोड़ें।


कुदरत ने हमें कुछ चीजें दी हैं जिनका सेवन कर के हम अपनी पाचन क्रिया को मजबूत बना सकते हैं जैसे जीरा, अजवाइन, हींग, अदरक, त्रिफला, पपीता।

भोजन पकाने में ऎसे मसालों का प्रयोग करें जो पाचन प्रक्रिया के लिए लाभदायक हैं जैसे सूखी अदरक, हल्दी, जीरा, धनिया, अजवाइन। इनसे न केवल पाचन अच्छा होता है बल्कि ये पोषक तžवों के अवशोषण और विषाक्त पदार्थों को बाहर करने में भी मदद करते हैं।


कैफीन और कार्बोनेटिड पदार्थों का सेवन न करें।

प्रोसेस्ड एवं डिब्बाबंद उत्पादों से परहेज करें। उनकी बजाय ताजा सब्जियों और साबुत अनाजों का भोजन करें।





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Palash Biswas
Pl Read:
http://nandigramunited-banga.blogspot.com/

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